shabd-logo

हमसफ़र

10 दिसम्बर 2023

8 बार देखा गया 8
फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी थी ।वो रात भर सो नही पाई थी ।रात भर रोने के करण सुबह उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ।और तो और उसका बदन भी तप रहा था ।शायद उसे बुखाड़ हो गया था ।इसलिए वो उस दिन कमरे से बाहर नही गई ।ज़ब अरूही ने उसे चलने के लिए कहा तो वो ये कह कर मना कर देती है की वो कल बहुत थक गई थी ।सो वो आज आराम करना चाहती है ।वो आज अकेले ही अमरेशजी के साथ घूमने चली जाए ।तब अमरेश को भी अदिति की बात सही लगती है ।की अदिति सही मे कल काफी थक गई थी ।तो उसे आराम करने देना ही बेहतर होगा ? इसलिए उस सुबह अमरेश और अदिति अकेले ही घूमने चले ज़ाते है ।इधर अदिति कमरे मे आज एक बार फिर से  अपने पापा की यांदो की तस्वीर को अपने मन मे टटोलाती है ।वो अपने पापा को याद तो नही करना चाहती थी ,,पड़ यादो की कुछ तस्वीर इतनी हँसीन और यादगार थी ,की अदिति चाह कर भी उन तस्वीरों और यादो को अपने दिल और आँखों से मिटा ही नही पाई थी ।एक  बक्त था ज़ब वो अपने पापा के साथ अपने ज़न्मदिन की खुशियो को उनके साथ मनाया करती थी ।और     अपने ज़न्मदिन पर अपने पापा के चेहरे पड़ वो मुस्कुराहट  देती थी ।जिस खुशी से उसके पापा नीढ़ाल् हो जाया करते थे ।पड़ पीछले दो -तीन सालो से उसने अपने साथ -साथ अपने पापा के चेहरे से भी वो खुशी छीन ली थी ।और उन खुशियों की जगह उसने अपने पापा को अब दुःख देने लगी थी ।क्योंकि ज़ब से अदिति अमरेश से शादी करके उसके घर आई थी ।तब से वो एक बार भी अपने मायके नही गई ।और ना ही वो इन तीन सालो मे एक बार भी अपने पापा से मिली !उसके पापा ज़ब पग फेरे की रस्म के लिए उसे लिबाने आये तो भी वो अपने माएके नही गई ।और उसने अपने पापा को ये कह दिया की वो उनके द्वारा चुनी गई दुनिया मे बहुत खुश है । अगर वो अपनी बेटी को खुश देखना चाहते है ,तो वो कभी उनसे ना मिले ।और अगर गलती से भी वो उससे मिले तो उस दिन वो ये दुनिया ही  छोड़ देगी ?उस दिन  फिर उसके पापा उससे मिलने उससे कभी नही आये !और आज फिर अदिति का ज़न्मदिन था ।इसलिए वो अपने पापा के लिए बुरा महसूस कर रही थी ।पड़ अदिति करती भी तो ,क्या ?उसके बचपन के सपनो ने उसे पागल सा जो बना दिया था  वो सपने उसे इतना बेचैन करते थे की वो रात -रात भर आँखे बंद करके भी सो नही पाई थी । वो अपने पापा को चाहे ये जता लेती थी ,की वो उनसे नफरत करती थी और काफी हद तक वो अपने -आप से भी लड़ती थी की वो अपने पापा को नफरत करती है ।पड़ शायद वो अब भी कही न -कही अपने पापा को प्यार करती थी  । इसलिए तो वो उन्हे अक्सर अकेले मे याद करती ,और उन्हे जिन तकलीफो को वो देती थी ,उसके लिए उसे बाद मे रोना भी आता था ।पड़ वो इतनी नाराज़् थी अपने पापा से की वो चाह कर भी उनकी  ओर एक कदम भी बढ़ा ही नही  पाती थी ?क्योंकि एक संतान के जीवन मे मां -बाप का रिस्ता सबसे अहम होता है ।और माँ को तो वो पहले ही खो चुकी थी ।ज़ब ये रिस्ता साथ नही देता तो ,फिर सारे रिस्ते औपचारिकता मात्र रह ज़ाते है ।आज भी तो अदिति के साथ यही हो रहा था । आज उसका ज़न्मदिन था ।और इसके बारे मे अगर वो किसी को बताई नही तो ,कभी किसी ने पूछा भी नही ।अगर पूछा होता ,तो वो ज़रूर बताती !पड़ कभी किसी को याद ही नही आया की इन तीन सालो मे कोई एक दिन अदिति के लिए भी महत्वपूर्ण  भी    हो सकता है । इधर अमरेश आरुही के साथ बर्फ की पहाड़ो पड़ स्कींग कर रहा होता है ,की अचानक उसे आरुही मे अदिति का चेहरा नज़र आता है ।और वो उसे अपनी नींगाहो मे बसाने के लिए उससे अपनी नज़रे हटा ही नही पा रहा था ।की तभी आरुही उसे अपनी ओर ऐसे देखते हुए मज़ाकिया अंदाज़ मे बोली की ओये -होये मुझे ऐसे मत देखो आर्मी मैन मै किसी और की माल हुँ  । इसलिए ज़नाब जितनी जल्दी हो सके  अपनी  इन  गंदी नज़रो को मुझ पड़ से हटाइये ! और जल्दी से अपने मोबाइल ऑन करो क्योंकि अभी -अभी आयुष का मैशेस्ज़ आया है ,की उसने मेरे लिए एक गाना डेलीकेट किया है ।अरूही की ये बात सुनकर अमरेश अपने -आपकी झटकता है ।की वो ये सब क्या कर रहा था ?आरूही को भी ये पता था ,की अमरेश अदिति की यादो मे खोया हुआ था इसलिए वो मज़ाकिया मूड मे उसकी थोड़ी सी खिंचाई कर देती है ।फिर अमरेश अपने मोबाइल पड़ रेडिओ ऑन करता है ।और रेडिओ ऑन करते ही कानो मे आरजे की आवाज़े गुंजने लगती है ।हेलो फ्रैंड्स नमस्ते मै आरजे आज आप सब के लिए वो अबसर लेकर आया हुँ ,जिससे एक प्यार करने वाला दूसरे प्यार करने वाला अपने दिल की बात तो इसके ज़रिये कह ही सकता है ।और साथ ही आप अपने प्यार के लिए उसकी पसंद का गाना भी डिलीकेट कर सकते है । तो इसी के साथ सुनते है ,हमारे पहले श्रोता की दिल की बात ज़ो वो अपनी होने वाली पत्नी से कहना चाहते है ।तो दिल थाम कर सुनियेगा आप सब भी आयुष की दिल की बाते ज़ो वो अपनी होने वाली पत्नी से कहने जा रहे है ।हाँ तो आयुषजी आपकी होने वाली पत्नी का क्या नाम है ?जी आरूही !हाँ तो आरूही जी आप भी अपने आयुष की बातों को दिल थाम कर सुनियेगा ?ज़ो वो कहने जा रहे है ।फिर आयुष की आवाज़ आरूही के कानो मे गुंज़ती है ।आरूही मै आयुष आपका होने वाला  हमसफर्  ।हमसफ़र  वो नही होता ज़ो सिर्फ आपके साथ चलता है,या फिर आपकी जिस इंसान से शादी हो गई ,तो चलो वो आपका हमसफ़र हो गया । मेरी नज़र मे एक हमसफ़र के सही मायने तो ये है ,की ज़ो अपने हमसफ़र को खूबसूरत बनता है      उसे यादगार बनता है               ।वो सही मायनो मे सिर्फ उनरस्तो को नही अपनाता ,जिन रास्तो पड़ उन्हे एक साथ चलना ,होता है ।बल्कि एक सच्चा हमसफ़र तो उन रास्तो मे खूबसूरत लम्हो के रंग भरते है ।जिन से वो रास्ते इतने खूबसूरत हो ज़ाते है ।की एक बक्त के लिए ज़ब मौत भी उन हमसफऱ के बीच् आता है तो उसे भी स्वीकार करने। मे दुख होता है ।उन रास्तो से बिछड़ कर ।मै बहुत शर्मिला हुँ ,आरूही इसलिए मै अपने प्यार करने का एहसास तुम्हे इस।  सांगित के ज़रिये करवा रहा हुँ । ये गाना हमारे लिए और फिर सांगित बज उठता है । सांगित। के बोल मे मानो आयुष के दिल के अहसास को अस्तित्व सा दे दिये थे ।अरूही भी तो उन अहसासो को समेट कर उसे अपने दिल मे संज़ो उठी थी ।फिर सांगित समाप्त होने के बाद भी अरूही आयुष की यादो मे ही खोई रही ।की आरजे की आवाज़ एक बार फिर गुंज़ती है ।हमारे अगले चाहने वाले है ।एक पति ,एक बॉय फ्रेंड ,एक मंगेतर ,एक दोस्त ,अगर आप ऐसा सोंच रहे है तो आप बिल्कुल गलत सोंच रहे रहे है ।जी हाँ ,हमारे अगले डिलीकेटर  एक पिता है ।ज़ो अपनी बेटी से बहुत प्यार करते है ।पड़ उनकी बेटी उनसे रूठ गई है ।और वो पिछले तीन सालो मे एक बार भी अपनी बेटी से नही मिल पाए है ।वो इनसे मिलना ही नही चाहती !पड़ ये अपनी बेटी को बहुत याद कर रहे है ।इसलिए  आज अपनी बेटी के ज़न्मदिन पड़ ये अपने दिल की बात इस प्रोग्राम के माध्यम से अपनी बेटी तक पहुँचाना चाहते है । और जैसा की आप लोग जान चुके है ,की आज इनकी बेटी का ज़न्मदिन है ,तो अपने दिल की बात के साथ -साथ ये उनके नाम एक सांगित भी प्लए करने जा। रहे है ।तो सुनिए एक पिता की दिल की बाते और बने रहिए हमारे साथ। ...…........हमसफ़र के सफर तक पहुँचने के लिए पढ़ते रहिये हमसफ़र ।
 


12
रचनाएँ
हमसफ़र
0.0
आदिती ने ये तय कर लिया था ,की वो अब खामोशी की चादर के साये मे ही अपनीपूरी बिता देगी ? वो स्वयं खामोश हो गई थी या फिर हालात ने।उसे खामोश कर दिया था ।ये हम उसकी जीवन की गहराइयों मे जाकर देखेंगे ?क्या गुनाह कर बैठी थी भुमी जो। उसकी आँखो मे लेखिका बनने का सपना।सज़ने लगा था । वो उन सपनो की ओर पहला कदम ही बढाई ही थी ,की उसे उस सपने से काफी दूर कर दिया गया था ।जैसे ही उसे ये एहसास हुआ की वो अपने सपने से दूर हो गई है ,वो धीरे -धीरे खामोशियों की आगाश मे समाती सी चली गई ।दरासल आदिती ने बचपन से एक ही सपना देखा था ,की वो लेखिका बनेगी? और वो अपने सपने को पाने के लिए मेहनत भी किया करती थी ।पड़ शायद या पूर्णतः उसके बाबा को उसके सपनो पड़ भरोसा नही था ।इसलिए उसके बाबा उसके सपने की परवाह किये बगैर उसकी शादी एक आर्मी ऑफिसर से कर देते है ।आदिती पहले तो शादी करने से इंकार कर देती है ।पड़ जब उसके बाबा उसके मना करने के बाद भी ,उसकी एक नही। सुनते है । तब आदिती बेज़न मूरत बन कर शादी कर लेती है । जिस दीन आदिती की बिदाई थी आदिती की बाबा की आँखों से आँशु रुकाते नही रुक रही थी ।पड़ आदिती की आँखों मे आँशु का नामो -निशान भी नही था ।शायद वो अपने बाबा को ये एहसास करना चाहती थी ,की वो उनके इस फैसले से इस कदर टूट सी गई थी ,की वो शायद अब उनसे वो रिस्ता भी नही नीभा पाएगी ?वो समझती थी ,की उसके ऐसा करने से शायद कभी न -कभी उसके बाबा को ये ज़रूर एहसास होगा ?की उनके इस फैसले से उनकीबेटी कभी भी खुश नही रहेगी ?और ये एहसास की उनकी बेटी खुश नही है ,तो वो भी ऐसे ही तड़पेंगे जैसे आदिती अपने सपने के टूटने से तड़पती है ।इसलिए तो अपनी बिदाई के बक्त अपने घर बालो के सामने वो अपनी आँखों मे आँशु की एक बुंद तक नही आने दिया था ।उसने ! पड़ जैसे ही वो अपने पती अमरेश के साथ गाड़ी मे बैठी बाबा के साथ घर बालो के ओझल होते ही ,उसकी आँखों से जो आँशु बहने लगी वो पूरे सफर तक ज़ारी रहा ।अमरेश ये समझ रहा था ,की ये आजकल की लड़कियां भी न अपने मायके वालो का कितना ख्याल रखती है ,उनके सामने अपनी आँशु नही बहाय ,की उनके मायके वाले दुःखी न हो जाए इसलिए सारे आँशु उनके पीठ पीझे बहा रही हैं ।ये सोंच कर अमरेश मुस्कुरा उठा । फिर आदिती अमरेश के साथ उसके घर आ गई ,और ज़ब रात को अमरेश कमरे मे आया तो दरबाज़ा खुला था ।आदिती पलंग ोाद बैठी
1

हमसफ़र

22 अक्टूबर 2023
8
3
4

अदिति पलंग पड़ बैठी नहीं थी ।वो पलंग पड़ लेटी थी ।शायद वो सो गई थी ।ये देखकर अमरेश कमरे मे दाखिल हुआ ।वो अदिति से बात तो करना चाहता था ।पड़ वो चुप -चाप सो गया ,की शायद शादी की थकान की वज़ह से वो सो गई है

2

हमसफ़र

23 अक्टूबर 2023
6
1
1

और वो स्वंम ही उससे कटा -कटा सा रहने लगा था ।पड़ अमरेश चाहे जितना कोशिश करता की उसे अदिति के इस व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता हो ।पड़ सच तो ये था की उसे फर्क पड़ता था ।तभी तो वो रोज़ अपने दोस्तों के साथ क

3

हमसफ़र

30 अक्टूबर 2023
4
1
1

फिर वो ट्रे में चाय लेकर कमरे में जाती है ।वो चाय लेकर अमरेश की ओर जैसे हीं दो -चार कदम बढ़ाई हीं थी ,की अमरेश भी अपनी धीमी कदमो के साथ अदिति की ओर बढ़ने लगा अदिति चाय का ट्रे लिए अमरेश की कदमो की ओर दे

4

हमसफ़र

4 नवम्बर 2023
3
1
2

शायद वो अपने हम सफर से दूर हो चुकी थी ।इधर अमरेश अपने काम पड़ वापस आकर देश की सीमा की रखवाली करता था ।और जब इस बीच जब कभी भी उसे घर बालो की याद आती तो ,वो उनसे फोन पड़ बाते कर लिया करता था ।याद तो उसे आ

5

हमसफ़र

25 नवम्बर 2023
1
1
1

पड़ इस बार अमरेश भी अपने मन मे ठान् कर आया था ,की वो इस बार ये वजह जान कर हीं रहेगा ?की आखिर अदिति ऐसी क्यों है ?वो पूरे घर वालो के साथ -साथ अदिति के लिए भी उपहार मे उसकी पसंद की रंग की साड़

6

हमसफ़र

27 नवम्बर 2023
1
1
2

इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की

7

हमसफ़र

10 दिसम्बर 2023
0
0
0

फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी

8

हमसफ़र

15 दिसम्बर 2023
0
0
0

फिर आरजे डिलीकेटर से बात -चीत शुरु करता है ।हाँ, तो यूँ ,तो हर पिता अपनी संतान को प्रेम करता है ,और संतान भी अपनी माता -पिता को प्रेम करते है ।पड़ ऐसा क्या हुआ की आपकी बेटी आप से इस हद तक न

9

हमसफ़र

21 दिसम्बर 2023
0
0
1

अदिति अफम सुन ही रही थी की दरवाज़े पड़ दस्तक हुई ।अदिति ने दरवाज़ा खोला तो सामने अमरेश और आरूही खड़े थे । फिर उनके अंदर ज़ाते ही अदिति ने जैसे ही दरवाज़ा बंद ही की थी ,की दरवाज़े की घंटी एक वार प

10

हमसफ़र

3 अप्रैल 2024
1
1
0

क्या वो पापा हो ,सकते है ?पड़ ,अगर वो पापा होते तो ,वो अपने आपको उस हम नाम नही देता !और तो और उसने साफ -साफ लब्ज़ो मे अफम पड़ ये भी तो कहा है न ! की वो उन खास रिस्तो मे से है ,ज़ो एक पि

11

हमसफ़र

11 अक्टूबर 2024
0
1
0

की उसका फोन बज उठता है ।वो बाते करते अपने रास्ते जा रही होती है ,की उसकी नज़र एक आपहीज़ बच्चे पर परती है ।उसके कपड़े बहुत गंदे ब जगह -जगह से फट चुके थे ।उस बच्चे पर नज़र परते ही अदिति का दिल भर आया वो उस

12

हमसफ़र

12 अक्टूबर 2024
0
2
0

वो फोन उठाया हेलो 'तो परम ने कहा कैसी हो?क्या तुम्हे पता नही कैसी हूंगी? तुम क्या कल मिलने आओगी ?मै अपना सतित्व तुम्हारे सामने लाना चाहता हूं! क्यू ऐसी क्या बात है ,जो तुम आज अचानक से मेरे सामने आना च

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए