फिर आरजे डिलीकेटर से बात -चीत शुरु करता है ।हाँ, तो यूँ ,तो हर पिता अपनी संतान को प्रेम करता है ,और संतान भी अपनी माता -पिता को प्रेम करते है ।पड़ ऐसा क्या हुआ की आपकी बेटी आप से इस हद तक नाराज़ है की वो आप से मिलना तक नहीं चाहती !ज़बकी आपकी बातो से तो लग रहा है की आपकी जान आपकी बेटी मे ही बसती है ।फिर वो क्यों आपसे कोई रिस्ता तक नहीं रखना चाहती !तब वो डिलीकेटर बताते है ,की मेरी बेटी अदिति की आँखों मे भी एक बार फिर से वही सपना सज़ने लगा था ,ज़ो वर्षो पहले मेरी पत्नी की आँखों मे सज़ चुका था ।वो सपना था एक लेखिका बनने का मेरी पत्नी को कहानियाँ लिखने का शौक था ।और उनका ये शौक धीरे -धीरे उनकी आँखों का सपना बन गया और कुछ ही बक्त मे वो अपने सपने को पाने के करीब पहुंच गई थी ।ज़ब उनकी। पहली कहानी हमसफ़र को एक प्लेटफॉम के तहत साइनप किया गया था । लेकिन उनका ये सपना उस बक्त टूट कर बिखर गया ज़ब हमसफऱ के प्रकाशन मे लेखिका के नाम की जगह उनका नाम था ही नही ।किसी ने उनके साथ धोखा किया था ।वो शायद उस एक धोखे को भुला भी देती ?पड़ एग्रीमेंट के तहत वो अपने आपको ताउम्र उस प्लेटफॉम को साइनप कर चुकी थी ।वो बहुत टूट चुकी थी उस धोखे से जिस पहचान की भुख थी उन्हे वो पहचान अब कभी मिलने वाला ही नहीं था ।क्या करती वो ?उन्होंने स्वंम को इसकी सजा दे डाली ।और वो मौत को गले लगा कर दुनियाँ से चली गई ।वो तो चली गई पड़ जाने -अंजाने मे वही सपना एक बार फिर से मेरी बेटी अदिति की आँखों मे भी जी उठे थे ।मै इस सपने का साया अपनी बेटी के ऊपर पड़ने देना नहीं चाहता था ।मै डरत था ,की मेरी पत्नी की तरह कही मेरी बेटी को भी ये सपना निगल ना ले ! इसलिए तो ज़ब पहली बार अदिति ने अपने सपने के बारे मे मुझे बताया तो मै उसी पल उसे उस सपने से दूर कर दिया ।ताकि मै उसे कभी खोउ नहीं ।पड़ आज मुझे लगाता है की वो सपने मेरी बेटी के लिए क्या मायने रखते थे !क्योंकि भले ही मै उसे उसके सपनो से दूर कर चुका था की ,शायद ऐसा करने से मै ,उसे कभी खोऊंगा नहीं ।पड़ मैने तो उसे अब भी खो दिया ।शायद ,गलती मेरी ही थी ,?की दोनो ही सूरतों मे मै ही खोता चला गया ।उनकी आवाज़ रुंध गई थी ,ये कहते -कहते ।होते है कुछ सपने साकार ,कुछ सज़ने से पहले ही टूट जाते है ?पड़ इस वजह से लोग सपने देखना तो नहीं छोड़ते है न !पड़ ! मेरे डर ने मुझे कभी ये इज़ाज़त ही नहीं दिया की एक बार फिर से मै उन्ही सपनो का सामना कर सकूँ ।ये ज़रूरी थोड़े न था ,की जो धोखा मेरी पत्नी के साथ हुआ वही धोखा मेरी बेटी के साथ भी होता !खैर ज़ो हुआ सो हुआ ज़ब जागा तभी सबेरा !और मै अपनी बेटी को दुबार पाने की कोशिश करता रहूंगा ?आज उसका ज़न्मदिन है ।और मै अपने दिल की बात इस प्रोग्राम के ज़रिये अपने दिल की बात उस तक पहुँचाना चाहता हुँ ।शायद ये बाते सुनकर वो एक बार फिर से कलम उठा कर अपने सपनो की ओर लौट सके ? और वो सफर तय कर जाए ज़ो वर्षो पहले उसकी माँ ने शुरु किया था । ये कहते -कहते एक बार फिर उनकी आवाज़ रुंध गई ।और वो कहने लगे पता नहीं वो सुन भी पा रही भी होगी या नहीं !और अगर वो मुझे नहीं सुन रही होगी ,तो क्या मेरी आँखे बिना उसे देखे ही बंद हो जायेगी ?मै मरने से पहले एक बार अपनी बेटी से मिलना चाहता हुँ ।अमरेश अफम के माध्यम से अदिति को जान पाया था ।उसके सारे सवाल सुलझ गये थे ,की आखिड़ आदिती क्यों ऐसी थी ।क्यों वो अपनी पुरी ज़िंदगी खामोशी की चादर ओढ़े बिता रही थी । अदिति की सच्चाई जानकर अमरेश उसके सपनो को अपना चुका था ।और वो निश्चय करता है ,की वो इस बार अदिति के जीवन मे खुशियों के वो सारे रंग भर देगा ज़ो कब से खाली पड़ा था ।और वो उसकी शुरुआत उसी पल से कर देता है ।और वो भी अफम प्रोग्राम मे अदिति के लिए एक गाना प्लये करता है । पड़ अपना नाम नहीं बताता !अदिति तक ये गाना पहुंच जाए इसके लिए अमरेश होटल जाता है ।और जान बुझ् कर अपना मोबाइल कमरे मे छोड़ कर वापस आरूही के साथ फिर से बाहर चला आता है ।इधर थोड़ी देर बाद अदिति कमरे मे अमरेश का मोबाईल देखकर ये समझती है ,की अमरेश गलती से अपना मोबाईल कमरे मे ही भूल गये है । वो स्वंम को बहुत अकेला महसूस कर रही थी । और ना चाहते हुए भी बार -बार उसका ध्यान अपने पापा की ओर जा रहा था ।आज उसका ज़न्मदिन था ।और किसी को इसकी खबर तक नहीं थी ।अपने धयान से भटकने के लिए अदिति मोबाइल पड़ अफम लगा कर सुनने लगती है।की तभी उसकी कानो मे ये। विश गुणज़ती है ,ज़न्मदिन की ढेर सारी शुभ कामनाये मिशिश अदिति !आप मुझे नहीं जानती पड़ मै आपको अच्छी तरह से जानता हुँ ।आप मुझे अपना नहीं मानती ,पड़ आप मेरी अपनी है ।आप मुझे प्यार नहीं करती पड़ मै आपसे बहुत प्यार करता हुँ ।और अगर आप भी मुझसे प्यार करेंगी तो ये मेरा नसीब होगा ? मै तो ये भी हुँ ज़ो आपको आपके सपनो से मिलाने की ज़िम्मेदारी भी भगवान ने मुझे सौंपा है ।अब आपके सपने सिर्फ आपके नहीं रहे ।अब ये सपना हम दोनो का है ।मै मिलाऊंगा आपको आपके सपने से मै वादा करता हुँ ,की मै आपको आपके सपने से मिला दूँगा ?पड़ आपको भी मुझे ढूंढणा पड़ेगा की ,मै कौन हुँ ? इसके लिए मै आपको विकल्प भी देता हुँ ।की मै कौन हुँ ।मै वो हुँ जिसमे माँ के प्रेम ,पिता के डांट भाई सा दोस्त बहन सा अपनापन सा समाया हुआ सा रिस्ता है मेरा और आपका ।या फिर ये कह लीजिये की इन सारे रिस्तो भी परिपूर्ण करता सा मै अकेला आपका हम इसके बाद आप इस हम को ज़ब पुरा कर लेंगी तो मै मिल जाऊंगा आपको ! आपके प्रति मेरा प्यार इस गाने के लफ्ज़ो मे पिरोया हुआ सा है ।फिर गाना बज उठता है ।गाना था आँखे तेरी कितनी हँसी की इनका आशिक मै हो गया हुँ ।इनमे बसा लूँ खुद को मै ।संगीत के शब्द इतने गहरे थे की एक पल के लिए अदिति भी उन शब्दों मे बस सी गई थी । की आराज़े की आवाज़ एक बार फिर से उसके कानो मे पड़ती है ।की हाँ तो मिशिश अदिति ये ज़ो कोई भी है ।वो तो आप अधी सुन ही चुकी है ।पड़ अगर आप आज भी अगर अपने सपने को पाना चाहती है ,तो आप उस हम को पुरा कीजिये ,क्या मतलब होता है ,उस हम का !याद रखियेगा मिशिश अदिति ये वही हम है ज़ो आपको अपने सपनो को पाने तक का सफर तय कराने वाला है । अब आप पड़ ये निर्भर करता है ,की आप कब -तक उस हम तक पहुंच पाती है ?और हाँ ज़ब कभी आप अपने हम को ढूंढ ले ,तो मुझे ज़रूर बताइयेगा ,ताकि मै उस दिन भी एक प्यारे से गाने के साथ आपकी और आपकी उस हम की खुशियों मे चार -चांद लगा सकूं !खैर अब आप् अपने उस हम को ढूंढिए तब -तक ये गाना सुनिए ज़ो हमारे अगले श्रोता की पसंद पड़ प्ले किया गया है ।
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