डायरी दिनांक १४/०८/२०२२
सुबह के आठ बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।
कल मुझे एक सर्वे के कार्य से बहुत दूर जाना पड़ा । यूएसओ ओर्गनाइजेनश और भारत सरकार द्वारा प्राप्त आदेश को पूरा करने के लिये कम विकसित गांव अलीपुर भखरई का दौरा करना था तथा उस गांव में दूरसंचार की सेवाओं की संभावना तलाशना था। ऐसे दूरदराज के गांव जहां कोई भी प्राइवेट आपरेटर सेवाएं प्रदान करने से बचता है, उन स्थानों पर दूरसंचार सेवाएं देना सरकारी क्षेत्र के उपक्रम की ही जिम्मेदारी माना जाता है। कल के सर्वे का बड़ा विचित्र परिणाम आया। वह गांव जो कि जनपद कासगंज और बदाऊं की सीमा पर गंगा नदी के किनारे बसा था, बहुत सालों पूर्व ही गंगा की बाढ के बाद विस्थापित हो चुका है। अलीपुर भखरई के नागरिक विभिन्न गांवों में स्थानांतरित हो गये। उनमें से कुछ गंगा के इस पार के गांवों में और कुछ गंगा के उस पार के बदाऊं जनपद के गांवों में अपनी सुविधा के अनुसार विस्थापित हो चुके हैं। अलीपुर भखरई गांव वर्तमान में कहीं स्थित नहीं है।
ऐसी स्थिति में समस्या और अधिक बढ गयी है। एजीएम साहब से आगे की सलाह लेनी है। अब प्रशासन से भी उपरोक्त विषय में जानकारी एकत्रित करनी होगी। प्रशासन की रिपोर्ट अब अपेक्षित है। ऐसा मेरा विचार है।
इस वर्ष राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम में संशोधन किया गया है। इससे पूर्व सूर्यास्त के उपरांत तिरंगा फहराना बर्जित था। पर इस वर्ष किसी भी समय राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते हैं। हर घर तिरंगा अभियान के तहत दिनांक १३/०८/२०२२ से १५/०८/२०२२ तक कोई भी अपने घर, दुकान, प्रतिष्ठान, कार्यालय में उपरोक्त समयावधि में लगातार तिरंगा फहरा सकता है। पहले केवल खादी के बने हुए राष्ट्रीय ध्वज ही स्वीकार होते थे। जबकि अब खादी, रेशम,किसी अन्य प्रकार के वस्त्र तथा पोलीथीन से निर्मित ध्वज भी स्वीकार किये गये हैं। उपरोक्त छूटों के उपरांत भी कुछ नियमों को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। ध्यान रखना होगा कि राष्ट्रीय ध्वज सीधा रहे। यदि घर पर कोई अन्य ध्वज भी फहरा रहा है तो राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उस ध्वज से ऊपर ही होना चाहिये।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।