डायरी दिनांक ०६/०८/२०२२
शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
कभी कभी भावनाओं में बहकर बहुत लंबा चोड़ा लिख जाता है। बाद में उसे मिटाना आवश्यक होने लगता है। आज वही स्थिति आ गयी। एक बड़ी डायरी लिख दी। फिर लगा कि यह सब लिखना उचित नहीं है। खासकर किसी शोसल मंच पर। कुछ बातों को लिखित में लिखकर किसी के लिये साक्ष्य उपलब्ध कराना एक बड़ी मूर्खता है। ऐसी मूर्खता करते करते अचानक सचेत हो जाना ईश्वर की कृपा ही कही जायेगी।
आज कल मिस्टी को कुछ अलग शौक लगा है। वह कुंडल और गले की माला बना रही है।
आज एक बहुत अच्छा कार्टून देखा जो कि आम आदमी की समस्याओं का जीता जागता चित्रण है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।