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अस्पताल में पल रहे पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त 6 कुत्तों को लेकर प्रशिक्षक पिछली तरफ की लिफ्ट के पास ठीक 2.45 पर खड़ा हो गया। अस्पताल के कर्मचारी ने मानव अंगों के पैकेट बनाकर तैयार रखे हुए थे। उन पैकेटों को कुत्तों के पेट पर मजबूती से बांध दिया गया। प्रशिक्षक ने कुत्तों को इशारा किया। कुत्ते तेजी से दौड़ते हुए पाँच मिनट में शहर से दो किमी दूर निर्धारित जगह पर पहुँच गए।
वहाँ उपस्थित व्यक्ति ने फटाफट पैकेटों को खोला। कुत्तों को ताजा गोश्त खाने के लिए दिया। कुत्ते वापस अस्पताल की ओर दौड़ गए। उसने पैकेटों को जटायु में रखा गया और उड़ने की कमांड दे दी।
सारा शहर गहरी नींद में सोया हुआ था। रात का अंधेरा व सुनसान वीरान जगह होने के कारण मानव अंगों की तस्करी की किसी को भनक तक नहीं लगी। अस्पताल की आड़ में मानव अंगों की तस्करी व यौनाचार बहुत लंबे समय से सुनियोजित ढंग से निर्बाध गति से चल रहा था। सबसे बड़ी बात यह थी कि सब कुछ इतने गोपनीय ढंग से हो रहा था कि खुद अस्पताल के कुछ कर्मचारियों को छोड़कर किसी को इन सब की भनक तक नहीं थी। यहाँ तक कि यौनाचार का शिकार हुई लड़कियां तक समझ नहीं पा रहीं थी कि उनका यौन शोषण हुआ है।
उनके सामाजिक रहन-सहन का वातावरण, आस-पास की झुग्गियों में बनते नैतिक अनैतिक शारीरिक संबंधों को देखकर वे समय से पहले परिपक्व हो चुकी होती हैं। अस्पताल कैंपस में रहने की अच्छी सुविधा व अच्छी खाने-पीने की सुविधा के कारण उन सभी को अपने अपहृत होने की बात याद ही नहीं आती थी।
दवाओं व हार्मोंस के द्वारा उन लड़कियों को शारीरिक व मानसिक रूप से इतना उत्तेजित कर दिया जाता था कि यह सब उन्हें सामान्य सी क्रिया लगने लगती थी।
दवाईयों व हार्मोंस के ओवरडोज से लड़कियों के नर्वस सिस्टम पर असर पड़ने के कारण वे खोयी-खोयी सी सहमी हुई रहने लगती थी।
इसी प्रकार किडनी आदि निकाले जाने वाले लड़के, लड़कियों व अन्य व्यक्तियों को भी आभास तक नहीं था कि इलाज के नाम पर उनके शरीर का कोई अंग निकाला जा चुका है। बहुत छोटा सा ऑपरेशन कर अंग निकालने के बाद चीरे के निशान की प्लास्टिक सर्जरी इतनी सफाई से कर दी जाती थी कि शरीर को देखकर कहा नहीं जा सकता कि ऑपरेशन हुआ है। पूरे क्षेत्र में अस्पताल की छवि बहुत अच्छी होने के कारण कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि इस मुखौटे के अंदर कितना घिनौना चेहरा छिपा हुआ है। जहाँ मृतक तो मृतक जीवित व्यक्तियों के अंग तक निकाल कर बेच दिए जाते हैं।
यंत्रचालित जटायु नदी के ऊपर से उड़ते हुए पाँच मिनट में कब्रिस्तान से कुछ दूरी, जहाँ पर इंस्पेक्टर नील की मौत हुई थी, पर पहुँच गए। जैसे ही जटायु से निकलने वाली तरंगें आर्टिफिशियली बनाई गई झाड़ी में लगे सेंसर से टकराईं वैसे ही कब्रिस्तान में कब्र के नीचे बने तलघर में लगे पैनल में सिग्नल पहुँचा। पैनल से ऑटोमैटिकली सिग्नल मैग्नेटिक हाई स्पीड ट्राली को मिला। ट्राली आवाज की गति से तलघर से झाड़ी की ओर बनी सुरंग में मैग्नेटिक फील्ड से संचालित होती हुई झाड़ी की ओर बढ़ी। ट्राली के पहुंचने का सिग्नल मिलते ही झाड़ी सिमट कर एक ओर हो गई। सुरंग में लगे हुए मैकेनिकल हाथ ने जटायु से पैकेट निकाल कर ट्राली में रखे। इसके बाद ट्राली झाड़ी से इकबाल की दुकान तक बनी सुरंग में तेजी से चली गई।
बिल्कुल सही 3 बजे कब्रिस्तान से अंगों के पैकेट इकबाल के पास के लिए रवाना हो गए।
मैकेनिकल हाथ ने जैसे ही पैकेट उतारे। वापसी के लिए जटायु में अस्पताल की लोकेशन फीड थी। इसलिए जटायु वापस अस्पताल के लिए उड़ लिए। इस बार वे नदी के पास न रुककर सीधे अस्पताल पहुंच गए। अस्पताल कर्मचारी ने डॉ घोष को मैसेज किया “कन्साइनमेंट डिलीवर्ड, एवरी थिंग ओ के।”
पुलिस कंट्रोल रूम में डॉ घोष के मोबाइल पर मैसेज फ्लैश हुआ। उन्होंने तुरंत डीआईजी साहब को बताया। डीआईजी ने इकबाल की दुकान के चारों तरफ तैनात कमांडो को डुमरी अस्पताल से इकबाल के पास माल निकल जाने की सूचना दी। सिविल लाइन एरिया में नाकाबंदी कर रहे पुलिसकर्मियों को तैयार रहने का आदेश दे दिया गया।
तलघर में पैनल पर निगाह रखे गैंग लीडर ने सब कुछ ओ के होने पर गहरी राहत भरी साँस ली और मोबाइल पर इकबाल को मैसेज “डन” किया। नेटवर्क न होने के कारण मोबाइल पर मैसेज फारवर्ड नहीं हुआ। इसके बाद पैनल में लगा स्विच पुश किया। कब्रिस्तान और झाड़ी के पास धूल का बवंडर उठने लगा। थोड़ी देर बाद सब शांत हो गया।
कब्रिस्तान में छिपे कमांडोज बवंडर उठते देख अचंभित रह गए। न कहीं हवा चली, न मौसम खराब हुआ फिर अचानक से यह बवंडर कहाँ से आ गया। फिर घड़ी देखी। 3 बज चुके थे। लेकिन बवंडर के बाद कहीं कोई हलचल नहीं हुई। उन्होंने सोचा किसी ने गलत मैसेज देकर उन्हें बेवकूफ बना दिया है। 20 तारीख सुबह तीन बजे का स्पष्ट मैसेज था फिर भी कोई घटना घटित नहीं हुई। सभी ने सोचा कि कम से कम दो लोग तो पकड़ में आ गए हैं। उनसे कड़ाई से पूछताछ करने पर कुछ न कुछ सबूत जरूर हाथ लगेंगे। लेकिन अब क्या किया जाए। अगले आदेश तक उन्हें वहीं डटे रहना है। वापस नहीं जाना है।
वे सब चौकस रहकर डीआईजी के अगले आदेश का इंतजार करने लगे।
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गरियाना में तैनात इंस्पेक्टर रोहित ने डीआईजी को सूचना दी कि रोशन के घर पर दो कुख्यात फरार वारंटी अभी-अभी आए हैं। उनसे रोशन कंडवानी बड़ी गर्मजोशी के साथ मिला है। उन लोगों को घर में बने गेस्ट हाउस में रुकवाकर रोशन अकेले ही कार से निकल चुका है।
उनको अरेस्ट करने की कार्यवाही के लिए इस समय उसके पास गिरफ्तारी वारंट नहीं था। दोनों वही वांटेड अपराधियों की पहचान पुख्ता करने के लिए इंस्पेक्टर रोहित ने मोबाइल से अभी खींची उन दोनों की फोटो डीआईजी के पास भेज दी।
डीआईजी ने उन दोनों कुख्यात तस्करों लल्लू लट्ठा व करीम कट्टा की फोटो देखी और कंट्रोल रूम से उन दोनों के गिरफ्तारी वारंट इंस्पेक्टर रोहित के मोबाइल पर भेजने का आदेश दिया।
इंस्पेक्टर रोहित को कड़ी निगरानी रखने के लिए निर्देशित किया। साथ ही निर्देशित किया कि उनके आने का मकसद पता करने की कोशिश करो।
दुकान में तैयार बैठा इकबाल हर एक मिनट में घड़ी देख रहा था। जबकि उसे पता था कि झाड़ी से दुकान तक आने में ट्राली को पाँच मिनट लगते हैं। जैसे ही ट्राली के पहुंचने का सिग्नल हुआ। दुकान की दीवार पर लगे शेर की आँखें चमकने लगीं। इकबाल ने बिना देर किए उसकी लटकती जीभ को बायीं साइड में खींचा। दुकान के फर्श में बना सुरंग का मुँह खुल गया, “आजा छोटू, पैकेट आ गए। फटाफट इन्हें साइकिल पार्ट्स के खाली डब्बों में पैक कर।”
आधा पौन घंटा बीत जाने के बाद भी सिविल लाइन एरिया के चारों तरफ गाड़ी तो क्या किसी परिंदे तक का आना नहीं हुआ। जबकि डुमरी से बरामऊ का रास्ता लगभग आधे घंटे का है।
मामला चूँकि मानव अंगों का है। इसलिए इन्हें बहुत तेजी से पहुँचाना जरूरी है। वर्ना वे किसी काम के नहीं रहते हैं। निश्चित समय तक ही वे प्रत्यारोपित करने के लायक रहते हैं। इसलिए उनको कार, ट्रक या मोटरसाइकिल से ही भेजा गया होगा। पर अभी तक क्यों नहीं आया। वहाँ तैनात टीम ने डीआईजी साहब को अभी तक किसी के न आने की खबर दी।
छोटू ने फटाफट पैकेटों को ट्राली से उतार कर दुकान के कोने में रखा। ट्राली के खाली होते ही इकबाल ने सुरंग पावर सप्लाई बंद कर दी जिससे वहाँ मैग्नेटिक फील्ड खत्म हो गया। जबतक इकबाल शेर की जीभ खींच कर सुरंग का मुँह बंद करता उतनी ही देर में सुरंग में फंसा नेत्र बाहर आ गया।
सुरंग बंद करने के बाद इकबाल पैकेटों को पैक कराने में छोटू की मदद करने लगा।
“सर, सर, अपना मिसिंग नेत्र मिल गया। ये देखिए ये वीडियो फुटेज अभी अभी उसने भेजी हैं।” जासूस अंटा ने कम्प्यूटर स्क्रीन पर फुटेज दिखाते हुए चेंकी से कहा।
चेंकी के साथ-साथ डीआईजी ने भी फुटेज देखीं, “ये तो साला इकबाल दिख रहा है। ये पैकेटों को साइकिल पार्ट्स के डब्बों में क्यों पैक कर रहा है। इन पैकेटों में क्या है। अंटा जरा जूम करके देखो किस चीज के पैकेट हैं।”
“यस सर।”
“सर, ये पैकेट अस्पताल से ही तो नहीं आ गए। क्योंकि 20 तारीख सुबह तीन बजे का मैसेज था। इसके माने तीन बजे माल सप्लाई हो गया।” चेंकी जासूस ने डीआईजी से संभावना व्यक्त की।
“असंभव, सिविल लाइन के चारों तरफ चप्पे-चप्पे पर हमारी फोर्स तैनात है। दुकान को चारों तरफ से कमांडो घेरे हुए हैं। फिर सप्लाई कैसे पहुँच सकती है।” डीआईजी ने अपना गुस्सा जताया।
इकबाल ने पैकेटों को पैक कराने के बाद डॉ घोष के मोबाइल पर मैसेज किया, “कन्साइनमेंट रिसीव्ड।” और रोशन के आने का इंतजार करने लगा।
पुलिस कंट्रोल रूम में डॉ घोष के मोबाइल पर मैसेज पहुँचा। लाइक का मैसेज रिवर्स कर डीआईजी को इसके बारे में बताया।
“क्या, कंसाइनमेंट रिसीव्ड, हाउ, कैसे। हमारे पुलिस फोर्स की आँखों में धूल झौंककर माल इकबाल तक कैसे पहुँच गया।” डीआईजी ने आश्चर्यचकित होकर हताशा जताई।
“सर, लगता है किसी ने गद्दारी कर दी।” अंटा ने कहा।
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“माल पकड़ में आने से पहले इकबाल के पास पहुँचा दिया गया। अब सभी टीमों को प्लान बदले जाने के बारे में बताना पड़ेगा।”
“फिलहाल सिविल लाइन व गरियाना की टीमों को एक्शन लेने से रोकना पडे़गा। अस्पताल की टीम ने डॉ घोष, शिवशंकर व दो लड़कियों को पकड़ कर बरामऊ में पुलिस कस्टडी में भिजवा दिया है। जरूरत पड़ने पर राहुल गवाही दे ही देगा। इसलिए डुमरी की टीम को अस्पताल से कम्प्यूटर ऑपरेटर को साथ लेकर फिलहाल वापस बुलाया जा सकता है। जब सारे सबूत इकट्ठे हो जाएंगे तब अस्पताल पर छापा मारा जाएगा।”
“कब्रिस्तान की टीम ने दो लोगों को पकड़ में ले लिया है। फिलहाल वहाँ भी एक्शन बाद में कर सकते हैं। टीम को वहीं तैनात रखना पड़ेगा।” इसके बाद डीआईजी ने एक कमांडो को दोनों लोगों को पुलिस कोतवाली में लेकर आने व अन्य सभी कमांडोज को सुबह की रोशनी होने से पहले मुस्लिम गेटअप में तैनात रहने का आदेश दे दिया।”
टोल प्लाजा पर रोशन की कार को बिना रोक-टोक बरामऊ आने देने का निर्देश दे दिया।
रोशन की कार फर्राटे भरती हुई 3.30 पर इकबाल की दुकान के सामने खड़ी हो गई। इकबाल और रोशन ने चारों ओर निगाह घुमाकर देखा। सभी तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। कार की डिक्की दुकान के गेट से सटाकर वे दोनों पैकेटों को कार में लादने के लिए दुकान में अंदर चले गए।
इस बीच एक दुबले पतले कमांडो धीरे से कार का गेट खोलकर पीछे की सीट के नीचे छिप गया। इकबाल और रोशन ने फटाफट पैकेटों को लादा। रोशन ने साथ में लाया हुआ नोटों से भरा सूटकेस इकबाल को थमाया। पैकेटों को जल्दी लेकर निकलने की हड़बड़ी में उसका ध्यान सीट के नीचे छिपे कमांडो पर नहीं पड़ा।
नंबर दो के काम नकदी और पूरी ईमानदारी से होते हैं। इसलिए नोट देखने व गिनने की जरूरत इकबाल ने नहीं समझी। पाँच मिनट में सारा काम निपटा कर रोशन की कार गरियाना की ओर दौड़ पड़ी।
“छोटू अभी तो रात है। इसलिए दुकान में ही थोड़ी देर आराम कर लेते हैं। रोशनी होने पर घर जाएंगे।” इकबाल ने दुकान अंदर से बंद करते हुए कहा।
रोशन के बंगले में कितने आदमी मौजूद हैं, इसका अनुमान न होने के कारण जब तक रोशन बरामऊ गया-आया, इतनी देर में और पुलिस तैनात कर उसके बंगले के चारों तरफ घेरा कस दिया गया। कुख्यात अपराधियों के अंदर छिपे होने के कारण कार्यवाही होने पर गोलीबारी होने की पूरी संभावना थी।
इंस्पेक्टर रोहित की मदद के लिए इंस्पेक्टर विक्रमसिंह को भी भेज दिया गया। सारा शहर चैन की नींद सो रहा था। चोर और सिपाही जाग रहे थे। चोर चोरी चोरी-छिपे करने के लिए जाग रहे थे। सिपाही चोरी-छिपे चोरी रोकने के लिए जाग रहे थे। डीआईजी ने इंस्पेक्टर विक्रमसिंह को रोशन की कार पहुँचने पर माल सप्लाई करते हुए पकड़ने की योजना बता दी।
डीआईजी ने सिविल लाइन एरिया की नाकाबंदी कर रहे पुलिसकर्मियों से जबाव तलब करने के लिए सुबह 7 बजे उनके ऑफिस में पहुँचने का आदेश दिया। आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा और घेराबंदी होने पर भी पैकेट इकबाल तक कहाँ से पहुँच गए।
इकबाल की दुकान में पैकेटों और सूटकेस के आदान-प्रदान के वीडियो फुटेज नेत्र ने लगातार भेजे। उनको कम्प्यूटर में सेव कर सबूत के तौर पर सुरक्षित रखने एवं एक कॉपी पुलिस के पास भेजने हेतु अंटा से डीआईजी ने कहा।
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“अरे, चेंकी जासूस, ये सैमुअल कहीं नहीं दिखाई दे रहा है। मैंने कहा था कि सैमुअल को भी अपने ऑफिस में बुलाकर अपने साथ रखना। पता नहीं कब उसकी तकनीकी मदद की जरूरत पड़ जाए। तुमने उसे नहीं बुलाया क्या।” देर शाम से विभिन्न वीडियो फुटेज व सभी टीमों के आए काल्स, मैसेजेज से थोड़ी फुरसत पाते ही उनका ध्यान सैमुअल की अनुपस्थिति की ओर गया।
“सर, मैंने उसे यहाँ आने के लिए कहा था। किंतु उसने बताया था कि वह किसी डिवाइस पर काम कर रहा है। जैसे ही उससे फुरसत मिलेगी। वह यहाँ पहुँच जाएगा। लगता है वह डिवाइस में उलझ कर यहाँ आने की बात भूल गया। वह बहुत धुनी आदमी है। अपनी धुन में वह खाना पीना सब कुछ भूल जाता है।” चेंकी ने सैमुअल की लगन की तारीफ की।
“ठीक है, पूछो उससे वह है कहाँ। कहीं अपराधी लोगो उससे मदद लेने नहीं पहुँच जाएं। तुमने पहले बताया था कि उसने अपनी डिवाइस किसी को बेची थीं।”
“सर सैमुअल और उसके दोस्त कमाल की खोपड़ी रखते हैं। वो तो अपने देश में योग्यता की कदर नहीं है। वर्ना ये लोग इस तरह दर दर की ठोकरें नहीं खा रहे होते। मैं उससे अभी पूछता हूँ कि वह कहाँ है।”
अंटा ने चेंकी के इशारे को समझा और सुबह के चार ही सैमुअल को कॉल किया।
सैमुअल ने तुरंत ही कॉल अटेंड किया, “अरे यार अंटा, मैंने नौ बजे पहुँचने का वादा किया है, मैं पहुँच जाऊँगा। बस थोड़ा सा काम और रह गया है। अभी पाँच मिनट में पूरा कर देता हूँ।”
“सैमुअल, तुम नौ बजे पहुँचने की बात कर रहे हो। जानते हो कितना समय हो रहा है। इस समय सुबह के चार बज रहे हैं।”
“क्या? सुबह के चार बज रहे हैं। मुझे काम में पता ही नहीं चला कि चौदह घंटे हो चुके हैं मुझे काम शुरू किए हुए। मैं अपनी नई डिवाइस चक्र लेकर अभी पहुँच रहा हूँ।”
“देखा सर, एक जगह बैठकर लगातार चौदह घंटे से काम कर रहा था सैमुअल। काम करने में खाना-पीना सब भूल गया। नई डिवाइस चक्र लेकर वह आ ही रहा है। तब तक मैं देखता हूँ ऑफिस में कुछ बिस्कुट बगैरह पड़े होंगे। इलेक्ट्रिक केटली में चाय भी रख देता हूँ। कल दोपहर से उसने कुछ खाया पिया नहीं होगा।”
पंद्रह मिनट में सैमुअल अपनी डिवाइस चक्र के साथ चेंकी के ऑफिस पहुँच गया। डीआईजी से उसने समय पर न पहुँचने के लिए माफी मांगी, “ सर, समय से न आने के लिए मुझे बहुत खेद है। चक्र में थोड़ा सा काम रह गया था। मैंने सोचा दो तीन घंटे में पूरा हो जाएगा। पर चक्र में कुछ न कुछ कमी से वह मेरे प्रयोग पर खरा नहीं उतर रहा था। सुधार करते करते समय का ध्यान ही नहीं रहा।”
“कोई बात नहीं, ये चक्र क्या डिवाइस है। थोड़ी सी जानकारी दो।” डीआईजी ने चक्र के बारे में पूछा।
“सर, ये देखिए गेंद के आकार की डिवाइस चक्र है। इसको बस एक बार एक्टिव करने में मामूली सी इनर्जी की आवश्यकता होती है। उसके बाद तो यह अपनी ही काइनेटिक इनर्जी से काम करने लगता है। ये टारगेट के चारों तरफ पाँच फिट के रेडियस में इतनी तेजी से घूमने लगता है कि दिखाई देना बंद हो जाता है। ठीक किसी इलेक्ट्रान की तरह ये भी अपनी कक्षा में चक्कर लगाता है। घूमने के दौरान इसमें से निकलने वाली इनर्जी इतनी तेज होती है कि एक अदृश्य इलेक्ट्रिक लाइन बनती जाती है। उस रेडियस में फँसा व्यक्ति उस घेरे के बाहर नहीं निकल सकता है।” चेंकी ने चक्र के बारे में बताया।
“सुनने में बहुत अच्छी लग रही है। समय आने पर इसका भी उपयोग करेंगे। तुम्हारे बनाए नेत्र, गिद्ध और जटायु बढ़िया काम कर रहे हैं। हम सब के लिए कितने गर्व की बात है कि इतना होनहार वैज्ञानिक अपने शहर में रहता है।” डीआईजी ने शाबाशी दी।
“अरे यार सैमुअल, अपना मिसिंग नेत्र भी मिल गया। उसके फुटेज भी आ रहे हैं।” अंटा ने खुशखबरी दी।
“कहाँ है वह, जरा फुटेज दिखाओ।”
सैमुअल ने फुटेज देखना शुरू किया, “अंटा, ये व्यक्ति तो वही मुखबिर लगता है जिसने हमारी डिवाइस खरीदीं थी। पर ये है कहाँ पर।”
“क्या, इन अपराधियों के हाथ तुमने अपने यंत्र बेचे थे।”
“अपराधी, पर इसने तो हमें मुखबिर बताया था। हमें पता होता कि ये अपराधी है तो हम कितनी भी मजबूरी होती इनको यंत्र नहीं देते।”
“ओ माई गॉड, अनजाने में हमसे कितनी बड़ी गलती हो गई है। हमने समाज के गद्दार को अत्याधुनिक यंत्र दे दिए। डीआईजी साहब बहुत बड़ा अपराध हो गया हमसे। आप जो चाहे सजा दे दीजिए।”
“नहीं सैमुअल, तुम नहीं जानते थे कि ये अपराधी हैं। तुम लोगों की मजबूरी थी। तुम्हारे साथ-साथ हम लोग भी दोषी हैं कि तुम्हारी योग्यता, तुम्हारे आविष्कारों को हमने अनदेखा किया। हम सब अपने स्वार्थ की “भूख” मिटाने के लिए “अनंत की तलाश में” रहते हैं। सुविधाओं का “आकाश अधूरा है” को पूरा करने के लिए हम सब “अपने अपने डंक” समाज में चुभाते रहते हैं। लेकिन अब “मैं अनदेखी नहीं कर सकता”। मैं इन अपराधियों का सत्यानाश कर तुम्हारे यंत्रों की “घर वापसी” कराऊंगा। वो तो अच्छा हुआ तुम “यूँ ही अचानक” मिल गए। मैं तुम्हारी योग्यता के लिए सरकार से “सुख संवाद” कर सम्मानित कराऊंगा और योग्यता की हो रही “मर्डर मिस्ट्री” का पर्दाफाश करूंगा।” डीआईजी ने समाज का यथार्थ बताकर सभी को दोषी ठहराया।
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“सर, सैमुअल के बनाए हुए चक्र को इकबाल की निगरानी कर रही टीम के पास पहुँचा देते हैं। जरूरत पड़ने पर सैमुअल यहीं से रिमोट कंट्रोल से चक्र को एक्टिव कर देगा। वैसे तो अपने कमांडो हर स्थिति से निपटने में सक्षम हैं पर इकबाल को भी हम कम नहीं आंक सकते हैं। उसने भी किसी भी स्थिति से निपटने के पूरे इंतजाम कर रखे होंगे।” चेंकी ने डीआईजी को सलाह दी।
“ठीक है।”
“सर, इकबाल के मामले में हमें पूरी तरह से तैयार रहना पड़ेगा। उसे आज हर हाल में पकड़ना ही पड़ेगा। एक बार वो पकड़ में आ गया फिर आप लोग उससे सब उगलवा लेंगे और पूरा गैंग पकड़ में आ जाएगा।” कहकर चक्र को टीम के पास डीआईजी के ड्राइवर से भिजवा दिया।
कब्रिस्तान में तलघर में छिपे गैंग लीडर ने काम निपटाने के बाद अपने दोनों साथियों की तलाश करना जरूरी समझा। यदि समय पर वे दोनों नहीं मिले तो इकबाल जिंदा ही जमीन में गाढ़ देगा। देखने में भोला-भाला है। पर है बहुत ही जालिम। दया-रहम नाम की चीज नहीं है उस साले में।
अपने अन्य दोनों साथियों को लेकर पूरी तरह से हथियारों से लैस होकर तलघर से ऊपर आने के लिए डरते-डरते कब्र को उठाया।
हड़बड़ाहट में कब्र पर लगा बटन दब गया। एक तीव्र लेजर रेज निकल कर दीवार से टकरा गई।
झोपड़ी में हुई चमक से सारे कमांडो एलर्ट पोजीशन में आ गए। पलटकर एक कमांडो ने रोशनी को टारगेट कर गोली चला दी। गोली सीधी अंदर की दीवार पर आकर लगी।
गोली से बचाव कर तीनों लोग फिर से तलघर में जाकर छिप गए। तीनों को अपने घिरे होने की आशंका हो गई। एक सदस्य ने गैंग लीडर से डरते डरते कहा, “भाई, लगता है हमारे दोनों साथी इनकी पकड़ में आ गए हैं। इसीलिए वे लोग अभी तक डटे हुए हैं कि हम लोग बाहर निकले और ये हमें पकड़ लें। भाई तुम, इकबाल भाई को खबर दो। वे हमें बचाने की पूरी कोशिश करेंगे।”
“हाँ, हाँ, तुम ठीक कह रहे हो। बाहर पता नहीं कितनी पुलिस है। मैं अभी दोबारा खबर करता हूँ। वर्ना ये पुलिस वाले हमें बेमौत मार डालेंगे।”
गैंग लीडर ने मोबाइल निकाल कर देखा, “धत् तेरे की, नेटवर्क तो अभी तक नहीं आया। अब क्या करें। एक फ्लाई अपने पास थी उसको मैसेज देकर इकबाल के पास भेजा जा चुका है। अब हमारे पास खबर भेजने का कोई रास्ता नहीं है। हमें खामोश होकर यहीं छिपे रहना पड़ेगा। देखें अब पुलिस आगे क्या करती है। उसी तरह का निर्णय हम लेंगे।”
“भाई, हमें बहुत डर लग रहा है। या अल्लाह, हम कहाँ आकर फँस गए। हम पर खैर कर। हम अपराध करना बंद कर देंगे।” एक सदस्य अली खैर की दुआ माँगने लगा।
“चुप कर, ये अपराध की दुनिया है। यहाँ हम अपनी मर्जी से आ सकते हैं पर अपनी मर्जी से जा नहीं सकते हैं। इस दलदल में आकर हमें अपनी जान गंवानी ही पड़ती है चाहे पुलिस के हाथों, चाहे भाई के हाथों। अब शांत बैठा रह। अब हमारा अंत मौत ही है। पुलिस से बच भी गए तो इकबाल हमें छोड़ेगा नहीं।” गैंग लीडर ने अपराध की दुनिया का उसूल समझाया।
“भाई, हम बाहर जा रहे हैं। पुलिस के सामने सरेंडर कर देंगे तो शायद बच जाएं।” मृत्यु का भय अली के सर पर चढ़ कर बोलने लगा।
“हाँ भाई, हम सब सरेंडर कर दें।” अन्य सदस्य गुड्डन ने भी अली का समर्थन किया।
“चुप करो, तुम दोनों। चुपचाप यहीं छिपे रहो। पुलिस इस तलघर में नहीं घुस सकती है। इसमें घुसने के दरवाजे को खोलना नामुमकिन है। ये तलघर बंकर जैसा मजबूत है इस पर बम का भी असर नहीं होता है। भागने की और सरेंडर करने की सोचना भी मत। इकबाल हमें जेल में भी मरवा देगा। हर जगह उसने अपने आदमी फिट कर रखे हैं।”
“या खुदा, हमें इस मुसीबत से बचा।” कहकर तीनों तलघर में सहम कर बैठ गए।
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रोशन के द्वारा पैकेट लेकर रवाना होने की खबर गरियाना में तैनात टीम को पहुँचा दी गई। डीआईजी ने इंस्पेक्टर रोहित व विक्रमसिंह को पूरी कार्ययोजना समझा दी और यह भी बता दिया कि एक कमांडो कार में छिप कर बैठा है। उन दोनों को टीम के साथ हाई एलर्ट पर रहने का आदेश दे दिया। जरूरत पड़ने पर गोली चलाने के निर्देश भी दे दिए।
जैसे ही रोशन की कार घर के सामने पहुँची। कार में लगे सेंसर से निकलने वाली रेज गेट में लगे सेंसर से टकराईं। दरबान के कमरे में लगे पैनल ने सेंसर से मिले डेटा का मिलान किया। गेट खुलने के लिए ऑटोमैटिक रिस्पांस सिस्टम से संदेश गेट तक पहुँचा। धीरे-धीरे कर गेट खुल गया। कार के अंदर होते ही गेट स्वत: बंद हो गया।
रोशन कार गेस्टहाउस की पार्किंग में खड़ी कर मेहमानों को खुशखबरी देने के लिए चला गया।जल्दबाजी में चाबी कार में ही लगी छोड़ गया।
पीछे छिपा कमांडो सीट के नीचे से निकलकर ड्राइवर सीट पर आकर बैठ गया और योजना अनुसार कार को मेनगेट की तरफ ले जाने लगा। कमांडो के ड्राइवर की ड्रेस में होने के कारण वहाँ ड्यूटी कर रहे सिक्योरिटी गार्ड ने कार को नहीं रोका। गेट पर पहुँचते ही सेंसर रीड कर मेनगेट स्वत: खुल गया। ड्राइवर बने कमांडो का इशारा पाते ही एक कमांडो सीसीटीवी कैमरे से बचता बचाता फटाफट अंदर आ गया। गेटकीपर ने खतरा भांपते हुए चीफ सिक्योरिटी को खबर करने के लिए इंटर कॉम उठाया। कमांडो ने फोन करने से पहले ही गेटकीपर को दबोचकर अपने कब्जे में ले लिया। एक अन्य कमांडो ने तुरंत सीसीटीवी कैमरों पर फॉगिंग स्प्रे से स्प्रे कर दिया जिससे फुटेज में कुछ दिखना बंद हो जाए। हाँलाकि रात का समय था। फिर भी यदि कोई सिक्योरिटी गार्ड फुटेज देखने के लिए तैनात हो तो उसको बाहर हो रही हलचल के बारे में पता न चले।
मौका ताके हुए आधे कमांडो गेट से अंदर आकर वहाँ करीने से लगी हैज में छिपते हुए अपनी-अपनी पोजीशन लेकर तैनात हो गए। जैसे ही कमांडोज अंदर घुस आए, ड्राइवर बने कमांडो ने कार घुमाई और गेस्टहाउस की पार्किंग में ले जाकर खड़ी कर दी। एक दो मिनट के भीतर सारा काम पूरी सतर्कता के साथ हो गया। किसी को कुछ पता नहीं चला।
हैज में छिपे हुए कमांडो धीरे-धीरे कर गेस्टहाउस के आसपास पहुँच गए। रात होने के कारण इस समय इक्का-दुक्का नौकर-चाकर ही काम पर जाग रहे थे। इसलिए अभी तक कमांडोज को कहीं किसी व्यवधान का सामना नहीं करना पड़ा।
कुख्यात तस्करों लल्लू लट्ठा और करीम कट्टा के साथ रोशन ने दो दो पैग पीकर जश्न मनाया। दोनों ने सौदे की रकम रोशन के हवाले की और पैकेटों को लेने के लिए पूरी फौज के साथ गेस्टहाउस से बाहर आए। गेस्टहाउस से निकले अत्याधुनिक हथियारों के साथ गुंडों की संख्या देखकर कमांडोज के होश उड़ गए। एक कमांडो ने इंस्पेक्टर रोहित को सूचना दी। रोहित ने डीआईजी को बताया और पुलिस बल के साथ हथियारों को भेजने के लिए कहा।
डीआईजी तुरंत एक्शन में आ गए। रिजर्व पुलिस बल की बड़ी टुकड़ी को कमांडेंट के नेतृत्व में गरियाना के लिए रवाना करा दिया।
ये तो अच्छा हुआ कि सारे गुंडे बंगले को अभेद्य मानकर गेस्टहाउस में निश्चिंत होकर सो रहे थे वर्ना बाहर होते तो अभी तक खून खराबा हो चुका होता।