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“तो फिर काम पर लग जा जासूस अंटा, निपटा दें इंस्पेक्टर की मृत्यु का टंटा।”
“अशरीरी द्वारा हत्या, बहुत ही बढ़िया स्टोरी है पिक्चराइजेशन भी बहुत बढ़िया किया है। पर हकीकत में कहां है दम, फिर बता जासूस अंटा इसको क्यों मानें हम।,” चेंकी के चौथे फोटो की तरफ हाथ बढाने से पहले ही अंटा ने फोटो पर अशरीरी लिखा और क्रॉस कर हवा में उड़ा दिया।
“वेरी वेरी फास्ट, आई लाइक इट, आई लाइक इट। नाव यू सॉल्व दिस।” चेंकी ने अंतिम उर्फ जासूस अंटा को चैलेंज किया।
जासूस अंटा को तो जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई। एक साल से शागिर्दी करते-करते सैकड़ों बार केस साल्व करने के लिए हूक सी उठती रही। आज आखिर उसे मौका मिल ही गया।
अब उसे इस केस को हल कर अपनी काबिलियत सिद्ध कर ही देनी होगी। जासूस अंटा ने मन ही मन में सोचा, “यस सर, आई साल्व दिस केस वेरी अर्ली विद योर हेल्प एंड गाइडेंस। थेंक यू वेरी मच फार ट्रस्ट।” अंतिम उर्फ जासूस अंटा ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए विशुद्ध अंग्रेजी में भावनाएं व्यक्त कीं।
“ओ के, ओ के, अब इंस्पेक्टर की मृत्यु की चार संभावनाएं तो हमारे द्वारा खारिज की जा चुकी हैं। तुमने भी मेरे ऑब्जर्वेशन्स और फोटो देखे हैं। तुम्हारा इस केस बारे में क्या सोचना है।” चेंकी ने सहायक अंतिम से पूछा।
“और आज से तुम मेरे असिस्टेंट अंतिम नहीं बल्कि जासूस अंटा हो, जासूस अंटा, मिटा दे टंटा।” चेंकी ने अपना तकिया कलाम “चेंकी जासूस घटना या दुर्घटना का निकाल दे उसका जूस” दोहराते हुए कहा।
“सर, इंस्पेक्टर नील की मृत्यु के बारे में दो संभावनाएं बहुत सशक्त हैं। पहली एक इंस्पेक्टर की मृत्यु की जांच की बहुत ज्यादा जल्दी एक आईजी को होना, आईजी की ओर शक की उँगली उठाता है। दूसरी संभावना उपलब्ध फोटोग्राफ्स, विभिन्न तथ्यों के आधार पर इंस्पेक्टर की सामान्य मृत्यु से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। एक क्षीण सी संभावना यदि इंस्पेक्टर की हत्या ही हुई है तो फिर उसके बहुत खास अपने ने की है और किसी अत्याधुनिक खास तकनीक का प्रयोग किया गया है जिससे कोई सबूत उपलब्ध न हो सके।” जासूस अंटा ने बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ अपनी बात रखी और एक फोटो पर आईजी लिख कर टेबिल पर रख लिया।
“तुम्हारी सोच तो मेरी सोच जैसी ही शातिर है। मैंने तो आईजी साहब के हाव-भाव देखकर उन पर शक किया जिसको मैंने अभी तक व्यक्त भी नहीं किया था। तुमने तो मेरे ऑब्जर्वेशन्स और फोटोग्राफ्स के आधार पर शक की उँगली पहली बार में ही सटीक निशाना लगा दिया।” चेंकी ने आश्चर्यचकित एवं खुशी मिश्रित भावनाओं को व्यक्त किया।
“तो फिर शुरू हो जाए मिशन नील, फर्स्ट टारगेट आईजी इंद्रेश सिंह।” कहकर चेंकी ने घटनास्थल के एक फोटो को स्टाइल के साथ उड़ाया और सामने की दीवार पर टिका दिया।
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“सर, आईजी साहब पर रियल टाइम निगाह रखने के इंतजाम करने होंगे। उनकी एक एक गतिविधि का रिकॉर्ड होना चाहिए। जिससे उसका विश्लेषण किया जाकर किसी निष्कर्ष तक पहुँचा जा सके।” अंटा ने चेंकी से कहा।
“बिल्कुल सही जासूस अंटा, पर आईजी पर निगाह रखना यानि शेर को नजरबंद करना है। ये कोई आसान काम नहीं है। पर डौंट वरी आईजी साहब, हम जासूस हैं, हमें शेर पर सवारी करना आता है। हम शेर की मांद में रहकर निगाह रखेंगे। शेर के दांत भी गिनेंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा।” चेंकी और अंटा ने मिलकर जश्न मनाते हुए कहा।
“पर कैसे, आई जी साहब पर हरदम निगाह कैसे रखी जा सकती है।” जासूस अंटा ने चेंकी से पूछा।
“सोचते हैं, कुछ सोचते हैं। तुम भी कुछ सोचो।” चेंकी ने सोच मुद्रा बनाते हुए कहा।
कुछ समय सोचने के बाद जासूस अंटा एक दम से उछल पड़ा, “हुर्रे, मिल गया, मिल गया, निगाह रखने का हल मिल गया।”
“क्या हल मिल गया, बताओ।”
“सर हम आईजी साहब के चैंबर, कार और घर में स्पाई कैमरे लगवा देते हैं। हमारे पास एक एक पल की रिपोर्ट मिलती रहा करेगी।” अंटा ने कहा।
“अरे बेवकूफ आईजी साहब के आसपास कैमरे लगवाने हैं किसी फुटपाथ पर नहीं लगवाने हैं। ये लगेंगे कैसे।” चेंकी ने अंटा को फटकारते हुए कहा।
“क्या सर, आपने मुझे बेवकूफ ही समझ रखा है। आपने ये कैसे मान लिया कि ये सब बातें मैंने नहीं सोची होंगी। मैंने फुल प्रूफ प्लान बनाया है।” जासूस अंटा ने बॉस की फटकार पर खिसियाते रोष प्रकट किया।
“ओ सॉरी, सॉरी, महान जासूस अंटा। पर आपका फुल प्रूफ प्लान है क्या। आप हमें बताने का कष्ट करेंगे।” चेंकी ने प्लान जानने के उद्देश्य से पूछा।
“सर, दीवार के भी कान होते हैं। यहाँ तो चार दीवारें हैं। मैं पहले पूरी तैयारी कर लूँ फिर प्लान भी डिस्कस करूँगा और आगे की रणनीति पर भी चर्चा करूंगा।”
“ओ के, माई बॉस जासूस अंटा।”
जासूस अंटा ने पूरे प्लान का खाका बनाया। अपने लेपटॉप में कुछ नोट्स लिए।
बैठे-बैठे क्या कुछ और कैसे किया जाए का विचार करने लगा।
समथिंग न्यू टेक्नोलॉजी। कुछ अलग हटके। अचानक उसे अपने एक पुराने मित्र सैमुअल, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ड्रोन पर काम कर रहा था, का ध्यान आया। अपनी कार्ययोजना में सैमुअल उसे परफेक्ट मदद करने वाला लगा।
उसने अपना मोबाइल खंगाला। सैमुअल का कोई कांटेक्ट नंबर नहीं मिला।
डायरी में भी संपर्क सूत्र नहीं मिला।
आशा का संचार होते-होते, संपर्क सूत्र का धागा न मिलने से निराशा मन में छाई।
लेकिन हार नहीं मानेगा जासूस अंटा, निराशा का मिटा देगा टंटा। मन ही मन बुदबुदाया।
मोबाइल हाथ में लेकर घुमाया। फेसबुक खोल कर मन बहलाने लगा। नई आई फ्रेंड रिक्वेस्ट इनबॉक्स में पड़ी दिखी। तुरंत दिमाग में संचार हुआ।
फ्रेंड सर्च ऑप्शन में सैमुअल का नाम सर्च करने लगा। काफी देर की सर्फिंग के बाद आखिर सफलता हाथ लग ही गई।
सैमुअल मिला, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। रिक्वेस्ट ऐसेप्ट होने का इंतजार करने लगा।
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न्यूज चैनल “कहाँ तक” ने स्टूडियो में ही घटनास्थल का कम्प्यूटराइज्ड खाका बनाया। कैसे इंस्पेक्टर नील किसी मिशन के लिए बीहड़ों में से होकर जा रहे थे। रास्ते में पड़ने वाले एक घने पेड़ से सर्प उड़ता हुआ आया। सीधे माथे पर आकर डंसा। जब तक इंस्पेक्टर कुछ समझ पाते तब तक सर्प उड़ता हुआ चला गया। एक सेकेंड के अंदर सर्पदंश का असर हुआ, मोटरसाइकिल लड़खड़ाई, वहीं पर गिरा, मुश्किल से जमीन पर निशान बनाकर मृत्यु का संकेत देने का प्रयास किया।
पूरी फिल्म दर्शकों को दिखाने के बाद एंकर प्रेम शर्मा ने मोर्चा संभाल लिया, “देखा आपने, अनहोनी कैसे अपना रंग दिखा कर चली जाती है। इंस्पेक्टर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पल में उसके साथ क्या होने जा रहा है। मृत्यु इस तरह दबे पांव आकर शिकार करेगी। दो मिनट का भी समय नहीं मिला कि इंस्पेक्टर किसी से कुछ कह पाते।”
”बहुत ही दुखद घटना है यह। चलिए इस तरह की अनहोनी क्यों होती हैं, को जानने की कोशिश करते हैं। स्टूडियो में हमारे साथ मौजूद हैं प्रख्यात सर्प विशेषज्ञ डॉ. फारुख शेख, तंत्र मंत्र के जानकार रामदीन और कुंडली विश्लेषक पंडित राम चौबे।”
”सबसे पहले आप लोगों का परिचय करा देते हैं। डॉ. फारुख शेख देश विदेश के प्रख्यात सर्प विशेषज्ञ हैं।लगभग 100 तरह की सर्प प्रजातियों पर डॉ शेख के पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। कुंडली विश्लेषक पंडित राम चौबे आपको बताएंगे कि कुंडली में सर्प दोष होने पर इस तरह की मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। रामदीन ने अपनी तंत्र विद्या और मंत्रों के माध्यम से अनेकों सर्प दंशित लोगों के जहर को उतारकर जीवन दान दिया है।”
“आप तीनों का स्टूडियो में स्वागत है। आप लोगों ने भी देखा कि इंस्पेक्टर की असमय मौत ने हम सब को स्तब्ध कर दिया है। सबसे पहले आप बताइए रामदीन जी, क्या यह संभव था कि आपके मंत्रोंपचार से इंस्पेक्टर की जान बच सकती थी।”
“जान बचाना और लेना सब ईश्वर के हाथ में है हम तो निमित्त मात्र हैं। पर मैं सौ प्रतिशत दावे के साथ कह सकता हूँ कि उसी समय इंस्पेक्टर को मेरे पास लाया गया होता तो आज इंस्पेक्टर जिंदा होते। ईश्वर की कृपा से मैंने हजारों लोगों के जहर को मंत्रों के प्रभाव से उतारा है। कई बार मैंने सर्प को बुलाकर दोबारा डंसवाकर जान बचवाई है।”
“आप विश्वास करें या ना करें, जिस व्यक्ति को सर्प ने डंसा उस व्यक्ति के मुँह से मैंने सर्प के द्वारा ही काटने का कारण कहलवा दिया और फिर उसका निवारण कर जहर मुक्त कराया।” रामदीन ने अपनी बात रखते हुए ईश्वर को धन्यवाद दिया।
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“डॉ साहब, आपने तो सरीसृप वर्ग पर अच्छी खासी रिसर्च कर रखी है। बल्कि यह कहा जा सकता है कि आप सर्पों के मामले में इनसाइक्लोपीडिया हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।” एंकर प्रेम शर्मा ने भूमिका बनाई।
“धन्यवाद, शर्मा जी। मेरी रिसर्च का उद्देश्य मानव मन से सांपों का भय दूर करना रहा। लोग साँप को देखते ही डर जाते हैं और मार देते हैं। जबकि सर्प मानव के मित्रवत हैं। सर्पों का प्रिय भोजन चूहे होते हैं। ये चूहे प्रतिवर्ष हजारों टन अनाज खा जाते हैं। अपने पैने दाँतों से चीजों को कुतर कुतर कर बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। सर्पों की कुछ प्रजातियों में ही तीव्र जहर पाया जाता है। सर्प भी हमारी तरह प्राणी हैं एवं हमारे व धरती के लिए बहुत उपयोगी हैं।”
“डॉ साहब, क्या आपने अपनी रिसर्च में उड़ने वाले साँपों को शामिल किया है। क्या आपने उड़ने वाले सर्प देखे हैं।” एंकर शर्मा ने और जानकारी दर्शकों तक पहुँचाने के उद्देश्य से पूछा।
“अभी तक उड़ने वाले साँपों की कोई जानकारी नहीं मिली है। साँपों की कुछ प्रजातियां जम्प करती हैं। ये जम्प दस पंद्रह फिट तक की हो सकती है उसी को लोग उड़ना समझ लेते हैं।” डॉ शेख ने जानकारी दी।
“तो फिर यह माना जा सकता है कि इंस्पेक्टर की मृत्यु इसी प्रकार के साँप के डंसने से हुई होगी।” एंकर ने संभावना व्यक्त की।
“जी, यदि इंस्पेक्टर साहब की मौत सर्पदंश से हुई है तो वह इसी प्रजाति का साँप हो सकता है। बीहड़ों में इस तरह की दो तीन प्रजातियों पर मैंने बहुत काम किया है।”
“डॉ साहब, एक बात हमारे दर्शकों को और बताइए, क्या सर्पदंश से शरीर पर जहर का कोई निशान आए बिना मृत्यु संभव है।”
“सर्पदंश में दो तरह से मृत्यु होती है। कुछ प्रजातियों का जहर खून के साथ मिल जाता है जिससे वह सरकुलेटरी सिस्टम से शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचकर नुकसान पहुंचाता है। इसमें शरीर में नीलापन आने लगता है। दूसरी तरह का जहर नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। इसका प्रभाव ज्यादा घातक और तीव्र होता है। नर्वस सिस्टम फेल्योर होने से मनुष्य का ब्रेन इफेक्ट होता है जिससे मनुष्य ब्रेन डेड होकर मृत हो जाता है या कोमा में चला जाता है। इसमें कभी कभी ऊपरी तौर पर कोई लक्षण परिलक्षित नहीं होते हैं।” डॉ शेख ने अपनी जानकारी शेयर की।
देखा दर्शकों ऊपरी तौर पर लक्षण दिखें बिना भी सर्पदंश से मृत्यु संभव है। इंस्पेक्टर की मृत्यु इसी तरह के साँप के डंसने से हुई है। अच्छा चौबे जी आप बताइए कुंडली में कालसर्प योग क्या होता है और इसके क्या क्या प्रभाव पड़ते हैं।”
पंडित राम चौबे ने शास्त्रों के अध्ययन के आधार पर कहना शुरू किया, “ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में कालसर्प दोष राहु एवं केतु की स्थिति पर निर्भर करता है।”
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“पंडित जी आप हमारे दर्शकों को बताइए कि कालसर्प दोष क्या होता है और इसके निवारण का क्या उपाय होता है।”
“व्यक्ति के जन्मांग चक्र में राहु और केतु की स्थिति आमने सामने की होती है। दोनों 180 डिग्री पर रहते हैं। यदि बाकी सात ग्रह राहु केतु के एक तरफ हो जाएं और दूसरी ओर कोई ग्रह न रहे, तो ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है। इसे ही कालसर्प दोष कहा जाता है। हालांकि कालसर्प योग का निर्धारण करते समय अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए।” राम चौबे ने कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर स्पष्ट किया।
“बहुत अच्छी जानकारी दी चौबे जी आपने। कालसर्प योग के क्या लक्षण होते हैं।” एंकर ने विज्ञापनों के रुझान को देखते हुए चर्चा को विस्तार दिया।
“शर्मा जी आप हमारे माध्यम से दर्शकों को बहुत अच्छी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। शास्त्रों में कालसर्प दोष के मुख्य लक्षण बताए गए हैं
जातक को प्राय: स्वप्न में सर्प का दिखाई देना।
अत्यधिक परिश्रम के बाद भी कार्यों में मन मुताबिक सफलता न पाना।
मानसिक तनाव से ग्रस्त रहना।
सही निर्णय न ले पाना।
कलहपूर्ण पारिवारिक जीवन।
गुप्त शत्रुओं का होना। कार्य में बाधा।
आदि”
“चौबे जी इस दोष के निवारण के कुछ उपाय भी होंगे उनको भी बता दीजिए।”
“बहुत ही अच्छी बात कही आपने शर्मा जी। कालसर्प दोष निवारण के निम्न उपाय बताए गए हैं
कालसर्प दोष का सर्वोत्तम उपाय श्रावण मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराना है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उसे श्रावण में रुद्राभिषेक अवश्य कराना चाहिए।
शिवलिंग पर मिश्री एवं दूध अर्पित करना चाहिए। साथ ही शिव तांडव स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करना श्रेष्ठ रहता है।
अपने घर के पूजा स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की मोर पंख वाली मूर्ति का प्रतिदिन पूजा करें।
बहते हुए जल में चांदी से बने नाग और नागिन के जोड़े को विधि प्रकार प्रवाहित कर दें।
कालसर्प दोष निवारण के लिए राहु की शांति का उपाय रात में करें। राहु की पूजा शिव मंदिर में रात में या राहुकाल में करें।”
“बहुत बहुत धन्यवाद चौबे जी। दर्शकों आपने देखा कि कुंडली के दोष से कोई छोटी सी अनहोनी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है।”
“एक बात और हमारा चैनल किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''
इसके बाद चैनल पर विज्ञापनों की झड़ी लग गई।
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चेंकी को भी अंटा का प्लान बढ़िया लगा पर स्पाई कैमरे लगाए कैसे जावें।
जासूस अंटा स्पाई कैमरे से आगे जाकर स्पाई ड्रोन के बारे में जानकारी इकट्ठी करने लगा।
मोबाइल पर सर्फिंग करते-करते फेसबुक नोटिफिकेशन ब्लिंक हुआ, “सैमुअल ऐसेप्टेड योर फ्रेंड रिक्वेस्ट।”
“याहू” जासूस अंटा खुशी से उछल पड़ा जैसे उसे सफलता का खजाना मिल गया हो।
सैमुअल के मैसेज बॉक्स में जाकर कॉन्टैक्ट नंबर देने हेतु संदेश टाइप कर सेंड कर दिया।
संदेश मिलते ही दूसरी ओर से मैसेज बॉक्स में नंबर ब्लिंक हुआ। अंटा और सैमुअल की खुशी का ठिकाना न रहा जब दोनों को ये पता चला कि वे एक ही शहर में रहते हैं। फिर क्या रविवार को बैठकर बातचीत करने और मस्ती करने का दिन निर्धारित हुआ।
अंटा रविवार का बेसब्री से इंतजार करने लगा। दो दिन का समय काटना भारी हो रहा था।
पहली पहली बार मिले हुए केस को वह किसी भी तरह हल कर फाइनल निष्कर्ष तक पहुँचना चाह रहा था जिससे जासूसी की दुनियां में उसका भी नाम पहचाना जाने लगे।
जैसे तैसे रविवार आया। दो पुराने दोस्त मिले। बहुत सारी पुरानी बातें हुईं। खाना पीना हुआ।
अंत में अंटा ने सैमुअल की रिसर्च के बारे में पूछा।
उसे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि सैमुअल ने ड्रोन बनाने के मामले में महारत हासिल कर ली है।
अंटा ने इंस्पेक्टर नील की मौत के केस के बारे में सैमुअल को बताया और यह भी कहा कि उसके सीनियर जासूस चेंकी ने उसे यह केस सॉल्व करने के लिए दिया है। वह इस केस तहकीकात कर सच तक पहुंचना चाहता है।
इस केस में प्राथमिक तौर पर उसे लगता है कि इंस्पेक्टर की मृत्यु सामान्य मौत न होकर हत्या हो सकती है और आईजी का इंस्पेक्टर की मौत को लेकर हद से ज्यादा उतावलापन और बेचैनी शक पैदा करता है कि कहीं हत्या आईजी द्वारा ही तो नहीं कराई गई है। जल्दी जल्दी कर वे इसे स्वाभाविक मृत्यु बता कर मामला बंद करना चाहते हों। इसलिए उसका प्लान है कि आईजी की गतिविधि पर चौकस निगाह रखी जावे। इसके लिए आईजी के आसपास स्पाई कैमरे बल्कि अत्याधुनिक डिवाइस लगाई जाना बहुत जरूरी है। पर आईजी को बिना पता चले डिवाइस फिट करना कोई आसान काम नहीं है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि आईजी पर रियल टाइम निगाह कैसे रखी जावे।
अंटा ने सैमुअल को घटना और अपनी योजना बताई।
अंटा की बात सैमुअल ने सुन कर अंटा की मुश्किल आसान करते हुए कहा, “बस इतनी सी बात, ये कौन-सा मुश्किल काम है। मैं ऐसी अत्याधुनिक डिवाइस तैयार कर दूंगा जो रिमोट से कंट्रोल होगी और नेटवर्क के जरिए सारा डेटा तुम्हारे कम्प्यूटर में सेव होगा।”
“बस मुझे 2 हफ्ते का समय चाहिए। फिर ऐसी डिवाइस तैयार कर दूंगा कि तुम उसे देखकर विश्वास ही नहीं कर पाओगे।”
“दो हफ्ते...., इतना ज्यादा समय, इतने में तो आईजी साहब सारे सबूत मिटवा कर केस बंद करवा देंगे। नहीं नहीं तुम 2 दिन में कोई ड्रोन बनाकर दो। इससे ज्यादा समय नहीं मिल सकता है।” अंटा ने केस की तह तक जल्दी पहुँचने के उद्देश्य से कहा।
“दो दिन में ऐसी डिवाइस तैयार होना बहुत मुश्किल है। फिर भी मैं प्रयास करूँगा। दो नहीं तो तीन दिन में डिवाइस लेकर तुम्हारे पास आऊँगा।” कहकर सैमुअल चला गया।
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इंस्पेक्टर की मृत्यु के जांच दल के प्रभारी डीआईजी ढिल्लन को जांच से संबंधित बिंदुओं पर आईजी इंद्रेश सिंह की सीधे तौर पर दखलंदाजी पसंद नहीं आ रही थी। जांच टीम के हर सदस्य से आईजी का सीधा संवाद और निर्देश देना जांच कार्यवाही में बाधा उत्पन्न कर रहा था।
ढिल्लन सुनियोजित कार्ययोजना बनाकर बिंदु दर बिंदु जाँच को आगे बढ़ाकर एकदम सही निशाने पर पहुँचने के प्रयास में थे।
वे बार बार आईजी साहब के द्वारा मांगी जा रही जानकारी से परेशान हो रहे थे। जाँच टीम के अलावा आईजी ने इंस्पेक्टर रोहित को भी जाँच कार्य में अलग से लगा दिया था। वे स्वयं सारे प्रोटोकॉल त्याग कर आम आदमी की तरह कैंटीन में चाय पीने के बहाने जाकर आसपास में चल रही चर्चाओं को सूंघने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर आईजी साहब को इसी मर्डर केस में इतनी ज्यादा रुचि क्यों है। उनके पास महीनों से एक से एक हाई प्रोफाइल केस पेंडिंग पड़े हैं, उनमें तो वे रुचि नहीं ले रहे हैं। प्रक्रिया के तहत उन केसों की जाँच चल रही है।
डीआईजी ढिल्लन को आईजी साहब के इस उतावलेपन का मकसद समझ में नहीं आ रहा था। कहीं आईजी साहब जल्दीबाजी कर हकीकत से भटकाना तो नहीं चाह रहे हैं। कहीं असली अपराधी को बचाने के प्रयास में तो नहीं हैं। या फिर इंस्पेक्टर नील की मौत में कहीं आईजी साहब का हाथ तो नहीं है।
आखिर क्या राज छुपा है आईजी साहब की जल्दबाजी में।
इंस्पेक्टर रोहित को अलग से जाँच के लिए नियुक्त करना शक को मजबूती प्रदान करने का काम कर रहा है।
खैर बॉस का बुलावा आया है तो जाना ही पड़ेगा। अभी तक की प्राप्त रिपोर्टों, जानकारियों को इकट्ठा कर मीटिंग के लिए निकल पड़े।
नियत समय से पहले ही आईजी साहब ने सभी को अपने चैंबर में बुलवा लिया। फिर अचानक से मीटिंग की जगह बदल कर सभी को अपने बंगले में पहुंचने के निर्देश दिए। वहीं पर आगे चर्चा की जाएगी और आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
अचानक से जगह बदलने से सभी का माथा ठनका। डीआईजी ढिल्लन को शक की जगह इंस्पेक्टर की मृत्यु में आईजी का हाथ होने का पक्का विश्वास होने लगा।
अभी जाँच टीम के सदस्य आईजी साहब के बंगले पर नहीं पहुंच पाए थे। डीआईजी ढिल्लन बंगले पर पहुंच चुके थे। पर दीवान पुक्कन सिंह और इंस्पेक्टर रोहित को वहाँ पहले से ही मौजूद देखकर एक बार पुनः ढिल्लन के शक को मजबूती मिली।
हो न हो, आईजी साहब इस केस में कुछ लीपापोती करना चाह रहे हैं। इसीलिए समानांतर में अलग से जाँच कार्रवाई करवा रहे हैं।
उन्होंने सोचा जब केस में लीपापोती ही करनी है तो फिर जाँच टीम और गहन अनुसंधान की क्या आवश्यकता है। आईजी साहब अपने हिसाब से जांच रिपोर्ट लगवा लेते और केस पर फाइनल रिपोर्ट लगवा कर केस बंद करवा देते। लोग सामान्य मृत्यु मानकर सब कुछ भूल जाते।
जनता को सिर्फ भूख याद रहती है। अन्य चीजें याद रखने की उसे फुर्सत कहाँ है।
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दो दिन जासूस अंटा को दो दशक के बराबर लग रहे थे। पहली बार मिले अवसर को वह यादगार बनाकर जासूसी के आकाश में सुनहरे सितारे की तरह टंक जाने के लिए उतावला हो रहा था।
जासूसी की किताब में वह अपना नाम महत्वपूर्ण जासूसों के साथ लिखवाने के लिए इस केस में जी जान लगाने की बेतावी थी।
सैमुअल भी दो दिन के अंदर एक अद्भुत डिवाइस बनाकर अंटा को देने के लिए जी जान से लगा हुआ था। पहले से तैयार मक्खी के आकार के ड्रोन में लगे हुए पावरफुल नैनो कैमरे, नैनो वॉयस रिसेप्टर के साथ नैनो चिप लगाकर लेजर वेव्स के माध्यम से वहाँ के वातावरण की पूरी जानकारी डिस्प्ले और वॉइस रिकार्डर से लिंक करने के लिए जबरदस्त प्रोग्रामिंग की।
सब कुछ रिमोट ऑपरेटिड था। अभी इस स्पाई डिवाइस में उसे कुछ कमी महसूस हो रही थी। कुछ कमी का उसे अहसास तो हो रहा था पर क्या कमी है, कुछ समझ नहीं आ रहा था।
क्या कमी है, क्या कमी है, सोचते सोचते सैमुअल को नींद आ गई। डिवाइस उसने रिमोट से जासूसी करने वाली जगह फिट कर दी है। डिवाइस एक दम बढ़िया काम कर रही है। वहाँ चल रही हर गतिविधि का रियल टाइम डिस्प्ले ऑफिस में लगे मॉनीटर पर दिख रहा है। वहाँ हो रही कानाफूसियों तक की स्पष्ट आवाज स्पीकर से आ रही है। वहाँ की सारी की सारी गतिविधियों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस से लिंक कम्प्यूटर में सुरक्षित होती जा रही है।
अचानक से डिवाइस का लिंक डिस्कनेक्ट हो गया। डिवाइस के द्वारा की गई रिकॉर्डिंग से पता चला कि वहां लगे सीसीटीवी कैमरे के डिस्प्ले मॉनीटर पर डिवाइस की चमक अलग से दिखने लगी। उससे निकल रही तरंगों की पतली सी चमकीली रेखाएं दिखने लगीं। वहाँ बैठे ऑपरेटर ने डिवाइस को तुरंत खोज निकाला। डिवाइस के पकड़ में आ जाने से हो रही जासूसी का भंडाफोड़ हो गया।
सैमुअल की नींद एकदम से खुल गई। डिवाइस अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। उसके रंग और निकल रही वेव्स से वह तुरंत पकड़ में आ जाएगी फिर उसमें लगी चिप के सहारे जासूसी करने वाले तक पहुंचना आसान हो जाएगा।
उसे अपनी डिवाइस की कमियों का आभास हो गया। फिर उसने परिवर्तन शुरू कर दिए। लेजर वेव्स को आसानी से पकड़ा जा सकता है। अतः आसानी से पकड़ में न आने वाली वेव्स का प्रयोग करना पड़ेगा।
कौन सी तरंगों को साधारणत: पकड़ा नहीं जा सकता है। उसे तुरंत चमगादड़ याद आई कैसे वह रात के घने अंधेरे में इंफ्रारेड तरंगों के सहारे आसानी से उड़ लेती है। इन तरंगों का उपयोग डिवाइस में किया जा सकता है। तुरंत उसने आवश्यक परिवर्तन कर दिए।
अब सबसे बड़ी समस्या अलग से न दिखने की रह गई थी।
डिवाइस अपने आसपास के वातावरण के हिसाब से अपने आप को बदल ले तो सामान्य तौर पर निगाह नहीं जाएगी।
सैमुअल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डिवाइस को लैस करने का विचार किया। ऐसी प्रोग्रामिंग की जावे जिससे डिवाइस माहौल के हिसाब से अपना रंग, रूप और आकार अपने आप बदल ले, उसे अलग से निर्देश देने की आवश्यकता न पड़े।
लगातार प्रयास करने के बाद भी मनवांछित परिणाम नहीं मिलने से सैमुअल निराश होने लगा। पर उसने हार नहीं मानी।
काफी मशक्कत के बाद आखिर डिवाइस बन कर तैयार हो गई। अब डिवाइस न केवल हर माहौल में अपने आप एडजस्ट कर रही है, लगातार ऑडियो वीडियो संदेश भेज रही है बल्कि ज्यादा खतरा भांपते ही सुसाइड कर सकती है जिससे उसमें लगे सारे यंत्र स्वत: नष्ट हो जाएंगे। उसमें लगी चिप स्वत: डिकोडिंग कर डेटा नष्ट करने में सक्षम है। कितने भी प्रयासों के बाद भी उससे रत्ती मात्र जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है।
जबरदस्त डिवाइस बनकर तैयार हो गई। डिवाइस का नाम क्या रखा जाए यह सैमुअल ने जासूस अंटा के ऊपर छोड़ दिया।
जासूस अंटा डिवाइस की खूबियों को जानकर अत्यधिक प्रसन्न हो गया।
जोरदार खुशी से उछल कर बोला, “अब दिल्ली दूर नहीं।” मेरे पास है जासूसी की सबसे अत्याधुनिक डिवाइस “नेत्र”।
सैमुअल ने सारा सेटअप इंस्टाल कर दिया। फिलहाल साथ लाई गई डिवाइस “नेत्र” को जासूस अंटा ने सैमुअल की मदद से रिमोट कंट्रोल के सहारे आईजी के घर के ड्राइंग रूम में पहुँचा दिया इस शक के आधार पर कि यदि आईजी की ओर से कहीं कुछ गड़बड़ है तो डीलिंग घर से ही होती होगी।
नेत्र ने ड्राइंग रूम के हिसाब से अपने आप को सेट किया। बीचोंबीच लगे झूमर में जाकर फिट हो गई। ऑफिस में लगे कम्प्यूटर पर नेत्र की हर गतिविधि देखी और सुनी जाने लगी।