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हमसफ़र

27 नवम्बर 2023

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इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की मै तुम्हे कश्मीर घुमाऊ तुम्हारी शादी होने वाली है ।फिर तुम अपने पति के साथ ब्यस्त हो जाओगी ?मुझे नहीं लगता की कश्मीर घूमने का इससे बेहतर कोई और मौका होगा हम दोनो के लिए ।सो चलो इस बार तुम्हारी इच्छा पुरी कर हीं देता हुँ ।ये सुनकर आरोही खुशी से उछल पड़ी और वो उत्साहित होकर अमरेश को गले लगा लेती है।जैसे हीं वो गले लग कर हटी तो   वंहाँ अदिति      उसके लिए चाय  लिए खड़ी थी ।अमरेश को पहले हीं पता था की ,अदिति आरोही के लिए चाय लेकर आने हीं वाली थी ।इसलिए तो वो ये बाते आरोही से कह रहा था।ताकि ज़ब अदिति चाय लेकर आएगी ,तो आरोही की नज़र उसपर पड़ेगी तो वो उसे भी  चलने के लिए आमंत्रित कर हीं देगी ?और यही हुआ भी ।ज़ब आरोही अमरेश के गले से हटी तो ,वो सामने अदिति को देखकर  उसे भी झट से गले लगा  लेती है । और कह देती है ,की कल हीं वो तीनो इक्क्ठे कश्मीर घूमने जाएंगे ? मै ,अमरेश और तुम ।आरोही की बाते सुनकर अदिति अमरेश की ओर देखती है ।और अमरेश को अदिति की आँखों मे ये जबाब मिलता है ,की भले हीं वो अमरेश के साथ नहीं जाना चाहती ।पड़ वो उसकी दोस्त की खातिर इतना तो कर हीं सकती  थी न ।फिर अदिति ,अमरेश और आरोही कश्मीर चले आते है । ज़ब वो कश्मीर आते है ,तो वो रात को  एक होटल मे रुके थे ।फिर सुबह उन कश्मीर की खूबसूरत वादियों से मिलने निकल पड़ते है ।कश्मीर की खूबसूरत वादियों को देखकर अदिति उन वादियों मे खो जाती है ।वो उन बर्फीली वादियों को निहारते नहीं थक रही थी ।उन्ही वादियों मे शुरु हो चुका था ,अमरेश की कोशिशे  अदिति को सही मायनो मे समझने की । फिर एक सुबह उन हँसीन वादियों की    खूबसूरती           मे तीनो इतने खो गये की ,सुबह से कब शाम हो गई  ये पता भी नहीं चल पाया ।और उस दिन अदिति बहुत थक चुकी थी।वो बर्फीली पहाड़ियों पड़ चढ़ तो गई थी ।पड़ थकावट की वजह से नीचे उतरने मे बड़ी मुश्किल से उसके कदम आगे बढ़  पा रहे थे ।ये सब देख कर आरोही अमरेश एक ये  इशारा करती है ,की वो अदिति को अपनी गोद मे उठाकर उसे  पहाड़ीयो से        नीचे उतारे । फिर ज़ब अमरेश अदिति को अपनी गोद मे उठाने जाता है ,तो अदिति भी अमरेश को इशारे मे ही ये कहती है ,की वो उसे गोद मे नहीं उठाय वो ठीक है ।ये कहकर अदिति फिर एक -दो कदम बढ़ाई ही थी ,की उसके कदम  साड़ियों         मे लड़खड़ा जाता है । इससे पहले की वो लड़खड़ा कर। गिरती उससे पहले ही अमरेश उसे अपनी गोद मे उठा लेता है ।और फिर्  इस बार  अदिति उसे मना भी नहीं कर पाती । गोद मे होने की वजह से अदिति अमरेश के बहुत पास थी ।और अमरेश के इरादे मानो अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले थे इस वजह से उसके होटो पर मुस्कुराहट थी ।अदिति अपने हमसफ़र को अपना मानती ही नहीं थी ।इस वजह से वो स्वंम को उसकी गोद मे विचलित सी महसूस कर रही थी । फिर तीनो होटल मे पहुँच चुके थे ।रात को कमरे मे अदिति अपनी आँखे बंद कर बिस्तर पड़ लेट गई थी ।ताकि अमरेश को लगे की वो सो गई है ।पड़ वो दरासल सोई नहीं थी ।वो आँखे बंद किये बस उस रात अपने और अमरेशजी के रिस्ते के बारे मे सोंचती रही ।क्योंकि वो सोंचाने पड़ मज़बूर हो चुकी थी ।क्योंकि वो अमरेश जी की आँखों मे हमेशा अपने लिए एक सवाल देखती थी  और वो चाह कर भी उनके सवालो को सुलझा नहीं पा रही थी ।या फिर यूं कह लीजिये की वो उन सवालो से बचत फिर रही थी ।अदिति आंखे बंद किये हुए यही सब सोंच रही थी की उसकी कानो मे  संगीत की आवाज़ सुनाई पड़ती है। ज़ब अदिति बेड पड़ लेटी थी ,तब अमरेश को सचमुच लगा था ,की शायद थकावट की वजह से अदिति सो गई है और उसलिए वो अपने मोबाईल पड़ अफम लगा कर उनने लगता है ।पड़ अदिति ये सब देख रही थी ।की अमरेश जी गाने सुन रहे है ।और देख कर वो समझ भी ज़ाती है ,की आखिर अमरेश जी अफम क्यो सुन रहे है ?जी हाँ वो जान जाती है ,की अमरेश जी को शायद वो अच्छी तरह से जाने या न जाने ?पड़ शायद अमरेश जी उसे जानने लगे थे ।तभी तो वो उन चीजों को भी अपनाने लगे थे जो ,उससे ज़ुड़ी हुई थी। क्योंकि रेडिओ (अफम) तो अक्सर अदिति ही सुना करती थी ।ये सब सोचने के बाद अदिति अपने अंतर मन से ये  पूछने लगी ,की क्या सचमुच मे अमरेशजी उसे अपनाने लगे थे ?और अगर वो उसे अपनाने लगे थे तो क्या वो उसके    साथ साथ     उसके  सपनो को भी अपनापाएंगे क्या?  या फिर ज़ब सपनो को अपनाने का बक्त आएगा तो वो भी पापा की तरह ही उन सपनो को देखने से ही वंचित कर देंगे ?यही सब सोंचते -सोंचते अदिति की आँखों से एक बार फिर आँशु बह पड़ते है ।और अमरेश भी संगीत की मस्तियों मे खोते -खोते जाने कब उसकी आँखे लग ज़ाती है ।ये उसे भी पता नहीं चल ता और ज़ब उसकी आँखे लग् ज़ाती है ।तब अदिति अमरेश को डब ड बाई आँखों से उसके चेहरे की ओर देखती है ।मानो वो उससे पूछ रही थी की ,मेरे साथ -साथ अपने दिल मे थोड़ी सी  जगह मेरे सपनो को भी दे देते तो  शायद मै ज़ीने का रास्ता चुन लेती ?
Pintu

Pintu

आपकी कहानी प्रतिउत्तर मे लाठी की जगह कलम ने ले ली है ।मुझे ये शब्द बहुत प्रिये लगे ।बबिता कुमारी ।आगे आपकी कहानी पढ़ रही हुँ ।

29 नवम्बर 2023

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बेहद खूबसूरत लिखा है आपने सर 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

28 नवम्बर 2023

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रचनाएँ
हमसफ़र
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आदिती ने ये तय कर लिया था ,की वो अब खामोशी की चादर के साये मे ही अपनीपूरी बिता देगी ? वो स्वयं खामोश हो गई थी या फिर हालात ने।उसे खामोश कर दिया था ।ये हम उसकी जीवन की गहराइयों मे जाकर देखेंगे ?क्या गुनाह कर बैठी थी भुमी जो। उसकी आँखो मे लेखिका बनने का सपना।सज़ने लगा था । वो उन सपनो की ओर पहला कदम ही बढाई ही थी ,की उसे उस सपने से काफी दूर कर दिया गया था ।जैसे ही उसे ये एहसास हुआ की वो अपने सपने से दूर हो गई है ,वो धीरे -धीरे खामोशियों की आगाश मे समाती सी चली गई ।दरासल आदिती ने बचपन से एक ही सपना देखा था ,की वो लेखिका बनेगी? और वो अपने सपने को पाने के लिए मेहनत भी किया करती थी ।पड़ शायद या पूर्णतः उसके बाबा को उसके सपनो पड़ भरोसा नही था ।इसलिए उसके बाबा उसके सपने की परवाह किये बगैर उसकी शादी एक आर्मी ऑफिसर से कर देते है ।आदिती पहले तो शादी करने से इंकार कर देती है ।पड़ जब उसके बाबा उसके मना करने के बाद भी ,उसकी एक नही। सुनते है । तब आदिती बेज़न मूरत बन कर शादी कर लेती है । जिस दीन आदिती की बिदाई थी आदिती की बाबा की आँखों से आँशु रुकाते नही रुक रही थी ।पड़ आदिती की आँखों मे आँशु का नामो -निशान भी नही था ।शायद वो अपने बाबा को ये एहसास करना चाहती थी ,की वो उनके इस फैसले से इस कदर टूट सी गई थी ,की वो शायद अब उनसे वो रिस्ता भी नही नीभा पाएगी ?वो समझती थी ,की उसके ऐसा करने से शायद कभी न -कभी उसके बाबा को ये ज़रूर एहसास होगा ?की उनके इस फैसले से उनकीबेटी कभी भी खुश नही रहेगी ?और ये एहसास की उनकी बेटी खुश नही है ,तो वो भी ऐसे ही तड़पेंगे जैसे आदिती अपने सपने के टूटने से तड़पती है ।इसलिए तो अपनी बिदाई के बक्त अपने घर बालो के सामने वो अपनी आँखों मे आँशु की एक बुंद तक नही आने दिया था ।उसने ! पड़ जैसे ही वो अपने पती अमरेश के साथ गाड़ी मे बैठी बाबा के साथ घर बालो के ओझल होते ही ,उसकी आँखों से जो आँशु बहने लगी वो पूरे सफर तक ज़ारी रहा ।अमरेश ये समझ रहा था ,की ये आजकल की लड़कियां भी न अपने मायके वालो का कितना ख्याल रखती है ,उनके सामने अपनी आँशु नही बहाय ,की उनके मायके वाले दुःखी न हो जाए इसलिए सारे आँशु उनके पीठ पीझे बहा रही हैं ।ये सोंच कर अमरेश मुस्कुरा उठा । फिर आदिती अमरेश के साथ उसके घर आ गई ,और ज़ब रात को अमरेश कमरे मे आया तो दरबाज़ा खुला था ।आदिती पलंग ोाद बैठी
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हमसफ़र

22 अक्टूबर 2023
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अदिति पलंग पड़ बैठी नहीं थी ।वो पलंग पड़ लेटी थी ।शायद वो सो गई थी ।ये देखकर अमरेश कमरे मे दाखिल हुआ ।वो अदिति से बात तो करना चाहता था ।पड़ वो चुप -चाप सो गया ,की शायद शादी की थकान की वज़ह से वो सो गई है

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हमसफ़र

23 अक्टूबर 2023
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और वो स्वंम ही उससे कटा -कटा सा रहने लगा था ।पड़ अमरेश चाहे जितना कोशिश करता की उसे अदिति के इस व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता हो ।पड़ सच तो ये था की उसे फर्क पड़ता था ।तभी तो वो रोज़ अपने दोस्तों के साथ क

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हमसफ़र

30 अक्टूबर 2023
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फिर वो ट्रे में चाय लेकर कमरे में जाती है ।वो चाय लेकर अमरेश की ओर जैसे हीं दो -चार कदम बढ़ाई हीं थी ,की अमरेश भी अपनी धीमी कदमो के साथ अदिति की ओर बढ़ने लगा अदिति चाय का ट्रे लिए अमरेश की कदमो की ओर दे

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हमसफ़र

4 नवम्बर 2023
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शायद वो अपने हम सफर से दूर हो चुकी थी ।इधर अमरेश अपने काम पड़ वापस आकर देश की सीमा की रखवाली करता था ।और जब इस बीच जब कभी भी उसे घर बालो की याद आती तो ,वो उनसे फोन पड़ बाते कर लिया करता था ।याद तो उसे आ

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हमसफ़र

25 नवम्बर 2023
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पड़ इस बार अमरेश भी अपने मन मे ठान् कर आया था ,की वो इस बार ये वजह जान कर हीं रहेगा ?की आखिर अदिति ऐसी क्यों है ?वो पूरे घर वालो के साथ -साथ अदिति के लिए भी उपहार मे उसकी पसंद की रंग की साड़

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हमसफ़र

27 नवम्बर 2023
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इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की

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हमसफ़र

10 दिसम्बर 2023
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फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी

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हमसफ़र

15 दिसम्बर 2023
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फिर आरजे डिलीकेटर से बात -चीत शुरु करता है ।हाँ, तो यूँ ,तो हर पिता अपनी संतान को प्रेम करता है ,और संतान भी अपनी माता -पिता को प्रेम करते है ।पड़ ऐसा क्या हुआ की आपकी बेटी आप से इस हद तक न

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हमसफ़र

21 दिसम्बर 2023
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अदिति अफम सुन ही रही थी की दरवाज़े पड़ दस्तक हुई ।अदिति ने दरवाज़ा खोला तो सामने अमरेश और आरूही खड़े थे । फिर उनके अंदर ज़ाते ही अदिति ने जैसे ही दरवाज़ा बंद ही की थी ,की दरवाज़े की घंटी एक वार प

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हमसफ़र

3 अप्रैल 2024
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क्या वो पापा हो ,सकते है ?पड़ ,अगर वो पापा होते तो ,वो अपने आपको उस हम नाम नही देता !और तो और उसने साफ -साफ लब्ज़ो मे अफम पड़ ये भी तो कहा है न ! की वो उन खास रिस्तो मे से है ,ज़ो एक पि

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