मिस्ट्री मर्डर
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तेज-तर्रार इंस्पेक्टर नील की जघन्य हत्या / आत्महत्या से पुलिस विभाग स्तब्ध था। हँसमुख, खुशदिल इंस्पेक्टर नील न केवल पुलिस विभाग का
प्रिय था बल्कि शहर के नागरिकों का अच्छा दोस्त भी था। हर नागरिक की मदद के लिए हरदम तैयार रहता था। आम पुलिस की छवि से अलग इंस्पेक्टर नील
के अंदर पुलिसिया ठसक देखने को भी नहीं मिलती। सामाजिक, सांस्कृतिक या धार्मिक कार्यक्रम हों, इंस्पेक्टर नील की उपस्थिति हर जगह होती
थी। आम आदमी की तरह बिना किसी मान-मनौव्वल के वह हर कार्यक्रम में शामिल होते थे। धार्मिक कार्यक्रमों में तो उनकी सहभागिता देखते ही बनती थी। भजनों को जब वे तल्लीन होकर गाते थे तो
लोगों को यह अंदाज नहीं लग सकता था कि वे एक तेज-तर्रार इंस्पेक्टर हैं।
गुंडे बदमाशों की हालत उनके नाम से ही पतली होने लगती थी । अपराध की तह तक पहुँचना, उसे हल करना, अपराधी को सबूत के साथ पकड़ कर सजा दिलवाना इंस्पेक्टर नील के लिए चुटकियों का काम था।
अच्छे-अच्छे छंटे हुए बदमाशों, आतंकवादियों व उनके मास्टरमांइडों को इंस्पेक्टर नील ने कठिन सजा दिलवाई थी। इसलिए इंस्पेक्टर नील हरदम अपराधियों, आतंकवादियों व आईएसआई के
रडार पर रहते थे। इंस्पेक्टर नील को कई डकैतों, आतंकवादी संगठनों से धमकी भरे पत्र भी मिल चुके थे। पर इंस्पेक्टर नील ने इन धमकी भरे पत्रों व फोनों की कभी परवाह नहीं की थी।
पुलिस विभाग की समझाइश के बाद भी इंस्पेक्टर नील ने अपने लिए कोई सुरक्षा नहीं ली थी। मुखबिरी मिलते ही वह अकेले ही पहुँच जाते थे।
ऐसे तेज-तर्रार, सर्वप्रिय इंस्पेक्टर नील की जघन्य हत्या से पूरे शहर में सनसनी फैल गई। उनका मृत शरीर शहर से दूर निर्जन बीहड़ में पड़ा मिला । घटनास्थल पर इंस्पेक्टर नील का रौबीला मृत शरीर, उनकी मोटर साइकिल और उनके द्वारा रेत पर बनाए गए ‘आई’ के निशान के अलावा अन्य कोई सबूत नहीं था।