फिज़ा में खुशबु, हवा में बिखरा हुआ कमाल का रंग,निखर के गाल पर उसके, बड़ा इतरा रहा गुलाल का रंग।उड़ा के रंग-ए-इश्क़... हवा में, लिख दूँ मैं नाम तेरा,कभी जो बरसे मुझ पर, तेरे हुस्न-ओ-जमाल का रंग।।-दिनेश
प्रकृति को समझने में चूक संकट की सबसे बडी वजह !अगर कोई यह दावा करें कि उसने प्रकृति को समझ लिया है तो इसपर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता: वर्तमान समय में इस सत्यता को समझना काफी है कि जब यह कहा जाता है कि आज बारिश होगी या खबू गर्मी पडेगी तो उसका निष्कर्ष भी अक्सर उन भविष्यवाणियों की तरह हो
रंग की एकादशी – कुछ भूली बिसरी यादेंआज फाल्गुनशुक्ल एकादशी है, जिसे आमलकी एकादशी और रंग की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है | इस दिनआँवले के वृक्ष की पूजा अर्चना के साथ ही रंगों का पर्व होली अपने यौवन मेंपहुँचने की तैयारी में होता है | बृज में जहाँ होलाष्टकयानी फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होली के उत्सव
" छठ पूजा " हिन्दूओं का एक मात्र ऐसा पौराणिक पर्व हैं जो ऊर्जा के देवता सूर्य और प्रकृति की देवी षष्ठी माता को समर्पित हैं। मान्यता है कि -षष्ठी माता ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं,प्रकृति का छठा अंश होने के कारण उन्हें षष्ठी माता कहा गया जो लोकभाषा में छठी माता के नाम
*💐 श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम 🌹*☘🌳☘🌳☘🌳☘🌳 *जय श्रीमन्नारायण**जय श्री सीताराम*🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *जीवन के विविध रंग*🌲🌷🦜🌳🌷☘🦚☘💐🌹 जीवन और मृत्यु यह दोनों परस्पर मानव जीवन की अभिन्न अंग है दोनों का संबंध परस्पर जुड़ा हुआ है जीवन का उपभोग वैसे तो मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी कीड़े मकोड़े
रंग की एकादशी – कुछ भूली बिसरी यादेंकल रविवार 17मार्च को फाल्गुन शुक्ल एकादशी है | यों आज रात्रि ग्यारह बजकर चौंतीस मिनट के लगभग वणिजकरण, शोभन योग और पुनर्वसु नक्षत्र में एकादशी तिथि का आगमनहो जाएगा, किन्तु उदया तिथि होने के कारण कल एकादशी का उपवासरखा जाएगा | इस प्रकार जैसी कि मान्यता है कि द्वादशी
रंगों का भी क्या मिजाज है....हर पल यह बदल जाता है....कुछ पल सुनहरा दर्शाता है...तो कुछ पल फीका कर जाता है....कुछ गाड़े रंग है, जिंदगी जिससे खोना नही चाहती...कुछ ऐसी ही फीकी उमंग है जो जिंदगी मैं चाहकर भी होना नही चाहती...कुछ अनदेखे रंग ह,ै जो आंखों से ओझल रहते है....कुछ जाने पचाने रंग है ,जो हरपल आँख
ज़िंदगी तू है और एक मैं समझना तुझे चाहती हूँतू मेरी समझ से है दूर,बहुत दूर कभी छू कर महसूस करना चाहुँ , तो लगता है, तू भाग रही है | तुझे बढ़कर रोकना चाहुँ , तो लगता है, तू पहले से ही थमी है | हर पल रंग बदलती ह
आओ बैर मिटाये ... थोडा गुलाल लगाये ! में रंग दू तुझे लाल तू रंग दे मुझे गुलाल लाल पीला हरा गुलाबी जो चाहो ... बस प्यार से लगाये ! आओ बैर मिटायेअपनो को भिगाये ! नाचे ढोल बजाये बस खुशियां लुटाये ! ! जयति' रंग दो गुलाल गले मिलो लाओ बहार !!! त्यौहार है रंगों का द