“20 तारीख सुबह तीन बजे। अब ये कौन सी नई पहेली आ गई। आखिर क्या मतलब निकलता है इसका। फिर से पहेली बूझना पडे़गी। अंटा ने कागज पर लिखी इबारत दोहराते हुए कहा।
“चलो भाई फिर से इंस्पेक्टर साहब के पास। इतनी रात में पहेली बुझाते हैं चलकर।” सभी एक साथ बोले।
“क्या हो सकता है इसका मतलब। दूसरी पहेली ये कागज रिपुदमन की जेब में किसने रखा। याद करो रिपुदमन किसी आदमी से तुम मिले जुले।” विक्रमसिंह ने भी कागज लेकर हल जानने का प्रयास किया।
“नहीं सर, मैं तो डर के डर से सीधे ऑफिस भाग आया था। केवल साया के मेरे ऊपर सवार होने का आभास भर हुआ था।” रिपुदमन सिंह ने बताया।
“इसका मतलब साया ये कागज रिपुदमन सिंह के जेब में डालकर कोई संकेत देना चाहता है। हमें एलर्ट रहना पड़ेगा।” इंस्पेक्टर रोहित ने एलर्ट किया।
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शिवशंकर के साथ पार्टी से वापस आकर राहुल ने रिपुदमन को फोन पर मदहोशी में झूमते हुए कहा, “चलो बुलावा आया है, 19 को डुमरी में बुलाया है।”
“लगता है तुम्हें ज्यादा चढ़ गई है। कहीं पिछली बार तूने भी तो बोटी चबा नहीं ली इसलिए डुमरी के नाम से खुश हो रहा है। चल सो जा। ज्यादा बहकना मत, नहीं तो सारा मामला खुल जाएगा।” रिपुदमन ने राहुल को घर जाने के लिए कहा।
अगले दिन रिपुदमन सिंह ने राहुल के द्वारा दी गई सूचना चेंकी व विक्रमसिंह को दी। विक्रमसिंह ने दोनों सूचनाओं में संबंध ढूंढने की कोशिश की। डुमरी में 19 तारीख की शाम, कब्रिस्तान में 20 तारीख की सुबह तीन बजे। कहीं न कहीं कुछ लिंक हो सकता है। डीआईजी के साथ चर्चा में दो जगह छापा मारने का प्लान फाइनल हुआ। केवल दो दिन ही तो हैं 19/20 की रात में।
इकबाल साइकिल रिपेयर की निगरानी में लगाए गए पुलिसकर्मी ने इंस्पेक्टर रोहित को सूचना दी कि दुकान पर गतिविधियां ज्यादा बढ़ गई हैं। साइकिल पार्ट्स के बहुत से डब्बे आ रहे हैं। रोहित ने तगड़ी निगरानी रखे रहने का निर्देश दिया।
इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने इंस्पेक्टर रोहित को बुलाकर अपने मोबाइल में खींच कर लाई रोशन कंडा की पुरानी फोटो दिखाई, “ये फोटो देखकर बताओ क्या यही रोशन कंडवानी है।”
फोटो देखकर रोहित असमंजस में पड़ गया, “फोटो तो हूबहू मेल खा रही है। पर इसके स्टेटस से रोशन का स्टेटस मेल नहीं खा रहा है।”
“एक्जेक्टली, स्टेटस इसलिए मेल नहीं खाएगा रोहित क्योंकि ये तब का जिला बदर अपराधी रोशन कंडा है। अभी तुम जिससे मिले हो वह हाई प्रोफाइल रोशन कंडवानी है जिसके तार स्मगलिंग से जुड़े होने की हमें शंका है।”
“तुम एक बार गौर से देखकर कन्फर्म कर लो फिर हम इसकी गर्दन दबोचने की तैयारी करते हैं।”
“मान लिया इंस्पेक्टर कि रोशन कंडा ही रोशन कंडवानी है। पर हम उस समय के जिला बदर होने के आधार पर अभी कार्यवाही कैसे करेंगे। रोशन कंडवानी के विरुद्ध हमारे पास कोई शिकायत या स्मगलिंग में लिप्त होने के कोई सबूत नहीं हैं।” रोहित ने आशंका व्यक्त की।
“हम पुलिस वाले हैं रोहित। धाराएं हमारी जेबों में पड़ी रहती हैं। तुम एक बार पुष्टि कर लो कि दोनों लोग एक ही हैं। सबूत तो हम बना लेंगे।” विक्रमसिंह ने तिकड़म बताई।
“दोनों लगते तो एक ही हैं।”
“तो समझो कंडवानी आया सींखचों में। अरे मैं तुम्हें बताना भूल गया, रोशन कंडवानी का बंगला अवैध बना हुआ है। जमीन पर जबरन कब्जा किया है और मकान बनाने की परमीशन भी नहीं ली गई है। हम नगरपालिका के मार्फत अवैध कब्जा हटाने का 24 घंटे का नोटिस कोर्ट से दिलाएंगे। नेताओं तक पहुँच की ठसक बँगला हटाने नहीं देगी। इस बहाने हम उसके बंगले में घुसकर दबोच लेंगे। हो सकता है हमें वहाँ बहुत कुछ हाथ लग जाए। तब हमें अन्य कोई कार्रवाई नहीं करनी पड़ेगी।” विक्रमसिंह ने रोहित को समझाया।
“चलो एक बार फिर से डीआईजी साहब के पास चलकर पूरी रणनीति बना लेते हैं। चेंकी की टीम को भी साथ ले लेते हैं। चेंकी, अंटा, रिपुदमन व राहुल ने हमारी बहुत सहायता की है। साथ ही सैमुअल ने अपनी तकनीक व डिवाइस के द्वारा काम आसान किए हैं। कहीं न कहीं ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इंस्पेक्टर नील की प्रेमिका इंदिरा की रूह भी अप्रत्यक्ष रूप से हमारी मदद कर रही है। तो फिर बनाते हैं रणनीति मिशन “20 तारीख सुबह तीन बजे।” रोहित ने चेंकी जासूस की टीम पर भरोसा जताया।
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पूरी टीम डीआईजी ढिल्लन के ऑफिस में इकट्ठी हो गई।
मिशन “20 तारीख सुबह तीन बजे” हेतु डीआईजी ने चार टीमें तैयार करने का निर्देश दिया। चारों टीमों को एकसाथ गुप्त रूप से 19 तारीख की शाम को अपना-अपना मोर्चा संभाल लेने का निर्देश दिया। क्या और कैसे किया जाएगा की रणनीति भी तैयार की गई।
पहली टीम अस्पताल पर छापा मारेगी। राहुल और शिवशंकर को लेने अस्पताल की एंबुलेंस से पहले हमारी एंबुलेंस उनके घरों में पहुँचेंगी। ड्राइवर, मेल नर्स व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में हमारे कमांडो हथियारों सहित एंबुलेंस में रहेंगे। दोनों लोगों को अस्पताल गेट पर छोड़कर एंबुलेंस वहीं पार्किंग में खड़ी होंगी। एक कमांडो वीआईपी वार्ड की खिड़कियों पर निगाह रखने के लिए पोजीशन ले लेगा। चूँकि भर्ती करने से पहले वे लोग व्यक्ति के कपड़े, मोबाइल आदि सब कुछ बाहर ही रखवा लेते हैं एवं वहाँ वार्ड में जैमर भी लगा होने के कारण वहाँ से कोई सिग्नल बाहर आना संभव नहीं है। इसलिए राहुल भर्ती होने के बाद जैसे ही नर्स कमरे में आएगी फौरन कमरे की लाइट दो बार ऑन-ऑफ करके कमांडो को सिग्नल देगा। कमांडो सिग्नल मिलते ही दोनों एंबुलेंस में तैनात फोर्स को एलर्ट करेगा। पन्द्रह मिनट बाद एक आई टी एक्सपर्ट कमांडो तेजी से कम्प्यूटर रूम में जाकर सिस्टम हैक करके सारे आई डी पासवर्ड अनलॉक कर देगा। उसके बाद पूरी टीम बिना किसी हल्ला-गुल्ला के अस्पताल के अंदर में अपनी-अपनी पोजीशन ले लेगी । दो कमांडो डॉ घोष के चैंबर के बाहर, चार कमांडो वार्ड के बाहर एवं एक कमांडो रिकॉर्ड रूम के बाहर तैनात हो जाएंगे। खिड़की के सामने वाला कमांडो गेट पर आकर तैनात हो जाएगा। एंबुलेंस ड्राइवर वाले कमांडो, एंबुलेंस गेट पर तैयार रखेंगे। सब लोग यह काम ठीक दस मिनट में कर लेंगे।
आधा घंटे तक सब लोग अस्पताल स्टाफ की तरह व्यवहार करेंगे। इतनी देर में वार्ड में मरीज व नर्सें अपने काम में लग चुके होंगे। ठीक 11 बजे सारे लोग अपने-अपने टारगेट को रंगे हाथों कब्जे में ले लेंगे। हमारा मुख्य टारगेट डॉ घोष होगा। दो नर्स व मरीज के रूप में भर्ती हुए दो व्यक्तियों को भी अपने कब्जे में लेना होगा।
“पर सर, अस्पताल की एंबुलेंस जब शिवशंकर और राहुल को लेने आएंगी और मरीज न मिलने पर वे अस्पताल में सूचना दे देंगी।” रिपुदमन ने प्रश्न किया।
“हम एंबुलेंस के आते ही अपने कब्जे में ले लेंगे। हमारे विशेषज्ञ एंबुलेंस में तैनात स्टाफ को सम्मोहित कर देंगे फिर वे हमारे निर्देशों के अनुसार रात भर हमारी मेहमाननवाजी का लुत्फ उठायेंगे।” डीआईजी ने उत्तर दिया।
“एक बात और सर, आपकी कार्ययोजना में कहीं किसी के विरोध करने की बात ही नहीं आई। सारे लोग इतनी आसानी से हमारे कब्जे में कैसे आ जाएंगे।” चेंकी जासूस ने आश्चर्य व्यक्त किया।
“चेंकी जासूस, हमारे कमांडो फौलाद के बने हैं। इनमें चीते जैसी फुर्ती है। इनकी दो उँगलियों की मार से आदमी को संभलने का मौका ही नहीं मिलता है। वह बिना कोई आवाज किए दो सैकेंड में बेहोश हो जाता है। वैसे तो अस्पताल में खून खराबा होने का अंदेशा नहीं है। यदि होता भी है तो ये लोग उससे भी निपटने में सक्षम हैं।”
जैसे ही डॉ घोष को एक कमांडो बेहोश करेगा। दूसरा कमांडो स्ट्रेचर पर लिटा कर पूरी तरह से चादर से ढंक कर पिछली तरफ वाली लिफ्ट जहाँ से लाशों को नीचे ले जाया जाता है, से लेकर मेन गेट तक ले जाकर एंबुलेंस में शिफ्ट कर देगा। एंबुलेंस बिना देर किए वहाँ से रवाना होकर सीधे हमारे पास आ जाएगी।
इसी तरह दो नर्सो व दो मरीज शिवशंकर व उसके दोस्त को भी बेहोश कर गेट तक लाया जाएगा और दूसरी एंबुलेंस में लादकर हमारे पास लेकर आ जाएगी।
सब कुछ मिनटों में हो जाएगा। अस्पताल स्टाफ को भी कानों कान खबर नहीं हो पाएगी।
“पर इतनी रात में डॉ घोष अपने चैंबर में उपस्थित होगा क्या।”
“हमें पक्की खबर है कि डॉ घोष 11 बजे से 12 बजे तक हिसाब किताब करने के लिए चैंबर में अकेला ही बैठता है।”
“चूँकि सभी जगह आधुनिक तकनीक का उपयोग होने की संभावना थी इसलिए पुलिस टीम को भी तकनीक का उपयोग करने के लिए तैयार रहने के लिए निर्देशित किया गया है।”
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दूसरी टीम कब्रिस्तान में छापा मारेगी। हमें कब्रिस्तान से “20 तारीख सुबह तीन बजे” का संदेश मिला है इसलिए इस टीम को ज्यादा एलर्ट रहना पड़ेगा। इस टीम के ऊपर ही ऑपरेशन सफल होने का दारोमदार रहेगा।
पूरी टीम ठीक 6 बजे कब्रिस्तान से पाँच सौ मीटर की दूरी पर इकठ्ठी होगी। टीम के सारे कमांडो मातमपुर्सी करने वाले मुस्लिम लोगों के गेटअप में रहेंगे।क्योंकि हो सकता है वहाँ रहने वाले फकीर बाबा भी आ पहुंचे। उन्हें या वहाँ उपस्थित किसी अन्य व्यक्ति को शक न हो इसलिए सभी मुस्लिम वेशभूषा में की ड्रेस में रहेंगे। एक जनाजा भी तैयार रहेगा।
चार कमांडो कब्र खोदने वाले मजदूर बनकर 6 बजे कब्रिस्तान में पहुंचेंगे। वे अपनी पैनी नजर से पहले कब्रिस्तान का मुआयना करेंगे। फिर कब्र की खुदाई ऐसी जगह करेंगे जहाँ से हर ओर निगाह रखी जा सके। यह काम 7 बजे तक पूरा हो जाएगा। इस समय तक अंधेरा छाने लगता है। मजदूर बने कमांडो का इशारा पाते ही पूरी टीम जनाजे में छिपे कमांडो के साथ कब्रिस्तान के अंदर पहुँच जाएगी।
जनाजे को कब्र में इस तरह से दफ्न किया जाएगा कि जनाजे में बने छेद से कब्रिस्तान में हो रही गतिविधियों पर निगाह रखी जा सके।
दफ्न करने की इस कार्यवाही को पूरा करते-करते आठ साढ़े आठ बज जाएंगे। इसके बाद टीम के सभी सदस्य वहाँ से वापसी का नाटक करेंगे।
सभी सदस्य मौका पाते ही अपना-अपना गेटअप बदल कर काले कपड़े पहन लेंगे और कब्रिस्तान के अंदर ही छिप जाएंगे। काले कपड़े होने के कारण अंधेरे में छिपना आसान रहेगा। मजदूर बने कमांडो रात का बहाना कर वहीं किसी ऐसी कब्र के पास सोने का नाटक करेंगे जहाँ से झोपड़ी व पूरे कब्रिस्तान में निगाह रखी जा सके।
सभी कमांडो साँस रोके वहीं रहकर पैनी निगाह रखेंगे। एक बात और तीन बजे से पहले सभी लोग चुपचाप वहाँ हो रही गतिविधियों पर सिर्फ निगाह रखेंगे। कोई एक्शन नहीं लेंगे। चूँकि मैसेज तीन बजे का है। इसलिए हर हाल में तीन बजे का इंतजार सभी करेंगे। तीन बजे जनाजे में छिपा कमांडो संदिग्ध गतिविधियाें को परख कर सही मौके की तलाश करेगा। सही मौका मिलते ही वह उल्लू की आवाज करेगा।
किसी कारणवश जनाजे के अंदर छिपा कमांडो मैसेज नहीं दे पाता है तो मजदूर बने कमांडो वहाँ की गतिविधियों का जायजा लेंगे और उल्लू की आवाज में सभी कमांडो को एलर्ट करेंगे।
छिपे हुए कमांडो चारों तरफ से एकदम अटैक करेंगे। और संदिग्धों को कब्जे में ले लेंगे।
“सर, जब हमारे कमांडो को छिपना ही है तो जनाजा और मातमपुर्सी करने का नाटक करने की क्या जरूरत है।” बहुत देर से चुपचाप बैठे अंटा ने पूछा।
“अभी तुम पक्के जासूस नहीं बन पाए हो इसलिए ऐसा सवाल कर रहे हो। यह नाटक इसलिए जरूरी है कि यदि वहाँ अवैध गतिविधियाँ चल रही हैं तो वहाँ आने-जाने वालों पर नजर रखी जा रही होगी। जनाजा होने के कारण उन लोगों को शक नहीं होगा। वे इसे सामान्य क्रिया मानेंगे और अपनी गतिविधियां जारी रखेंगे। दूसरा जनाजे में हम एक कमांडो को बिल्कुल पास तैनात करने में सफल होंगे।”
“एक बात और सर, चूँकि मैं कब्रिस्तान में पहले भी जा चुका हूँ वहाँ अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग हो रहा है। इसलिए कमांडो भी अत्याधुनिक हथियारों से लैस हों।” पत्रकार रिपुदमन सिंह ने अपना अनुभव बताते हुए कहा।
“बिल्कुल सही कहा रिपुदमन, हमारे कमांडो भी अत्याधुनिक लेजर हथियारों से लैस होकर ही वहाँ तैनात होंगे।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने बताया।
“एक और आशंका सर, यदि वहाँ ज्यादा अपराधी हुए तो हमारे 11 कमांडो उन्हें कैसे कवर कर पाएंगे।” चेंकी जासूस ने पूछा।
“यह काम तुम करोगे। तुमने अस्पताल, कब्रिस्तान और इकबाल साइकिल रिपेयर में नेत्र तैनात कर रखे हैं। उनके सहारे तुम और तुम्हारा शागिर्द नजर रखोगे। यदि वहाँ ज्यादा अपराधी दिखें तो तुम हमें सूचना दोगे। हम रिजर्व टीम वहाँ के लिए भेज देंगे। वैसे इस टीम में सारे कमांडो कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं। एक एक कमांडो पाँच छह लोगों पर भारी पड़ेगा।” डीआईजी ने विकल्प बताया।
तो फिर मिशन “20 तारीख सुबह तीन बजे” की दूसरी टीम तैयार इंस्पेक्टर विक्रमसिंह तुम्हारे निर्देशन में।
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“सर पहली टीम को कौन लीड करेगा। यह निर्णय तो हुआ ही नहीं है।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने पूछा।
“पहली और चौथी टीम को हम स्वयं लीड करेंगे।”
तीसरी टीम गरियाना के लिए जाएगी। इंस्पेक्टर रोहित तुम्हारे निर्देशन में वह टीम काम करेगी। चूँकि रोशन कंडवानी अब प्रतिष्ठित आदमी बन चुका है इसलिए उस पर हाथ डालने के लिए बहुत कुशल नेतृत्व चाहिए।
यह टीम गरियाना की नगर पालिका की टीम के साथ मिलकर काम करेगी। रोशन कंडवानी का कनेक्शन अस्पताल और कब्रिस्तान से भी हो सकता है इसलिए हमें “20 तारीख सुबह तीन बजे” उस पर भी नजर रखनी पड़ेगी। लेकिन उसको शक नहीं होना चाहिए।
आईजी साहब के निर्देश पर नगर पालिका द्वारा रोशन कंडवानी को अवैध कब्जा हटाने के लिए 18 तारीख को चौबीस घंटे का नोटिस दिया जावेगा।
19 तारीख को अवैध कब्जा हटवाने की कार्यवाही में नगरपालिका कर्मचारियों के साथ तीसरी टीम के कमांडो भी सिविल ड्रेस में रहेंगे। यह काम गुप्त रूप से होगा। नगरपालिका के किसी कर्मचारी को इनके कमांडो होने का पता नहीं चलना चाहिए। वर्ना हो सकता है उनमें से ही कोई कंडवानी को खबर कर दे। रोहित तुम 19 तारीख को आदेश इस तरह से जारी करवाओगे कि आदेश का पालन करने नगरपालिका की टीम शाम के छह बजे कंडवानी के घर पहुँचे लेकिन उस दिन कोई कार्रवाई नहीं करना है। संभव है कंडवानी खुद ही कार्रवाई का विरोध करे या स्टे ले आए। यदि ऐसा नहीं भी हो तुम रात होने की आड़ लेकर टीम को कंडवानी के घर के पास टैंट लगवा कर बैठा दोगे। एक-एक कर नगरपालिका के कर्मचारी घर के लिए खिसक लेंगे। वहाँ तीसरी टीम के कमांडो ही रह जाएंगे। वे भी थके कर्मचारियों की तरह आड़े-तिरछे होकर सोने का नाटक करेंगे और कंडवानी व उसके घर आने-जाने वालों पर नजर रखेंगे। संदिग्ध लोग दिखते ही टीम के सदस्य एलर्ट हो जाएंगे। रोहित तुम विक्रमसिंह व मुझसे संपर्क में रहोगे। सिग्नल मिलते ही छापा मार कार्यवाही करवा दोगे।
एक संभावना और बनती है कि कंडवानी 20 तारीख को बरामऊ इकबाल के पास जावे। रोहित तुम पता लगाने की कोशिश करो कि फिर से कहीं कोई डीलिंग हुई है क्या। यदि हुई है तो हम गरियाना में कोई कार्यवाही नहीं करेंगे। फिर हम इकबाल और रोशन को बरामऊ में ही सबूतों के साथ पकड़ेंगे।
चौथी टीम इकबाल साइकिल रिपेयर के आसपास साइकिल यात्रा जत्थे के रूप में पड़ाव डालेगी। और अगली सूचना अनुसार कार्यवाही करेगी।
एक बात चारों टीमों के लिए जहाँ भी कार्यवाही शुरू की जाएगी उससे पहले पुलिस विभाग की आई टी टीम वहाँ जैमर लगाकर पूरा नेटवर्क हैक कर लेगी और वहाँ आने वाले कॉल्स का जबाव अपने हिसाब से वॉइस चेंजर के माध्यम से कॉल रिसीवर की आवाज में देगी। इससे कॉल करने वाले को कोई शक नहीं होगा। हमारी टीम ने चारों जगह की कॉल रिकॉर्डिंग कर ऑटोमेटेड रिस्पांस सिस्टम तैयार कर रखा है।
“सर, जहाँ तक हमारी इन्फॉर्मेशन है कि वे लोग आपस में कॉल नहीं करते हैं। बल्कि किसी डिवाइस के द्वारा मैसेज आदान-प्रदान करते हैं जैसे हमने भी सैमुअल की डिवाइस हस्ती का प्रयोग किया था।” चेंकी जासूस ने आशंका व्यक्त की।
तो फिर तुम सैमुअल को भी अपने ऑफिस में उसकी डिवाइस के साथ तैनात रखना। मैं लगातार तुम्हारे संपर्क में रहूँगा। जरूरत पड़ने पर तुम्हारे ऑफिस में ही आकर नजर रखूँगा।
“ओ के सर, हम सब तैयार है मिशन 20 तारीख सुबह तीन बजे के लिए।” सभी ने एक साथ कहा।
आज ही में चारों टीमों के कमांडो को तैयार रहने का निर्देश दे दूँगा।
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“सर, मैं एक सुझाव देना चाहता हूँ। उचित लगे तो उस पर विचार करिए।” अंटा जासूस ने अपराधियों के तकनीकी रूप से मजबूत पक्ष को ध्यान में रखते हुए कहा।
“हाँ, हाँ, बिल्कुल बताओ मि. जासूस।”
“सर, मिशन के दौरान हम एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए मोबाइल की बजाय सैमुअल की डिवाइस हस्ती का प्रयोग करें तो संदेशों का आदान-प्रदान एंड टू एंड इनक्रिप्टिड रहेगा। हस्ती के संदेशों को दूसरी डिवाइस के द्वारा पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।” अंटा ने हस्ती की खासियत बताई।
“गुड आइडिया, इंस्पेक्टर रोहित, इंस्पेक्टर विक्रमसिंह, चेंकी और मेरे पास एक-एक हस्ती डिवाइस रहेगी। हस्ती के माध्यम से संदेश देकर हम परिस्थितियों अनुसार अपनी रणनीति बदलते रहेंगे। जिससे ऑपरेशन की सफलता बढ़ जाएगी।” डीआईजी ने अंटा की तारीफ की।
“ठीक है सर, मैं सैमुअल से हस्ती काे चारों के मोबाइल से लिंक करने के लिए कह दूँगा। एक और बात सर, हमारे द्वारा नेत्र कब्रिस्तान और अस्पताल में तैनात किए गए हैं। गरियाना व इकबाल की दुकान पर नेत्र नहीं हैं। गरियाना के लिए एक मूविंग नेत्र हमारे पास है। उसकी चिप इंस्पेक्टर रोहित अपने साथ रखेंगे। जिससे वह नेत्र चिप के सहारे गरियाना की गतिविधियों की लाइव रिकॉर्डिंग भेजता रहेगा। इकबाल की दुकान के लिए सैमुअल के पास यदि एक नेत्र और होगा तो उसे वहाँ तैनात करने के लिए कह दूँगा। इस प्रक्रिया से चारों जगह की कार्यवाही एकसाथ या अलग-अलग स्थितियों अनुसार करने की रणनीति बनाने में आसानी रहेगी।” अंटा ने सभी जगहों पर केंद्रीयकृत लाइव नजर रखने की योजना बताई।
“गुड स्ट्रेटजी अंटा।”
“सर, ऑपरेशन के दौरान आप हमारे ऑफिस में ही आ जाएं तो त्वरित निर्णय लेने में आसानी रहेगी। ऑफिस में हमने पहले से ही सारा सेटअप कर रखा है। सभी डिवाइस हमारे कम्प्यूटर से कनेक्ट हैं। अन्यथा हम लोग यहाँ पर आ जाते।”
“नो प्रॉब्लम, मैं वहीं पर आ जाऊँगा। बल्कि यह तो और अच्छा रहेगा। ऑपरेशन गुप्त रखने के लिए यह रणनीति ज्यादा ठीक है। पुलिस ऑफिस से होने वाली कार्यवाहियों पर तो पत्रकार, अपराधी व अन्य लोग ज्यादा नजर रखते हैं।”
“सर, हम तो ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि इस ऑपरेशन से अपराधियों की धर-पकड़ एकसाथ हो जाए। जिससे उनका पूरा नेटवर्क एक साथ ध्वस्त हो जाए जिसके लिए इंस्पेक्टर नील को शहादत देनी पड़ी। इससे दिवंगत इंस्पेक्टर नील की आत्मा को सुकून मिल जाएगा और कब्रिस्तान में भटकती इंदिरा की रूह को भी मुक्ति मिल जाएगी।” पत्रकार रिपुदमन सिंह ने हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना की।
“और कोई प्वाइंट छूट तो नहीं रहा है। हम लोग पन्द्रह मिनट और विचार-विमर्श कर रणनीति पर फाइनली गौर कर लेते हैं।” डीआईजी ने सभी लोगों से कहा।
पन्द्रह मिनट तक हर पहलू पर सभी ने विचार-विमर्श किया। किसी को कहीं भी कोई खामी नजर नहीं आई।
“ओ के, 19 तारीख की शाम को मिलते हैं। एक्शन करने के लिए। सभी लोग पूरी रणनीति को गोपनीय रखेंगे। कहीं से भी सूचना लीक नहीं होनी चाहिए। सूचना लीक होने पर मिशन की सफलता व सूचना लीक करने वाले व्यक्ति के लिए घातक रहेगा।” कहकर डीआईजी ने मीटिंग समाप्ति की घोषणा की।
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19 तारीख को सभी टीमें तैयार हो गई। राहुल ने जैसे ही डुमरी अस्पताल से बरामऊ के लिए एंबुलेंस चलने का संकेत दिया। पहली टीम एक्शन में आ गई। बरामऊ और डुमरी के बीच में डीआईजी द्वारा तैनात सिपाहियों ने जाल बुन दिया।
एंबुलेंसों को आते देख दो सिपाही घायल बन सड़क के किनारे अस्त-व्यस्त हालत में पड़ गए। दो सिपाही घबराए हुए से ग्रामीण की वेशभूषा में जल्दी-जल्दी हाथ देने लगे।
“क्या हुआ।” पहली एंबुलेंस के ड्राइवर ने रुक कर हाथ देने वाले ग्रामीण वेशधारी सिपाही से पूछा।
“साब, ट्रक वालो हमाए संगीयन ए चपेट दै गयो। हालत भोतई खराब है। बरामऊ में डौकटर तक लै चलो।”
“नहीं, नहीं, हमारे पास टाइम नहीं है। हमें मरीज को लेने जाना है।”
“साब तुम बरामऊ जाय रये हो। हमाए संगीयन ए बिठाय लेओ। भोत किरपा होयगी। पैसो चाहे जित्तौ ले लेओ।” ग्रामीण वेशधारी सिपाही ने 100 के नोटों की गड्डी निकाल कर लहराई।
“ठीक है, ठीक है। पाँच -पाँच हजार लगेंगे। एक बात और हम सड़क पर ही छोड़ पाएंगे।”
“साब, क्लीनिक तक पहुँचाय दियो। भोत घायल हैं। सड़क सें थोड़ाे अंदर ई तो है डाकटर कौ अस्पताल।” हाथ देने वाले सिपाही ने ड्राइवर को विश्वास में लेने के लिए कहा।
ड्राइवर और अपने साथी का वार्तालाप सुनकर घायल बने सिपाही जोर-जोर से कराहने लगे।
“जल्दी करो, और पहले पैसे दे देना।”
फटाफट दोनों सिपाहियों ने मिलकर एंबुलेंस में एक-एक घायल सिपाही को लिटा दिया। ग्रामीण वेशधारी सिपाही ड्राइवरों के पास बैठ गए।
पाँच हजार के नोट हाथ में लेकर सिपाहियों ने ड्राइवरों के सामने दो तीन बार विशेष तरह से लहराए और ड्राइवर की आँखों में आँखें डालकर उसे सम्मोहित कर दिया। अब ड्राइवर सिपाहियों के इशारे अनुसार चलने लगे।
एंबुलेंस में पीछे लेटे सिपाहियों ने अपने पास छिपाई हुई जहर बुझी बारीक आलपिन निकाली और साथ बैठे अटेंडरों को धीरे से चुभा दी। अटेंडरों को लगा कि मच्छरों ने काटा है। जैसे ही जहर के धीमे असर से अटेंडरों को खुमारी सी आई। आगे बैठे सिपाहियों ने सम्मोहित अवस्था का लाभ उठाकर ड्राइवरों से अस्पताल में होने वाली औपचारिकताओं के बारे में पूछ लिया। रिसेप्शन पर बताया जाने वाला मरीजों का गुप्त कोड पूछ लिया और उनके मोबाइल अपने पास रख लिए। ड्राइवरों को निर्देश देकर एंबुलेंसों को थाने में ले जाकर खड़ा करा लिया। एंबुलेंस का चारों स्टाफ अब पूरी तरह पुलिस के कब्जे में आ गया।
पहले से पूरी तरह तैयार एंबुलेंस ठीक समय पर शिवशंकर और राहुल को लेकर डुमरी के लिए रवाना हो गईं। शिवशंकर को एंबुलेंस में ज्यादा स्टाफ होने पर शक हुआ। उसने ड्राइवर से पूछा भी।
“वो क्या है सर जी, आजकल पुलिस वाले एंबुलेंस वालों पर ज्यादा नजर रख रहे हैं। इसलिए स्टाफ बढ़ा दिया है जिससे देखते ही मरीज ज्यादा गंभीर नजर आए।” शिवशंकर को ड्राइवर ने संतुष्ट कर दिया।
अस्पताल पहुंच कर ड्राइवर बने कमांडो ने रिसेप्शनिस्ट को कोड बताया। रिसेप्शनिस्ट ने कोड कम्प्यूटर में डाला और मोबाइल पर आया हुआ ओटीपी पूछ कर कम्प्यूटर में डाला। ओ के मैसेज आने पर दोनों मरीजों को स्ट्रेचर पर अंदर लाने हेतु कहा। एंबुलेंस में बैठे कमांडोज ने फटाफट शिवशंकर व राहुल को रिसेप्शन पर पहुँचाया। दोनों के मोबाइल पर आए कोड से वेरीफिकेशन करने के बाद कोड बताकर ऊपर वीआईपी वार्ड के लिए भेज दिया।
इसी बीच आई टी विशेषज्ञ कमांडो सीधा कम्प्यूटर रूम में पहुँचा। जब तक कम्प्यूटर ऑपरेटर कुछ समझता तब तक कमांडो की दो ऊंगलियां ऑपरेटर के गले पर वार कर उसे बेहोश कर चुकीं थी। सबसे पहले उसने सीसीटीवी हैक कर स्टिल कर दिए जिससे किसी को सीसीटीवी बंद होने का शक न हो फिर सारा सिस्टम अपने कब्जे में लेकर काम शुरू कर दिया।
रिसेप्शनिस्ट की क्लियरेंस मिलते ही एंबुलेंस में स्टाफ के वेश में आए कमांडोज ने बिना देर किए आगे बढ़ गए। रिसेप्शनिस्ट ने उनको रोकने की कोशिश भी की तब तक वे स्ट्रेचर को लेकर लिफ्ट में सवार होकर ऊपर चले गए। पीछे से रिसेप्शनिस्ट ने अस्पताल स्टाफ को मरीजों के साथ होने के लिए भेज दिया।
अस्पताल स्टाफ ने फटाफट मरीजों को अपने हाथों में लिया। स्ट्रेचर के साथ गए कमांडोज एक-एक कर हटते गए और मौका पाकर अपनी-अपनी पोजीशन लेकर तैनात हो गए।
एक कमांडो अस्पताल की साइड में चला गया। ड्राइवर व एक अन्य कमांडो एंबुलेंस को लेकर पार्किंग में खड़े हो गए। सब कुछ रणनीति अनुसार हो गया।
डीआईजी चेंकी जासूस के ऑफिस पहुँच गए और नेत्रों द्वारा भेजी जा रही वीडियोज को देखने लगे।