डायरी दिनांक १८/०८/२०२२
शाम के छह बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।
वैसे तो जन्माष्टमी का पर्व कल दिनांक १९/०८/२०२२ को मनाया जायेगा। मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में भी कल की ही जन्माष्टमी मनायी जायेगी। कल्याण में भी कल की जन्माष्टमी का ही उल्लेख है। तथा जन्माष्टमी का हमारा अवकाश भी कल का ही है। हालांकि बहुत से लोग आज भी जन्माष्टमी मना रहे हैं। आज अर्धरात्रि को अष्टमी तिथि बन रही है। इसलिये जिन्होंने आज जन्माष्टमी मनायी है, उन्होंने भी सही किया है तथा जो कल जन्माष्टमी मनाएंगे, वे तो सही करेंगे ही क्योंकि विभिन्न मंदिरों में जन्माष्टमी का निर्णय कुछ विचार कर ही लिया गया है।
ज्ञान एक अथाह सागर है। जितना जानो, उतना ही कम रहता है। आज भगवान श्री कृष्ण और पांडवों के विषय में एक अनोखी जानकारी प्राप्त हुई। हालांकि इस जानकारी का कोई स्रोत प्राप्त नहीं हुआ फिर भी प्रथम दृष्टया वह जानकारी सही लग रही है। पांडवों का अज्ञातवास समाप्त होने के उपरांत पांडवों की तरफ से शांति प्रस्ताव लेकर खुद भगवान श्री कृष्ण आये थे। भगवान श्री कृष्ण ने खुद कौरवों को समझाने का बहुत प्रयास किया। अंत में जब कोई मार्ग न बचा तब युद्ध आवश्यक था। पांडवों का अज्ञातवास समाप्त होने के लगभग तीन वर्ष बाद महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ था।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।