shabd-logo

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022

23 बार देखा गया 23
134
एक घंटा आराम कर इकबाल ने पहले छोटू को दुकान से बाहर भेजा, “छोटू तू धीरे से दुकान का शटर उठा। बाहर झाँक कर देख सब ठीक-ठाक है। कहीं कुछ गड़बड़ दिखे तो तुरंत शटर बंद कर लेना।”
छोटू ने बिना आवाज किए दुकान का शटर थोड़ा सा उठाया। 
दुकान के चारों तरफ तैनात कमांडोज के कानों में शटर उठने की बहुत हल्की सी आवाज पड़ी। सामने की ओर तैनात कमांडो शटर के पास अटैक करने के लिए तैयार हो गए। 
छोटू ने लगभग लेटी हुई स्थिति में सिर निकाल कर बाहर झाँका। शटर के दोनों तरफ तैनात कमांडो के पैरों को देखा। जब तक कमांडो कुछ एक्शन ले पाते उससे पहले ही छोटू ने फुर्ती से शटर गिरा कर अंदर से लॉक कर लिया। 
“उस्ताद, बाहर पुलिस लगी हुई है। लगता है हम घिर गए हैं। किसी ने पुलिस को हमारे गलत कामों की खबर दे दी। अब हम क्या करें।” छोटू ने घबराते हुए कहा। 
“घबरा मत छोटू। हमारे सारे काम इतने गुप्त रूप से होते हैं कि बाहर वाले किसी व्यक्ति के द्वारा हमारी व्यूह रचना को भेदना तो दूर की बात है, उसमें उसके लिये सुराग ढूंढना तक नामुमकिन है। यदि इस असंभव काम की भनक पुलिस को लगी है तो हमारे ही किसी आदमी ने अपनी मौत को ललकारा है। खैर उसकी मेहमानी तो हम बाद में करेंगे। पहले बाहर तैनात मेहमानों की खातिरदारी का इंतजाम कर दिया जावे।” इकबाल ने अपने ही किसी आदमी की गद्दारी को भांपते हुए कहा। 
“छोटू, मैं पहले प्लान नंबर एक पहले मंत्री को मुखबिरी देता हूँ फिर उस स्थान पर थोड़ा सा माल पहुँचवा कर पकड़वा देता हूँ, को अपनाकर पुलिस को यहाँ से हटवाने का इंतजाम करता हूँ।”
इकबाल ने मंत्री को फोन लगाकर शहर के दक्षिण की ओर बहने वाली नदी के पास बने खंडहर में नशीली दवाओं के कारोबार होने मुखबिरी देने के लिए मोबाइल उठाया।
पुलिस कंट्रोल रूम से पहले ही सिविल लाइन एरिया का नेटवर्क फेल करा रखा था। 
“धत् तेरे की छोटू, नेटवर्क ही नहीं आ रहा है। सारे सरकारी और प्राइवेट कर्मचारी मोटी-मोटी वेतन लेकर कामचोरी करते हैं। सरकार हमें अपनी सारी व्यवस्थाएं सौंप दे फिर देखे एक सेकेंड के लिए भी कोई काम नहीं रुकेगा। हमारी दुनिया की यही तो खासियत है सेकेंड दर सेकेंड का अनुशासन। खैर कोई बात नहीं। मैं प्लान सेकेंड लागू करता हूँ। अभी कब्रिस्तान में खबर देेकर वहाँ से टीम आकर पुलिस पर पीछे से अटैक करेगी।”
इकबाल ने हस्ती के कान में कब्रिस्तान के गैंग लीडर के लिए मैसेज दिया। दो सेकेंड में मैसेज फेल होने का संकेत आ गया।”
“लगता है छोटू पुलिस पूरी तरह से तैयार होकर आई है। यहाँ का नेटवर्क जाम करने के साथ-साथ जैमर भी लगा रखा है। हस्ती का मैसेज भी फेल हो गया है। कोई बात नहीं मैं ही प्लान नंबर थ्री जहरीली इलेक्ट्रॉनिक फ्लाईज का हमला कराकर खातिरदारी करता हूँ। छोटू, तू फटाफट औंधे होकर लेट जा। मैं भी फ्लाईज को एक्टिव कर लेट जाऊँगा। फ्लाई जमीन से एक फिट ऊपर ही जहरीला डंक मार सकती है।” 
इकबाल ने गुप्त अलमारी खोलकर मच्छरों के आकार की इलेक्ट्रॉनिक फ्लाईज को एक्टिव किया और फटाफट जमीन पर लेटकर रिमोट का बटन दबा दिया। 
इकबाल की दुकान पर तैनात नेत्र के वीडियो चेंकी के ऑफिस में बैठे डीआईजी ने देखे। उन्होंने भी टीम को किंतु परंतु किए बिना तुरंत जमीन पर लेटने का आदेश दिया। 
टीम कुछ समझ ही नहीं पाई कि डीआईजी ने अचानक से ये आदेश क्यों दिया है। किंतु वे सब आदेश मानकर जमीन पर लेट गए। 
एक्टिव फ्लाईज दुकान में बने छेद से भनभनाकर निकलीं और चारों तरफ फैल गईं। अब कमांडोज को डीआईजी का आदेश समझ में आया। फ्लाईज ऊपर नीचे उड़ान भरने लगीं। 
सड़क के किनारे लेटा हुआ एक कुत्ता भनभनाहट की आवाज सुनकर खड़े होकर ऊपर की ओर मुँह कर खतरा भांपने की कोशिश करने लगा और एक फ्लाई की रेंज में आ गया। फ्लाई ने डंक चुभा दिया। कुत्ता जहर के असर से बिलबिलाने लगा। कमांडोज ने ईश्वर को धन्यवाद दिया। वे सब अचानक हुए इस अप्रत्याशित हमले से बाल-बाल बच गए। उन्होंने मन ही मन सचेत करने के लिए डीआईजी को धन्यवाद दिया।  

135
“ये इकबाल तो बहुत शातिर है। इससे हमें इसके ही तरह के शातिरपन से निपटना पडे़गा।” चेंकी ने डीआईजी से कहा। 
डीआईजी ने टीम के सदस्यों को दर्द से बिलबिलाने की आवाजें और एक्टिंग करने के लिए निर्देशित किया जिससे इकबाल को यह भरोसा हो जाए कि बाहर तैनात पुलिस उसके हमले का शिकार हो चुकी है। 
निर्देश पाते ही कमांडोज ने कराहना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे कर वे सभी चुप हो गए जैसे उन सब पर जहर का असर हो चुका है। 
इकबाल ने कान लगाकर बाहर की आहट ली। जब यकीन हो गया कि शायद अब सब खत्म हो गया होगा। उसने फिर से रिमोट का बटन दबा दिया। सारी फ्लाईज वापस दुकान के अंदर पहुँच गई। 
“अब बाहर झाँककर देख छोटू, शायद अब तक सारी पुलिस निपट चुकी होगी या मुँह की खाकर वापस चली गई होगी।” इकबाल ने छोटू से कहा। 
छोटू ने फिर से शटर उठा कर बाहर देखा। सामने पड़े पुलिस के शरीर में होती हरकत को तेज निगाहों से पकड़ लिया, “उस्ताद, पुलिस ने हमारे हमले से अपने आप को बचा लिया है। ऐसा लग रहा है कि वे लोग हमें दिखाने के लिए गिरे पड़े हैं। जैसे ही हम बाहर निकलेंगे वे हम पर हमला कर देंगे।”
“तू तो अभी से उस्ताद हो गया है। पुलिस की चाल को बड़ी बारीकी से समझ लिया है। लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि हमारी चाल को पुलिस पहले से ही कैसे पता कर रही है। इन फ्लाईज के बारे में मेरे अलावा किसी को पता तक नहीं था फिर पुलिस इनके हमलों से कैसे बच गई। खैर कोई बात नहीं। हमारे तरकश में तीरों की कमी नहीं है।” 
ये ले आक्सीजन मास्क, पहले पहन ले फिर ये बम शटर के नीचे से बाहर फेंक दे। थोड़ी देर में बिना आवाज के बम फट जाएगा। इससे इतनी असहनीय बदबू निकलेगी कि पाँच सौ मीटर के दायरे में पुलिस तो क्या किसी जानवर तक का रुकना मुश्किल हो जाएगा।” इकबाल ने गुप्त अलमारी से एक बम निकाला। 
“अरे, ये तो बदबू बम है। इसकी असहनीय बदबू से दिमाग की नसें काम करना बंद कर देती हैं। आदमी अपनी सुध-बुध खो बैठता है। फोर्स को सतर्क करना पड़ेगा।” डीआईजी ने नेत्र की वीडियो फुटेज में बम पर नाम पढ़ते हुए कहा। 
डीआईजी ने सभी कमांडोज को अपनी-अपनी पोजीशन को दुकान से दूर करने एवं प्राणायाम के सहारे साँस रोककर निगाह रखने के लिए आदेश दिया। 
आदेश पाकर कमांडोज अचंभित हो रहे थे कि आज डीआईजी साहब कैसे अनोखे-अनोखे आदेश दे रहे हैं। क्या हो गया है उन्हें। कार्यवाही करने के लिए मना किया है वर्ना अभी तक इकबाल का खात्मा कर दिया होता। पर आदेश के आगे वे सब लाचार थे। मन मारकर पीछे खिसकते हुए दुकान के चारों तरफ का दायरा बड़ा कर दिया और गहरी साँस लेकर प्राणायाम की मुद्रा में साँस रोककर निगरानी रखने लगे। 
इकबाल और छोटू ने मास्क पहन लिया। छोटू ने बम को तेजी से बाहर फेंक दिया। 
बम फटते ही चारों तरफ असहनीय बदबू फैलने लगी। बदबू इतनी तेज थी कि आसपास बैठे पिल्ले, कुत्ते बेचैनी से केंऊं केंऊं करने लगे।एरिया सिविल लाइन एरिया पॉश एरिया होने के कारण दुकानों से रहवासी फ्लैट दूरी पर स्थित थे और सभी मकान पूर्णतः एसी थे। इस कारण लोगों को बदबू का अहसास नहीं हुआ। नौकर चाकरों को जरूर कुछ कुछ बेचैनी हुई। 
जैसे ही कमांडोज की नाक में बदबू पहुँची उन्होंने पहचान लिया कि इकबाल ने उन लोगों को बेदम करने के लिए बदबू बम का प्रयोग किया है। उनको डीआईजी के आदेश का मतलब समझ में आया। वे लोग दम साधे हुए अपने ऊपर नियंत्रण रखे हुए तैनात रहे। 

136
“सर, आप भी टीम को अत्याधुनिक हमले करने का आदेश दे दें। इस इकबाल ने तो पूरी तैयारी कर रखी है। छद्म हमले कर रहा है जिससे हमारे कमांडोज की ताकत कम हो जाए।” सैमुअल ने काफी देर से फुटेज पर निगाह रखने के बाद कहा। 
“हम इस तरह के हथियारों से लैस नहीं हैं। हमारी बहुत सी बंदिशें हैं। अपराधियों के लिए कोई नियम कायदे नहीं होते पर हम नियम कायदों के दायरे में रहकर ही काम कर सकते हैं।” डीआईजी ने मजबूरी बताई। 
“आप एक दो मिनट के लिए नेटवर्क चालू करवाइए। मैं इकबाल की लोकेशन ट्रैस कर लूँ फिर मैं चक्र में उसकी लोकेशन सेट कर एक्टिव कर देता हूँ। जिससे वह भागने की कोशिश भी करे तो चक्र का चक्रव्यूह न तोड़ सके।” सैमुअल ने इकबाल के भागने की कोशिश को नाकाम करने के उद्देश्य से कहा। 
“ठीक है सैमुअल मैं नेटवर्क चालू कराता हूँ, पर तुम एक मिनट में ही काम पूरा कर लेना वर्ना इकबाल भी बाहर से मदद मंगवा सकता है।”
“ओ के सर, एक मिनट से पहले ही मैं काम पूरा कर दूँगा।” सैमुअल ने आश्वासन दिया। 
डीआईजी ने कंट्रोल रूम से दो मिनट के लिए सिविल लाइन एरिया का नेटवर्क चालू करने का आदेश दे दिया। 
सैमुअल ने इकबाल के मोबाइल की लोकेशन जीपीएस से ट्रैक की और चक्र को लोकेशन फारवर्ड कर दी, “सर नेटवर्क बंद करा दीजिए। मैंने चक्र में लोकेशन सेट कर दी है। जैसे ही आप कहेंगे मैं चक्र को सिग्नल दे दूँगा। तब चक्र लोकेशन के पांच फिट के व्यास में गोल गोल घूमने लगेगा। फिर इसके दायरे से निकल पाना संभव नहीं है। 
“वेल डन सैमुअल, तुम्हारे यंत्र तो बहुत काम के हैं। अब नेत्र को ही ले लो। उसकी दम पर ही हम इकबाल के हर प्रयास को नाकाम कर रहे हैं। वाकई में तुम बहुत होनहार हो।” डीआईजी ने सैमुअल के यंत्रों के साथ साथ उसकी भी तारीफ की। 
“हम पहले ये स्पेशल जैकेट पहन लेते हैं छोटू। बाहर निकलते ही तू इस जैकेट में लगा यह बटन दबा देना। याद रखना वर्ना यदि पुलिस अभी तक बाहर लगी होगी तो हमें पकड़ लेगी।” इकबाल ने एक जैकेट छोटू को दी और एक खुद पहन ली। 
“इसमें ऐसा क्या है उस्ताद।” छोटू ने जैकेट उलट-पुलट कर देखी। 
“ये देख छोटू, ये मैंने बटन ऑन कर दिया। अब तू मुझे छू। तुझे पता चल जाएगा।” इकबाल ने पहनी हुई जैकेट का बटन दबाया। 
“अरे उस्ताद, ये तो एक फिट दूर से करेंट मार रही है।”
“इसी की मदद से हम यहाँ से निकलने में सफल होंगे। इन पैसों को मैं ट्राली से कब्रिस्तान के पास की झाड़ी में भेज देता हूँ। वहाँ जाकर चुपचाप से लेकर कुछ दिन के लिए विदेश चला जाऊँगा।” 
दुकान से चुपके से दोनों लोग निकले। आसपास पुलिस नहीं दिखी। इकबाल अपनी रणनीति पर खुश हुआ, “देखा छोटू अपने फ्लाईज और बम का कमाल। पुलिस भाग खड़ी हुई।”
वे दोनों दुकान से सड़क तक ही आए कि कमांडो दिख गए, “छोटू बटन दबा ले। नहीं तो बेमौत मारा जाएगा।” 
डीआईजी ने कमांडोज को इकबाल को जिंदा ही पकड़ने का आदेश दिया। जैसे ही कमांडो नजदीक आने लगे, इकबाल ने फायरिंग शुरू कर दी। उसके वार को कमांडो बचा रहे थे। इकबाल ने चारों तरफ निगाह घुमा कर देखी। बड़ी संख्या में चारों तरफ पुलिस तैनात थी। उसने जेब से बम निकाला और पुलिस की ओर उछाल दिया। धमाके के साथ बम फट गया। कमांडो पीछे हटे। इकबाल तेजी से भागा। वह लगातार गोलीबारी कर रहा था और बम फेंक रहा था। 
डीआईजी ने इकबाल को बम फेंकते हुए भागते देखा। तुरंत सैमुअल को चक्र को चालू करने के लिए आदेश दे दिया। 
चक्र पुलिस की गाड़ी से निकलकर इकबाल के चारों तरफ घेरा बनाकर तेजी से घूमने लगा। जैसे ही इकबाल एक ओर भागा उसे तेज झटका लगा। उसने भौंचक होकर चारों तरफ देखा। कहीं कुछ नहीं दिखा। उसने सोचा लगता है उसे उसकी ही जैकेट से करेंट का झटका लग गया है। उसने अपनी जैकेट में लगा स्विच ऑफ कर दिया। एक बम पीछे की तरफ फेंकते हुए वह फिर से भागा। इस बार और तेज झटका लगा क्योंकि चक्र की स्पीड बढ़ने से घेरे की इनर्जी बढ़ गई थी। 
“क्या छोटू, तू बार बार मेरे पास आ जाता है। तेरी जैकेट का करेंट मुझे लगता है। तू भी जैकेट का स्विच ऑफ कर ले। और तेजी से भागते हैं। अब हमारे पास ज्यादा बम नहीं हैं।”
छोटू ने स्विच ऑफ कर लिया। 
कमांडोज इकबाल को भागते देखकर अपनी ऊंगलियों पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे। उन्हें डर था कि कहीं हाथ आया इकबाल भागने में सफल न हो जाए। एक कमांडो ने गोली चला दी। गोली इकबाल के चारों तरफ बने घेरे की बल रेखाओं से विकर्षित होकर दूसरी साइड में मुड़ गई। कमांडो गोली के सीधे रास्ते पर जाने की बजाय मुड़ने पर आश्चर्य चकित रह गया। वह सोचने में पड़ गया कि इकबाल ने गोली का रास्ता डाइवर्ट कैसे कर दिया। 
गोली यदि सीधे रास्ते पर जाती तो अभी तक इकबाल का सीना भेद चुकी होती। उसने आक्रोश से अपना हाथ झटका। 
गोली चलने से इकबाल भी घबरा गया। फिर से एक ओर भागा। तेज झटका लगा। उसका दिमाग भी चकरा गया कि आखिर उसे करेंट कैसे लग रहा है और कमांडो की गोली बिना उससे टकराए हुए रास्ता कैसे बदल गई। 

137
इकबाल बार बार इधर-उधर भागने की कोशिश करता। हर बार करेंट का झटका लगता। वह समझ ही नहीं पाया कि ऐसा क्यों और कैसे हो रहा है। कहीं कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। न कहीं बिजली का तार दिख रहा है न कोई व्यक्ति दिख रहा है फिर करेंट कैसे लग रहा है। क्या मैं अपने ही बनाए किसी जाल में फंस गया हूँ। 
उसने अपनी और छोटू की जैकेट का स्विच बार बार ऑन ऑफ करके भी देख लिया। जैसे ही वह अपनी जगह से दो तीन फिट इधर उधर होता जोरदार झटका सा लगता। डर के मारे दोनों ने जैकेट उतार फेंकी। इस काम में वह निढाल हो गया। 
कमांडो भी हैरान हो रहे थे कि इकबाल पागलपन जैसी हरकतें क्यों कर रहा है। उनको भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। 
चेंकी के ऑफिस में चक्र पर निगाह रखे सैमुअल ने चक्र की इनर्जी बहुत अधिक बढ़ती हुई देखी। उसने तुरंत डीआईजी साहब को सचेत किया, “सर, चक्र का इनर्जी लेबल बहुत हाई होता जा रहा है। यदि हम अब चक्र को रोकेंगे नहीं तो चक्र ब्लास्ट हो जाएगा। जिससे पूरे इलाके में आसमानी बिजली जैसा हाई इलेक्ट्रिक करेंट फैल जाएगा। कितनी जान माल की हानि होगी कहा नहीं जा सकता है। हमें तुरंत चक्र को नियंत्रित करना पड़ेगा।”
“क्या, चक्र ब्लास्ट होगा। नहीं नहीं, ऐसा होगा तो जन धन हानि के लिए हम लोगों को, सरकार को और स्वयं अपने आप को जबाव नहीं दे पाएंगे। मैं कमांडो को इकबाल पर अटैक करने का आदेश देता हूँ, “कमांडोज, इकबाल को तुरंत अपने काबू में लो। कोशिश करो कि वह जिंदा ही हमारे कब्जे में आ जाए। लेकिन वह भागने की कोशिश करे तो उसे शूट कर देना। हमें इकबाल हर हाल में चाहिए जिंदा या मुर्दा।”
इसके बाद डीआईजी ने कंट्रोल रूम में सिविल लाइन एरिया का नेटवर्क चालू करने का आदेश दे दिया। 
जैसे ही नेटवर्क चालू हुआ सैमुअल और इकबाल अपने-अपने काम पर जुट गए। 
सैमुअल ने फटाफट चक्र को सिग्नल देकर नियंत्रण में ले लिया। गति कम होने से उसका इनर्जी लेबल कम होता चला गया। 
इकबाल ने मोबाइल निकाल कर देखा। नेटवर्क आने का संकेत दिखा। उसकी आँखों में चमक आ गई। फटाफट उसने रोशन को सारे घटनाक्रम की जानकारी दे दी। फिर एक रिमोट निकाल कर दुकान और कब्रिस्तान में ब्लास्ट कराने के लिए बटन दबा दिया। दोनों जगहों के बमों में लगा टाइमर चालू हो गया। इसके बाद वह अपनी सफलता पर जोर जोर से हँसने लगा। 
सारे कमांडो ने उसको हँसता देखा। उन्हें पक्का यकीन हो गया कि इकबाल पागल हो गया है। 
थोड़ी देर इंतजार करने के बाद भी दुकान में ब्लास्ट नहीं हुआ, “यार छोटू, ये दुकान में बम फटा क्यों नहीं। हमने शक्तिशाली बम साइकिल चेन वाले डिब्बे में रखा हुआ था।”
“क्या उस्ताद, साइकिल चेन वाले डिब्बे में बम था। वो डिब्बा तो मैंने रोशन सेठ की गाड़ी में रखने के लिए दे दिया। मुझे क्या पता था कि उसमें बम है। मैंने तो माल वाला डिब्बा ही समझा था।”
गुस्से में आकर इकबाल ने जेब से रिवाल्वर निकाल कर छोटू पर दाग दी। एक मिनट में छोटू ने दम तोड़ दिया। 
फायर की आवाज से सारे कमांडो एक साथ एक्शन में आ गए। इकबाल ने फायर किया। फायर नहीं हुआ। उसकी रिवाल्वर खाली हो चुकी थी। उसने जेब में बम देखा। सारे बम भी खत्म हो चुके थे। जब तक वह रिवाल्वर में गोलियां भरता उससे पहले ही कमांडोज ने उसको जकड़ लिया और रस्सियों से कसकर बांध दिया। अत्याधुनिक नवीन हथियारों से लैस इकबाल के सारे हथियारों के वार फेल हो चुके थे। कमांडो के शिकंजे में असहाय सा फड़फड़ाता रह गया। 
कब्रिस्तान में कब्र के नीचे छिपी इंदिरा को जैसे ही झोपड़ी में बने तलघर में रखे बम का टाइमर चलने और ब्लास्ट होने का रिमोट संकेत मिला। बम फटने से पहले ही फोर्स को सुरक्षित करने के लिए वह इंदिरा के साये में कब्र से बाहर निकली। वहाँ तैनात कमांडोज साये को लहराता देख पीछे हटने लगे। धीरे-धीरे कर वे झोपड़ी से काफी दूर हो गए। कमांडोज को पीछे हटाकर इंदिरा भी झोपड़ी से दूर दूसरी ओर चली गई। 
जैसे ही इंदिरा पीछे हटी कुछ मिनट में जोरदार धमाके के साथ बम फट गया। झोपड़ी के परखच्चे उड़ गए। 

138 
एक बार फिर कमांडो हतप्रभ रह गए। उन्होंने भी फटने से पहले पीछे हटाने के लिए इंदिरा के साए को धन्यवाद दिया। समय रहते झोपड़ी से दूर हो जाने के कारण वे लोग बाल बाल बच गए। वर्ना बम विस्फोट इतना तगड़ा हुआ था कि उन लोगों के परखच्चे उड़ जाते। 
झोपड़ी के साथ-साथ उसके अंदर बनी कब्र और तलघर में छिपे गैंग के चिथड़े चिथड़े उड़ कर हवा में बिखर गए। 
इंदिरा कब्रिस्तान के दूसरे गेट के पास पहुँचने के बाद वहीं खड़ी हो गई। दिन निकलने से पहले आसमान में चारों तरफ सुबह की लालिमा खिलने लगी थी। दीवार के पास खड़े कमांडो ने इंदिरा को सफेद कपड़ों में देखा। देखते ही उसने जोरदार सैल्यूट मारा, “सर, आप यहाँ पर। मतलब आप यहाँ कब्रिस्तान में साया बनकर रह रहे थे। थैंक्यू सो मच सर, बम ब्लास्ट होने से कुछ सैकेंड पहले आपने हमें पीछे हटा दिया।”
“ओ के। वी आर डूईंग अवर ड्यूटी।” इंदिरा ने भी सैल्यूट का जबाव सैल्यूट से दिया। 
“लेकिन इसमें फकीर बाबा जैसे नेक इंसान की बलि चढ़ गई। ये सब इतनी अचानक हुआ कि हम उन्हें हटा नहीं पाए।” रा इंस्पेक्टर इंदिरा ने अफसोस जताया। 
“सर, आप मायूस न हों।”
तभी शहर से आते हुए रास्ते पर फकीर बाबा अपनी मस्ती में आते हुए दिखे, “सर, फकीर बाबा तो अधर शहर से आ रहे हैं। ईश्वर ने उनको भी बचा लिया।”
“ईश्वर का धन्यवाद, फकीर बाबा को बचाने के लिए। इन अपराधियों से हम अपने जांबाज इंस्पेक्टर नील को नहीं बचा पाए।” अपने प्यार को न बचा पाने की कसक में इंस्पेक्टर इंदिरा ने आँखों में आई नमी को छिपाते हुए मन ही मन सिसकी ली। 
नेत्र ने कब्रिस्तान में हुए बम ब्लास्ट की फुटेज ऑफिस के कम्प्यूटर पर भेज दीं। वहाँ तैनात कमांडो ने भी डीआईजी को वायरलेस पर बम फटने एवं गैंग के मारे जाने का संदेश दे दिया। 
जैसे ही रोशन को इकबाल से सारी जानकारी मिली। गेस्टहाउस में रुके हुए दोनों तस्करों लल्लू लट्ठा व करीम कट्टा के साथ एक और आदमी को अपनी कार बिठाया और भागने के लिए कार स्टार्ट की। 
भागने से पहले सारे सबूत मिटाने के लिए रोशन ने रिमोट से बंगले रखे बमों में ब्लास्ट कर दिया। 
आलीशान बंगला बम के धमाकों से गूँज उठा। बंगले में तैनात रोशन और दोनों तस्करों के गैंग के सदस्य, नौकर-चाकरों में चीख पुकार मच गई। वे लोग बेमौत मारे गए। काली कमाई से बना बंगला क्षण भर में धराशायी हो गया। अपराधियों के साथ साथ निरपराध नौकर भी मारे गए। 
बंगले में पोजीशन लिए तैनात खड़े कमांडो भी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे। इतने में अफरा-तफरी का फायदा उठाकर रोशन ने कार आगे बढ़ा दी। कार कुछ मीटर ही आगे बढ़ पाई कि डिक्की में साइकिल चेन के डिब्बे में रखा बम फट गया। रोशन की कार हवा में कुछ फिट उछल गई। उसमें बैठे चारों लोग हवा में उछल कर जमीन पर आ गिरे और दम तोड़ गए। 
इंस्पेक्टर रोहित व विक्रमसिंह ने पंचनामा बनाकर चारों की लाशें बरामऊ ले जाने का इंतजाम करने के लिए सिपाहियों को निर्देश दिया और पूरे घटनाक्रम की जानकारी डीआईजी को दे दी। 
रात की कालिमा को चीरकर भोर का उजाला पूरब दिशा में होने लगा। 

139
पुलिस टीम की रणनीति, चेंकी, अंटा, रिपुदमन, राहुल का सहयोग व सैमुअल के यंत्रों की मदद से “20 तारीख सुबह तीन बजे” की छोटी सी सूचना पर बहुत बड़ा नेटवर्क धराशायी हो गया। गरियाना व कब्रिस्तान में अपराधियों के अड्डे नेस्तनाबूद हो चुके थे। इकबाल और डॉ घोष पुलिस के कब्जे में आ गए थे। डॉ घोष पहले से ही पुलिस हिरासत में ले आया गया था। इकबाल को भी पकड़ कर हिरासत में ले जाया गया। 
गरियाना से इंस्पेक्टर रोहित व विक्रमसिंह ने चारों की लाशें बरामऊ लाकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं।
रोशन के साथ कार में बैठे चौथे व्यक्ति को देखकर इंस्पेक्टर रोहित व विक्रमसिंह चौंक गए। कैंटीन में काम करने वाला अन्नू इन सबके साथ क्या कर रहा था। 
डीआईजी ने चेंकी व पूरी टीम को पुलिस का सहयोग करने के लिए शाबाशी दी। अपने ऑफिस आकर रोहित व विक्रमसिंह को इकबाल और रोशन से सब कुछ उगलवाने की जिम्मेदारी सौंप दी। 
दोनों अपराधियों ने शुरू में थोड़ी सी हेकड़ी दिखाई पर पुलिस की भितर मार से उन्होंने घुटने टेक दिए। दोनों ने सारे राज और काले कारनामे परत-दर-परत खोलने शुरू कर दिए। 
“इंस्पेक्टर रोहित, तुम मेरे हत्थे चढ़ नहीं पाए वर्ना तुम्हें तो चींटी की तरह मसल देता। जब इंस्पेक्टर नील जैसा तेज तर्रार इंस्पेक्टर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो तुम क्या चीज थे। उल्टे इंस्पेक्टर नील के हाथों मैंने अपने दुश्मनों एवं गद्दारों को चुन-चुन कर मरवा दिया जिससे अपराध, मानव तस्करी व मानव अंग तस्करी पर मेरे बॉस का एकछत्र राज चलता रहे।” 
“वो तो लगता है मेरे ही किसी साथी ने गद्दारी कर दी जो तुम लोगों ने हमारे किले फतह कर लिए। बिना गद्दारी के तुम तो क्या तुम्हारी परछाईं तक वहाँ नहीं पहुँच सकती थी।” 
“इंस्पेक्टर नील को हमारे राज पता चलने लगे थे। वह बीमार होने का नाटक कर डॉ घोष के अस्पताल में इलाज के लिए जाता था। अपनी ज्यादा होशियारी में वह हमारे चक्रव्यूह में फंस गया। डॉ घोष ने उसे ऐसी मौत दी कि तुम क्या तुम्हारे फरिश्ते भी नहीं जान पाए कि उसकी मौत कैसे हुई।”
इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने गुस्से में आकर इकबाल को दो लात जमाई, “ज्यादा चपर-चपर मत कर नहीं तो यहीं जमीन में गाढ़ दूँगा। बता तेरा बॉस कौन है।”
“काहे के पुलिस वाले हो। तुम्हारी नाक के नीचे बॉस तुम्हें पानी पिलाते रहे और तुम्हें पता तक नहीं चला।” इकबाल ने जोरदार कहकहा लगाया। 
“बताता है कि अभी यहीं तेरी कब्र बना दूँ।” रोहित ने भी दो लातें जमाते हुए पूछा। 
“वो तुम्हारी कैंटीन में काम करने वाला अनवर उर्फ तुम्हारा अन्नू ही था हमारा बॉस। क्या गजब की खोपड़ी रखता था बॉस।”
“वो कैंटीन में काम करने वाला अन्नू। हमें बेवकूफ बना रहे हो तुम।”
“बेवकूफ तो तुम बनते ही रहे हो अब तक। मैं क्या बेवकूफ बनाऊँगा।”
“तुमने कभी नोटिस तक नहीं लिया कि अन्नू हफ्ते दस दिन के लिए ही कैंटीन में क्यों दिखता था। कभी तुमने जानने की कोशिश भी नहीं की बाकी दिन वह कहाँ रहता है, क्या करता है। वह इन दिनों में तुम लोगों की गतिविधियों की जानकारी ले लेता था। उसी हिसाब से हमें काम करने की हिदायत दे देता था। तुम लोग सारे राज, गोपनीय बातें कैंटीन में बैठकर एक दूसरे से कहते सुनते ही हो।”
“चल अब बता तू डॉ घोष, तूने तो इंसानियत का खून ही कर दिया। डॉक्टरी जैसे पवित्र पेशे को बदनाम करके रख दिया। बता इंस्पेक्टर नील की हत्या क्यों और कैसे की।” विक्रमसिंह ने डॉ घोष का गिरेबान पकड़ कर अपना आक्रोश दिखाया। 
“हमारी इतनी सुरक्षित किलेबंदी के बावजूद इंस्पेक्टर नील को हमारे राज पता चलने लगे थे। इलाज के बहाने वह अस्पताल में भर्ती होकर हमारी आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखने और सबूत इकट्ठे करने की कोशिश में था। हमने उसे अपने दुश्मनों के हाथों मरवाने की बहुत कोशिश की जिससे वह हमारे रास्ते से हट जाए। पर वह बहुत बहादुर था। अकेले की दम पर उसने कई गुंडों को निपटा दिया था। हमने एक तीर से दो शिकार वाली चालें चलीं थी जिसमें जीत हमारी ही होनी थी। इंस्पेक्टर मरता चाहे गुंडा, दोनों में फायदा हमारा ही था।”
“पर जब वह हमारे वीआईपी वार्ड की तह तक पहुंचने में सफल हो रहा था तो उसको रास्ते से हटाना जरूरी हो गया था।”
“हम ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि सामने से वार कर हम उससे जीत नहीं सकते थे। उल्टे कुछ न कुछ सबूत छूटने से तुम हमारे गिरेबान तक पहुंच सकते थे। इसलिए इकबाल ने उसे मुखबिरी देकर बियावान जंगल में बुलाया। हम जानते थे कि अति उत्साह में वह अकेले ही आएगा।”



23
रचनाएँ
मिस्ट्री मर्डर
0.0
तेज तर्रार इंस्पेक्टर नील की मौत एक रहस्य बनी हुई थी। घटनास्थल पर किसी अन्य व्यक्ति एवं हथियार आदि के निशान नहीं थे। इंस्पेक्टर की मौत पर विभिन्न सस्पेंस, जासूसी के बाद मौत का रहस्य खुलता है। जानने के लिए पढें। उपन्यास पूर्णतः काल्पनिक है। किसी घटना से कोई संबंध नहीं है।
1

मिस्ट्री मर्डर

18 मार्च 2022
10
1
1

मिस्ट्री मर्डर 1 तेज-तर्रार इंस्पेक्टर नील की जघन्य हत्या / आत्महत्या से पुलिस विभाग स्तब्ध था। हँसमुख, खुशदिल इंस्पेक्टर नील न केवल पुलिस विभाग का प्रिय था बल्कि शहर के नागरिकों का अच्छा दोस्त भी था

2

मिस्ट्री मर्डर

19 मार्च 2022
3
0
1

2फोरेंसिक टीम ने वहाँ का चप्पा-चप्पा छान लिया पर उन्हें वारदात के बारे में वहाँ से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई।सभी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे थे। अभी भी स्वाभाविक मौत, हत्याअथवा आत्महत्या की गुत्थ

3

मिस्ट्री मर्डर

20 मार्च 2022
3
0
0

11चाय की तरोताजगी और कैंटीन मैनेजर द्वारा दिए गए संकेत से आईजी इंद्रेश गहन मंथन में डूब गए। उधर बाहर कुछ छुटभैये नेता और छुटभैये पत्रकार जनता की भीड़ को लेकर कोतवाली के सामने धरना-प्रदर्शन करने क

4

मिस्ट्री मर्डर

20 मार्च 2022
2
0
0

19आईजी इंद्रेश सिंह और जांच इंस्पेक्टर रोहित में मंत्रणा जारी थी। दोनों ही आश्चर्य में थे कि वारदात होने के दस बारह घंटे बाद भी कोई चश्मदीद नहीं मिला। यहाँ तक कि आसपास के लोगों को भनक तक नहीं मिल

5

मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
2
0
0

26“तो फिर काम पर लग जा जासूस अंटा, निपटा दें इंस्पेक्टर की मृत्यु का टंटा।” “अशरीरी द्वारा हत्या, बहुत ही बढ़िया स्टोरी है पिक्चराइजेशन भी बहुत बढ़िया किया है। पर हकीकत में कहां है दम, फिर

6

मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
1
0
0

सैमुअल को ऐसी ही तीन चार डिवाइस और शीघ्र तैयार करने के लिए कहा और एकबार फिर से खुशी से चिल्लाया, जासूस अंटा, मिटा दे टंटा।” 34 आईजी के बंगले में मीटिंग की शुरुआत हुई। जाँच टीम प्रभारी डीआईजी ढिल्लन व

7

मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
1
0
0

40“या खुदा, मुझे बिल्कुल भी याद नहीं रहा कि आज रबी अल-अव्वल माह की पांचवीं तारीख है। एक साल पहले आज के ही मनहूस रोज हमारी हमसफर हमें तन्हा छोड़कर खुदा की खिदमत में हाजिर होने जन्नत के लिए रुखसत हुईं थ

8

मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
1
0
0

47डीआईजी ढिल्लन सिंह द्वारा ड्राइवर फरीद व कब्रिस्तान पर निगाह रखने एवं पूरी जानकारी देते रहने का निर्देश दिया। पत्रकारिता के क्षेत्र में नया नया आया स्वतंत्र पत्रकार रिपुदमन सिंह यूँही इधर-उधर भ

9

मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
1
0
0

54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

10

मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
1
0
0

54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

11

मिस्ट्री मर्डर

24 मार्च 2022
1
0
0

60आईजी के रौद्र रूप को देखकर सब सन्नाटे में आ गए। मन ही मन में सोचने लगे कि क्या बोलना है। “गोलू भोलू, तुम लोग बताओ तुम लोगों ने क्या किया। क्या क्या सुराग हाथ लगे।” आईजी ने मुखबिरों से कहा।&nbsp

12

मिस्ट्री मर्डर

24 मार्च 2022
1
0
0

67 विक्रमसिंह ने भी कब्रिस्तान के एक कोने में उठती हुई धूल को देखा। उसे भी आश्चर्य हुआ कि कहीं हवा नहीं चली। कहीं कोई हलचल नहीं हुई फिर अचानक से ये धूल का बवंडर कैसे उठा। पर वह कब्रिस्तान के दूसरे किन

13

मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
1
0
0

74“अरे यार अंटा, अपना एक नेत्र रास्ता भटक गया था उसका क्या हुआ। देखो देखो आखिर वह है कहाँ।” चेंकी ने भटके हुए नेत्र के लिए चिंता जाहिर की। “सर, मैंने रिमोट संदेश देकर उसको अपने पास लाने की बहुत क

14

मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
1
0
0

ने उसको दफ्न कर दिया। एक हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो पाया।”81“रोइए मत अंकल जी, हम पूरी जाँच करेंगे और सुनंदा को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे। आप दीवान जी के पास जाकर

15

मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
1
0
0

87इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास दोनों लड़कियों जूली और सुंदरी की जाँच रिपोर्ट आ गईं। रिपोर्ट देखकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह व रोहित सकते में आ गए। दोनों लड़कियों का भरपूर यौन शोषण हुआ था और उन दोनों की एक

16

मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
1
0
0

अपने अनुभव से बताया। 94“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिं

17

मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
2
0
0

है।”“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। पर तुम किसी से कहना मत। तुम्हें भी मजे करवाने ले चलूँगा।”“सच, मुझे ले चलोगे।”“और नहीं तो क्या। तू भी क्या याद करेगा कि किसी दिलदार दोस्त से पाला पड़ा है।” कहते ही शिवशंकर ल

18

मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
1
0
0

हैं। बेकार की चीज तेरा जैसा पप्पू ही ला सकता है।” रिपुदमन ने चिढ़ते हुए कहा। “अरे रुको, रुको। इन पन्नों को फाड़ो मत। हमें इनकी जाँच करनी चाहिए। शायद कुछ हासिल हो जाए। ये देखो, ध्यान से देखो इन पर

19

मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
1
0
0

“20 तारीख सुबह तीन बजे। अब ये कौन सी नई पहेली आ गई। आखिर क्या मतलब निकलता है इसका। फिर से पहेली बूझना पडे़गी। अंटा ने कागज पर लिखी इबारत दोहराते हुए कहा। “चलो भाई फिर से इंस्पेक्टर साहब के पास। इ

20

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
2
0
0

121 दूसरी टीम 19 तारीख की सुबह ही गरियाना में तैनात हो गई। योजना के मुताबिक सारी कार्यवाही पूरी की गई। नगरपालिका के कर्मचारी भय या लालच के कारण कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते थे। पर ऑर्डर के कारण ब

21

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
1
0
0

128अस्पताल में पल रहे पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त 6 कुत्तों को लेकर प्रशिक्षक पिछली तरफ की लिफ्ट के पास ठीक 2.45 पर खड़ा हो गया। अस्पताल के कर्मचारी ने मानव अंगों के पैकेट बनाकर तैयार रखे हुए थे। उन पैकेट

22

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
1
0
0

134एक घंटा आराम कर इकबाल ने पहले छोटू को दुकान से बाहर भेजा, “छोटू तू धीरे से दुकान का शटर उठा। बाहर झाँक कर देख सब ठीक-ठाक है। कहीं कुछ गड़बड़ दिखे तो तुरंत शटर बंद कर लेना।”छोटू ने बिना आवाज किए दुक

23

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
1
0
1

140“हमने दो इलेक्ट्रॉनिक फ्लाई में इंसुलिन की हैवी डोज भरकर वहाँ भेज दी। जैसे ही हमारी बताई गई जगह पर हमेशा की तरह इंस्पेक्टर नील अकेले ही पहुँचा। वहाँ किसी को न पाकर भौंचक होकर इधर-उधर निगाह फेंककर द

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए