कया यह वही अखण्ड भारत है
जिसका सपना चाणक्य ने देखा था ।।
क्या यह वही अखण्ड भारत है
जिसका सपना चन्द्र गुप्त मौर्य ने देखा था ।।
क्या यह वही अखण्ड भारत है
जिसका सपना राजपूतो ने देखा था ।।
क्या यह वही अखण्ड भारत है
जिसका सपना भक्त सिंह ओर चन्द्र शेखर आजाद ने देखा था ।।
भारत के वीर सपूतो ने यहा अपने शीश चढाये है ।।
यहा वीरांगनाओ ने हस्ते हस्ते अपने शीश धरती मां को चढाये है ।।
हमने भारत भूमि को अपने खून से सीचा है ।
दूर हटो विदेशी शक्तियो हम भारत के लिए सारी दुनिया का लहू बहा देगे।।
जागो अब भारत वालो अब हिमालय को चीन से आजाद कराना है ।
ओर सुन लो चीन अब हम तिब्बत को भी आजादी दिलवाये गे रोक सको तो रोक लो अगर तेरे मे है दम बीजिंग की छाती पर अब तिरगां लहरा देगे ।।
दुनिया वालो ये सुनो गोर से । अगर हम चाहे तो पूरी पृथ्वी पर तिरंगा लहरा देगे ।।।
मगर हम शांति के दूत है । हम बुद्ध के रास्ते पर चलने वाले है
अगर हमे छेडोगे तो । खून की नदिया बहा देगे ।।
यह भारत भूमि हमारी मां है । इसके लिए अपने शीश कटादेगे। । जय हिंद जय भारत
बलसिहं चौहान।