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“अरे यार अंटा, अपना एक नेत्र रास्ता भटक गया था उसका क्या हुआ। देखो देखो आखिर वह है कहाँ।” चेंकी ने भटके हुए नेत्र के लिए चिंता जाहिर की।
“सर, मैंने रिमोट संदेश देकर उसको अपने पास लाने की बहुत कोशिश कर ली है। उस तक सिग्नल जा रहे हैं पर वहाँ किसी पावरफुल सिग्नल क्षेत्र होने की वजह से वह फँस कर रह गया है। मैं फिर से कोशिश करता हूँ। अन्यथा आज ही सैमुअल से मदद लेकर उसको वापस लाने की कोशिश करता हूँ।” जासूस अंटा ने आश्वासन दिया।
“ओ के, पर आज ही नेत्र से कॉन्टैक्ट हो जाना चाहिए। हम उसे खोकर तगड़ा घाटा खाने की स्थिति में नहीं हैं। वैसे ही हम इस केस में घर फूँक तमाशा देखने वाली स्थिति में हैं।” चेंकी जासूस ने यथास्थिति बताई।
जासूस अंटा ने अपनी ओर से पूरे प्रयास कर लिए। नेत्र से सार्थक कॉन्टैक्ट नहीं हो पाया। सैमुअल को मोबाइल पर उसने सारी बात बताई एवं ऑफिस आकर नेत्र को ट्रैक करने व वापस लाने के लिए कहा। सैमुअल अन्य शहर के किसी छोटे से स्कूल में बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने के लिए गया हुआ था। इतना बड़ा आविष्कारक, तकनीकी ज्ञान का जानकार, कम्प्यूटर प्रोग्रामर होकर भी अपने आप को व्यस्त रखने के लिए इधर उधर छोटी मोटी सेमिनारों में जाना उसकी मजबूरी थी। लाल फीताशाही का शिकार होना होनहार युवाओं का एवं समाज का दुर्भाग्य है।
सैमुअल ने घंटे भर में सेमिनार से फ्री होकर उसी शहर से नेत्र को सही रास्ते पर लाकर वापस लाने का आश्वासन दिया।
पूरी स्थिति से जासूस अंटा ने चेंकी जासूस को अवगत करा दिया।
सैमुअल ने उसी शहर से नेत्र को ट्रैक किया। सिविल लाइन एरिया में एक जगह स्थिर होकर रह गया था। कई प्रयासों के बाद भी वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हो रहा था।
आखिर हारकर सैमुअल ने और ज्यादा पावरफुल सिग्नल देने के लिए दूसरे रिमोट का प्रयोग करने के लिए पहले रिमोट का स्विच ऑफ कर दिया।
यही बहुत बड़ी चूक सैमुअल से हो गई। पहले रिमोट के स्विच ऑफ होने और दूसरे रिमोट के स्विच ऑन होने के बीच के 5 सेकेंड में सिग्नल बंद होते ही नेत्र मैग्नेटिक क्षेत्र के खिंचाव में आकर मिल रहे संदेश की ओर बढ़ गया। जब तक सैमुअल कुछ समझ पाता नेत्र पूरी तरह नए सिग्नल के प्रभाव में आ गया।
सिग्नल के सहारे बढ़ते-बढ़ते नेत्र इकबाल साइकिल रिपेयर की दुकान में अंदर पहुँच कर सामने की दीवार पर बने शेर के चेहरे पर जाकर चिपक गया।
सैमुअल ने जासूस अंटा को स्थिति की सारी जानकारी दी एवं आश्वस्त किया कि वह कल अपने घर की प्रयोगशाला से नेत्र को अपने प्रभाव में लेकर वापस लाने का प्रयास करेगा। फिलहाल नेत्र को नए रिमोट से कनेक्ट कर दिया है जिससे वह कहाँ है की पूरी जानकारी बनी रहे। सबसे अच्छी बात है कि उसके सारे पार्ट्स सही ढंग से काम कर रहे हैं।
अंटा ने सैमुअल के साथ हुए वार्तालाप की जानकारी चेंकी को दे दी।
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इंस्पेक्टर रोहित के दिमाग में “इकबाल साइकिल रिपेयर” लगातार ठक ठक करता रहा। उसके मन में लगातार सिविल लाइन की लौकेलिटी और साइकिल रिपेयर की दुकान में कोई मैच न होने की बात चल रही थी।
पॉश कॉलोनी में साइकिल रिपेयरिंग की दुकान यानी एक अजूबा। कुछ न कुछ तो गड़बड़झाला है।
क्या गड़बड़ घोटाला चल रहा है दुकान की आड़ में पता लगाना ही पड़ेगा।
इंस्पेक्टर रोहित ने कई दिन तक दुकान पर निगाह रखी। बस दो चार लोग आते-जाते दिखे। वे भी कॉलोनी के घरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर अपनी-अपनी साइकिलों में छोटी-छोटी रिपेयरिंग या टायरों में हवा डलवाने आए थे।
इंस्पेक्टर रोहित का शक इसी कारण से और बढ़ गया था कि दिन भर में मुश्किल से बीस पचीस रुपयों की आमद से दुकान की चाय पानी का खर्च भी निकलना मुश्किल होता है। निश्चित ही इसकी आड़ में कुछ अनैतिक काम चल रहा होगा।
अपने मन में उठ रहे सवालों के जवाब उस दुकान के दुकानदार के द्वारा ही मिल सकते थे। पर सीधे तौर पर पूछताछ करने से सही जवाब मिलने की उम्मीद न के बराबर थी।
इसलिए इंस्पेक्टर रोहित ने मजदूरों जैसी वेशभूषा बनाकर पुरानी सी साइकिल ली और हवा भरवाने के बहाने दुकान पर पहुँच गया।
दुकान पर बैठे एक लड़के से साइकिल में हवा भरने के लिए कहा।
लड़का जब तक साइकिल के पहियों में हवा भरता तब तक रोहित ने पूरी दुकान का मुआयना कर लिया। पूरी दुकान में दो चार साइकिल रखी हुई थी। हवा भरने के लिए छोटा सा कम्प्रेसर व थोड़े बहुत पेंचकस, टायर व ट्यूब अस्त व्यस्त हालत में रखे हुए थे। सामने की दीवार पर मक्का मदीना का कैलेंडर टंगा हुआ था। एक साइड की दीवार पर टूल रखने की लकड़ी के पट्टों से बनी अलमारी टंगी थी। दूसरी साइड की दीवार पर बड़ी सी जीभ निकाले शेर का मुँह टंगा हुआ था। इंस्पेक्टर रोहित की भेदिया नजरों ने दुकान में कुछ भी असामान्य चीज नहीं देख पाई थी।
लड़के ने फटाक से साइकिल के दोनों पहियों में हवा भर दी। और बोला, “लो साइकिल के पहियों में हवा टनाटन हो गई।”
मजदूर बने इंस्पेक्टर रोहित ने वहीं खड़ी दूसरी साइकिल का हैंडिल पकड़ते हुए जेब से दस रुपए का कड़क नोट निकाल कर लड़के की ओर बढ़ाया। लड़के ने जैसे ही नोट की ओर हाथ बढ़ाया दुकान के अंदर बैठे स्मार्ट से युवक ने उसे रोका, “नहीं छोटू, साहब लोग तो शौकिया तौर पर हवा डलवाने आए हैं। ये साहब तो साइकिल चलाना भी नहीं जानते हैं। हम इनसे पैसे नहीं ले सकते हैं।”
छोटू ने झट से अपना हाथ पीछे खींच लिया।
इंस्पेक्टर रोहित को बड़ा आश्चर्य हुआ कि सामने वाले व्यक्ति ने यह कैसे पहचान लिया कि मैं साइकिल चलाना नहीं जानता बल्कि उसने यह भी पहचान लिया कि मैं मजदूर नहीं कोई साहब हूँ।
“अरे छोटू, मैं कोई साहब नहीं हूँ तुम पैसे ले लो।” रोहित ने नोट बढ़ाते हुए कहा।
“नहीं छोटू, नहीं। अरे साहब, इस बंदे इकबाल की आँखों में अभी मोतियाबिंद नहीं उभरा है। ये आँखें धोखा नहीं खा सकती हैं। आप तो बस इस तरह से आने का मकसद बताइए।” वहाँ बैठे व्यक्ति ने सीधे तौर पर इंस्पेक्टर रोहित से पूछ लिया।
“तुम तो खामखां शक कर रहे हो इकबाल मियां। हम तो बस हवा डलवाने और तुम्हारी दुकान देखने चले आए थे।” इंस्पेक्टर रोहित ने भी इकबाल नाम पकड़ते हुए कहा।
“बस इतनी सी ही बात है, कुछ और नहीं है, तो बंदे को बुलवा लिया होता।” इकबाल ने इंस्पेक्टर के झूठ को पकड़ा।
“वो क्या है इकबाल मियां, इतनी पॉश कॉलोनी में साइकिल रिपेयरिंग की दुकान होने की बात गले नहीं उतर रही थी। इसलिए उत्सुकता मुझे यहाँ खींच ले आई। वैसे इस इलाके में तुम्हें साइकिल रिपेयरिंग से बहुत कम आमदनी होती होगी।” रोहित असली मुद्दे पर आ गया।
“अरे साहब, साइकिल रिपेयरिंग हमारा पुश्तैनी धंधा है। बाप दादा के जमाने से यह दुकान चली आ रही है। कमाई हो या न हो, यह दुकान ऐसे ही चलती रहेगी। पुरखों की निशानी समझ लें साहब इसे।” इकबाल ने कहा।
“ये तुम मुझे साहब, साहब क्याें कह रहे हो।” रोहित ने पहचान छिपाने की कोशिश की।
“तो फिर इंस्पेक्टर साहब कहूँ। चलो ये ही ठीक रहेगा इंस्पेक्टर रोहित साहब।” इकबाल ने रोहित की पहचान उजागर कर दी।
76
इंस्पेक्टर रोहित भौंचक रह गया। सामने वाला व्यक्ति न सिर्फ उसे पहचान गया बल्कि वह उसका नाम इत्यादि भी जानता है।
“अरे साहब इतना मत चौंकिए। बंदा मरहूम इंस्पेक्टर नील का चहेता मुखबिर इकबाल है। मुखबिरी का काम करते-करते ये आँखें एक्सरे मशीन व दिमाग कम्प्यूटर हो गया है। नाक किसी स्कैनर की तरह हो गई है फटाक से सामने वाले की शख्सियत पकड़ लेती है।“
”अब नील साहब तो जन्नतनशीं होकर आराम फरमा रहे हैं। सो इस समय बंदा बेरोजगार जैसा हो गया है। बंदा तो किसी का शागिर्द बनने की तलाश में था, जिससे रोटी पानी का जुगाड़ होता रहे।“
”वो क्या है न साहब जब शेर को आदम का खून लग जाता है तो वह आदमखोर हो जाता है, वैसे ही मुखबिर को भेदिया की लत लगने से वह भेदखोर हो जाता है।”
“अब ये बंदा इकबाल चाहकर भी कोई और धंधा पानी नहीं कर सकता है। अब तो इस बंदे की बी-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स की डिग्री कागज के बराबर ही समझिए साहब।” इकबाल ने अपना सारा राज खोल दिया।
“क्या....? तुम बी-टेक हो।” इंस्पेक्टर रोहित चौंका।
“अब छोड़िए न साहब उस बेकार के कागज की याद और मत दिलाइए। मेरे जैसे न जाने कितने होनहार व डिग्री धारक होकर रोडमास्टर बने घूम रहे हैं और रोडमास्टरी करने की औकात वाले नीति नियंता बने राज कर रहे हैं।” इकबाल ने डिग्री की अहमियत पर प्रश्नचिह्न लगाया और लालफीताशाही,भ्रष्टाचार व नेतानगरी के बढ़ते प्रभाव पर प्रहार किया।
“ठीक है, ठीक है। और सब तो ठीक है पर ये साइड की दीवार पर लटकती जीभ वाले शेर के चेहरे को लगाया जाना समझ में नहीं आया।” इंस्पेक्टर रोहित ने अपनी उत्सुकता शांत करने के उद्देश्य से पूछा।
“अब साहब असली शेर की खाल में भूसा भरकर आप लोग लगाने नहीं देते हो। बाप दादा शिकार के शौकीन थे। अंग्रेजों के साथ शिकार पर जाते थे। वैसे हम भी शिकार करने जैसा काम ही कर रहे हैं। अपराध की दुनियां में जाकर उनका भेद लाना किसी शिकार से कम नहीं है।” इकबाल ने अपनी बात घुमाकर हकीकत छिपा ली।
“अच्छा ठीक है मैं आईजी साहब से बात करता हूँ पर पहले तुम निर्णय कर लो कि मेरे लिए काम करना पसंद करोगे।”
“सर बंदा तो तेज-तर्रार उस्ताद का शागिर्द बनना पसंद करता है। उनके साथ काम करने में बहुत मजा आता है।” इकबाल ने ऑन द स्पॉट अपना निर्णय सुना दिया।
इंस्पेक्टर रोहित ने इंस्पेक्टर नील की मृत्यु के बारे में जानबूझकर कुछ नहीं पूछा। काम के दौरान धीरे-धीरे वह इंस्पेक्टर नील की मौत से संबंधित जानकारी निकलवाने की कोशिश करेगा यदि इकबाल को कुछ पता होगा तो।
“अब ठीक है इकबाल मियां। चलता हूँ।” कहकर इंस्पेक्टर रोहित चला गया।
इंस्पेक्टर के जाते ही इकबाल ने मन ही मन बुदबुदाया, इकबाल का राज जानने के लिए आया था। वह नहीं जानता कि इकबाल के सामने अभी वह दूध पीता बच्चा है। अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।
नील जैसा शातिर दिमाग इंस्पेक्टर इस इकबाल मियां के दाँत गिनना तो दूर देख तक नहीं पाया तो ये इंस्पेक्टर रोहित क्या चीज है।
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सैमुअल के द्वारा मिसिंग नेत्र को कनेक्ट कर दिया गया था। चेंकी ने अंटा से नेत्र की लोकेशन देखकर वह कहाँ पर है, ठीक ठाक है या कुछ खराबी आ गई है, आदि बातों का पता लगाने के लिए कहा।
अंटा ने फिर से अपने टेबलेट से कम्प्यूटर को रिमोट पर लिया और मिसिंग नेत्र को ट्रैक किया। नेत्र के द्वारा भेजी गई वीडियो देखकर अंटा चौंका, “सर जगह का ठीक ठीक पता नहीं चल सकता है क्योंकि नेत्र किसी साइकिल की दुकान के अंदर जाकर फिट हो गया है। लाइट सही नहीं होने के कारण वीडियो धुंधली धुंधली सी रिकॉर्ड हुई है। ये देखिए कोई व्यक्ति अपनी साइकिल लेकर खड़ा है और दूसरे व्यक्ति से कुछ बातें कर रहा है। आवाज की रिकॉर्डिंग नहीं हुई है लगता है माइक में कुछ कमी आ गई है।”
“तुम्हारे नेत्र तो बड़े काम की चीज मालूम पड़ते हैं जूनियर जासूस। लाओ मुझे दिखाओ अब क्या नई खबर भेजी है नेत्र ने।” विक्रमसिंह ने अंटा का टेबलेट हाथ में लेकर रिकॉर्डिंग देखनी शुरू कर दी।
“सर यह नेत्र अपना रास्ता भटक गया था। किसी मैग्नेटिक फील्ड के दायरे में आने के कारण हमारे रिमोट के संदेश इस तक नहीं पहुंच रहे थे। सैमुअल ने दूसरे पावरफुल रिमोट से कनेक्ट कर दिया है पर अभी इसकी लोकेशन पता नहीं है।” अंटा ने पूरी बात बताई।
“इस आदमी का हुलिया तो इंस्पेक्टर रोहित से मिलता जुलता है।” रिकॉर्डिंग पॉज कर दिख रहे व्यक्ति को पहचानने की कोशिश विक्रमसिंह ने की।
“पर इसने अपना हुलिया मजदूरों जैसा क्यों बना रखा है।”
धुँधले फोटो को इनलार्ज करके विक्रमसिंह ने देखा, “ये तो इंस्पेक्टर रोहित ही है। पर ये पुरानी साइकिल लेकर मजदूर का वेश क्यों बनाए हुए हैं।”
इंस्पेक्टर विक्रमसिंह फिर बुदबुदाया, “अब तो सीआईडी, सीबीआई का काम भी सामान्य पुलिस इंस्पेक्टर करने लगा है। चलो अच्छा है कुछ वर्कलोड कम होगा।”
“जूनियर और सीनियर जासूस, तुम एक नेत्र को झोपड़ी के अंदर फिट करो जिससे हकीकत पता चलती रहे। कुछ पुख्ता सबूत मिल जाएं तो अगली कार्रवाई की जा सके।”
“और ये सैमुअल कौन है, क्या करता है।” विक्रमसिंह ने सैमुअल के बारे में जानकारी ली।
“सर हमने आपको बताया था कि सैमुअल बहुत ही टैलेंटेड इंजीनियर है। उसी ने नेत्र बनाकर दिए हैं। नेत्र की रिकॉर्डिंग आप देख ही चुके हैं। यह बहुत ही जबरदस्त डिवाइस है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह बहुत छोटी सी है। आसपास के माहौल के हिसाब से अपना आकार रूप और रंग बदल लेती है।” अंटा जासूस ने सैमुअल व नेत्र की खासियत बताई।
“ठीक है हम कभी इतने टैलेंटेड सैमुअल से मिलेंगे। तुम एक नेत्र झोपड़ी के अंदर जरूर लगा दो। और निगाह रखो।” विक्रमसिंह अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही डीआईजी का फोन आ गया। “यस सर, जी सर, ठीक है मैं अभी निकलता हूँ। फिर वहाँ जाकर पता लगाता हूँ।”
“तुम तीनों लोग यहाँ नजर रखो। अचानक से मुझे डुमरी जाना पड़ रहा है। वहाँ कचरा बीनने व भीख मांगने वाले बारह पंद्रह लड़के-लड़कियां गायब हो गए हैं। मुझे तहकीकात के लिए अभी निकालना पड़ेगा। वहाँ के पत्रकार व गायब हुए बच्चों के माता-पिता बहुत हंगामा कर रहे हैं।” विक्रमसिंह ने हकीकत बताई।
“आप निश्चिंत होकर जाइए, हम तीनों यहाँ पर निगाह रखे हुए हैं। रिकॉर्डिंग भी सुरक्षित रख लेंगे। कोई बात होगी तो आपको सूचित कर देंगे।
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जासूस अंटा ने ऑफिस में रखे एक नेत्र को रिमोट संदेश भेजकर कब्रिस्तान बुला लिया। अब उसे झोपड़ी में लगाना था।
रिपुदमन सिंह और इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के साथ झोपड़ी के अंदर घटित घटनाक्रम से चेंकी जासूस और जासूस अंटा भी भयभीत थे। उन तीनों में से कोई भी अंदर जाना नहीं चाह रहा था। एक बार नेत्र को सिर्फ अंदर पहुँचाना भर है फिर तो वह अपने हिसाब से रूप रंग बदल कर फिट हो जाएगा। पर समस्या तो यही थी कि नेत्र को अंदर कैसे पहुँचाया जावे।
वे तीनों झोपड़ी के आसपास चक्कर काट रहे थे कि शायद कोई जुगाड़ लग जाए।
दस पंद्रह मिनट यूँ ही निकल गए। पर कोई रास्ता नहीं निकला। अभी सोच विचार चल ही रहा था कि थोड़ी देर बाद कुछ लोग एक शव को दफनाने के लिए लेकर आए। कब्र की खुदाई वगैरह कर ली गई। फकीर बाबा झोपड़ी से निकले और कब्र के पास बैठकर इबादत की। अपने हाथों से मिट्टी उठाकर कब्र में रखे ताबूत पर डाली।
फकीर के झोपड़ी से बाहर निकलते ही तीनों लोगों ने आँखों ही आँखों में कुछ बात की। इशारों में अब अंदर कोई खतरा न होने की बात हुई। अंटा धीरे से झोपड़ी में गया और नेत्र को कब्र के सामने की दीवार पर फिट कर दिया।
नेत्र ने तुरंत दीवार के हिसाब से अपना रंग बदला।
तीनों ने सुकून की साँस ली।
“हम तीनों को मिलकर निगाह रखनी है तो चलकर हम अपने ऑफिस में बैठते हैं वहीं से अपने दोनों नेत्र से निगरानी करते रहेंगे।” चेंकी जासूस ने सुझाव दिया।
तीनों फटाफट वहाँ से निकल कर ऑफिस पहुँच गए। “अंटा तुम मिसिंग नेत्र के द्वारा भेजी गई रिकॉर्डिंग तो देखो और पता लगाओ कि वह कहाँ पर है। वहाँ पर इतना प्रभावशाली मैग्नेटिक एरिया कैसे बना हुआ है।”
“अभी कोशिश करता हूँ।” कहकर अंटा ने कम्प्यूटर ऑन कर दिया।
नेत्र के द्वारा भेजी गई लाइव वीडियो देखना शुरू कर दिया। साथ ही कब्रिस्तान में लगे दोनों नेत्र की लाइव वीडियो पर भी निगाह रखना शुरू कर दिया।
“अरे.... सर, देखिए अपना ये नेत्र अचानक से एक सुरंग जैसी जगह में कैसे जा रहा है।” अंटा ने नेत्र के द्वारा सुरंग की भेजी गई वीडियो देखकर चेंकी से कहा।
“क्या....., सुरंग। ये नेत्र आखिर कहाँ पहुँच गया है। जरा तुम दूरी का अंदाज लगाओ।” सुरंग की बात से चेंकी ने चौंकते हुए रिकॉर्डिंग देखी।
“सर, अब तो कुछ दिखाई देना भी बंद हो गया। लगता है सुरंग में अंधेरा है। मैं सैमुअल से कॉन्टैक्ट कर दूरी पूछता हूँ।” अंटा ने वीडियो में कुछ दिखाई नहीं देने पर अनुमान लगाया।
अभी तक हुए सारे घटनाक्रमों से पत्रकार रिपुदमन सिंह घबराया हुआ था। पहले ही केस में मिली अपनी प्रसिद्धि की खुशी बाद के घटनाक्रमों से डर में बदल चुकी थी। वह तो छोटा मोटा पत्रकार बन, पैसे कमाकर ऐश की जिंदगी जीने की तमन्ना पाले हुए था। पर वह खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में आकर झमेले में फँस गया था। अब वह इस केस से निकलने के बारे में सोच रहा था। उसे डर लगने लगा था कि इस झमेले में वह किसी शातिर अपराधी के हत्थे चढ़ गया तो उसका तो राम नाम सत्य हो जाएगा। फिजूल में कहीं लेने के देने न पड़ जाए।
पर इस समय इंस्पेक्टर विक्रमसिंह उन तीनों के ऊपर पूरी निगरानी की जिम्मेदारी सौंप कर गए हैं। बीच में से छोड़ कर जाने का मतलब इंस्पेक्टर के शक को मजबूती प्रदान करना। एक तो पुलिस और दूसरे इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली से वह बहुत भयभीत था इसलिए ईश्वर का नाम ले लेकर, मन मारकर वह वहाँ बैठा हुआ था।
अंटा ने सैमुअल से मिसिंग नेत्र की दूरी पूछी। सैमुअल ने अपने यंत्रों की मदद से गणितीय गणना कर अंटा को बताया, “यार अंटा, ये नेत्र सीधे तौर पर रिमोट से कंट्रोल हो रहा है इसलिए नेत्र लगभग 5 से 7 किमी की की दूरी पर है। मैंने रिमोट से मैसेज भेज कर वापस सिग्नल आने के समय को तरंगों की स्पीड से कैलकुलेशन कर अनुमान लगाया है जो सटीक है।”
“इसके मायने ये नेत्र इस समय अपने शहर की सीमा में ही है। पर शहर में ऐसी किसी सुरंग की बात मैंने कहीं सुनी, देखी और पढ़ी नहीं है।” अंटा ने सैमुअल की बताई दूरी से अंदाजा लगाया।
“ठीक है। मैं भी लोगों से, नेट से और अपने यंत्रों की मदद से पता लगाता हूँ। फिलहाल इस नेत्र पर तगड़ा कंट्रोल स्थापित करना पड़ेगा।” सैमुअल ने भी आश्वासन दिया।
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मुखबिर इकबाल ने इंस्पेक्टर रोहित को अपनी बातों से भले ही संतुष्ट कर दिया पर उसके मन में संदेह का कीड़ा अभी भी रेंग रहा था।
उसने अपनी मुखबिरी का काम कई पुलिस वालों के साथ किया है लेकिन उसकी दुकान पर इस तरह भेष बदल कर कभी कोई नहीं आया था।
क्या इंस्पेक्टर रोहित को उसके क्रिया कलाप के बारे में पता चल गया है या फिर वह वैसे ही कुछ जानने की कोशिश कर रहा था।
इंस्पेक्टर रोहित की आँखों में उठ रही शंका को उसने साफ साफ पढ़ लिया था।
उसने सोचा इससे पहले कि इंस्पेक्टर रोहित का हाथ उसके गैंग के किसी सदस्य के गिरेबान तक पहुँच पाए उससे पहले ही इसका भी इलाज कराना पड़ेगा। अन्यथा ये इंस्पेक्टर कभी भी उसके गैंग के कारनामों का भंडाफोड़ कर सकता है।
उसने अपनी अनुभवी आँखों से दोनों इंस्पेक्टरों को देखा है। उसने दोनों इंस्पेक्टरों की भाव भंगिमा का विश्लेषण किया। इंस्पेक्टर नील जहाँ एक ओर बहुत ही जोशीला, दमखम वाला था वहीं दूसरी ओर उसमें उतावलापन बहुत ज्यादा था। इसी उतावलेपन के कारण उसे अपनी जान गंवानी पड़ी।
बेचारा इंस्पेक्टर नील.....। पुलिस महकमे ने पूरी दम लगा ली, रत्ती भर भी सुराग नहीं ढूंढ पाए। थक-हार कर सामान्य मौत घोषित करनी पड़ी। इकबाल ने मन ही मन में इंस्पेक्टर नील की मौत को सोचकर अफसोस जताया।
पर ये इंस्पेक्टर रोहित शरीर से भले ही हृष्ट-पुष्ट न हो पर मानसिक रूप से बहुत मजबूत दिख रहा है। हर चीज को तसल्ली से देखने, सुनने और समझने वाला है। उतावलापन तो इसके अंदर दिखा ही नहीं है। ये इंस्पेक्टर नील से ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
इसलिए फिलहाल कुछ दिनों के लिए उसे अपने साथियों को सचेत करना पड़ेगा। सारी गतिविधियों को रोककर कुछ दिनों तक सारे लोग अंडरग्राउंड होकर बैठ जाएं या विदेश घूम घाम आएं।
गैंग की विभिन्न इकाइयों के मुखियाओं को शीघ्र सचेत करने के उद्देश्य से इकबाल ने दीवार पर लगे शेर के मुँह से लटकती जीभ को पकड़ कर बांई साइड में खींचा। तुरंत दीवार में गुप्त अलमारी खुल गई। उस अलमारी में कई तरह के अत्याधुनिक उपकरण रखे हुए थे।
उसने वहाँ रखे उपकरणों में से हस्ती को उठाया। हस्ती ऊपर की ओर उठी हुई सूँड के साथ हाथी के मुँह की तरह का खिलौना जैसा उपकरण था।
इकबाल ने हाथी के कान में लगे रिसीवर के पास अपना मुँह ले जाकर संदेश सुनाया। हस्ती में संदेश रिकॉर्ड हुआ। उसमें लगी कोडिंग डिवाइस ने मैसेज को अपश्रव्य तरंगों (इंफ्रा साउंड) तरंगों में परावर्तित कर ऊपर उठी हुई सूँड के माध्यम से हवा में प्रसारित कर दिया।
तरंगें वायुमंडल में फैल गईं। अन्य जगहों पर रखे हुए हस्थि यंत्रों ने वायुमंडल में फैली हुई तरंगों को रिसीव किया। डिकोडिंग डिवाइस ने अपश्रव्य तरंगों को मैसेज में कन्वर्ट करने के बाद डिवाइस से जुड़े कम्प्यूटर में भेज दिया। डिवाइस से जुड़े व्यक्तिगत मोबाइल पर विशेष तरह की मैसेज बीप हुई।
उस बीप की आवाज से वे लोग तुरंत सतर्क हुए। अपनी सारी व्यस्तता, मीटिंग, यात्रा व अन्य काम छोड़कर स्पेशल सुरक्षा में रखे अपने-अपने खास कम्प्यूटर की ओर दौड़े।
अपने-अपने खास व्यक्ति के द्वारा संदेश पढ़ा। मैसेज रीड का ऑप्शन क्लिक किया, रीड ऑप्शन क्लिक होते ही कम्प्यूटर ने ऑटोमैटिकली मैसेज डिलीट कर दिया।
सभी ने तुरंत लोगों को सावधान कर दिया। धंधे से जुड़े सारे लोगों को कारोबार बंद कर अपने-अपने गाँव चले जाने, भेष बदलकर बाबा, फकीर, भिखारी बन कर गुप्त ढंग से रहने के निर्देश दे दिए गए। कारोबार स्थलों पर सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम को समाज सेवा के कैंप लगाने हेतु निर्देशित कर दिया गया।
मुखिया लोग विदेश यात्राओं पर निकल गए।
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इंस्पेक्टर रोहित ने भले ही इकबाल की इंस्पेक्टर नील के लिए मुखबिरी करने की बात मान ली। पर उसके मन से इकबाल के चेहरे पर छाई कुटिलता और आँखों से झाँकती धूर्तता दूर नहीं हो रही थी। उसको पक्का अहसास हो रहा था कि साइकिल रिपेयरिंग की दुकान की आड़ में कुछ अनैतिक काम चल रहा है।
इंस्पेक्टर रोहित पुलिस की वर्दी में आज फिर इकबाल के पास जाकर दोस्ताना बातचीत कर कुछ राज हासिल करने के उद्देश्य से इकबाल साइकिल रिपेयर दुकान पर पहुँचा।
दुकान पर ताला लटका हुआ मिला। आसपास पूछने पर भी दुकान बंद होने के बारे में किसी से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इकबाल के बारे में भी अड़ोस-पड़ोस के लोगों को कुछ पता नहीं था। यहाँ तक कि इकबाल कहाँ रहता है, क्या करता है, कहाँ आता-जाता है किसी को कुछ पता नहीं था।
इंस्पेक्टर रोहित को बड़ा आश्चर्य हुआ कि सालों-साल से चली आ रही दुकान के मालिक के बारे में लोगों को कुछ भनक तक नहीं है।
निराश होकर इंस्पेक्टर रोहित इकबाल व उसकी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान की गुत्थी मन ही मन सुलझाने की कोशिश करता हुआ पैदल पैदल चल रहा था।
अब उसे कहाँ जाना है, क्या करना है, सब कुछ अनिर्णय की स्थिति थी। सड़क पर कुछ लोगों की भीड़ नारेबाजी करते हुए निकल रही थी। शोरगुल से उसकी तंद्रा भंग हुई।
इंस्पेक्टर रोहित को देखकर भीड़ ने उसका घेराव कर पुलिस की नाकामी को लेकर नारेबाजी करने लगे।
इंस्पेक्टर रोहित ने भीड़ को शांत रहकर पूरी बात बताने के लिए कहा।
एक नवयुवक तैश में आकर कहने लगा, “पुलिस और प्रशासन की मदद से पहले मुस्लिम युवक हमारी बहन बेटियों को प्यार के जाल में फंसाते हैं। धर्म परिवर्तन कराकर शादी का नाटक कर शारीरिक शोषण करते हैं। फिर उनको मार डालते हैं।”
“क्या हुआ, किसको फँसाया गया और मार डाला गया है। थाने चलकर पूरी बात बताओ और रिपोर्ट लिखवाओ।” इंस्पेक्टर ने भीड़ को शांत करते हुए आश्वासन दिया।
थाने में चलने के नाम से कुछ लोग धीरे-धीरे कर वहाँ से खिसक लिए। केवल दो चार छुटभैये नेता व लड़की के नजदीकी रिश्तेदार रह गए।
थाने पहुँचकर नेताओं के सांत्वना देने के बाद लड़की के चाचा ने हिचकियाँ लेते लेते पूरी बात बताई, “अभी दो महीने पहले ही की तो बात है हमारे लाख समझाने के बाद भी सुनंदा ने हमारी बात नहीं मानी थी। बिना माँ बाप की बेटी को हमने अपनी बेटी की तरह पाला था। पर उस बदमाश ने सुनंदा को प्यार मोहब्बत के जाल में फंसा कर बरगला कर हमारे ही खिलाफ खड़ा कर दिया था।”
“हमने कितना समझाने की कोशिश की थी कि बेटी फेसबुक, वाट्सएप पर दोस्ती फिर प्यार ये सब छलावा है। वह शहजाद ठीक युवक नहीं लग रहा है। पर सुनंदा तो प्यार में पागल हो चुकी थी। वह शहजाद के प्यार के नाटक के पीछे छिपी कुटिलता नहीं समझ पाई और आज इन दरिंदों के नापाक मंसूबे की बलि चढ़ गई।”
“इंस्पेक्टर साहब, मार डाला इन लोगों ने हमारी बच्ची को। हम लोग जबतक वहाँ पहुँचते तब तक उन दरिंदों के परिवार वालों