डायरी दिनांक ०५/०८/२०२२
शाम के सात बजकर पांच मिनट हो रहे हैं ।
कल शाम से मेरी तबीयत खराब होने लगी। जबकि मम्मी की तबीयत उससे भी एक दिन पहले से खराब थी। यह मौसम में बदलाव का असर है या कुछ और, हम दोनों ही बुखार, जुकाम से पीड़ित हो गये। सर में भारी दर्द था। आज आफिस की भी छुट्टी कर ली।
माना जाता है कि बुखार की दवाएं पैरासिटामोल लेने पर जुकाम बिगड़ जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग किया और उससे काफी फायदा हुआ। बुखार तो उतर चुका है। हालांकि शरीर में कुछ थकान जैसी स्थिति बन रही है।
एक तरफ विभाग के कार्य पूरे नहीं हो पा रहे, दूसरी तरफ अदालत ने भी ज्यादा परेशान सा कर रखा है। स्थिति ज्यादा चिंताजनक है।
जब बुद्धिमान सलाह देते हैं तब वह सलाह मन पर प्रभाव छोड़ती ही है। जबकि मूर्खों की सलाह मन के किसी भी कौने में प्रवेश नहीं कर पाती। दूर से ही अपनी अज्ञानता को व्यक्त कर देते हैं। उसके उपरांत भी वे मूर्ख खुद को सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
अथवा सत्य यह भी हो सकता है कि वे मूर्ख हों ही नहीं। अपितु परम बुद्धिमान ही हों। किस तरह किसे मूर्ख बनाना है, इसके परम ज्ञाता हों। गलत सलाह देकर अपना उल्लू सीधा करना वे भली भांति जानते हों।
बुद्धि का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग केवल अपना हित साधन करना है , यह आधुनिक विचारधारा है। हालांकि मेरे मत के अनुसार ऐसे लोगों को धूर्त ही मानना ही अधिक उचित रहेगा।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।