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हमसफ़र

23 अक्टूबर 2023

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और वो स्वंम ही उससे कटा -कटा सा रहने लगा था ।पड़ अमरेश चाहे जितना कोशिश करता की उसे अदिति के इस व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता हो ।पड़ सच तो ये था की उसे फर्क पड़ता था ।तभी तो वो रोज़ अपने दोस्तों के साथ का सहारा लेने लगा था खुश रहने के लिए यूं तो उसके ढेर सारे दोस्त नहीं थे ।पड़ दो -चार खास दोस्त थे ,उसके जिसके साथ अमरेश अपना ज्यादा -तर समय बिताता था ।उन्ही दोस्तों मे से एक थी ।रश्मि ।जो अमरेश की बचपन की दोस्त थी ।अमरेश उसके बहुत करीब था ।और वो भी ,जैसे अमरेश को एक अच्छे दोस्त के सहारे की जरूरत थी ।तो,वो उस सहारे की कसौटी पड़ बिल्कुल खड़ी उतरती थी ।और वैसे भी तो अमरेश ज्यादा -तर घर पड़ रहता ही कहाँ था ?वो तो इस बार शादी के लिए वो लम्बी छुट्टी  लेकर आया हुआ था ।फिर एक शाम घर के सारे लोग रात का खाना खाने के  बाद अपने -अपने कमरे मे आराम करने चले गये थे ।और अदिति भी काम निपटाने के बाद अपने कमरे मे सोने चली गई थी ।पड़ उसे नींद नहीं आ रही थी । शायद या यक़ीनन उसे बार -बार अमरेश् का ख्याल आ रहा था ।की शायद अमरेश उसकी वजह से परेशान है ।तभी तो वो इतनी  रात गये घर नहीं आये हैं । अदिति की आंखे यही सब सोंचते -सोंचते  देखत ही -देखते वो नींद की आगोश मे समाती चली गई ।और जैसे ही अदिति नींद की गोद मे अपना सिर धरी  ही ,थी की ,अमरेश आ जाता है ।वो आधी रात को घर वापस आया था ।और वो भी नसे की हालत मे ,और जब वो कमरे मे पहुंचा तो ,अदिति को गहरी नींद मे सोया हुआ पाकर  पहले तो नज़र भर उसे देखकर ज़ब उसे आदिति के चेहरे पड़ वो चिंताओ की लकीरें ढूंढ रहा था  की,जो एक पति के देर रात गये घर वापस नहीं आने पड़ होता है ।पड़ गहरी नींद मे सोई अदिति इन लकीरो से पड़े दिखी । और तब अमरेश उम्मीद की वो किरण का दमन भी छोड़ देता है ।की शायद अब सब कुछ उसके और अदिति के बीच ठीक हो पायेगा ?  वो नशे मे था इसलिए वो बिना अपने कपड़े और जूते उतारे ही बिस्तर पड़ सो गया था ।और एक बार फिर जब सुबह उसकी आँख खुली तो अदिति कमरे मे नहीं थी ।वो रोज़ की तरह घर के कामो मे ब्यस्त हो चुकी थी ।हर सुबह की तरह ही इस सुबह भी अदिति पूरे घर के काम के साथ -साथ घर के हरेक सदस्य के ज़रूरतों और शहूलियतो के ताल -मेल मे जुट गई थी ।बस वो अमरेश से ज़ुडा कोई काम नही करती थी ।वो तो उसके सामने भी नही आना चाहती थी ।अगर कभी गलती से उसका और अमरेश का सामना हो भी जाता तो ,अमरेश तो ,उससे अपनी नज़रे हटा नही पाता था !पड़ अदिति ऐसे बर्ताव् करती जैसे उससे कोई गलती हो गया हो ?अदिति चाहे जितना घर वालो का ख्याल रखती थी ।पड़ वो बाते बहुत हीं कम करती थी ।  घर मे मनोरंजन के लिए टेलिवीजन था ।वो भी नही देखती थी । बस घर मे एक पुराना रेडिओ था ,जिसे वो अक्सर सुना करती थी । अमरेश की छुट्टियाँ समाप्त हो चुकी थी वो वापस अपने काम पड़ जाने वाला था ।सब लोग उसके जाने की तैयारी मे लगे हुए थे ।और वो जाने के लिए घर से निकलने ही वाला था ।अमरेश जाने के लिए जैसे ही दरवाजे पड़ जा रहा था  वो अपनी नज़र अदिति की ओर करता है । अदिति किचन मे घर के कामो मे डूबी वो गैस पड़ चाय चढ़ा कर माथे पड़ जुड़ा बनाये हुए अपनी साड़ी की पल्लू कमर मे खोसे हुए आंटा गुंथने मे लगी थी।गैस पड़ शायद चाय हो चुकी थी ,पड़ अदिति का आंटा अभी नहीं गुंथ पाया था ।वो जल्दी -जल्दी आंटा गुंथते -गुन्थते उबलते चाय की ओर बार -बार देख रही थी ।जब वो आंटा गुंथ रही थी ,तब उसके बाल की लट बार -बार उसके चेहरे पड़ लटक जा रहा था ।जिसे वो अपने कानो मे खोंसना तो चाहती थी ,पड़ दोनो हांथ फंसे रहने के कारण वो लट को बार -बार अपनी सिर से हीं झटक रही थी ।अमरेश एक पल के  लिए अपने दरबाजे पड़ हीं रुक जाता है ।और  अपनी माँ से कहता है ,माँ मै ऊपर अपने कमरे मे जा रहा हुँ।तुम अदिति से एक कप चाय ऊपर भिजवाना ,ये कहकर अमरेश ऊपर अपने कमरे मे चला जाता है ।तब अमरेश की माँ अदिति से कहती है ।बहु ऊपर अपने कमरे मे जा अमरेश के लिए एक चाय लेकर ।तब अदिति कहती है ,की माजी ,मुझे किचन मे ढेर सारे काम निबटाने है ,चाय आप हीं दे आइये न !तब अमरेश की माँ कहती है ,की तु पागल है क्या ?तेरा पति जा रहा है ,और मै जानती हुँ की उसने बहाने से तुम्हे चाय लेकर बुलाया न की शायद वो जाते -जाते भी तुम्हारे साथ कुछ बक्त बिता सके ,और एक तुम हो जिसे इन कामो की पड़ी है  ।जा नहीं तो ,पागल ।अमरेश की माँ के साथ -साथ पूरे घर वाले ये हीं मानते थे ,की अदिति और अमरेश के बीच वही रिस्ता है ।जो एक आम पति -पत्नी का होता है । माँ ये बाते उससे कहती है ,तब अदिति के पास कमरे मे नही जाने का कोई बहाना नहीं था ।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने 👍🙏🙏🙏

24 अक्टूबर 2023

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रचनाएँ
हमसफ़र
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आदिती ने ये तय कर लिया था ,की वो अब खामोशी की चादर के साये मे ही अपनीपूरी बिता देगी ? वो स्वयं खामोश हो गई थी या फिर हालात ने।उसे खामोश कर दिया था ।ये हम उसकी जीवन की गहराइयों मे जाकर देखेंगे ?क्या गुनाह कर बैठी थी भुमी जो। उसकी आँखो मे लेखिका बनने का सपना।सज़ने लगा था । वो उन सपनो की ओर पहला कदम ही बढाई ही थी ,की उसे उस सपने से काफी दूर कर दिया गया था ।जैसे ही उसे ये एहसास हुआ की वो अपने सपने से दूर हो गई है ,वो धीरे -धीरे खामोशियों की आगाश मे समाती सी चली गई ।दरासल आदिती ने बचपन से एक ही सपना देखा था ,की वो लेखिका बनेगी? और वो अपने सपने को पाने के लिए मेहनत भी किया करती थी ।पड़ शायद या पूर्णतः उसके बाबा को उसके सपनो पड़ भरोसा नही था ।इसलिए उसके बाबा उसके सपने की परवाह किये बगैर उसकी शादी एक आर्मी ऑफिसर से कर देते है ।आदिती पहले तो शादी करने से इंकार कर देती है ।पड़ जब उसके बाबा उसके मना करने के बाद भी ,उसकी एक नही। सुनते है । तब आदिती बेज़न मूरत बन कर शादी कर लेती है । जिस दीन आदिती की बिदाई थी आदिती की बाबा की आँखों से आँशु रुकाते नही रुक रही थी ।पड़ आदिती की आँखों मे आँशु का नामो -निशान भी नही था ।शायद वो अपने बाबा को ये एहसास करना चाहती थी ,की वो उनके इस फैसले से इस कदर टूट सी गई थी ,की वो शायद अब उनसे वो रिस्ता भी नही नीभा पाएगी ?वो समझती थी ,की उसके ऐसा करने से शायद कभी न -कभी उसके बाबा को ये ज़रूर एहसास होगा ?की उनके इस फैसले से उनकीबेटी कभी भी खुश नही रहेगी ?और ये एहसास की उनकी बेटी खुश नही है ,तो वो भी ऐसे ही तड़पेंगे जैसे आदिती अपने सपने के टूटने से तड़पती है ।इसलिए तो अपनी बिदाई के बक्त अपने घर बालो के सामने वो अपनी आँखों मे आँशु की एक बुंद तक नही आने दिया था ।उसने ! पड़ जैसे ही वो अपने पती अमरेश के साथ गाड़ी मे बैठी बाबा के साथ घर बालो के ओझल होते ही ,उसकी आँखों से जो आँशु बहने लगी वो पूरे सफर तक ज़ारी रहा ।अमरेश ये समझ रहा था ,की ये आजकल की लड़कियां भी न अपने मायके वालो का कितना ख्याल रखती है ,उनके सामने अपनी आँशु नही बहाय ,की उनके मायके वाले दुःखी न हो जाए इसलिए सारे आँशु उनके पीठ पीझे बहा रही हैं ।ये सोंच कर अमरेश मुस्कुरा उठा । फिर आदिती अमरेश के साथ उसके घर आ गई ,और ज़ब रात को अमरेश कमरे मे आया तो दरबाज़ा खुला था ।आदिती पलंग ोाद बैठी
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हमसफ़र

22 अक्टूबर 2023
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अदिति पलंग पड़ बैठी नहीं थी ।वो पलंग पड़ लेटी थी ।शायद वो सो गई थी ।ये देखकर अमरेश कमरे मे दाखिल हुआ ।वो अदिति से बात तो करना चाहता था ।पड़ वो चुप -चाप सो गया ,की शायद शादी की थकान की वज़ह से वो सो गई है

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हमसफ़र

23 अक्टूबर 2023
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और वो स्वंम ही उससे कटा -कटा सा रहने लगा था ।पड़ अमरेश चाहे जितना कोशिश करता की उसे अदिति के इस व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता हो ।पड़ सच तो ये था की उसे फर्क पड़ता था ।तभी तो वो रोज़ अपने दोस्तों के साथ क

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हमसफ़र

30 अक्टूबर 2023
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फिर वो ट्रे में चाय लेकर कमरे में जाती है ।वो चाय लेकर अमरेश की ओर जैसे हीं दो -चार कदम बढ़ाई हीं थी ,की अमरेश भी अपनी धीमी कदमो के साथ अदिति की ओर बढ़ने लगा अदिति चाय का ट्रे लिए अमरेश की कदमो की ओर दे

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हमसफ़र

4 नवम्बर 2023
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शायद वो अपने हम सफर से दूर हो चुकी थी ।इधर अमरेश अपने काम पड़ वापस आकर देश की सीमा की रखवाली करता था ।और जब इस बीच जब कभी भी उसे घर बालो की याद आती तो ,वो उनसे फोन पड़ बाते कर लिया करता था ।याद तो उसे आ

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हमसफ़र

25 नवम्बर 2023
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पड़ इस बार अमरेश भी अपने मन मे ठान् कर आया था ,की वो इस बार ये वजह जान कर हीं रहेगा ?की आखिर अदिति ऐसी क्यों है ?वो पूरे घर वालो के साथ -साथ अदिति के लिए भी उपहार मे उसकी पसंद की रंग की साड़

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हमसफ़र

27 नवम्बर 2023
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इसलिए वो अदिति के ज्यादा करीब रहने के लिए मौका देख कर आरोही जब सुबह अपने घर जा रही होती है ,तब अमरेश उससे कहता है ,की इस बार मै मौके पड़ घर आया हुँ ।और तुम भी फ्री हो तुम हमेशा मुझसे कहती रहती थी न की

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हमसफ़र

10 दिसम्बर 2023
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फिर रात् गहराती गई और अमरेश नींद की आगोश मे समाता चला गया ।अफम पड़ संगीत सारी रात बज़ती रही ।और अदिति रात की खामोशी मे अपने आंशुओ को आज़ाद छोड़कर रात के अंधेरो से सुबह की पहली किरण तक का सफर पुरा कर चुकी

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हमसफ़र

15 दिसम्बर 2023
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फिर आरजे डिलीकेटर से बात -चीत शुरु करता है ।हाँ, तो यूँ ,तो हर पिता अपनी संतान को प्रेम करता है ,और संतान भी अपनी माता -पिता को प्रेम करते है ।पड़ ऐसा क्या हुआ की आपकी बेटी आप से इस हद तक न

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हमसफ़र

21 दिसम्बर 2023
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अदिति अफम सुन ही रही थी की दरवाज़े पड़ दस्तक हुई ।अदिति ने दरवाज़ा खोला तो सामने अमरेश और आरूही खड़े थे । फिर उनके अंदर ज़ाते ही अदिति ने जैसे ही दरवाज़ा बंद ही की थी ,की दरवाज़े की घंटी एक वार प

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हमसफ़र

3 अप्रैल 2024
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क्या वो पापा हो ,सकते है ?पड़ ,अगर वो पापा होते तो ,वो अपने आपको उस हम नाम नही देता !और तो और उसने साफ -साफ लब्ज़ो मे अफम पड़ ये भी तो कहा है न ! की वो उन खास रिस्तो मे से है ,ज़ो एक पि

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