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डायरी दिनांक ०३/०८/२०२२

3 अगस्त 2022

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डायरी दिनांक ०३/०८/२०२२

  रात के आठ बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।

  कभी कभी कोई दिन ऐसा निकल जाता है कि उसे न तो आराम का दिन कहा जा सकता है और न हीं व्यस्तता भरा दिन। ऐसे दिनों के लिये एक अंग्रेजी कहावत बनी है -  busy without work. कोई महत्वपूर्ण काम भी नहीं फिर भी दिन भर व्यस्त बने रहो।

  अजीबोगरीब दिन के अतिरिक्त मन भी कुछ अजीबोगरीब सा रहा । एक व्यक्तिगत बात पर गहन चिंतन मनन चल रहा है। जिससे दिमाग की अधिक कसरत सा हो रही है जिस कारण कहीं भी अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा हूँ।

  आज वैशालिनी का अगला भाग लिखने का प्रयास किया। पर थोड़ा लिखते ही कुछ मन उचट सा गया। बहुत ज्यादा लिख नहीं पाया ।

  मनुष्य अपने शरीर, रूप, धन - दौलत और रुतबे पर जितना अहंकार करता है, उसके जीवन में कभी ऐसी स्थिति आती है जो कि उसे यथार्थ का साक्षात्कार करा देती है। हालांकि समय गुजरते ही वह यथार्थ भी मन से उतर जाता है।

  अपने निश्चय पर दृढ रह पाना बहुत कठिन काम है। मन बार बार समझोता करने की संभावना तलाश करता है। बार बार अलग अलग रास्ते तलाशने लगता है। वैसे यह एक अच्छी ही प्रवृत्ति कही जायेगी। प्रयास से कोई न कोई सही मार्ग मिल ही जाता है।

  आज महादेवी वर्मा जी का एक लेख पढा। जिसमें विभिन्न व्यवसायों में स्त्रियों की भूमिका के विषय में बताया था। आज के समय में तो प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियों की पर्याप्त भूमिका है। पर संभवतः महादेवी जी के समय शिक्षण, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी स्त्रियों को अपना स्थान स्थापित करने में कठिनाई आती होगी। साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है। फिर महादेवी जी के साहित्य पर उस काल का प्रभाव अवश्य ही रहा होगा।

  महादेवी जी ने कार्यरत महिलाओं के विषय में उस काल की पुरुष मानसिकता का भी उल्लेख किया। जो कि बहुत हद तक आज भी वैसी ही है। संभावना है कि उस समय ९५ फीसदी पुरुषों की मानसिकता वैसी हो। पर आज के समय में भी लगभग ५० फीसदी पुरुषों की मानसिकता में बहुत ज्यादा अंतर नहीं लगता ।

  शायद आज चिंतन का विषय और अधिक व्यापक है। आज की पुरुष मानसिकता को कुछ अधिक व्यापक तरीके से समझने और उसी आधार पर स्त्रियों के समक्ष चुनौतियों पर विचार करने की आवश्यकता है।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम। 

कविता रावत

कविता रावत

युगों से पुरुषों ने अपना वर्चस्व कायम रखा, जिससे उसकी जड़ें जमीन में बहुत गहरी और दूर-दूर तक फैलती चली गयी, अब उन्हें उखाड़ फेकनें के लिए समय तो लगेगा ही न, बस यही समझिये कि समय सदा एक न रहा है न रहता है, समय के साथ बदलाव आता ही है और जब बदलाव आता है तभी नया सवेरा होता है

3 अगस्त 2022

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