डायरी दिनांक ११/०८/२०२२
शाम के सात बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।
भारत में बहुत लोगों ने आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया तो बहुत से लोग कल रक्षाबंधन का पर्व मनायेंगें। सरकारी अवकाश कल दिनांक १२/०८/२०२२ का रखा गया है। हालांकि हमारे bsnl में तो रक्षाबंधन का अवकाश नहीं होता है। फिर भी अवकाश जैसे हालात तो बन ही जाते हैं।
मेरी दोनों बहनें कल रक्षाबंधन मनायेंगीं। इसलिये उनके निर्देश का पालन करते हुए कल मैं बहनों की राखियाँ पहनूँगा।
विभाग के कार्य से आज बहुत दूर तक गया। वैसे विभागीय कार्यों के लिये कहीं आने जाने का उल्लेख करना अधिक उचित नहीं है। फिर भी जब स्वास्थ्य साथ न दे, उस समय बहुत दूरी की यात्रा कठिनाइयों को निमंत्रण ही देती हैं।
आज दोपहर में खाना खाते समय एक पुरानी परेशानी का स्वतः ही निवारण हो गया। लगभग एक महीने से बांये जबड़े की ऊपरी आखरी दाड़ में दर्द हो रहा था। वास्तव में वह दाड़ दो भागों में विभक्त हो गयी थी। फिर खाना खाते समय बहुत दर्द होता था। एटा में डाक्टर ने दाड़ निकालने की बात कही थी। जिसे मैंने अभी तक स्वीकार नहीं किया था। आज अचानक उस दाड़ का आधा खराब भाग टूट गया। उसी के साथ दर्द भी बंद हो गया।
एक जैसी वस्तुओं की कीमतों में हर जगह बहुत अंतर मिल जाता है। एक जैसी सेवाओं का जगह जगह अलग अलग मूल्य बसूल किया जाता है। कभी कभी तो वह अंतर इतना ज्यादा होता है कि विचार करने पर भी गणित समझ में नहीं आता। गत वर्ष ठाकुर जी, तुलसी माता, गंगाजली के लिये जलेसर से पच्चीस रुपये में बारह राखियाँ लाया था। इस बार एटा में ढूंढने पर भी उस तरह की राखियाँ साठ रुपये दर्जन से कम मूल्य में नहीं मिलीं। पर एटा से मात्र तीस किलोमीटर दूर कासगंज में बहुत अच्छी गुणवत्ता की राखियाँ बीस रुपये में बारह की दर से लेकर आया हूं।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।