डायरी दिनांक ०७/०८/२०२२
सुबह के नौ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
आज सुबह से ही तेज बारिश होने लगी। कुछ देर बहुत तेज बारिश हुई। फिर कुछ धीमी दर से भी बारिश होती रही। अभी बरसात बंद हुई है। मौसम में ठंडक आ चुकी है।
आयुर्वेद बीमारियों के इलाज का बहुत प्राचीन तरीका है और बहुत अधिक कारगर है। दुख की बात है कि आज आयुर्वेद के जानकार कुशल चिकित्सकों का अभाव है। तथा समय के साथ लोगों का रवैया आयुर्वेद की तरफ ज्यादा ठीक नहीं रहा। आज का युग अर्थ प्रधान युग कहा जाता है। इस युग में मनुष्य उसी तरफ भागता है, जहाँ उसे अधिक धन प्राप्ति की आशा हो। विद्या, व्यापार, साहित्य कोई भी क्षेत्र इस व्याधि से अछूता नहीं है।
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे ।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति सः वांधवः।।
उत्सव के समय, आपत्ति काल में, प्राकृतिक प्रकोप की अवस्था में, राष्ट्रीय विपत्ति के अवसर पर, राजद्वार पर (आधुनिक परिभाषा में पुलिस स्टेशन तथा न्यायालय पर), परिवार के सदस्य की मृत्यु पर श्मशान में जो साथ देता है, वही बांधव होता है।
उत्सव के समय भले ही बहुत लोग साथ दे दें, पर अन्य सभी परिस्थितियों में बहुत नजदीकी लोग भी दूरी बनाने लगते हैं। बहुत कम लोग ही मित्रता की कसौटी में खरे उतरते हैं।
कोविड का कहर फिर से व्याप्त हो रहा है। दिल्ली समेत सात राज्यों को अलर्ट किया जा चुका है। इधर उत्तर प्रदेश में मास्क का प्रयोग भी बंद है। अब तो न्यायालयों में भी मास्क के बिना प्रवेश मिल रहा है। जबकि पिछले महीने तक मास्क के बिना प्रवेश नहीं मिल रहा था।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।