अपने अनुभव से बताया।
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“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिंग भेज रहा है उसे देखते हैं। शायद कुछ क्लू मिल जाए।” चेंकी जासूस ने गिद्ध की सटीक स्कैनिंग से आश्वस्त होकर अन्य विकल्प तलाशा।
“ठीक है।”
चारों लोग नेत्र के द्वारा भेजी जा रही रिकॉर्डिंग देखने लगे। अस्पताल में मरीज आ जा रहे थे। रिसेप्शन पर रजिस्टरों में बाकायदा प्रविष्टि की जा रही थी।
सभी स्टाफ ड्यूटी पर आते ही हस्ताक्षर करने के बाद फिंगर प्रिंट से भी अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था।
बहुत देर तक पिछले दिन की रिकॉर्डिंग व अभी तक की रिकॉर्डिंग देखने के बाद पत्रकार रिपुदमन सिंह ने एक बात नोटिस की, “आप लोगों ने कुछ नोटिस किया क्या।”
“इस रिकॉर्डिंग में नोटिस करने जैसी कोई बात है ही नहीं।” तीनों लोग आश्चर्य से रिपुदमन सिंह को देखने लगे।
“है, नोटिस करने वाली बात है। पहली आने वाले मरीजों की एंट्री एक रजिस्टर पर ही नहीं की जा रही है। बल्कि दो रजिस्टरों में अलग-अलग की जा रही है। प्रश्न उठता है क्यों। एक और बात दूसरे वाले रजिस्टर में प्रविष्टि सिर्फ ही तरफ की जा रही है जबकि पहले रजिस्टर में दोनों तरफ प्रविष्टियां हैं। दूसरी नोटिस करने वाली बात यह है कि स्टाफ ड्यूटी पर आते-जाते समय अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। परंतु कुछ नर्सों की हाजिरी दर्ज नहीं हो रही है। ये नर्सें वही लग रही हैं यंत्र चालित सी, जिनसे मैंने अस्पताल में बात करने की कोशिश की थी। पर उन्होंने ने कोई जवाब नहीं दिया था। आखिर इन लोगों की उपस्थिति दर्ज क्यों नहीं की जा रही है।” रिपुदमन सिंह ने खोजी पत्रकार की तरह रिकॉर्डिंग में से प्वाइंट खोज निकाले।
“यार तुम तो वाकई खोजी पत्रकार बन गए हो। जिन बातों को हम जासूस नहीं पकड़ पाए, तुमने कितनी बारीकी से बात पकड़ी है। दोनों बिंदुओं पर खोज करनी पड़ेगी।” चेंकी जासूस ने कहा।
“सैमुअल, अपना एक नेत्र मिसिंग है। तुम एक बार फिर से उसको ट्रैक कर देखो कि वह है कहाँ पर।” अंटा ने सैमुअल से मिसिंग नेत्र ढूंढने के उद्देश्य से कहा।
“हाँ मैं कोशिश करता हूँ।”
सैमुअल ने मिसिंग नेत्र को रिमोट से कंट्रोल करना शुरू किया, “अमेजिंग, यार अंटा ये नेत्र तो कनेक्ट हो रहा है। न केवल कनेक्ट हो रहा है बल्कि रिमोट मैसेज अनुसार कार्य कर रहा है। लगता ये मैग्नेटिक फील्ड के दायरे से बाहर आ गया है।”
“वाओ, ये तो बहुत अच्छा हुआ। हम बहुत बडे़ नुकसान से बच गए। और सबसे बड़ी बात अपना नेत्र पकड़ा नहीं गया। अब तुम जरा देखो ये कहाँ पर है और क्या रिकॉर्डिंग भेजी है।” चेंकी जासूस ने खुश होते हुए कहा।
अंटा और सैमुअल मिसिंग नेत्र की रिकॉर्डिंग देखने लगे। पिछली रिकॉर्डिंग में नेत्र घुप अंधेरे में आगे पीछे आता जाता सा अहसास करा रहा था। इस समय वह एक जगह स्थिर होकर रह गया था।
“यार अंटा, ये नेत्र है तो तीन-चार किमी के दायरे में। पर अंधेरा और मैग्नेटिक फील्ड होने के कारण रिकॉर्डिंग हुई तो है पर साफ तौर पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। ये किसी तरह रोशनी में आ जाए तब स्थिति का पता चल सकेगा।” सैमुअल ने बताया।
“लगता है अपराधियों को हमारे द्वारा की जा रही खोज बीन की भनक लग गई है। इसलिए अभी सब शांति है।” चेंकी ने अनुमान लगाया।
“रिपुदमन सिंह ने जिन बातों को नोटिस किया है। उन पर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के ऑफिस चलकर विचार विमर्श करते हैं। जल्दी ही राज का पर्दाफाश करना पड़ेगा वर्ना अपराधी सारा कारोबार समेट कर विदेश भाग सकते हैं।” अंटा ने आशंका व्यक्त की।
“ठीक है, मैं अपने कुछ काम निपटा लेता हूँ। आप लोग इंस्पेक्टर साहब से विचार-विमर्श कर आओ। फिर जरूरत पड़ने पर मुझे कॉल कर देना।” सैमुअल चला गया।
शेष तीनों लोग इंस्पेक्टर विक्रमसिंह से मिलने निकल लिए।
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इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के ऑफिस में ही इंस्पेक्टर रोहित भी किसी काम के सिलसिले में आया हुआ था। चेंकी जासूस, जासूस अंटा व पत्रकार रिपुदमन सिंह को एक साथ आया हुआ देखकर वे दोनों चौंक गए।
“क्या कोई सुराग हाथ लग गया। तुम तीनों एकसाथ यहाँ मेरे ऑफिस में। जरूर कुछ खास जानकारी हासिल हो गई होगी।” विक्रमसिंह ने तीनों से एकसाथ पूछा।
“सुराग हाथ लगते लगते रह गया सर। सैमुअल के गिद्ध ने अपना काम कर दिया। उसने बंद अलमारी में रखे रिकॉर्ड की स्कैनिंग कर भेज दी। पर वह पूरा का पूरा रिकॉर्ड कोरा है। अब उन इमेजों से कुछ नहीं मिल सकता है।” चेंकी ने पूरा ब्यौरा बताया।
“रिकॉर्ड और कोरा। वह भी इतनी कड़ी सुरक्षा में।” इंस्पेक्टर रोहित ने प्रश्न किया।
“इसका मतलब रिकॉर्ड गोपनीय तरीके से लिखा या सुरक्षित किया गया है। इमेज से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। अब तो मूल रिकॉर्ड ही जब्त करना पड़ेगा।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने कहा।
“पर सर, रिकॉर्ड जब्त किस आधार पर करेंगे।” इंस्पेक्टर रोहित ने पूछा।
“निकलेगा, कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा। अपराधी चाहे कितना भी शातिर हो कुछ न कुछ सबूत तो छूट ही जाता है। यार अंटा कोई न कोई जुगत भिड़ाओ। सबूत हमें अस्पताल से ही मिलेगा। बल्कि मुझे तो लगता है सारी असामाजिक गतिविधियां अस्पताल से ही संचालित हो रही हैं। अब मुझे विश्वास होने लगा है कि इंस्पेक्टर नील की मृत्यु में भी डॉ घोष का ही हाथ निकलेगा।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने रोहित को भरोसा दिलाया।
“एक्जेक्टली सर, मेरी भी यही धारणा है कि “आई केयर” अस्पताल की आड़ में आपराधिक गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है। एक और प्वाइंट रिपुदमन सिंह ने नोट किया है कि रिसेप्शन पर दो अलग अलग रजिस्टरों में एन्ट्री का आधार क्या है। एक और बात एक रजिस्टर में एक ही तरफ एन्ट्री क्यों की जा रही है। यह रजिस्टर ठीक वैसा ही है जैसे अलमारी में रखे गए रजिस्टर हैं।” चेंकी जासूस ने अपने आने का दूसरा कारण बताया।
“बहुत बारीक ऑब्जर्वेशन्स किए हैं पत्रकार ने। वेरी वेल डन रिपुदमन। बात सोचने और संशय पैदा करने वाली ही है। दूसरे वाले रजिस्टर पर महीना पूरा होने से पहले उसकी प्रविष्टियों पर निगाह रखनी पड़ेगी। पर कैसे कोई तरकीब सोचनी पड़ेगी।” इंस्पेक्टर रोहित ने रिपुदमन की तारीफ की।
“ये काम गिद्ध कर सकता है।” विक्रमसिंह ने कहा।
“सर हमारा गिद्ध डॉ घोष के चैंबर में रखा हुआ है। उसको वहाँ से निकाल कर रिसेप्शन काउंटर पर लाना बहुत मुश्किल है। रिपुदमन को दोबारा वे अस्पताल में नहीं जाने देंगे।” चेंकी जासूस ने गिद्ध के द्वारा स्कैनिंग कराने में आ रही अड़चन को बताया।
“अंटा जासूस, तुम्हारा दोस्त सैमुअल किसी जटायु डिवाइस की भी बात कर रहा था। शायद उसकी मदद से हमारी समस्या का समाधान निकल आए। तुम बात करके उसको अपने ऑफिस बुला लो।” चेंकी जासूस ने अन्य डिवाइस की मदद लेने का इरादा किया।
“चेंकी सर, सैमुअल व हमारे पास अब फंड की व्यवस्था नहीं है। जटायु के लिए पैसे चाहिए होंगे।” अंटा जासूस ने कहा।
“ओ के, ओ के, मैं तो भूल ही गया था। मैं अभी पैसों की व्यवस्था करवाता हूँ। या फिर आवश्यक यंत्र, चिप बगैरह दिलवाने के लिए किसी सिपाही को साथ भेज दूंगा वहाँ से सैमुअल सामान ले ले। पैसे विभाग से सीधे दुकानदार को भुगतान करवा दूँगा।” विक्रमसिंह ने फंड की समस्या का समाधान निकाला।
“ओ के सर, हम सैमुअल से बात करते हैं।” चेंकी जासूस व अंटा ने कहा और अपने ऑफिस चले गए।
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सैमुअल को अंटा ने फिर से अपने ऑफिस बुलाया। जटायु और एक गिद्ध में क्या-क्या सामान और बनाने में कितना समय लगेगा, की जानकारी लेकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास भेज दी।
विक्रमसिंह ने तुरंत सारे उपकरणों को चेंकी जासूस के ऑफिस पर पहुँचाने के लिए कम्प्यूटर पेरिफेरल स्टोर को मोबाइल पर निर्देश दे दिया।
सामान उपलब्ध होते ही सैमुअल अपने काम में लग गया। सारी रात जाग कर सुबह-सुबह उसने जटायु व गिद्ध चेंकी जासूस के ऑफिस में पहुँचा दिए।
यंत्रों के ऑपरेट करने में आने वाली परेशानियों से बचने के लिए अंटा ने सैमुअल को कुछ देर आराम करने के बाद ऑफिस आने के लिए कहा, “यार सैमुअल, तुम तो जानते ही हो कि तकनीक के मामले में मैं कितना कमजोर हूँ। मेरी किसी गलती से तुम्हारे यंत्रों में कहीं कोई खराबी न आ जाए। मैं जानता हूँ कि तुमने पूरी रात जाग कर इन यंत्रों को तैयार किया है। तुम दो-तीन घंटे आराम कर हमारे ऑफिस आ जाना तब हम तुम्हारे यंत्रों को ऑपरेट करेंगे।”
“ठीक है। मैं दो घंटे में तुम्हारे पास पहुँचता हूँ।” तकनीक के जुनूनी सैमुअल ने अंटा को कहा।
ऑफिस में चेंकी, अंटा व रिपुदमन सिंह ने क्या करना है की रूपरेखा बना ली। लेकिन कैसे करना है की रणनीति सैमुअल के आने पर तैयार हो पाएगी क्योंकि यंत्रों की क्षमता व रिमोट ऑपरेशन के बारे में उन तीनों में से किसी को पता नहीं थी।
दो घंटे बाद सैमुअल ऑफिस पहुँच गया। तीनों ने मिलकर कार्ययोजना बताई। सारी कार्ययोजना समझ कर सैमुअल ने रणनीति बताई, “मेरा जटायु अपने साथ एक पौंड वजन लेजा सकता है। मैं गिद्ध को इसमें इस प्रकार सेट कर दूँगा जिससे उसमें लगे कैमरे सुचारु रूप से अपना काम करते रहें। पर एक समस्या है। डुमरी यहाँ से पच्चीस किमी की दूरी पर है। जटायु की उड़ान क्षमता अधिकतम तीन किमी है। अर्थात यह डेढ़ किमी की दूरी तक जाकर वापस आ सकता है। इसलिए इसे यहाँ से ऑपरेट नहीं किया जा सकता है। दूसरी समस्या दिन में भीड़ भाड़ होने के कारण इससे निकलने वाली तरंगों में ज्यादा रुकावट आएगी जिससे जटायु लगातार रास्ता परिवर्तित करेगा। इससे इसके भटकने और ऊर्जा जल्दी खत्म होने की संभावना रहेगी। इसलिए सारा ऑपरेशन डुमरी पहुँच कर रात में ही किया जाना ठीक रहेगा।”
“पर रात में जटायु काम कर पाएगा। वैसे तो अस्पताल बंद नहीं होता होगा फिर भी यदि बंद हो गया तो सारा काम कैसे पूरा होगा।” अंटा ने प्रश्न किया।
“जटायु रात के अंधेरे में भी आसानी से अपनी उड़ान भर सकता है। इसलिए ऑपरेशन पूरा होने में कोई समस्या नहीं होगी। रही बात अस्पताल बंद होने की तो इसको खिड़की आदि के पास भेजकर गिद्ध की रेंज में लाकर स्कैनिंग करा लेंगे।” सैमुअल ने बताया।
“इसके माने हमें डुमरी जाना पड़ेगा। मैं इंस्पेक्टर साहब से बात करता हूँ। वे डुमरी पहुँचाने के लिए कोई गाड़ी भिजवा दें तो हमें आसानी रहेगी और हम काम खत्म कर चुपके से वापस आ जाएंगे। सब कुछ गुप्त रूप से हो जाएगा।” चेंकी ने इंस्पेक्टर से बात करने के लिए मोबाइल लगाया।
“ठीक है, मैं ट्रैवलिंग एजेंसी को गाड़ी भेजने के लिए फोन कर देता हूँ।”
“पर सर, इससे हमारी जासूसी की खबर अस्पताल प्रबंधन तक पहुँच सकती है।” रिपुदमन की शंका सुनकर चेंकी ने विक्रमसिंह से कहा।
“यस यस, बिल्कुल सही कह रहे हो। फिर मैं अपनी गाड़ी ही भेज दूँगा। मुझे किसी केस की स्टडी करनी है वर्ना मैं भी साथ चलता।”
“कोई बात नहीं सर, हम काम पूरा करके ही लौटेंगे।”
“ठीक है, रात को 9 बजे गाड़ी तुम्हारे ऑफिस पहुँच जाएगी। सुबह 9 बजे मेरे ऑफिस आकर पूरी रिपोर्ट बताना। सुबह इंस्पेक्टर रोहित को भी बुला लूँगा। तब आगे की कार्रवाई और रणनीति तय करेंगे।”
ठीक है दोस्तों, शाम को आठ बजे ऑफिस पर फिर से मिलते हैं।
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इंस्पेक्टर विक्रमसिंह की सरकारी गाड़ी ठीक 9 बजे चेंकी के ऑफिस पर आकर खड़ी हो गई। ठीक 10 बजे चेंकी जासूस, जासूस अंटा, पत्रकार रिपुदमन व सैमुअल डुमरी अस्पताल से लगभग एक किमी दूर सुनसान सी जगह पर जाकर रुक गए।
सैमुअल ने जटायु को एक्टिवेट कर उस पर गिद्ध को फिट कर दिया। इसके बाद सैमुअल ने अपने साथ लाई गई बैटरी से कनेक्ट कर उसके डैनों और पंजों में बहुत मामूली सा कंपन दिया। कंपन शुरू होने से जटायु में इनर्जी जेनरेट होने लगी। डैनों और पंजों से निकलने वाली तरंगों ने जटायु को जमीन से ऊपर उठाना और आगे बढ़ाना शुरू किया। जटायु की चोंच में लगे सेंसर तरंगे छोड़ने लगे। जिसके सहारे वह चमगादड़ की तरह अवरोध होने पर रास्ता बदलने में सक्षम हो गया। सैमुअल ने फटाफट अपने साथ लाए लेपटॉप से प्रोग्रामिंग कर दी। प्रोग्राम के हिसाब से जटायु को निर्देश मिलने शुरू हो गए। पलक झपकते ही जटायु अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा।
रात होने के कारण लोगों की आवाजाही भी कम हो चुकी थी एवं जटायु की स्पीड के कारण लोग जब उसे देखने की कोशिश करते तब तक वह काफी आगे निकल चुका होता।
कुछ मिनटों में जटायु अस्पताल के गेट के पास पहुँचकर रिसेप्शन काउंटर के ऊपर लगे वेंटिलेटर की ऊँचाई पर जाकर स्थिर हो गया। गिद्ध में लगे कैमरों ने लेंसों को नीचे की ओर घुमाया। वहाँ रखे रजिस्टर को स्कैन कर इमेज सैमुअल के लेपटॉप में भेज दीं।
थोड़ी देर तक चारों लोगों ने और इमेज का इंतजार किया किंतु इमेज नहीं आई।
सैमुअल के साथ साथ तीनों ने लेपटॉप पर गिद्ध के द्वारा भेजी गई इमेज देखी।
“इस रजिस्टर में तो दोनों तरफ प्रविष्टियां हो रही हैं। पर नेत्र द्वारा दिखाए गए दूसरे रजिस्टर की इमेज अभी तक गिद्ध ने क्यों नहीं भेजी। कहीं किसी को शक तो नहीं हो गया जिससे वह रजिस्टर गायब कर दिया गया हो।” रिपुदमन सिंह ने इमेज देखकर आशंका जताई।
“तुम नेत्र को लेपटॉप से कनेक्ट कर सकते हो क्या सैमुअल। जिससे पता चल सके कि वह रजिस्टर वहाँ है भी या नहीं।” चेंकी ने सैमुअल से पूछा।
“उसका रिमोट तो ऑफिस में ही है और वह वहीं के कम्प्यूटर से कनेक्ट है।”
“ये तो गड़बड़ हो गई। जरूरी इमेज तो मिली ही नहीं। अब क्या किया जाए।” अंटा ने बेचैन होकर कहा।
तभी लेपटॉप में ब्लिंक हुआ।
“देखो सैमुअल देखो, लगता है कुछ और इमेज गिद्ध ने भेजी हैं।” चेंकी ने लेपटॉप की ब्लिंक देखते हुए अनुमान लगाया।
“वाओ, दूसरे वाले रजिस्टर की इमेज भी आ गईं। ये इमेज एक साइड में एंट्री होने वाले रजिस्टर की ही हैं क्योंकि एक इमेज लिखी हुई आई है उसके बाद कोरी इमेज है। फिर लिखी हुई इमेज है। शायद अब कुछ सुराग हाथ जरूर लगेगा।” रिपुदमन ने खुशी से उछल कर कहा।
“अब तुम फटाफट जटायु को वापस लाने की कमांड दो। हमारा काम हो गया। जब तक कोई इधर आए हम वापस बरामऊ चल दें।” अंटा ने सैमुअल से कहा।
सैमुअल के द्वारा जटायु वापस बुलाते ही चारों लोग बरामऊ वापस आ गए। सैमुअल ने अपने लेपटॉप की सारी इमेज ऑफिस के कम्प्यूटर में कॉपी कर दीं।
रात के बारह बज चुके थे। इसलिए सारी इमेज सुबह देखने एवं सुराग ढूंढने का तय कर तीनों ने सैमुअल को बहुत बहुत धन्यवाद दिया।
चारों लोग अपने अपने घरों को चले गए। इंस्पेक्टर विक्रमसिंह की गाड़ी लेकर ड्राइवर भी अपने घर चला गया।
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अगले दिन सुबह सुबह ही इंस्पेक्टर विक्रमसिंह और इंस्पेक्टर रोहित चेंकी जासूस के ऑफिस आ गए। दोनों गिद्ध के द्वारा भेजी गई सारी इमेज कम्प्यूटर पर अपनी आँखों से देखी।
दोनों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि एक छोटी सी जगह बरामऊ में इतना टेलेंटेड व्यक्ति रहता है जिसको इंजीनियरिंग व कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में महारत हासिल है। उसके बनाए गए ऑटोमेटेड यंत्र कितनी बखूबी से काम कर रहे हैं।
पहले रजिस्टर की कोरी इमेज देखकर उन्हें भी बहुत आश्चर्य हुआ कि इनमें लिखा हुआ विवरण गायब कैसे किया गया होगा और जरूरत पड़ने पर इसको पढ़ा या देखा कैसे जाता होगा।
अगले रजिस्टरों की भी इमेज देखी गई। एक रजिस्टर में आम मरीजों के विवरण दर्ज थे। उससे कोई खास जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी। दूसरे रजिस्टर में कुछ ही विवरण दर्ज किए गए थे।
सभी ने बारी-बारी से अपने-अपने हिसाब से उन विवरणों को पढ़ा और समझा।
“एक बात आप सभी लोगों ने भी गौर की। इस रजिस्टर में दर्ज सभी मरीजों को वीआईपी वार्ड ही आवंटित किया गया है।” अंटा ने विवरण का विश्लेषण किया।
“यह कोई खास बात नहीं हो सकती है। वीआईपी वार्ड के लिए संभवतः अलग रजिस्टर बनाया गया होगा। गौरतलब बात यह है कि एक माह में ही कुछ मरीज दो-तीन बार अस्पताल में भर्ती हुए हैं। वह भी सिर्फ एक रात के लिए। आखिर इन लोगों को ऐसी कौन-सी बीमारी होती है जो हर बार एक रात में ही ठीक हो जाती है।” रिपुदमन सिंह ने नामों और भर्ती व डिस्चार्ज समय के आधार पर शंका जाहिर की।
“क्या प्वाइंट पकड़ा है रिपुदमन, मान गए तुम्हारी आई क्यू को। तुम तीन-तीन बार भर्ती होने वाले नामों और उनके एड्रेस को नोट करो। उनसे पूछताछ करनी पड़ेगी। शायद कुछ सुराग हासिल हो सके ।” विक्रमसिंह ने रिपुदमन की तारीफ करते हुए नाम, पता व अन्य जानकारी खुद ही नोट कर लिए।
“कल ही थाने बुला कर पूछता हूँ। सारी की सारी बीमारियां एक बार की पूछताछ में ही ठीक कर दूँगा। बार-बार अस्पताल में एक एक रात के लिए भर्ती होने की जीवन भर जरूरत नहीं पड़ेगी स्सालों को।” विक्रमसिंह ने किसी साजिश की गंध महसूस कर तैश में आते हुए कहा।
“पर इस तरह बिना किसी ठोस सबूत या जानकारी के थाने बुलाकर पूछताछ करने पर हंगामा खड़ा हो सकता है सर। हो सकता है ये कोई पत्रकार या नेता या नेताओं के पिछलग्गू हों। जानकारी उगलवाने के लिए कुछ और तरकीब निकालनी पडे़गी।” इंस्पेक्टर रोहित ने विक्रमसिंह के तैश को शांत किया।
“अपना रिपुदमन फिर से इस काम को कर सकता है।” चेंकी ने प्रस्ताव रखा।
रिपुदमन को अब इन जासूसी भरे कामों में मजा आने लगा था और उसके अंदर का भय खत्म हो चुका था। उसने अपने नाम को नकारते हुए प्लान बताया, “सर, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। पर बरामऊ के सारे लोग मुझे ज्यादा न सही थोड़ा थोड़ा सभी लोग पहचानने लगे हैं। मेरा एक पत्रकार दोस्त है। वह लोगों से दोस्ती गाँठने में उस्ताद है। शाम की बैठक में एक दो पैग में सारे राज बाहर आ जाएंगे।”
“ठीक है, तुम ये सूची लो और दोस्त को भेजकर राज जल्दी से जल्दी निकलवाओ।” विक्रमसिंह ने रिपुदमन सिंह की बात मान ली।
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रिपुदमन सिंह ने अपने दोस्त पत्रकार राहुल से संपर्क किया। राहुल अपनी बचकानी हरकतों के कारण पत्रकार कम हंसोड़ ज्यादा लगता था। लेकिन उसका यही गुण उसके लिए दोस्ती बनाने के काम आता था।
खड़ूस से खड़ूस व्यक्ति भी उसकी मसखरी बातों के चक्कर में आकर राहुल का दोस्त बन जाता था। हर महफिल में राहुल रंग जमा देता था।
रिपुदमन सिंह ने राहुल को चेंकी जासूस के ऑफिस पर बुलाया। फक्कड़ मिजाज पत्रकार राहुल ने आधे घंटे में ऑफिस पहुँचने का वादा किया।
ऑफिस में तीनों लोग राहुल का इंतजार ही कर रहे थे। उसने आते से ही अपनी आदत के मुताबिक जुमला छोड़ा, “ओ हो, तो आप हैं ग्रेट जासूस चेंकी। पर कभी आप हमारी भाभी जी यानि अपनी पत्नी की जासूसी करके दिखाएं तब आप सच्चे जासूस कहला पाएंगे। वाय द वे, मैं हूँ राहुल, वो वाला राहुल नहीं बल्कि ग्रेट पप्पू, आई मीन पत्रकार।”
“आओ आओ, पप्पू ओ राहुल हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं।” अंटा ने भी जुमला मारा।
“आपकी तारीफ, अब हमारे सामने आपकी क्या तारीफ हो सकती है। मतलब आप।” फिर से राहुल ने कहा।
“तुम नहीं सुधरोगे राहुल। ये जासूस अंटा है।” रिपुदमन सिंह ने अंटा का परिचय कराया।
“सुधर जाएंगे तो लोग पप्पू आई मीन राहुल को याद कैसे करेंगे। बताया जाए कि इस शहंशाह को बुलाने की जुर्रत किसने और क्यों की।”
“ये जुर्रत हमने की है एक बहुत जरूरी काम के लिए।”
“यारों के लिए बंदा सर कटा सकता है। वो जरूरी काम बताया जाए।”
“ओ शहंशाह, जमीन पर आजा और बैठकर ध्यान से सुन।”
ये दो नाम शिवशंकर और रईस खान नोट कर ले। इनके पते भी नोट कर ले। ये दोनों डुमरी के आई केयर अस्पताल में पिछले महीने तीन बार सिर्फ एक-एक रात के लिए भर्ती हुए थे। तुम्हें इन दोनों लोगों से गुप्त रूप से यह पता लगाना है कि इन्हें क्या बीमारी है और वे एक रात में ही ठीक कैसे हो जाते हैं। तुम कुछ जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से पूछ रहे हो इसकी इन दोनों को भनक तक नहीं लगनी चाहिए। वर्ना वे व इनके अन्य साथी सतर्क हो जाएंगे।” रिपुदमन ने पूरी बात बताई।
“ये राहुल के लिए कौन सी बड़ी बात है। दोस्ती करने में राहुल का कोई तोड़ नहीं है। ये अलग बात है कि शादी अभी तक नहीं हो पाई है।”
“पर पूरी सावधानी रखना। जब भी तुम इनके पास जाओ, ये चिप तुम अपने कॉलर के नीचे लगाकर जाना। इस चिप के सहारे हमें पूरी जानकारी मिल जाएगी। यदि कहीं कुछ गड़बड़ निकली तो सबूत के तौर पर काम आएगी।” चेंकी जासूस ने राहुल को मूविंग नेत्र की चिप दी।
“धत तेरे की। बस इतना छोटा सा काम। मैं तो सोच रहा था कि किसी राज्य में अपनी लुटिया डुबानी है। हो जाएगा। जल्दी ही काम पूरा हो जाएगा।”
राहुल के जाने से पहले राहुल के कॉलर के नीचे अंटा ने चिप लगाकर दिखा दी।
“तो जाता है शहंशाह, लुटिया डुबोने, आई मीन पता लगाने शिव शंकर के धाम और रईस खान की दरगाह। मतलब उनके घरों की ओर। देखे कैसे नहीं उगलता है शातिर चोर।”
अंटा ने मूविंग नेत्र को एक्टिवेट कर कम्प्यूटर से लिंक कर दिया।
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राहुल ने एक पल गंवाए बिना शिवशंकर के नंबर पर डायल कर दिया। उसकी बात करने की स्टाइल से सामने वाला समझ ही नहीं सका कि वे लोग पहली बार बात कर रहे हैं। बातों ही बातों में शिव शंकर ने अपने अड्डे पर शाम की पार्टी में राहुल को आमंत्रित कर लिया।
अंधा क्या चाहे दो आँखें। राहुल को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। पार्टी और वह भी सामने वाले की तरफ से। राहुल ने अपने साथ कुछ गोलियां रख लीं जिन्हें खाने से शराब का नशा सवार नहीं होता है। राहुल शाम का इंतजार करने लगा।
शाम को राहुल शिवशंकर के बताए स्थान पर पहुँच गया। वहाँ दो लोग और पहले से ही आए हुए थे। राहुल शिवशंकर से ऐसे मिला जैसे वे बचपन से एक दूसरे को जानते हों। शिवशंकर के दोनों दोस्त शाम की गुपचुप पार्टी में राहुल को देखकर चौंके।
इससे पहले कि दोनों दोस्त कुछ कहते या पूछते राहुल ने तुक्का फेंका, “चौंक गए न पप्पू आई मीन राहुल को देखकर। लोग भी क्या करें बंदे राहुल को ऊपर वाले ने बड़ी फुरसत में बनाया है। बंदा जहाँ जाता है लोग मुँह छिपाकर हँसने, आई मीन बात करने को बेचैन होने लगते हैं।”
“अरे रईस और सेंटी, ये राहुल है। बहुत ही दिलचस्प शख्सियत है। पहली बार की बातचीत में ही लगा कि जैसे हम बचपन के दोस्त हैं। घबराने की कोई बात नहीं है। बहुत ही सीधा सादा दिलचस्प आदमी है राहुल।” शिवशंकर ने परिचय कराया।
“तो फिर आज हो जाएं जाम, दोस्ती के नाम।” धीरे-धीरे जाम छलकने लगे। उल्टी सीधी बातें और नॉनवेज जोक सुना-सुना कर राहुल ने तीनों को हँसा हँसा कर पागल कर दिया।
“अब क्या पेट फटवाकर ही छोड़ेगा क्या राहुल। अब बस कर अभी तो हँसी के कारण एक-एक पैग ही पी पाए हैं। थोड़ा नशा तो चढ़े तभी पार्टी में मजा आता है। चल पैग बना।” रईस ने कहा।
धीरे-धीरे पैग छलकने लगे। राहुल ने साथ लाई एक गोली गटक ली जिससे ज्यादा नशा न हो। तीनों लोगों को थोड़ी थोड़ी खुमारी चढ़ने लगी। राहुल के नशे के असर को गोली ने कम कर दिया था।
राहुल ने मौका पाकर चौका लगा दिया। नशे के कारण जिस तरह जुबान लड़खड़ाती है उसी तरह की आवाज करते हुए बोला, “स्साला, जिंदगी भी क्या चीज है। ऊपर वाले ने इतनी शानो-शौकत दी तो साथ में बीमारी का पिटारा भी दे दिया। ये ऊपर वाला भी.....।”
“अरे, क्या बीमारी दे दी ऊपर वाले ने। किसकी बात कर रहे हो।” रईस कहकर एक ओर लुढ़क गया।
“मैं तो यारों के यार, पार्टियों की बहार, अपने शिवशंकर के लिए ईश्वर से कह रहा हूँ।”
“म्म्म, म्म्म मुझे क्या हुआ है। मैं तो भला चंगा हूँ।”
“ऐसा मत कह यार, तुम्हें कोई न कोई बीमारी है। अपने यार से मत छुपा। तू पिछले महीने ही तीन बार अस्पताल में भर्ती हुआ था।”
“धत् तेरे की। रईस ये तो निरा बेवकूफ ही है। अपन दोनों के अस्पताल में भर्ती होने से ये हमें बीमार समझ रहा है। पागल कहीं का।”
नेत्र लगातार रिकॉर्डिंग भेज रहा था। अंटा को चेंकी ने सतर्क किया। रिकॉर्डिंग सही सलामत होने की पुष्टि की।
“हें, बिना बीमारी के अस्पताल में भर्ती। लगता है तुम्हें चढ़ गई है। तुम जरूर बीमारी छिपा रहे हो।”
“बीमार पड़ें हमारे दुश्मन।”
शिवशंकर ने इधर-उधर देखा। राहुल के कान के पास जाकर फुसफुसाया, “तुझे भी ले चलूँगा अस्पताल। मजा आ जाता है एक ही रात में। बीमारी के बहाने जाओ, ऐश करके आ जाओ। किसी को पता भी नहीं चलता और मस्त-मस्त एकदम कड़क बोटियां चबा लो। नर्सें बनाकर क्या कमसिन कमसिन लड़कियां लाता है डॉ घोष। एकदम सेक्सी-सेक्सी। पोर पोर में सेक्स से छलकती हुई।”
“अच्छा, नहीं नहीं तुम बहक रहे हो। तुम्हें चढ़ रही