फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी थी ।वो रात भर सो नही पाई थी ।रात भर रोने के करण सुबह उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ।और तो और उसका बदन भी तप रहा था ।शायद उसे बुखाड़ हो गया था ।इसलिए वो उस दिन कमरे से बाहर नही गई ।ज़ब अरूही ने उसे चलने के लिए कहा तो वो ये कह कर मना कर देती है की वो कल बहुत थक गई थी ।सो वो आज आराम करना चाहती है ।वो आज अकेले ही अमरेशजी के साथ घूमने चली जाए ।तब अमरेश को भी अदिति की बात सही लगती है ।की अदिति सही मे कल काफी थक गई थी ।तो उसे आराम करने देना ही बेहतर होगा ? इसलिए उस सुबह अमरेश और अदिति अकेले ही घूमने चले ज़ाते है ।इधर अदिति कमरे मे आज एक बार फिर से अपने पापा की यांदो की तस्वीर को अपने मन मे टटोलाती है ।वो अपने पापा को याद तो नही करना चाहती थी ,,पड़ यादो की कुछ तस्वीर इतनी हँसीन और यादगार थी ,की अदिति चाह कर भी उन तस्वीरों और यादो को अपने दिल और आँखों से मिटा ही नही पाई थी ।एक बक्त था ज़ब वो अपने पापा के साथ अपने ज़न्मदिन की खुशियो को उनके साथ मनाया करती थी ।और अपने ज़न्मदिन पर अपने पापा के चेहरे पड़ वो मुस्कुराहट देती थी ।जिस खुशी से उसके पापा नीढ़ाल् हो जाया करते थे ।पड़ पीछले दो -तीन सालो से उसने अपने साथ -साथ अपने पापा के चेहरे से भी वो खुशी छीन ली थी ।और उन खुशियों की जगह उसने अपने पापा को अब दुःख देने लगी थी ।क्योंकि ज़ब से अदिति अमरेश से शादी करके उसके घर आई थी ।तब से वो एक बार भी अपने मायके नही गई ।और ना ही वो इन तीन सालो मे एक बार भी अपने पापा से मिली !उसके पापा ज़ब पग फेरे की रस्म के लिए उसे लिबाने आये तो भी वो अपने माएके नही गई ।और उसने अपने पापा को ये कह दिया की वो उनके द्वारा चुनी गई दुनिया मे बहुत खुश है । अगर वो अपनी बेटी को खुश देखना चाहते है ,तो वो कभी उनसे ना मिले ।और अगर गलती से भी वो उससे मिले तो उस दिन वो ये दुनिया ही छोड़ देगी ?उस दिन फिर उसके पापा उससे मिलने उससे कभी नही आये !और आज फिर अदिति का ज़न्मदिन था ।इसलिए वो अपने पापा के लिए बुरा महसूस कर रही थी ।पड़ अदिति करती भी तो ,क्या ?उसके बचपन के सपनो ने उसे पागल सा जो बना दिया था वो सपने उसे इतना बेचैन करते थे की वो रात -रात भर आँखे बंद करके भी सो नही पाई थी । वो अपने पापा को चाहे ये जता लेती थी ,की वो उनसे नफरत करती थी और काफी हद तक वो अपने -आप से भी लड़ती थी की वो अपने पापा को नफरत करती है ।पड़ शायद वो अब भी कही न -कही अपने पापा को प्यार करती थी । इसलिए तो वो उन्हे अक्सर अकेले मे याद करती ,और उन्हे जिन तकलीफो को वो देती थी ,उसके लिए उसे बाद मे रोना भी आता था ।पड़ वो इतनी नाराज़् थी अपने पापा से की वो चाह कर भी उनकी ओर एक कदम भी बढ़ा ही नही पाती थी ?क्योंकि एक संतान के जीवन मे मां -बाप का रिस्ता सबसे अहम होता है ।और माँ को तो वो पहले ही खो चुकी थी ।ज़ब ये रिस्ता साथ नही देता तो ,फिर सारे रिस्ते औपचारिकता मात्र रह ज़ाते है ।आज भी तो अदिति के साथ यही हो रहा था । आज उसका ज़न्मदिन था ।और इसके बारे मे अगर वो किसी को बताई नही तो ,कभी किसी ने पूछा भी नही ।अगर पूछा होता ,तो वो ज़रूर बताती !पड़ कभी किसी को याद ही नही आया की इन तीन सालो मे कोई एक दिन अदिति के लिए भी महत्वपूर्ण भी हो सकता है । इधर अमरेश आरुही के साथ बर्फ की पहाड़ो पड़ स्कींग कर रहा होता है ,की अचानक उसे आरुही मे अदिति का चेहरा नज़र आता है ।और वो उसे अपनी नींगाहो मे बसाने के लिए उससे अपनी नज़रे हटा ही नही पा रहा था ।की तभी आरुही उसे अपनी ओर ऐसे देखते हुए मज़ाकिया अंदाज़ मे बोली की ओये -होये मुझे ऐसे मत देखो आर्मी मैन मै किसी और की माल हुँ । इसलिए ज़नाब जितनी जल्दी हो सके अपनी इन गंदी नज़रो को मुझ पड़ से हटाइये ! और जल्दी से अपने मोबाइल ऑन करो क्योंकि अभी -अभी आयुष का मैशेस्ज़ आया है ,की उसने मेरे लिए एक गाना डेलीकेट किया है ।अरूही की ये बात सुनकर अमरेश अपने -आपकी झटकता है ।की वो ये सब क्या कर रहा था ?आरूही को भी ये पता था ,की अमरेश अदिति की यादो मे खोया हुआ था इसलिए वो मज़ाकिया मूड मे उसकी थोड़ी सी खिंचाई कर देती है ।फिर अमरेश अपने मोबाइल पड़ रेडिओ ऑन करता है ।और रेडिओ ऑन करते ही कानो मे आरजे की आवाज़े गुंजने लगती है ।हेलो फ्रैंड्स नमस्ते मै आरजे आज आप सब के लिए वो अबसर लेकर आया हुँ ,जिससे एक प्यार करने वाला दूसरे प्यार करने वाला अपने दिल की बात तो इसके ज़रिये कह ही सकता है ।और साथ ही आप अपने प्यार के लिए उसकी पसंद का गाना भी डिलीकेट कर सकते है । तो इसी के साथ सुनते है ,हमारे पहले श्रोता की दिल की बात ज़ो वो अपनी होने वाली पत्नी से कहना चाहते है ।तो दिल थाम कर सुनियेगा आप सब भी आयुष की दिल की बाते ज़ो वो अपनी होने वाली पत्नी से कहने जा रहे है ।हाँ तो आयुषजी आपकी होने वाली पत्नी का क्या नाम है ?जी आरूही !हाँ तो आरूही जी आप भी अपने आयुष की बातों को दिल थाम कर सुनियेगा ?ज़ो वो कहने जा रहे है ।फिर आयुष की आवाज़ आरूही के कानो मे गुंज़ती है ।आरूही मै आयुष आपका होने वाला हमसफर् ।हमसफ़र वो नही होता ज़ो सिर्फ आपके साथ चलता है,या फिर आपकी जिस इंसान से शादी हो गई ,तो चलो वो आपका हमसफ़र हो गया । मेरी नज़र मे एक हमसफ़र के सही मायने तो ये है ,की ज़ो अपने हमसफ़र को खूबसूरत बनता है उसे यादगार बनता है ।वो सही मायनो मे सिर्फ उनरस्तो को नही अपनाता ,जिन रास्तो पड़ उन्हे एक साथ चलना ,होता है ।बल्कि एक सच्चा हमसफ़र तो उन रास्तो मे खूबसूरत लम्हो के रंग भरते है ।जिन से वो रास्ते इतने खूबसूरत हो ज़ाते है ।की एक बक्त के लिए ज़ब मौत भी उन हमसफऱ के बीच् आता है तो उसे भी स्वीकार करने। मे दुख होता है ।उन रास्तो से बिछड़ कर ।मै बहुत शर्मिला हुँ ,आरूही इसलिए मै अपने प्यार करने का एहसास तुम्हे इस। सांगित के ज़रिये करवा रहा हुँ । ये गाना हमारे लिए और फिर सांगित बज उठता है । सांगित। के बोल मे मानो आयुष के दिल के अहसास को अस्तित्व सा दे दिये थे ।अरूही भी तो उन अहसासो को समेट कर उसे अपने दिल मे संज़ो उठी थी ।फिर सांगित समाप्त होने के बाद भी अरूही आयुष की यादो मे ही खोई रही ।की आरजे की आवाज़ एक बार फिर गुंज़ती है ।हमारे अगले चाहने वाले है ।एक पति ,एक बॉय फ्रेंड ,एक मंगेतर ,एक दोस्त ,अगर आप ऐसा सोंच रहे है तो आप बिल्कुल गलत सोंच रहे रहे है ।जी हाँ ,हमारे अगले डिलीकेटर एक पिता है ।ज़ो अपनी बेटी से बहुत प्यार करते है ।पड़ उनकी बेटी उनसे रूठ गई है ।और वो पिछले तीन सालो मे एक बार भी अपनी बेटी से नही मिल पाए है ।वो इनसे मिलना ही नही चाहती !पड़ ये अपनी बेटी को बहुत याद कर रहे है ।इसलिए आज अपनी बेटी के ज़न्मदिन पड़ ये अपने दिल की बात इस प्रोग्राम के माध्यम से अपनी बेटी तक पहुँचाना चाहते है । और जैसा की आप लोग जान चुके है ,की आज इनकी बेटी का ज़न्मदिन है ,तो अपने दिल की बात के साथ -साथ ये उनके नाम एक सांगित भी प्लए करने जा। रहे है ।तो सुनिए एक पिता की दिल की बाते और बने रहिए हमारे साथ। ...…........हमसफ़र के सफर तक पहुँचने के लिए पढ़ते रहिये हमसफ़र ।