डायरी दिनांक १३/०८/२०२२
सुबह के आठ बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।
कल का दिन बहुत व्यस्तता में बीता। सुबह जल्दी जगकर नहा धोकर भगवान जी को स्नान करा उन्हें राखियाँ पहनाईं। फिर गंगाजली, तुलसी मैया को राखियाँ निवेदित कीं। बाबूजी की तस्वीर को राखी पहनाई। और अंत में बहनों की राखी खुद पहनी। इतनी ही देर में एजीएम सर का फोन आ गया। उसके बाद बार बार उनका फोन आता रहा। कभी किसी बात के लिये और कभी किसी बात के लिये। आफिस टाइम से पहले कितनी ही बार उनका फोन आया, यह बता पाना संभव नहीं है। इस कारण मन उखड़ गया और फिर कल लिखना और पढना नहीं हो पाया। आफिस में भी आज एजीएम सर का केंद्रविंदु मैं ही बना रहा। जब ज्यादातर अधिकारी छुट्टी लेकर घर चले गये तो जो छुट्टी पर नहीं है, उसे ही ज्यादा झेलना पड़ता ही है।
देख रहा हूँ कि आजकल बच्चे ज्यादा ही उद्दंड होते जा रहे हैं। पता नहीं क्या बात है। संभवतः संस्कारों का पूर्ण अभाव है। अथवा जीवन में तनाव कुछ ज्यादा ही बढ रहा है। इतनी कम आयु पर इतना ज्यादा तनाव वास्तव में चिंता की बात है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।