स्वर्गीय सरदार बल्लभ भाई पटेल ( 15 दिसम्बर 1950 ,पुण्यतिथि)डॉ शोभा भारद्वाज महान राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ स्वर्गीय सरदारवल्लभ भाई पटेल भारत के उप प्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री ने 15 दिसम्बर1950 को दिल कादौरा पड़ने से संसार को अलविदा कह दिया उनकी मृत्यू देश के लिए बहुत बड़ी क्षति थी . सरदार साहब को लौ
भाईदूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्तजयन्तीपाँच पर्वों की श्रृंखला दीपावली कीपञ्चम और अन्तिम कड़ी है 16 नवम्बर कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जानेवाला भाई बहन के मधुर सम्बन्धों तथा भाईचारे का प्रतीक पर्व भाईदूज – जिसे यम द्वितीया केनाम से भी जाना जाता है | यम द्वितीया नाम के पीछे भी एक कथाहै कि समस्त चराच
गोवर्धन पूजा, भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्तजयन्तीकल सबने ख़ूब धूमधाम से दीपोत्सव तथा लक्ष्मी पूजन का आयोजन किया | आज यानी दीपावली के अगले दिन –पाँच पर्वों की इस श्रृंखला की चतुर्थ कड़ी है – गोवर्धन पूजा और अन्नकूट | इस त्यौहार का भारतीय लोक जीवन में काफी महत्व है | इसकेपीछे एक कथा प्रसिद्ध है कि ए
दोस्तों, आज हम देख रहे हैं की एक पुराण पेड़ समूल उखाड़ने के लिए विदेश-दुश्मन-जाने-अनजाने सभी से गठबंधन कर लिया गया है .ये पेड़ इसलिए नहीं पुराण की ये कोई धर्म है? ये तो अपितु इसलिए पुराना है क्यूंकि भारत की 300 वर्षों की गुलामी और 700 वर्ष
तन्हाई मित्र हैं. झरने की झर्झर,नदियों की ऊफान, पहाड़ की चोटी पर झाड़ मे खिले नन्हेंकोमल-कोमल फूल जो हवाओं से बाते करते। वादियो, घाटियों, समतल मैदानों मे भटकता एक चरवाहा तरह-तरह की आवाज को निकाल अपने आप कोरमाए रखता। कभी ऐसे गाता जैसे उसे कुछ याद आया हो। उस याद मे एक कशिश की आवाज। वहइन समतल वादियों म
वर्ष भले ही बीत गया, एकस्मरण उस दिवस का, लेष मात्र भी कम ना हुआ, विषैली यादें, उस कड़वे दिन कीहैं आज भी जीवित मन मश्तिष्क पर, सजल हैं नेत्र, व्यथित हृदय है आजभी। हृदय व मन में, भावनाओं का वेग है, परअभिव्यक्ति के लिए शब्दों का अभाव है। किस से, एवं किस प्रकार, बताएँइसी उहापोह में, दुख के इस सागर
कई राते ठंडी बढ़ रही थी पूरा घर रज़ाई मे लिपटा हुआ था घर, आँगन,चौपाल, बरोठ, रज़ाई मे बस सासों का चलनाव घुड़का ही सुनाई देता। नीले आसमान मे आधा चाँद अपनी सफ़ेद रोशनी के साथ घर के बाहरसे गुजरती सड़क को निहार रहा था। सड़क शांत थी दिन की तरह घोड़े के टापूओं की आवाजनहीं थी बैलो की चौरासी नहीं बज रहे थे। मोटर के
भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है। यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भा
भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त जयन्तीकल यानीकार्तिक शुक्ल द्वितीया – भाई दूज – जिसे यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है कापावन पर्व है | नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं | यम द्वितीया नाम के पीछे भी एक कथा है कि समस्त चराचर को सत्य नियमों मेंआबद्ध करने वाले धर्मराज यम बहुत समय पश्चात अपनी बहन यमी
चले गए हो तुम यूँ अचानक और ले गए हो साथ अपने सारी खुशियाँ सारा उत्साह और जीने की चाह | सब कुछ | जिंदगी चल तो रही है तुम बिन पर क्या सच में जिन्दा हैं हम पापा खामोश हैं और मम्मी भी चुप हैं होंठ तो फिर भी बोल पड़ते हैं पर आँ