भारत के परिवारो मे बहू को बहू नही माना जाता । ब्लकि बेटी माना जाता है यही भारतीय संस्कृति की अपनी एक अलग पहचान है परिवार मे सब मिलकर रहते है ताउ चाचा दादी बाबा सब मिलकर रहते । यही भारतीय के परिवारो की अलग पहचान है बहू को विशेष स्थान दिया जाता है परन्तु अब समय बदल रहा है अब बहू आती बाद मे है परिवार से अलग होने का पहले सोचते है अब परिवार टूट रहे है यह पश्चिम की देन है अब फेशन का दोर है अगर परिवार मे किसी बडे ने कुुछ जरा सी बात कह दी तो पत्नी पति से कहती अब हमे यहा नही रहना हम दूसरे घर मे शिफ्ट हो जाते है । आज के आधुनिक जमाने मे कोई किसी को कुछ समझता भी नही है घर के बडो को चुप ही रहना पडता है । नही तो परिवार मे लड़ाई झगड़े शुरू हो जाते । आज की बहू अपने सास ससुर पर दहेज के झूठे केश लगा देती है आज भारत मे 90 फीसदी दहेज के झूठे केश चल रहे है ओर आज के समय मे सरकार भी महिला की ही बात सुनती है पुरूष का जीवन जीवन नही है सिर्फ महिला पर ही अत्याचार हो रहा है महिलाओ के लिए कानून तो बना दिए गए है पर इन कानूनो का आज के समय मे गलत उपयोग हो रहा है आज के समय मे 70 फीसदी महिलाये कानून का गलत फायदा उठा रही है । भारत मे महिलाओ को सरकार इसलिए ज्यादा इसलिए स्पोट करती है कि किसी महिला को असुरक्षा की भावना न प्रकट करे । शहरीकरण के इस दौर मे परिवार 👪 टूट रहे है ओर माँ बाप को कोई अपने पास रखना नही चाहता है बहू अपने सास ससुर की सेवा करना तो दूर उन्हे घर मे रखना भी नही चाहती है आज के समय मे माँ बाप का जीवन बच्चो ने नर्क बना कर रख दिया है बदलते इस दोर मे बहू भी बदलती जा रही है फैशन का दौर है परिवार कुछ नही है बस जो भी है दिखावा करना कम न हो जाये । जो परिवार आज भी अपनी जडो से जुड़े हुए है वह खुशहाल है ओर अपने माँ बाप को बोझ नही समझते । 10 फीसदी परिवार ऐसे है जो बहू अपने सास ससुर को ही अपने माँ बाप समझकर सेवा करती है