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हमसफ़र

12 अक्टूबर 2024

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वो फोन उठाया हेलो 'तो परम ने कहा कैसी हो?क्या तुम्हे पता नही कैसी हूंगी? तुम क्या कल मिलने आओगी ?मै अपना सतित्व तुम्हारे सामने लाना चाहता हूं! क्यू ऐसी क्या बात है ,जो तुम आज अचानक से मेरे सामने आना चाहते हो ?उस दिन पार्क मे मिलने के लिए बुलाया था ,तब आये क्यों नही थे ?परम को तो इसके बारे मे पता ही नही था ।पर उसने बात को काटते हुए कहा की मिलकर बात करते है ।आदिति ठीक है ।फिर सुबह अदिति परम के बुलाये गये स्थान पर मिलने आती है ।परम वंहा पहले ही पहुंच चुका था ।वो आर्मी के कपड़ो मे ही मिलने आया था ।ज़ब अदिति ने उसे पीछे से देखा तो वो उसे देख कर दौर कर उसके पास गई की उसे लगा अमरेश लौट आया है ।पड़ ज़ब उसकी       सकल देखी तो वो वंही रुक गई ;और उसकी आँखों मे ये सवाल था की क्या तुम ही  हम हो ? तब परम ने भी अपने कदम उसकी ओर बढ़ा कर ,ये स्वीकार कर चुका था ,की वो ही हम है ।अदिति अमरेश को याद करते हुए भावुक हो गई ।परम को उस कपड़ो मे देख कर उसे अमरेश की याद आ गई थी ।परम ने कहा की वो एक बार फिर से लौट आया है ।तब अदिति ने कहा की जब मै अपने सपनो के लिए संघर्स कर रही थी ,तब तुमने ही उन सपनो मे उड़ान भरे थे ।पर आज मुझे ऐसा लग रहा है ।जैसे उन सपनो के पीछे भागते -भागते मैने अपना सबसे कीमती रिश्ते को खो दिया है ।मै स्वंम को माफ़ नही ,कर पा रही हु ।परम मुझे मेरी अंतर आत्मा झकझोरती है ,की जिते -जी मैने कभी भी अमरेशजी को एक पत्नी का प्यार नही दिया ।मै बहुत बुरी हमसफऱ हु ।ज़ो अपने हमसफऱ को उसके हिसे की खुशियाँ तक भी न दे पाई ,इतना कह कर वो आकुल सी हो कर रो पड़ी !मुझे माफ़ कर दीजिये अमरेश जी ।मै आपके लायक ही नही थी ।वो रोते -रोते वंही ज़मीन पर बैठ गई ।परम उसे उठाना तो  चाह रहा था ,पड़ उसके कदम अनायास् ही रुक गये ।अदिति के दिल के साथ -साथ आसमान भी मानो बरस कर रो पड़े थे ।वारिश की बुंदे झमा -झम बरसने लगी थी । अदिति के आंशुओ को मानो उन बरसती बूंदो का साथ्  मिल गया था ।दोनो ही तो बह चुके थे ।ज़ब उसकी हालत परम से देखी नही गई तो ,  वो उसे उठा कर चुप करता है ।  और उसे पार्क के पास हमाश्रम मे वारिश से बचने के लिए ले जाता है ।आश्रम आकर आदिति कपड़े बदल कर बालकनी से बरसती बूंदो को देखे जा रही थी ।तब -तक परम उसके लिए चाय बनाकर उसे पीने को देता है ।अदिति चाय लेते हुए परम से कहती है ,की तुमने मेरे सपनो को पाने मे मेरी मदद कीये थे ।एक मदद और कर दो मै अपने और अमरेश के रिस्ते को अमर करना चाहती हूं ।मैं एक अच्छी हमसफ़र बनना चाहती हूं !मै ऐसा क्या करु की मै अपने आपको माफ़ कर पाऊं ?तब परम कहता है ,इसके लिए ज्यादा कुछ करने की ज़रूरत नही । तुम अपनी रचनाओ मे फिर से स्वंम को गुमा दो फिर ईश्वर चाहेंगे तो तुम्हारे और मेरे दोस्त के रिश्ते को ज़ो पहचान मिलना होगा वो मिल ही ज़ाएगा ? तब अदिति भी स्वंम को संभालते हुए एक बार फिर से कलम उठा कर जाने -अंजाने ऐसी कहानी रच डालती है ,ज़ो अदिति और अमरेश के रिश्ते को परिपूर्ण करता था ।अदिति तो अपने पति के साथ से पूर्ण अंजान थी।की उसका पति ही उसका हम था ज़ो की हमसफ़र शब्द की पूर्ति करता था ।पर अंजाने मे ही सही उसने हु ब -हु वही कहानी को रच दिया ज़ो उसके और अमरेश के थे ।परम तो अदिति को पहली ही नज़र मे प्यार कर बैठा था ।पर अदिति तो उसे सिर्फ अपना दोस्त समझती थी ।परम को स्वंम से ही ये ग्लानी होने लगी थी। की वो अपने प्यारे दोस्त के सहारे अपना प्यार पाना चाहता था।और आदिती एक सच्ची हमसफ़र तो थी ही ।साथ मे एक सच्ची लेखाकर भी ,थी ,तभी तो ,सच को न जानते हुए भी ।उसने अपने सच्चे हमसफर् को ढूंढ लिया था । फिर परम का आत्मा सम्मान जाग उठा था ।उसने हिम्मत करके अदिति को अपना सारा सच बता दिया की वो उसका हम नही बल्कि उसका हम उसका हमसफर् अमरेश ही था । जिसने उसके सपनो को सतित्व दिया था ।अदिति अमरेश की सच्चाई जानकर एकबार फिर से अमरेश को अपने हमसफ़र के रूप मे पाकर  स्वंम को सौभाग्यसली  मानकर उसकी तस्वीर की ओर निहारते हुए उसकी आँखों मे एक लक्ष्य था ।की अबकी उसकी रचना मे वो अपने पति को फिर से ज़नम मिलने पर उसी को हमसफ़र रूप मे वरण करना चाहेगी ?सायद ये रचना भी ।सत्य हो जाए यही सोंच कर अदिति की आँखे छलक  आई थी ।
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रचनाएँ
हमसफ़र
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आदिती ने ये तय कर लिया था ,की वो अब खामोशी की चादर के साये मे ही अपनीपूरी बिता देगी ? वो स्वयं खामोश हो गई थी या फिर हालात ने।उसे खामोश कर दिया था ।ये हम उसकी जीवन की गहराइयों मे जाकर देखेंगे ?क्या गुनाह कर बैठी थी भुमी जो। उसकी आँखो मे लेखिका बनने का सपना।सज़ने लगा था । वो उन सपनो की ओर पहला कदम ही बढाई ही थी ,की उसे उस सपने से काफी दूर कर दिया गया था ।जैसे ही उसे ये एहसास हुआ की वो अपने सपने से दूर हो गई है ,वो धीरे -धीरे खामोशियों की आगाश मे समाती सी चली गई ।दरासल आदिती ने बचपन से एक ही सपना देखा था ,की वो लेखिका बनेगी? और वो अपने सपने को पाने के लिए मेहनत भी किया करती थी ।पड़ शायद या पूर्णतः उसके बाबा को उसके सपनो पड़ भरोसा नही था ।इसलिए उसके बाबा उसके सपने की परवाह किये बगैर उसकी शादी एक आर्मी ऑफिसर से कर देते है ।आदिती पहले तो शादी करने से इंकार कर देती है ।पड़ जब उसके बाबा उसके मना करने के बाद भी ,उसकी एक नही। सुनते है । तब आदिती बेज़न मूरत बन कर शादी कर लेती है । जिस दीन आदिती की बिदाई थी आदिती की बाबा की आँखों से आँशु रुकाते नही रुक रही थी ।पड़ आदिती की आँखों मे आँशु का नामो -निशान भी नही था ।शायद वो अपने बाबा को ये एहसास करना चाहती थी ,की वो उनके इस फैसले से इस कदर टूट सी गई थी ,की वो शायद अब उनसे वो रिस्ता भी नही नीभा पाएगी ?वो समझती थी ,की उसके ऐसा करने से शायद कभी न -कभी उसके बाबा को ये ज़रूर एहसास होगा ?की उनके इस फैसले से उनकीबेटी कभी भी खुश नही रहेगी ?और ये एहसास की उनकी बेटी खुश नही है ,तो वो भी ऐसे ही तड़पेंगे जैसे आदिती अपने सपने के टूटने से तड़पती है ।इसलिए तो अपनी बिदाई के बक्त अपने घर बालो के सामने वो अपनी आँखों मे आँशु की एक बुंद तक नही आने दिया था ।उसने ! पड़ जैसे ही वो अपने पती अमरेश के साथ गाड़ी मे बैठी बाबा के साथ घर बालो के ओझल होते ही ,उसकी आँखों से जो आँशु बहने लगी वो पूरे सफर तक ज़ारी रहा ।अमरेश ये समझ रहा था ,की ये आजकल की लड़कियां भी न अपने मायके वालो का कितना ख्याल रखती है ,उनके सामने अपनी आँशु नही बहाय ,की उनके मायके वाले दुःखी न हो जाए इसलिए सारे आँशु उनके पीठ पीझे बहा रही हैं ।ये सोंच कर अमरेश मुस्कुरा उठा । फिर आदिती अमरेश के साथ उसके घर आ गई ,और ज़ब रात को अमरेश कमरे मे आया तो दरबाज़ा खुला था ।आदिती पलंग ोाद बैठी
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हमसफ़र

22 अक्टूबर 2023
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अदिति पलंग पड़ बैठी नहीं थी ।वो पलंग पड़ लेटी थी ।शायद वो सो गई थी ।ये देखकर अमरेश कमरे मे दाखिल हुआ ।वो अदिति से बात तो करना चाहता था ।पड़ वो चुप -चाप सो गया ,की शायद शादी की थकान की वज़ह से वो सो गई है

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हमसफ़र

23 अक्टूबर 2023
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और वो स्वंम ही उससे कटा -कटा सा रहने लगा था ।पड़ अमरेश चाहे जितना कोशिश करता की उसे अदिति के इस व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता हो ।पड़ सच तो ये था की उसे फर्क पड़ता था ।तभी तो वो रोज़ अपने दोस्तों के साथ क

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हमसफ़र

30 अक्टूबर 2023
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फिर वो ट्रे में चाय लेकर कमरे में जाती है ।वो चाय लेकर अमरेश की ओर जैसे हीं दो -चार कदम बढ़ाई हीं थी ,की अमरेश भी अपनी धीमी कदमो के साथ अदिति की ओर बढ़ने लगा अदिति चाय का ट्रे लिए अमरेश की कदमो की ओर दे

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हमसफ़र

4 नवम्बर 2023
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शायद वो अपने हम सफर से दूर हो चुकी थी ।इधर अमरेश अपने काम पड़ वापस आकर देश की सीमा की रखवाली करता था ।और जब इस बीच जब कभी भी उसे घर बालो की याद आती तो ,वो उनसे फोन पड़ बाते कर लिया करता था ।याद तो उसे आ

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हमसफ़र

25 नवम्बर 2023
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पड़ इस बार अमरेश भी अपने मन मे ठान् कर आया था ,की वो इस बार ये वजह जान कर हीं रहेगा ?की आखिर अदिति ऐसी क्यों है ?वो पूरे घर वालो के साथ -साथ अदिति के लिए भी उपहार मे उसकी पसंद की रंग की साड़

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हमसफ़र

27 नवम्बर 2023
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इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की

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हमसफ़र

10 दिसम्बर 2023
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फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी

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हमसफ़र

15 दिसम्बर 2023
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फिर आरजे डिलीकेटर से बात -चीत शुरु करता है ।हाँ, तो यूँ ,तो हर पिता अपनी संतान को प्रेम करता है ,और संतान भी अपनी माता -पिता को प्रेम करते है ।पड़ ऐसा क्या हुआ की आपकी बेटी आप से इस हद तक न

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हमसफ़र

21 दिसम्बर 2023
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अदिति अफम सुन ही रही थी की दरवाज़े पड़ दस्तक हुई ।अदिति ने दरवाज़ा खोला तो सामने अमरेश और आरूही खड़े थे । फिर उनके अंदर ज़ाते ही अदिति ने जैसे ही दरवाज़ा बंद ही की थी ,की दरवाज़े की घंटी एक वार प

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हमसफ़र

3 अप्रैल 2024
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क्या वो पापा हो ,सकते है ?पड़ ,अगर वो पापा होते तो ,वो अपने आपको उस हम नाम नही देता !और तो और उसने साफ -साफ लब्ज़ो मे अफम पड़ ये भी तो कहा है न ! की वो उन खास रिस्तो मे से है ,ज़ो एक पि

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हमसफ़र

11 अक्टूबर 2024
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की उसका फोन बज उठता है ।वो बाते करते अपने रास्ते जा रही होती है ,की उसकी नज़र एक आपहीज़ बच्चे पर परती है ।उसके कपड़े बहुत गंदे ब जगह -जगह से फट चुके थे ।उस बच्चे पर नज़र परते ही अदिति का दिल भर आया वो उस

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हमसफ़र

12 अक्टूबर 2024
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वो फोन उठाया हेलो 'तो परम ने कहा कैसी हो?क्या तुम्हे पता नही कैसी हूंगी? तुम क्या कल मिलने आओगी ?मै अपना सतित्व तुम्हारे सामने लाना चाहता हूं! क्यू ऐसी क्या बात है ,जो तुम आज अचानक से मेरे सामने आना च

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