डायरी दिनांक २३/०८/२०२२
रात के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
परसों दिनांक २१/०८/२०२२ की रात लगभग सबा नौ बजे चचेरे भाई का फोन आया। गांव में परिवार की एक बुजुर्ग ताई जी का देहांत हो गया है। ताई जी विगत कई वर्षों से बीमार थीं। एक बार तो उनका ब्रेन हेमरेज भी हो गया था। बुढापे की और भी बहुत सी बीमारियों के कारण उनका जीवन कष्टमय था। साथ ही उनके परिजनों को भी उनकी सेवा करने में बहुत दिक्कत आ रही थी। सारे काम धंधे प्रभावित हो रहे थे। सच्चाई तो यही है कि ताई जी को अपार कष्टों से तथा परिजनों को उनकी सेवा से ही मुक्ति मिली है।
वैसे कल हमें गांव जाना था। पर अचानक एजीएम सर का भी फोन आ गया। जिस कारण मुझे आगरा मीटिंग में जाना आवश्यक हो गया था। कल का दिन अति व्यस्तता में बीता। घर वापस आते आते रात के लगभग दस बज गये।
मिक्की शाम से ही मेरा इंतजार करने लगी थी। रात जब तक मैं घर वापस नहीं आया, वह मेरा इंतजार करती रही। वैसे ज्यादातर वह रात साढे आठ या नौ बजे तक नीचे चली जाती है। पर कल रात लगभग ग्यारह बजे तक वह हमारे साथ रुकी।
आज का दिन बिजी विदाउट वर्क जैसा रहा। पूरे दिन कोई उत्पादक कार्य भी नहीं हुआ पर पूरे दिन व्यर्थ की व्यस्तता रही।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।