अदिति पलंग पड़ बैठी नहीं थी ।वो पलंग पड़ लेटी थी ।शायद वो सो गई थी ।ये देखकर अमरेश कमरे मे दाखिल हुआ ।वो अदिति से बात तो करना चाहता था ।पड़ वो चुप -चाप सो गया ,की शायद शादी की थकान की वज़ह से वो सो गई है ।इसलिए वो सो गया था ।यार दोस्तों ने मज़ाक -मज़ाक मे अमरेश को थोड़ी सी शराब पिला दिया था ,क्योंकि उसके दोस्तों का कहना था ,की शराब पीने से दिल की बात ज़ुबान पड़ आसानी से आ जाती है ।और इसलिए उसके दोस्तों ने ये कहा की तु जब भाभी के सामने जाए तो कही नर्वस न पड़ जाओ ,इसलिए पुरी तैयारी के साथ जाओ ।और इसलिए अमरेश थोड़े से नसे मे भी था ।वो कमरे मे पहुँचते ही आदिती को सोया देख स्वंम से ही ,बाते करता है ,की सो गई मैडम ।अपने बाबा और मायके वालो का इतना ख्याल की अपने विदाई के वक्त भी ,समझदारी से काम लेते हुए सारे आँशु उनके पीठ पीछे बहाया ,ताकि उनको तकलीफ न हो और पति और ससुराल वालो का ज़रा भी ख्याल नही ,की पति ज़ब सुहाग रात के लिए आये तो कैसे उसका स्वागत करना चाहिए ।ये सोंचे बिना ही मैडम सो गई ।फिर इतना बड़बराने के बाद अमरेश ये बड़बड़ाते हुए सो जाता है ,की अब सोई है तो ,इसका खामयाज़ा भी अब आपको ही भरना होगा ?क्योंकि पहले आपसे जान -पहचान के मामले मे मै पहले शुरुआत करने वाला था ।पड़ अब मै आपसे तब -तक बात नही करूंगा ज़ब -तक की बात की शुरुआत आप स्वंम न शुरु करेंगी ?
मिश ओ मिशिश अमरेश ये कहते हुए अमरेश आदिती को एक नज़र देख कर पलंग के बाजाये सोफे पड़ सो जाता है ।इधर आदिति सोई हुई नही थी ,वो बस आँखे बंद किये हुए अमरेश कि सारी बाते सुन रही थी ।
और फिर वो अपने -आप से मन-ही मन ये कहती है ,की जिस शुरुआत की आपको इंतज़ार है ,वोशुरुआत मै कभी कर ही नही पाउंगी ?आदिति ये सब अपने आप से ही कह रही थी ।फिर उसकी आँखे झलक आई और वो उ न आंशुओ को बिना रोके -टोके रात के अंधेरों मे खुलकर बहने की आज़ादी दे चुकी थी ।फिर सुबह ज़ब अमरेश की आँख खुली तो आदिति कमरे मे नही थी ।वो सुबह -सुबह उठ कर ही नहाने के बाद किचन मे खाना बनाने चली गई थी ।आज उसकी ससुराल मे पहली रशोई थी ।इसकिये वो आज सिर्फ कुछ मीठा भी बना कर छोड़ देती तो वो भी ठीक रहता ।पड़ उसने मीठे के साथ -साथ घर की पुरी रसोई बना डाली ।रसोई बनाने के बाद वो सबके लिए डेनिंग टेबल पड़ एक साथ खाना लगा रही थी ।की अमरेश् की मां अमरेश को आवाज़ देती है ,की बेटा खाना लग चुका है ।जल्दी आओ ,तो बदले मे अमरेश् ज़वाब देता है ,की उसे अभी भूख नही ज़ब भूख लगेगी तो ,वो खा लेगा ?अमरेश जान -बुझ कर सबके साथ खाना नही खाता ,ताकि बाद मे वो जब खाना खायेगा ,तो शायद आदिति से कोई बात हो ।और फिर अमरेश इसी फिराक मे था ,की कब वो मौका देखकर अदिति से खाना मंगाकर उसी बहाने उससे कुछ बात कर सके ।और उसे वो मौका तब मिलता है ,जब अदिति सबको खाना खिलाने के बाद बर्तन साफ कर उसे किचन मे सजा रही थी। तब अमरेश माँ से कहता है ,की माँ खाना लगा दो भूख लगी है। वो माँ से खाना मांगता है ,ताकि अदिति को ये न लगे की अमरेश उससे बाते करना चाहता है ।क्योंकि वो जानता था ,की माँ से खाना मांगने के बाद माँ तो खाना अदिति से ही लगवाएगी ?और माँ अदिति से कहती भी है की,बहु अमरेश के लिए खाना लगा दे ।तब अदिति कहती है ,जी माँ जी अभी लगाई ।ये सुनकर अमरेश मन ही - मन खुश हो ज़ाता है ,की,वो आ रही है ,खाना लेकर ।पड़ थोड़ी ही देर बाद अमरेश के कानो मे फिर ये आवाज़ आया की अदिति अमरेश की बहन अनन्या से कहती है ,की अरे अनन्या ये कपड़े आप आयरन करने ले जा रही है !तब वो कहती है ,हाँ भाभी !तो आदिति कहती है लाओ मै कर देती हुँ ।इतना कह कर वो कपड़े लेकर जाते हुए बोली आ अनन्या वो मै तुमसे बात करने के चक्कड़ मे ये तो भूल ही ,गई की तुम्हारे भईया खाने की टेबल पड़ बैठे खाने का इंतज़ार कर रहे है ।सो तुम खाना लगा दो तब -तक मै ये कपड़े आयरन कर देती हुँ । और इस तरह वो अमरेश के लिए खाना भी नही लगाती है । फिर अब तो अदिति के लिए ये रोज़ की बात हो गई थी ,की वो दिन भर घर के सारे काम करती हर किसी की बात सर आँखों पड़ रखती थी ।एक अच्छी बहु होने की सारी जिम्मेदारियों को निभाने मे कोई कसर नही छोड़ी थी ।उसने ।कभी -कभी तो वो घर के कामों मे इतनी ज्यादा खो जाती थी ,की उसे अपने खाने तक की सुध नहीं रहती थी । बस एक अमरेश ही था ,जिसे उसने अभी तक अपने हांथो से पानी तक नही दिया ,और जब रात को अमरेश कमरे मे जाता तो ,अदिति का इंतज़ार करते -करते वो थक कर सो जाता ,और अगर। कभी अदिति पहले कमरे मे जाती ,तो वो गहरी नींद मे पहले से ही सोई हुई पाई जाती ।अदिति की इन सारी हरकतो से अमरेश एक फैसले पड़ पहुँच गया था ,की आदिति उससे जान -बुझ कर दूर -दूर रहती है ।तो ,वो क्यों उससे करीबी बढ़ाय यही सोच कर अमरेश भी अब पहले की तरह अदिति से बात करने की फिराक मे नही रहता था ।वल्कि अमरेश तो अब स्वंम ही आदिति से बात नही करना चाहता था ।............अदिति और अमरेश की कहानी को जानने के लिए पढ़ते रहे हमसफ़र ..........