प्रकृति को समझने में चूक संकट की सबसे बडी वजह !
अगर कोई यह दावा करें कि उसने प्रकृति को समझ लिया है तो इसपर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता: वर्तमान समय में इस सत्यता को समझना काफी है कि जब यह कहा जाता है कि आज बारिश होगी या खबू गर्मी पडेगी तो उसका निष्कर्ष भी अक्सर उन भविष्यवाणियों की तरह होता है जो प्राय:गलत निकलती है: कहने का मतलब यही कि बारिश होने की बात कही जाती है तो खूब गर्मी या धूप से लोग बेहाल हो जाते हैं:पूरे विश्व में आज जो हालात है उससे यह तो अंदाज लगाया जा सकता है कि प्रकृति पर भविष्यवाणियां या अनुमान जो भी कहे उनमें से अधिकांश सत्य नहीं निकल रही है: मानसून शुरू होने से लेकर भूकंप या चक्रवात आने तक का अनुमान शतप्रतिशत सही नहीं निकलते जबकि यह सूचना भी वैज्ञानिक तरीके से दिये जाने का दावा किया जाता है: जो कभी तो बुरी तरह धोखा दे जाता है या कुछ कुछ ही सही निकल पाता है::मई, जून आते ही हमारा शरीर गर्मी से जलने लगता है तब हम मानसून के आने का इन्तजार करते है और फिर अचानक आई बारिश मौसम को खुशनुमा बना देती है.इस बार तो पूरे विश्व में मौसम ने जो हंगामा मचाया वह सारे दावो की पोल खोल रहा है:इधर इडिया में कर्नाटक से खबर आती है वहां लोग सर्दी से परेशान है तो हैदराबाद से खबर आती है कि बाढ ने कहर ढा दिया, छत्तीसगढ के लोग गर्मी और उमस से परेशान है:असल में सितंबर अक्टूबर महीने से ठंड शुरू हो जाना चाहिये था लेकिन जो हालात अभी है उसने ठंड को दूर भगा दिया: आखिर ये मौसम बदलता कैसे है:कुछ विशेषज्ञ इसके पिछे सारा खेल सूरज का मानते हैं. जब हमारी पृथ्वी सूरज के नजदीक रहती है तो उस समय गर्मी पड़ती है और जब सूरज पृथ्वी से दूर चला जाता है तो सर्दी पड़ती है. हालाँकि यह तर्क एक दृष्टिकोण से तो सही लगता है लेकिन मौसम वैज्ञानिको का एक वर्ग परिवर्तन का यह कारण नहीं मानते इसीलिए इस तर्क को बिलकुल गलत बताया गया:यह सच है की पृथ्वी का परिक्रमा चक्र एक पूर्णतया गोलाकार ना होकर एक असंतुलित आकार बनाती है. साल के कुछ पडाव में पृथ्वी सूर्य के बेहद करीब पहुँच जाती है, उत्तरी गोलार्द्ध (पृथ्वी का आधा हिस्सा जो उत्तर में है) वहा बेहद ठंड पड़ती है जब पृथ्वी वहा सूरज के सबसे करीब होता है वहा गर्मी तब पड़ती है जब सूरज पृथ्वी से सबसे अधिक दूर चला जाता है इस तरह से सूरज की पृथ्वी से दूरी किसी भी तरह से सूरज को पृथ्वी पे होने वाले मौसम परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं बनाते है: पृथ्वी की धुरी जो की पृथ्वी के बिलकुल मध्य में स्थित होता है ऊपर से निचे की तरफ चलता है जिससे पृथ्वी अपने धुरी पर घूमती है:इस धुरी पर घूमते हुए पृथ्वी हर एक दिन में पूरा एक चक्कर लगा लेती है इसीलिए हमें दिन और रात मिलते है. लेकिन मौसम परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कारणों से एक होता है पृथ्वी का झुकाव जिससे हमें मौसम का अनुभव होता है. पृथ्वी अगर अपनी धुरी से हल्की सी झुकी नहीं होती तो हमें मौसम का ज्ञान ही नहीं होता: मतलब गर्मी, सर्दी, बसंत ये सब का हमें अनुभव ही नहीं होता. मौसम में परिवर्तन के लिए हालाँकि कुछ अन्य कारक भी जिम्मेदार होते है जैसे उल्का पिंड, ज्वालामुखी, समुन्द्र आदि: वैज्ञानिको का मानना है की बहुत वर्षो पहले जब पृथ्वी एकदम नई बनी थी उस समय किसी आकाशपिंड ने इसको जोरदार टक्कर मार दी जिसके चलते पृथ्वी एक ओर झुक गयी. अब चूँकि पृथ्वी अपने धुरी पर स्थिर होकर घूमती है तो यह झुकाव उस पर हमेशा ही बना रहता है: यह टक्कर इतना जोरदार था की सौरमंडल में इस टकराव से निकले धूल के कण विशाल मात्रा में चले गए और वैज्ञानिको का मानना है की इस टक्कर से निकले धूल के कण और टुकड़े मिलकर चन्द्रमा का निर्माण हुआ. हालाँकि कुछ वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं भी है:हम आशा करते है कि दीपावाली का त्योहार बीतने के बाद मौसम ठंडा होने लगेगा:हम छत्तीसगढ की बात करें तो कम से कम राजधानी रायपुर शहर के आउटर में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है मौसम पर नजर रखने वाले भविष्यक्ताओ का कहना है कि अगले एक-दो दिनों में मौसम साफ होगा और उत्तरी हवा के आने से प्रदेश में ठंड बढ़ेगी: बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बनने की वजह से समुद्र से नमी आ रही है, इस वजह से राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही है खासकर वन आछादित बस्तर में हल्की से मध्यम वर्षा हो रही है इस ओर से आ रही नमी के कारण रायपुर में भी ठंड नहीं बढ़ पा रही है:इस इलाके में समुद्र की ओर से आने वाली हवा के थमने और उत्तर भारत की ओर से ठंडी हवा आने पर सर्दी शुरू हो जाती है: