परिवार वह संस्था है जहा आप अपनी सभी बाते शेयर करते है जहा इंसान पूरे दिन की थकान को आकर भूल जाता है अपने परिवार मे आकर हर समस्या का निदान पास लेता है परिवार मे बच्चे अपने दादा दादी के आशिर्वाद को रोज सुबह चरण छूकर लेते है माता पिता का आशीर्वाद लेते है परिवार से ही बच्चो मे संस्कारो का जन्म होता है हमे जीवन मे क्या आचरण करना है यह सब परिवार ही हमे सीखाता है हमे अपने से बडो का सम्मान कैसे करना है यह सब हमे अपने बडे ही सीखाते है आज की भाग दौड भरी ज़िन्दगी मे आज परिवार पिछे छूटते जा रहे है यह सब पश्चिम की सभ्यता का ही प्रभाव है जो हमे अपनो से ही दूर कर रहा है परिवार टूट रहे है यह हमारे खान-पान का भी प्रभाव है भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है जैसा अन्न खाओगे वैसा ही मन हो जाएगा । अन्न तीन प्रकार का है सात्विक. राजसिक. तामसिक ये तीन प्रकार के अन्न बताए गए है सात्विक भोजन हमारे जीवन को अन्धकार से निकाल कर प्रकाश की ओर ले जायेगा . राजसिक भोजन हमे सात्विक ओर तामसिक दोनो गुण प्रदान करेगा । तामसिक भोजन हमे जिसमे मांसाहार . दारु किसी भी जीव को मार कर खाया गया भोजन तामसिक होता है जो हमे कोई गुण प्रदान नही करता है जो हमे नीच योनीयो मे गिरा देता है यह हमारे परिवार को नष्ट भ्रष्ट कर देता है इसलिए जीवन मे राजसिक ओर तामसिक भोजन से बचो ओर अपने परिवार को बचाओ । अगर राष्ट्र निर्माण मे सहयोग देना चाहते हो तो अच्छे विचार अपने परिवार को दो अच्छे संस्कार दो बड़े भाई ओर माता पिता का सम्मान करो तभी हमारा राष्ट्र ही हमारा परिवार होगा । इंसान के विचार अच्छे है तो वह राष्ट्र के निर्माण मे अवश्य सहभागी होगा क्योकि परिवार से राष्ट्र का निर्माण होता है ओर भारत एक परिवार है ओर समस्त विश्व इसके परिवार है । इसीलिए कहा समस्त विश्व एक परिवार है ।