स्वर्गीय सरदार बल्लभ भाई पटेल ( 15 दिसम्बर 1950 ,पुण्यतिथि
)
डॉ शोभा भारद्वाज
महान राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ स्वर्गीय सरदार
वल्लभ भाई पटेल भारत के उप प्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री ने 15 दिसम्बर
1950 को दिल का
दौरा पड़ने से संसार को अलविदा कह दिया उनकी मृत्यू देश के लिए बहुत बड़ी क्षति थी . सरदार साहब को लौह
पुरुष का नाम दिया गया था .आजादी
के वर्षों बीत जाने के बाद उन्हें भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया गया लेकिन
भारत के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में अमर है 31 अक्टूबर
2018 ,उनका स्मारक उनकी याद में ‘स्टेचू
आफ यूनिटी’ राष्ट्र को समर्पित किया गया.
15 अगस्त 1947 देश आजाद हुआ अधिकाँश प्रांतीय कांग्रेस समितियों के सरदार पटेल के पक्ष
में होने के बाद भी गांधी जी की इच्छा का सम्मान करते हुए नेहरू जी देश के प्रधान
मंत्री बनाया गया ,पटेल उप प्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री बनाये गये उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था
उन्होंने कठिन कार्य को बिना रक्तपात के कर दिखाया उन्हे भारत का लौह पुरूष के रूप
से सम्मानित किया जाता है . जर्मनी के प्रधान
मंत्री बिस्मार्क का जर्मनी के एकीकरण में योगदान था लेकिन विश्व के इतिहास में एक
भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने इतनी बड़ी संख्या में रियासतों को मिला कर मजबूत
राष्ट्र के गठन का साहस किया हो 3 जून 1947 के प्लान के अनुसार हिंदुस्तान और पाकिस्तान (पूर्वी पाकिस्तान जो आज बंगला
देश के नाम से सम्प्रभु राष्ट्र है ) दो राष्ट्रों का निर्माण होगा और आजादी के
दिन से ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन रियासते भी आजाद हो जाएँगी वह स्वेच्छा से
हिन्दुस्तान या पाकिस्तान में विलय कर सकती हैं . इन 562 रियासतों का क्षेत्रफल लगभग 40% था परन्तु सरदार
पटेल ने रजवाड़ों को समझाया कुएं के मेढक न बन कर भारत रूपी महासागर में विलय कर लो
जूनागढ़ , हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को छोड़ कर सभी रियासतों के रजवाड़ों ने भारत में
विलय स्वीकार कर लिया था .
जूनागढ सौराष्ट्र के पास एक छोटी रियासत चारों ओर से
भारतीय भूमि से घिरी थी। वहाँ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी जबकि सर्वाधिक जनता हिंदू थी और भारत
में विलय चाहती थी. नवाब के विरुद्ध बहुत विरोध हुआ तो भारतीय सेना जूनागढ़ में
प्रवेश कर गयी. नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया और 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ का भारत में विलय हो गया जनमत संग्रह में जनता ने भी विलय का
समर्थन किया था| हैदराबाद भारत की भारत भूमि से घिरी सबसे बड़ी रियासत थी . वहाँ के निजाम ने
पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा
. वह ढेर सारे हथियार आयात कर रहा था पटेल को सूचना मिली बस्तर की रियासत में
कच्चे सोने की खानें हैं जिसे निजाम पट्टे पर खरीद कर अपनी शक्ति बढाना चाहता है .
श्री पटेल के निर्णय द्वारा भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद में प्रवेश कर गयी। तीन दिनों के बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर
नवंबर 1948 में भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.
पंडित नेहरू के विरोध के बाद भी 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प
लिया, भव्य सोमनाथ के मन्दिर का निर्माण हुआ दुःख आज तक अयोध्या में श्री राम का
मन्दिर नहीं बन सका देश का बहुसंख्यक समाज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा
कर रहा है .
1950 में श्री पटेल नें पंडित नेहरू को एक पत्र कर नेहरू जी को चीन तथा उसकी
तिब्बत के प्रति नीति से सावधान किया था, चीन का रवैया
कपटपूर्ण, विश्वासघाती एवं भविष्य में भारत का दुश्मन सिद्ध होगा बतलाया था। तिब्बत
पर चीन का कब्जा नई समस्याओं को जन्म देगा लेकिन नेहरू जी के अपने स्वप्न थे जिसका
परिणाम 1962 में चीन द्वारा थोपे गये युद्ध द्वारा भुगता .1950 में ही गोवा की स्वतंत्रता के संबंध में चली दो घंटे की कैबिनेट बैठक में
लम्बी वार्ता सुनी पटेल ने नेहरू जी से पूछा था "क्या हम गोवा जाएंगे, केवल दो घंटे की बात है।" नेहरू जी को उनका कथन नागवर गुजरा था . उनकी इच्छा अधूरी रह गयी लेकिन 1961 में गोवा नेहरू जी
के कार्यकाल में आजाद हुआ.
कश्मीर – सरदार पटेल कश्मीर
समस्या को स्वयं सुलझाना चाहते थे लेकिन कश्मीर के मामले में नेहरू जी संवेदन शील
थे समस्या को सुलझाने के बजाय और उलझा दिया ,कश्मीर नेहरू जी
की एक कूटनीतिक भूल का परिणाम था .एक ऐसी कूटनीतिक भूल जिसे आज तक देश भुगत रहा है
कश्मीर की धरती खून से रंगी जा रही हैं .