इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की मै तुम्हे कश्मीर घुमाऊ तुम्हारी शादी होने वाली है ।फिर तुम अपने पति के साथ ब्यस्त हो जाओगी ?मुझे नहीं लगता की कश्मीर घूमने का इससे बेहतर कोई और मौका होगा हम दोनो के लिए ।सो चलो इस बार तुम्हारी इच्छा पुरी कर हीं देता हुँ ।ये सुनकर आरोही खुशी से उछल पड़ी और वो उत्साहित होकर अमरेश को गले लगा लेती है।जैसे हीं वो गले लग कर हटी तो वंहाँ अदिति उसके लिए चाय लिए खड़ी थी ।अमरेश को पहले हीं पता था की ,अदिति आरोही के लिए चाय लेकर आने हीं वाली थी ।इसलिए तो वो ये बाते आरोही से कह रहा था।ताकि ज़ब अदिति चाय लेकर आएगी ,तो आरोही की नज़र उसपर पड़ेगी तो वो उसे भी चलने के लिए आमंत्रित कर हीं देगी ?और यही हुआ भी ।ज़ब आरोही अमरेश के गले से हटी तो ,वो सामने अदिति को देखकर उसे भी झट से गले लगा लेती है । और कह देती है ,की कल हीं वो तीनो इक्क्ठे कश्मीर घूमने जाएंगे ? मै ,अमरेश और तुम ।आरोही की बाते सुनकर अदिति अमरेश की ओर देखती है ।और अमरेश को अदिति की आँखों मे ये जबाब मिलता है ,की भले हीं वो अमरेश के साथ नहीं जाना चाहती ।पड़ वो उसकी दोस्त की खातिर इतना तो कर हीं सकती थी न ।फिर अदिति ,अमरेश और आरोही कश्मीर चले आते है । ज़ब वो कश्मीर आते है ,तो वो रात को एक होटल मे रुके थे ।फिर सुबह उन कश्मीर की खूबसूरत वादियों से मिलने निकल पड़ते है ।कश्मीर की खूबसूरत वादियों को देखकर अदिति उन वादियों मे खो जाती है ।वो उन बर्फीली वादियों को निहारते नहीं थक रही थी ।उन्ही वादियों मे शुरु हो चुका था ,अमरेश की कोशिशे अदिति को सही मायनो मे समझने की । फिर एक सुबह उन हँसीन वादियों की खूबसूरती मे तीनो इतने खो गये की ,सुबह से कब शाम हो गई ये पता भी नहीं चल पाया ।और उस दिन अदिति बहुत थक चुकी थी।वो बर्फीली पहाड़ियों पड़ चढ़ तो गई थी ।पड़ थकावट की वजह से नीचे उतरने मे बड़ी मुश्किल से उसके कदम आगे बढ़ पा रहे थे ।ये सब देख कर आरोही अमरेश एक ये इशारा करती है ,की वो अदिति को अपनी गोद मे उठाकर उसे पहाड़ीयो से नीचे उतारे । फिर ज़ब अमरेश अदिति को अपनी गोद मे उठाने जाता है ,तो अदिति भी अमरेश को इशारे मे ही ये कहती है ,की वो उसे गोद मे नहीं उठाय वो ठीक है ।ये कहकर अदिति फिर एक -दो कदम बढ़ाई ही थी ,की उसके कदम साड़ियों मे लड़खड़ा जाता है । इससे पहले की वो लड़खड़ा कर। गिरती उससे पहले ही अमरेश उसे अपनी गोद मे उठा लेता है ।और फिर् इस बार अदिति उसे मना भी नहीं कर पाती । गोद मे होने की वजह से अदिति अमरेश के बहुत पास थी ।और अमरेश के इरादे मानो अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले थे इस वजह से उसके होटो पर मुस्कुराहट थी ।अदिति अपने हमसफ़र को अपना मानती ही नहीं थी ।इस वजह से वो स्वंम को उसकी गोद मे विचलित सी महसूस कर रही थी । फिर तीनो होटल मे पहुँच चुके थे ।रात को कमरे मे अदिति अपनी आँखे बंद कर बिस्तर पड़ लेट गई थी ।ताकि अमरेश को लगे की वो सो गई है ।पड़ वो दरासल सोई नहीं थी ।वो आँखे बंद किये बस उस रात अपने और अमरेशजी के रिस्ते के बारे मे सोंचती रही ।क्योंकि वो सोंचाने पड़ मज़बूर हो चुकी थी ।क्योंकि वो अमरेश जी की आँखों मे हमेशा अपने लिए एक सवाल देखती थी और वो चाह कर भी उनके सवालो को सुलझा नहीं पा रही थी ।या फिर यूं कह लीजिये की वो उन सवालो से बचत फिर रही थी ।अदिति आंखे बंद किये हुए यही सब सोंच रही थी की उसकी कानो मे संगीत की आवाज़ सुनाई पड़ती है। ज़ब अदिति बेड पड़ लेटी थी ,तब अमरेश को सचमुच लगा था ,की शायद थकावट की वजह से अदिति सो गई है और उसलिए वो अपने मोबाईल पड़ अफम लगा कर उनने लगता है ।पड़ अदिति ये सब देख रही थी ।की अमरेश जी गाने सुन रहे है ।और देख कर वो समझ भी ज़ाती है ,की आखिर अमरेश जी अफम क्यो सुन रहे है ?जी हाँ वो जान जाती है ,की अमरेश जी को शायद वो अच्छी तरह से जाने या न जाने ?पड़ शायद अमरेश जी उसे जानने लगे थे ।तभी तो वो उन चीजों को भी अपनाने लगे थे जो ,उससे ज़ुड़ी हुई थी। क्योंकि रेडिओ (अफम) तो अक्सर अदिति ही सुना करती थी ।ये सब सोचने के बाद अदिति अपने अंतर मन से ये पूछने लगी ,की क्या सचमुच मे अमरेशजी उसे अपनाने लगे थे ?और अगर वो उसे अपनाने लगे थे तो क्या वो उसके साथ साथ उसके सपनो को भी अपनापाएंगे क्या? या फिर ज़ब सपनो को अपनाने का बक्त आएगा तो वो भी पापा की तरह ही उन सपनो को देखने से ही वंचित कर देंगे ?यही सब सोंचते -सोंचते अदिति की आँखों से एक बार फिर आँशु बह पड़ते है ।और अमरेश भी संगीत की मस्तियों मे खोते -खोते जाने कब उसकी आँखे लग ज़ाती है ।ये उसे भी पता नहीं चल ता और ज़ब उसकी आँखे लग् ज़ाती है ।तब अदिति अमरेश को डब ड बाई आँखों से उसके चेहरे की ओर देखती है ।मानो वो उससे पूछ रही थी की ,मेरे साथ -साथ अपने दिल मे थोड़ी सी जगह मेरे सपनो को भी दे देते तो शायद मै ज़ीने का रास्ता चुन लेती ?