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हमसफ़र

3 अप्रैल 2024

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क्या वो पापा हो ,सकते है ?पड़ ,अगर वो पापा होते तो ,वो अपने आपको उस हम नाम नही देता !और तो और उसने साफ -साफ लब्ज़ो मे  अफम पड़    ये भी तो कहा है न ! की वो उन खास रिस्तो मे से है ,ज़ो एक पिता की ज़िम्मेदारियों के बाद   तो आता हि है ।और अगर देखा जाए तो वो ,उ न ज़िम्मेदारियों को परिपूर्ण करता है ,ज़ो एक पिता से शुरु होकर उसपर ख़त्म हो जाती है ।ये बाते सोंचते -सोंचते वो आकुल सी हो उठी की आख़िर ये कौन अज़नबी है ज़ो अपने अज़नबी रिस्ते को इतना महत्वपूर्ण बता रहा है ।खैर अब तुम ज़ो कोई भी हो मिस्टर अज़नबी ,मै नहीं जानती की मेरा और तुम्हारा क्या रिस्ता है ?पड़ तुम्हारे  और मेरे  रिस्ते को एक नाम दे देती हुँ! दोस्ती का और एक दोस्त ने इतने अरमान से उसे ज़न्मदिन विश किया ।तो क्या उसकी दोस्ती को सहर्ष स्वीकार कर क्यों न ! उसे सम्मान का पात्र बना सकूं ! और फिर अदिति उसदिन वो नई साड़ी पहन कर अपने ज़न्मदिन को पूरे तीन साल बाद मना रही थी ।जिस बक्त अदिति केक काट रही थी ,उस बक्त अमरेश और अरूही भी उसके साथ थे ।और ज़ब केक काटने के बाद अदिति केक का पहला टुकड़ा उठाने ही वाली थी ,की अमरेश वो टुकड़ा उठा कर अदिति का मुंह मीठा करता है ।और दूसरी बार केक काट कर स्वंम भी मुंह मीठा कर लेता है ।और अदिति को ज़न्मदिन के उपहार स्वरूप मे एक चांदी की कलम और एक डायरी देता है ।अदिति उस उपहार को देख कर पहले तो एक पल के लिए वो उदास हो ज़ाती है ।की वो उस डायरी और कलम का क्या करेगी ?पड़ दूसरे हीं पल वो झट से अपने हांथो मे डायरी और कलम को उठा ली की ,वो इस डायरी मे अपने उस अज़नबी दोस्त से बाते करेगी ?जो वो उससे कर नही सकती ,वो चाहे भी तो अपने उस दोस्त को मिल ही नही पाएगी क्योंकि ना तो वो अपना नाम बताता है  और नहीं वो कभी सामने आता है ।वो मुझसे मिलना तो चाहता है ,पर वो कहता है की वो मेरे आस -पास है ।और अगर वो मेरा सच्चा दोस्त है तो उसे विश्वास है ,की मै उसे एक दिन ढूंढ निकालूंगी ?खैर ज़ब ढूँढूंगी तब की तब देखी जाएगी ,तब तक मै इस डायरी से ही काम चला लुंगी !समझे मिस्टर हम ।और आदिति उस डायरी पर भी हम लिख देती है ।ताकी जिस दिन उसे उस हम का पुरा पता चल ज़ाएगा  उस दिन वो उस हम को पुरा नाम दे देगी ।और उस डायरी को ज़ब -ज़ब देखेगी तब -तब वो डायरी उसे हमेसा ये याद दिलाती रहेगी की उसे उस हम को पुरा करना है ।फिर आदिती कश्मीर घूम कर घर वापस चली आती है ।पर वो और उसके  हम का रिश्ता सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहा ,वो रिश्ता तो अब उसके ज़िवन का एक हिस्सा बन चुका था ।और अगर देखा जाए तो अब आदिती को उस रिश्ते से ज़ूरे रहना अच्छा लगने लगा था ।आदिती अब उस हम के साथ स्वंम को एक नए सिरे से जानने लगी थी ।तभी तो वो अब अक्सर उस हम से बाते करने लगी थी ।कुरयर के ज़रिये वो हम सही मायनो मे आदिती का सच्चा दोस्त था ।वो जानता था ,की आदिती का सपना एक लेखिका बनने का था ।पर कुछ परिस्थितियों के कारन् वो अपने सपने से दूर हो गई ।पर अब आदिती का सपना पुरा करना ही ,उस हम के जीवन का लक्ष्य बन चुका था ।तभी तो वो आदिती से बात भी कर चुका था ,की वो लिखना शुरु कर दे आदिती ज़ब उसके मुंह से ये लब्ज़ सुनी तो वो खुशी के मारे आवाक़ रह गई ।उसे एक पल के लिए विश्वास नही हुआ की कोई है ज़ो चाहता है ,की वो लिखे बस फिर क्या था ?आदिती ने भी उस हम के सहारे लिखना शुरु कर दिया  वर्षो बाद अपने आप से मिलकर आदिति फुले नही समा रही थी । कहानी लेखन मे उसकी जान बसती थी ।एक बार फिर से कलम उठाने के बाद मानो वो स्वंम को कलम की स्वामनी ही समझ बैठी थी ।तभी तो केवल कुछ ही समय मे उसने एक अच्छी कहानी के रचना कर चुकी थी ।उस कहानी को भाग्य बस एक प्लेटफर्म भी मिल चुका था ।और तो और उसकी कहानी को प्रतियोगीता के लिए भी चुना गया ।अब तो आदिती यही रुकी नही ।उसके द्वारा लिखी कहानी पर एक फिल्म मेकर ने उसकी कहानी को खरीदा ।अब तो वो फिल्म भी चल परी थी ।अब आदिती कहानियाँ लिखने मे ब्यस्त  हो चुकी थी ।एक के बाद एक उसकी कहानियों को सराहा जाने लगा था ।इस बीच वो अपने उस हम अज़नबी  दोस्त से भी बाते साझा किया करती । इस तरह  से आदिती को एक नई पहचान मिली ।ये पहचान सिर्फ पहचान तक ही सीमित नही रही वो तो अब एक प्रसिद्ध लेखिका का रूप ले चुकी थी । अब ज़ब वो एक प्रसिद्ध लेखिका बन ही चुकी थी ।तब अब उसके अज़नबी दोस्त का लक्ष्य भी पुरा हो चुका था ।इसलिए उसने एक आखड़ बात आदिती के सामने रखा की वो अब उसके जीवन से दूर चला ज़ाएगा ?पर उसकी इच्छा थी ,की एक बार वो अपने पापा से मिल लेती ।आदिती उसके कहे अनुसार अपने पापा से मिल कर उन्हे माफ़ कर  गले से लगा लेती है ।वो अपने पापा से मिलने के बाद अपने घर के लिए निकल ही रही थी ,की 
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रचनाएँ
हमसफ़र
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आदिती ने ये तय कर लिया था ,की वो अब खामोशी की चादर के साये मे ही अपनीपूरी बिता देगी ? वो स्वयं खामोश हो गई थी या फिर हालात ने।उसे खामोश कर दिया था ।ये हम उसकी जीवन की गहराइयों मे जाकर देखेंगे ?क्या गुनाह कर बैठी थी भुमी जो। उसकी आँखो मे लेखिका बनने का सपना।सज़ने लगा था । वो उन सपनो की ओर पहला कदम ही बढाई ही थी ,की उसे उस सपने से काफी दूर कर दिया गया था ।जैसे ही उसे ये एहसास हुआ की वो अपने सपने से दूर हो गई है ,वो धीरे -धीरे खामोशियों की आगाश मे समाती सी चली गई ।दरासल आदिती ने बचपन से एक ही सपना देखा था ,की वो लेखिका बनेगी? और वो अपने सपने को पाने के लिए मेहनत भी किया करती थी ।पड़ शायद या पूर्णतः उसके बाबा को उसके सपनो पड़ भरोसा नही था ।इसलिए उसके बाबा उसके सपने की परवाह किये बगैर उसकी शादी एक आर्मी ऑफिसर से कर देते है ।आदिती पहले तो शादी करने से इंकार कर देती है ।पड़ जब उसके बाबा उसके मना करने के बाद भी ,उसकी एक नही। सुनते है । तब आदिती बेज़न मूरत बन कर शादी कर लेती है । जिस दीन आदिती की बिदाई थी आदिती की बाबा की आँखों से आँशु रुकाते नही रुक रही थी ।पड़ आदिती की आँखों मे आँशु का नामो -निशान भी नही था ।शायद वो अपने बाबा को ये एहसास करना चाहती थी ,की वो उनके इस फैसले से इस कदर टूट सी गई थी ,की वो शायद अब उनसे वो रिस्ता भी नही नीभा पाएगी ?वो समझती थी ,की उसके ऐसा करने से शायद कभी न -कभी उसके बाबा को ये ज़रूर एहसास होगा ?की उनके इस फैसले से उनकीबेटी कभी भी खुश नही रहेगी ?और ये एहसास की उनकी बेटी खुश नही है ,तो वो भी ऐसे ही तड़पेंगे जैसे आदिती अपने सपने के टूटने से तड़पती है ।इसलिए तो अपनी बिदाई के बक्त अपने घर बालो के सामने वो अपनी आँखों मे आँशु की एक बुंद तक नही आने दिया था ।उसने ! पड़ जैसे ही वो अपने पती अमरेश के साथ गाड़ी मे बैठी बाबा के साथ घर बालो के ओझल होते ही ,उसकी आँखों से जो आँशु बहने लगी वो पूरे सफर तक ज़ारी रहा ।अमरेश ये समझ रहा था ,की ये आजकल की लड़कियां भी न अपने मायके वालो का कितना ख्याल रखती है ,उनके सामने अपनी आँशु नही बहाय ,की उनके मायके वाले दुःखी न हो जाए इसलिए सारे आँशु उनके पीठ पीझे बहा रही हैं ।ये सोंच कर अमरेश मुस्कुरा उठा । फिर आदिती अमरेश के साथ उसके घर आ गई ,और ज़ब रात को अमरेश कमरे मे आया तो दरबाज़ा खुला था ।आदिती पलंग ोाद बैठी
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हमसफ़र

22 अक्टूबर 2023
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अदिति पलंग पड़ बैठी नहीं थी ।वो पलंग पड़ लेटी थी ।शायद वो सो गई थी ।ये देखकर अमरेश कमरे मे दाखिल हुआ ।वो अदिति से बात तो करना चाहता था ।पड़ वो चुप -चाप सो गया ,की शायद शादी की थकान की वज़ह से वो सो गई है

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हमसफ़र

23 अक्टूबर 2023
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और वो स्वंम ही उससे कटा -कटा सा रहने लगा था ।पड़ अमरेश चाहे जितना कोशिश करता की उसे अदिति के इस व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता हो ।पड़ सच तो ये था की उसे फर्क पड़ता था ।तभी तो वो रोज़ अपने दोस्तों के साथ क

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हमसफ़र

30 अक्टूबर 2023
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फिर वो ट्रे में चाय लेकर कमरे में जाती है ।वो चाय लेकर अमरेश की ओर जैसे हीं दो -चार कदम बढ़ाई हीं थी ,की अमरेश भी अपनी धीमी कदमो के साथ अदिति की ओर बढ़ने लगा अदिति चाय का ट्रे लिए अमरेश की कदमो की ओर दे

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हमसफ़र

4 नवम्बर 2023
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शायद वो अपने हम सफर से दूर हो चुकी थी ।इधर अमरेश अपने काम पड़ वापस आकर देश की सीमा की रखवाली करता था ।और जब इस बीच जब कभी भी उसे घर बालो की याद आती तो ,वो उनसे फोन पड़ बाते कर लिया करता था ।याद तो उसे आ

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हमसफ़र

25 नवम्बर 2023
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पड़ इस बार अमरेश भी अपने मन मे ठान् कर आया था ,की वो इस बार ये वजह जान कर हीं रहेगा ?की आखिर अदिति ऐसी क्यों है ?वो पूरे घर वालो के साथ -साथ अदिति के लिए भी उपहार मे उसकी पसंद की रंग की साड़

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हमसफ़र

27 नवम्बर 2023
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इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की

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हमसफ़र

10 दिसम्बर 2023
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फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी

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हमसफ़र

15 दिसम्बर 2023
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फिर आरजे डिलीकेटर से बात -चीत शुरु करता है ।हाँ, तो यूँ ,तो हर पिता अपनी संतान को प्रेम करता है ,और संतान भी अपनी माता -पिता को प्रेम करते है ।पड़ ऐसा क्या हुआ की आपकी बेटी आप से इस हद तक न

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हमसफ़र

21 दिसम्बर 2023
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अदिति अफम सुन ही रही थी की दरवाज़े पड़ दस्तक हुई ।अदिति ने दरवाज़ा खोला तो सामने अमरेश और आरूही खड़े थे । फिर उनके अंदर ज़ाते ही अदिति ने जैसे ही दरवाज़ा बंद ही की थी ,की दरवाज़े की घंटी एक वार प

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हमसफ़र

3 अप्रैल 2024
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क्या वो पापा हो ,सकते है ?पड़ ,अगर वो पापा होते तो ,वो अपने आपको उस हम नाम नही देता !और तो और उसने साफ -साफ लब्ज़ो मे अफम पड़ ये भी तो कहा है न ! की वो उन खास रिस्तो मे से है ,ज़ो एक पि

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हमसफ़र

11 अक्टूबर 2024
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की उसका फोन बज उठता है ।वो बाते करते अपने रास्ते जा रही होती है ,की उसकी नज़र एक आपहीज़ बच्चे पर परती है ।उसके कपड़े बहुत गंदे ब जगह -जगह से फट चुके थे ।उस बच्चे पर नज़र परते ही अदिति का दिल भर आया वो उस

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हमसफ़र

12 अक्टूबर 2024
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वो फोन उठाया हेलो 'तो परम ने कहा कैसी हो?क्या तुम्हे पता नही कैसी हूंगी? तुम क्या कल मिलने आओगी ?मै अपना सतित्व तुम्हारे सामने लाना चाहता हूं! क्यू ऐसी क्या बात है ,जो तुम आज अचानक से मेरे सामने आना च

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