घर-घर शौचालय,हर घर शौचालय,बन गए हैं गाँव में.....होता इनका,इस्तेमाल कैसे कैसे,जाकर देखो गाँव में.....कहीं कंडे भरे हैं,कहीं लकड़ी भरीं हैं,ईंधन को रखते गाँव में.....कोई रखे सामान,कोई खोले दुकान,करते ज
सर्दियों के दिन,ठिठुरन से भरे।कंपकपाती सर्दी में,आखिर कोई काम कैसे करे.....गर्मियों के दिन,तपिश से भरे। झुलसाती गर्मी में,आखिर कोई काम कैसे करे.....बारिश के दिन,कीचड़ से भरे। टिपटिपाती बारिश
आखिर कर्नल प्रियादर्शनी को घर ले ही आए। विवाह के अगले दिन, कर्नल प्रियादर्शनी के साथ अपने हनीमून की तैयारी कर रहा था। बेटे-बहू के साथ वह भी प्रियादर्शनी को लेकर अमेरिका जा रहा था। तैयारी हो च
उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था। ‘इस उम्र मे
उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार म
सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन दोनों बड़ी देर से कमरे म
आज शाम पार्क में कर्नल की आँखें बारहा किसी की राह देख रही थी। कर्नल अपने आप में खोया था, तभी कर्नल का शायर दोस्त अचानक आ पहुँचता है। वह कर्नल को खुशनुमा मुड़ में देखकर हैरान था।
शाम के पांच बज चुके थे। कर्नल रोज की तरह आज भी टहलने के लिए पार्क को निकल पड़ा था। कर्नल को हमेशा एकांत में रहना पसंद था फिर भी शाम पार्क में इसलिए चला आता था, क्योंकि इस वक्त पार्क के हरे
लो आज भी कर्नल ध्यान चंद सुबह-सुबह उठे तो अपनी दांत की प्लेट के बिना बाहर निकल आए । सूट बूट पहनकर, रोज की तरह सिर पर गोलदार हैट पहनकर । अपनी बड़ी घूमावदार मूँछों को बाट देकर जैसे आज भी वे कर्नल ह
गर्मियों का मौसम, रात का समय। कूलर की हवा में, नींद आए गहरी। कि अचानक चली गई लाइट। एक तो तेज गर्मी, ऊपर से मच्छरों की फाइट। थोड़ी देर तक, करते हैं इंतजार। फिर छत पर जाते, वहाँ बिस्तर लगाते। और जैसे ही
चांद सी सुन्दर महबूबा हो ऐसा हम सोचा करते थे मिल गई हमको वैसी ही हम अभी हो गए खुश फिर ही कुछ ही दिनों में सारे अरमान हो गए फुस्स चांद सी सुन्दर वो थी तो पर उसमे भी कई कमियां थी हमने पूछा भग
मेरी प्यारी सखी,जीवन के कुछ ऐसे पल जो चिर स्मरणीय रह जाते हैं कुछ ऐसी यादें जो भुलाए नहीं भूलते।बेटी जब छोटी थी बिल्कुल छोटी। एक दिन मैं नहा कर बाहर निकली तो मैंने देखा कि उसके हाथ में एक लाल डिब्बी ह
हास्य रस में रहने दो बंता को बंता और संता को संता जाति धर्म न आए बीच में मज़ा ले सारी जनता☺️😄
"तुम बिन चैन कहाँ" कल तुम मुझसे रूठ गए, लगा कि दुनिया रूठ गई मुँह में नाम भगवान का और मन में उदासी मैं तुम्हारी खुशामद करती रही सब कुछ भूल तुम्हें मनाती रही तुम मान गए, दुनिया खिल उठी मैं बस ज
मैं, मेरी माँ और मेरे पिताजी अपने घर के दूरवा( घर के बाहर ) उस गर्मी के दिनों में चांदनी रात की आनंद वहीं रेगिस्तान में पानी की अनुभूति थोड़ी थोड़ी चलने वाली हवाओं से हो रही थी, बिजली तो नई नई हमारे गाँ
ये तो बहुत बड़ी तानाशाह सरकार है। इसने अपने दोनों कार्यकाल में एक भी बम भारत में नहीं फटने दिया। पहले वो दूसरे देशों से आकर भारत के किसी भी शहर में बम फोड़ जाते थे और हम दिवाली पर सुतली बम भी नहीं फोड़ प
दिनाँक : 16.4.2022समय। : शाम 6 बजेप्रिय डायरी जी,गांव में सड़क किनारे एक प्रॉपर्टी है। अब वहां से हाईवे निकल रहा है। एक अमीर इलोन मस्क टाइप पहुच गया की भाई ये प्लाट तो हमे चाहिए। प्ला
दिनाँक: 15.4.2022समय : शाम 7 बजेप्रिय डायरी जी,हम सोचते थे कि व्हाट्सएप बड़े ही काम की चीज़ है। बहुत सी ऑफिसियल और सोशल बातें इसपर पर्सनली डिस्कस हो जातीं हैं। हमे तो इंस्टाग्राम और ट्विटर वगैरह एप एवें
इकोनॉमी वारियर्स जैसे ही मैंने अपना लंच समाप्त किया , श्रीमती जी ने कहा कि घर में आटा , दाल वगैरह सब खत्म हो चुका है । यदि डिनर करना है तो आज ही ये सब लाने पड़ेंगे अन्यथा आज उपवास करना होगा । श्रीमती