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मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022

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डीआईजी ढिल्लन सिंह द्वारा ड्राइवर फरीद व कब्रिस्तान पर निगाह रखने एवं पूरी जानकारी देते रहने का निर्देश दिया। 
पत्रकारिता के क्षेत्र में नया नया आया स्वतंत्र पत्रकार रिपुदमन सिंह यूँही इधर-उधर भटक रहा था। शाम के धुंधलके में कब्रिस्तान के आसपास लोगों को देखकर उत्सुकता जगी। उसने उन लोगों से पूछताछ की पर वे सब मौन ही रहे एवं वहाँ से चले जाने का इशारा करने लगे। 
रिपुदमन सिंह के मन में उन लोगों की गतिविधियों से संदेह का कीड़ा कुलबुलाने लगा 
नए नए जोश-खरोश से लबरेज वह भी उत्सुकतावश सबकी निगाह बचाकर कब्रिस्तान और उन लोगों पर निगाह रखने के लिए वहीं डट गया। 
सीआईडी इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने इंदिरा की वास्तविकता व उसके संपर्क सूत्रों का पता लगाने के लिए इंदिरा के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवा कर गहन पड़ताल की। पर उससे भी कोई खास सूत्र हासिल नहीं हुआ। 
बस एक नंबर पर इंदिरा के द्वारा बहुत देर देर तक बात की गई थी। 
विक्रमसिंह ने ट्रू कॉलर पर उस नंबर को सर्च किया। किसी मीनू का नाम उभर कर सामने आया। 
मीनू के बारे में पूरी जानकारी के लिए मोबाइल कंपनी को आदेश दिया। मीनू के नंबर की डुप्लीकेट सिम निकलवा कर इंदिरा की लेटेस्ट लोकेशन पाने के उद्देश्य से मीनू के नंबर से इंदिरा को फोन लगाया।
इंदिरा कब्रिस्तान में ही कब्र के नीचे बने तलघर में छिपी हुई थी। नील की मौत से उसे बहुत सदमा लगा था। 
बिन फेरे हम तेरे, वह नील को अपना सबकुछ मान चुकी थी। उसकी मृत्यु से स्वयं को विधवा महसूस कर बिना साज श्रंगार के सफेद कपड़ों में रहने लगी थी। 
विक्रमसिंह के द्वारा नंबर डायल करने पर इंदिरा का मोबाइल जो रुखसाना की कब्र के पास घास में पड़ा था पर रिंग आने लगी। 
इंदिरा अपनी सहेली मीनू की कॉलर ट्यून सुनकर अचंभित हुई। वह आवाज की दिशा को सुनकर अपने मोबाइल को पाने के लिए बेचैन हो उठी। वह भूल गई कि उसे और उसके मोबाइल को पुलिस द्वारा संदेह के घेरे में लिया जा चुका है। पुलिस व चैनलों द्वारा नील की मौत को उससे जोड़कर देखा जा रहा है।
रात घिर आई थी। अमावस्या होने के कारण चारों तरफ घना अंधेरा छा गया था। हवा में ठंडक उतर आई थी। 
कब्रिस्तान में लाइट की व्यवस्था भी नहीं थी। चारों तरफ अंधेरा छा गया था। इंदिरा मोबाइल खोजने के लिए छटपटाने लगी। ऐसे में कैसे अपना मोबाइल ढूंढ पाएगी। 
मोबाइल पर रिंग एक बार पूरी होकर बंद हो चुकी थी। हवा में रिंग टोन “कहीं दीप जले कहीं दिल” का संगीत अभी भी गूंज रहा था। 
इंदिरा से नहीं रहा गया। रोशनी के लिए मोमबत्ती जलाकर हाथ में ली। धीरे-धीरे कब्र के नीचे बने तलघर से बाहर निकली। 
हाथ में मोमबत्ती लिए सफेद कपड़ों में कब्र से निकलती इंदिरा को देखकर निगाह रख रहे पुलिसकर्मियों एवं पत्रकार रिपुदमन सिंह की हालत खराब हो गई। अभी वे कुछ सोच समझ पाते कि तभी फिर से मोबाइल की रिंग टोन “कहीं दीप जले कहीं दिल” वातावरण में गूँजने लगी। हवा की ठंडक और भय के मारे उन लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। संगीत का भय हवा में उड़ते कपड़े किसी चुड़ैल का आभास करा रहे थे। उन सब लोगों को लगा साया उनकी तरफ ही आ रहा है। डर के मारे सब लोगों की घिग्घी बंध गई। 

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गिरते पड़ते वे इधर-उधर भागे। थोड़ी दूर जाकर साँस ली। तुरंत पूरी घटना अपने अपने अधिकारियों को दी। 
अधिकारियों ने सब मनगढ़ंत बातें कहकर पुलिसकर्मियों की डांट लगाई और निगाह रखने के लिए आदेश दिया। 
भय के मारे सभी की जान निकली जा रही थी। पर अधिकारियों के आदेश के खिलाफ भी नहीं जा सकते थे। अपने अपने इष्ट देवों को याद करते हुए कब्रिस्तान से दूर बैठकर निगाह रखने का फैसला किया। 
पत्रकार रिपुदमन सिंह भी हड़बड़ाहट में भागते हुए गिरते-गिरते बचा। अभी घर लौटने का इरादा कर ही रहा था कि जेब में मोबाइल न पाकर घबरा गया। शायद हड़बड़ाहट के दौरान मोबाइल कब्रिस्तान के आसपास ही कहीं गिर गया। बेरोजगारी की हालत में मंहगा मोबाइल गिर जाने पर उसे न ढूंढने की गलती करने की वह सोच भी नहीं सकता था। पर डर के मारे हालत पतली हो रही थी। हनुमान चालीसा पढ़ते पढ़ते हिम्मत जुटाई। कंपकंपाते, लड़खड़ाते हुए हाथ से टटोल टटोल कर मोबाइल ढूँढना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में मोबाइल मिल गया। मोबाइल मिलते ही खुशी का संचार हुआ। 
इस दौरान उसके मोबाइल का कैमरा चालू हो गया और अनजाने में ही वीडियो का ऑप्शन दब गया। दोनों हाथों को दीवार से टिकाकर डरते-डरते एक बार फिर से कब्रिस्तान की ओर देखने का मन बनाया। उधर इंदिरा मोबाइल ढूंढ कर वापस जा रही थी। मोबाइल की रिंग टोन लगातार बज रही थी। पर बात करने की हिम्मत इंदिरा नहीं जुटा पाई। 
साहस कर रिपुदमन ने देखा साया पहले जैसा ही लहरा रहा है। 
रिपुदमन सिंह ने फिर से वही दृश्य देखा। उसका शरीर जड़वत हो गया। भय की सिहरन से वह वहीं खड़े का खड़ा रह गया। इंदिरा धीरे-धीरे चल कर कब्र के नीचे चली गई। 
अनजाने में ही पूरी रिकॉर्डिंग पत्रकार रिपुदमन सिंह के मोबाइल में रिकॉर्ड हो गई। 
रिपुदमन सिंह की थोड़ी देर बाद हिम्मत लौटी। वह तुरंत वहाँ से भाग निकला। चौराहे की रोशनी में आकर ही साँस ली। समय देखने के लिए हाथ में पकड़े मोबाइल को देखा। मोबाइल में रिकॉर्डिंग का ऑप्शन अभी भी चालू था। तुरंत उसे बंद किया। फिर रिकॉर्डिंग डिलीट करने से पहले एक बार पूरी रिकॉर्डिंग देखने की इच्छा हुई। 
रिकॉर्डिंग देखते ही उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खुशी के मारे उछल पड़ा जैसे कुबेर का खजाना मिल गया हो। 
वहीं चौराहे पर खड़े-खड़े ही क्लेवर न्यूज के ऑफिस में फोन लगाया। रात के साढ़े नौ बज चुके थे। न्यूज एडीटर घर जाने की तैयारी में थे उन्होंने फोन नहीं उठाया। फिर उसने चैनल हेड को फोन लगाकर नील की मौत से संबंधित धांसू रिकॉर्डिंग के बारे में बताया। चैनल हेड ने उसकी लोकेशन पूछकर तुरंत अपनी गाड़ी रिपुदमन को लेने भेज दी। आनन-फानन में स्वयं ऑफिस पहुँचकर पूरी टीम को रोका। तब तक पत्रकार रिपुदमन को लेकर गाड़ी ऑफिस में आ गई। 
चैनल हेड ने फटाफट वीडियो देखा। सौदेबाजी हुई। रिपुदमन ने वीडियो अपने मोबाइल से चैनल के पास ट्रांसफर कर दिया। 
चैनल पर पहले से चल रही स्टोरी से मिलाकर नई स्टोरी तैयार की गई। वीडियो की एडिटिंग की गई और ब्रेकिंग न्यूज, “इंस्पेक्टर नील की हत्या का सबूत मिला। इंदिरा के मोबाइल के साथ साये को कब्रिस्तान में भटकते हुए देखा गया।” के साथ चैनल पर चला दिया गया। 
क्लेवर न्यूज पर चलाई जा रही नील की हत्या अशरीरी द्वारा की जाने को इस वीडियो से बल मिला। 
पन्द्रह मिनट के अंदर क्लेवर न्यूज का टीआरपी मीटर धड़ाधड़ ऊँचाई पर पहुँचने लगा। पत्रकार रिपुदमन का मार्केट भी मजबूती पकड़ने लगा। 

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पत्रकार रिपुदमन सिंह के धाँसू वीडियो के कारण चैनलों से उसके पास फोन पर फोन आने लगे। 
न्यूज नेवरडे पर नील मर्डर मिस्ट्री की चल रही स्टोरी इंदिरा के द्वारा हत्या, से रिपुदमन सिंह का वीडियो बहुत कुछ मेल खा रहा था। न्यूज नेवरडे के चीफ एडीटर ने रिपुदमन सिंह से संपर्क करने की कोशिश की। हर बार उसका फोन व्यस्त आ रहा था। 
चैनलों पर चल रही “सबसे पहले” की गला काट स्पर्धा के कारण एक एक सेकेंड एडीटर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में हर बार फोन व्यस्त है के कारण हो रही एक एक सेकेंड की देरी न्यूज एडीटर के लिए बी पी बढ़ाने वाली हो रही थी। 
प्रयास पर प्रयास करने के बाद रिपुदमन का फोन कनेक्ट हुआ। किसी मंझे हुए पत्रकार की तरह पूरी व्यावसायिक कौशलता के साथ रिपुदमन ने न्यूज नेवरडे के चीफ एडीटर से बात की। उसके वार्तालाप से चीफ एडीटर प्रभावित हुए बिना न रह सके। 
वीडियो के लिए रिपुदमन सिंह क्लेवर न्यूज के साथ सौदा कर चुका था। इसलिए वीडियो की कॉपी देने से इंकार कर दिया। बहुत मान मनौव्वल के बाद रिपुदमन चैनल पर कब्रिस्तान का आँखों देखा हाल बताने के लिए तैयार हुआ। 
रिपुदमन पहले से ही भुक्तभोगी होने के कारण उसी हालत में था जैसा चैनल को चाहिए था। फिर भी रात के नौ बजकर तिरेपन मिनट पर चैनल की मेकअप टीम ने रिपुदमन सिंह का हल्का सा मेकअप कर तैयार किया।
क्लेवर न्यूज पर चल रही क्लिपिंग लेकर वीडियो में अस्पष्ट सी दिख रही आकृति को न्यूज नेवरडे ने इंदिरा का साया ही मान कर चैनल की स्पेशल न्यूज “समय रात नौ पचपन, बढ़ाए दिल की धड़कन” पर 
क्लेवर न्यूज के सौजन्य का टैग लगाकर दिखाना शुरू किया। 
बीच-बीच में एंकर “थोड़ी ही देर में आप सुनेंगे हमारे गेस्ट रिपोर्टर रिपुदमन सिंह से कब्रिस्तान का आँखों देखा हाल उन्हीं की जुबानी” का सनसनाता उद्घोष करती जा रही थी। फिर शुरू हुई विज्ञापनों की झड़ी। ठीक दस बजे रिपुदमन सिंह ने आँखों देखा हाल बताना शुरू किया। दर्शकों के रोंगटे खड़े होने शुरू हो गए। बैक ग्राउंड म्यूजिक और दृश्य खौफनाक मंजर बना रहे थे। हर दर्शक टी वी के सामने भय से सिमट कर बैठा रह गया। 
रिपुदमन सिंह की बात पूरी होने के साथ ही चीफ एडीटर ने मोर्चा संभाल लिया। इंस्पेक्टर नील की हत्या इंदिरा के द्वारा ही हुई है। इस बात पर चैनल ने पूरी तरह मोहर लगा दी। 
अब यह खोज का विषय रह गया था कि नील की हत्या इंदिरा ने पहले की फिर खुद भी मौत को गले लगा लिया या फिर पहले इंस्पेक्टर ने इंदिरा की हत्या की या इंस्पेक्टर की बेरुखी से क्षुब्ध होकर इंदिरा ने आत्महत्या कर ली फिर इंदिरा की भटकती आत्मा ने इंस्पेक्टर नील की हत्या कर दी। 
न्यूज नेवरडे की भी टीआरपी धड़कन उच्च स्तर पर पहुंच रहीं थी। 
एक बार फिर से नौसिखिया पत्रकार रिपुदमन सिंह ने स्थापित पत्रकारों के छक्के छुड़ा दिए। 

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कब्रिस्तान से मिली जानकारी, मोबाइल की लोकेशन फरीद के घर की जगह पुनः कब्रिस्तान की मिलना, डीआईजी ढिल्लन और सीआईडी इंस्पेक्टर विक्रमसिंह सिंह दोनों को परेशानी में डाल रही थी। 
डीआईजी ढिल्लन ने आईजी साहब के मीटिंग से वापस लौटने के पहले पूरी टीम के साथ अभी तक की जानकारी के आधार पर चर्चा करने हेतु सुबह-सुबह ही अर्जेंट बैठक बुलाई। फरीद के घर और कब्रिस्तान की जासूसी में लगे पुलिसकर्मियों को भी बैठक में बुलाया गया। 
बेचारे पुलिसकर्मियों की रात की घटनाओं से हालत पहले से ही खराब थी अब डीआईजी की बैठक का बुलावा आने से दोहरा डर बैठ गया। निश्चित ही डीआईजी साहब उन लोगों से डाँट फटकार करेंगे। पर वे अपनी आँखों देखी को झुठला कैसे पाएंगे।
सीआईडी इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने पूरे घटनाक्रमों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि इंदिरा, फरीद और आईजी साहब के बीच कोई कनेक्शन जरूर है। पर आईजी साहब पर एकदम से आरोप लगाया जाना मुमकिन नहीं है। इंदिरा जब तक मिल नहीं जाती है तब तक फरीद से पूछताछ करनी पड़ेगी। क्योंकि मोबाइल लोकेशन के आधार पर उसके द्वारा रात में ही कब्रिस्तान की खाना तलाशी ले ली गई है। कब्रिस्तान में फकीर के अलावा इंदिरा तो क्या किसी परिंदे तक का बसेरा नहीं मिला। फकीर की झोपड़ी में भी कुछ नहीं मिला। आश्चर्य की बात कि मोबाइल की लोकेशन कब्रिस्तान दिख रही है पर मोबाइल कहीं नहीं मिला। रिंग करके कब्रिस्तान का कोना कोना छान लिया हर बार मोबाइल में अनरीचेबल का मैसेज आता रहा। यदि मोबाइल वहाँ होता तो अनरीचेबल का मैसेज नहीं आना चाहिए था क्योंकि वहाँ नेटवर्क पूरी तरह उपलब्ध था। 
विक्रमसिंह ने फाइनली सोचा डीआईजी ढिल्लन से फरीद से पूछताछ की अनुमति लेनी ही है। तभी कुछ राज खुलेगा। 
डीएसपी मेहरबान सिंह ने सारे कागजातों को एक फाइल में लगाकर डॉ घोष से हुई बातचीत और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर इंस्पेक्टर नील द्वारा डिप्रेशन में आकर आत्महत्या करने की फाइनल टीप लगा दी। 
हवलदार मुरारी सिंह ने जो मुखबिर तैनात किए थे वे भी कुछ खास जानकारी नहीं जुटा पाए। वे भी फरीद और कब्रिस्तान के फेर में ही लगे रह गए। 
फोरेंसिक अधिकारी लीलाधर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन किया। पूरी रिपोर्ट में कुछ भी असामान्य नहीं मिला। घटनास्थल व इंस्पेक्टर नील के घर में भी कोई सबूत नहीं मिले फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट को भी नील के सामानों, घर की दीवारों दरवाजे के हैंडिलों पर केवल नील के फिंगर प्रिंट ही मिले। किसी दूसरे व्यक्ति का एक भी फिंगर प्रिंट नहीं मिला। इस आधार पर वह पूर्णतः आश्वस्त है कि इंस्पेक्टर नील की स्वाभाविक मृत्यु ही हुई है। 
हांलाकि दो प्रश्न उसके मन में उठ रहे थे पहला इंस्पेक्टर बीहड़ों में क्यों गया था दूसरा घर के किसी सामान, दीवार आदि पर काम करने वाली बाई के फिंगर प्रिंट क्यों नहीं मिले। पर इन अनुत्तरित सवालों को उसने मन में ही रखा क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुछ भी असामान्य नहीं था। 

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डीआईजी ढिल्लन द्वारा निर्धारित मीटिंग के समय से पहले ही मिशन नील मिस्ट्री टीम के सदस्य उपस्थित हो गए। 
खुफिया निगरानी रखने वाले पुलिसकर्मियों में रात भर जागने की खुमारी, रात के घटनाक्रम के भय व सुबह-सुबह के मौसम की ठंड की सिहरन अभी भी भरी हुई थी। ऐसे में डीआईजी साहब द्वारा मीटिंग में बुलाया जाना उनके ब्लडप्रेशर को बढ़ा रहा था। 
डीआईजी ढिल्लन ठीक सात बजे मीटिंग हॉल में आ गए। 
“हाँ तो गुड्डन राम, आप ड्यूटी के समय भी दारू चढ़ा कर बैठे थे क्या। कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे थे। चुड़ैल का कोई सपना देख लिए थे या महल फिल्म के सीन याद याद आ रहे थे। आपने ये जरूरी सूचना देने के लिए हमें रात में फोन लगाया था।” डीआईजी ने हवलदार से नाराजगी जाहिर की। 
“नो सर, हम कोई नशा वशा नहीं किए थे। हम चारों अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद थे। सर रात भी ज्यादा नहीं हुई थी जो हम सपना देखे हों। हम सही कह रहे हैं सर, हमने अपनी नंगी आँखों से देखा था। सफेद कपड़े पहले हाथ में मोमबत्ती लिए एक साया कब्र के नीचे से निकला था। हवा में बहुत देर तक वो इधर-उधर लहराता रहा था। आप इन तीनों से भी पूछ लीजिए।” हवलदार गुड्डन राम ने हकीकत बताई। 
“हाँ सर जी, हम सही कह रहे हैं। हमने अपनी आँखों से देखा था।” तीनों पुलिसकर्मियों ने एक साथ कहा। 
“क्या बकवास कर रहे हो तुम सब लोग। वहाँ कोई साया वाया नहीं था। रात को पूरे कब्रिस्तान की खाना तलाशी मैंने स्वयं ने ली थी। मुझे तो कोई साया नहीं दिखा। लगता है सर इन लोगों की रात की खुमारी अभी तक नहीं उतरी है। या फिर ये लोग टीवी पर चल रही न्यूज देखकर ड्यूटी से गायब रहने की बात छिपा रहे हैं।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने रात में इंदिरा का मोबाइल कब्रिस्तान में ढूंढने की बात डीआईजी को बताई। 
“आप हमारा विश्वास कीजिए सर। हम रात भर ड्यूटी पर तैनात थे। हमने शराब को हाथ तक नहीं लगाया है। आप चाहें तो हमारी मेडिकल टेस्ट करा लीजिए।” चारों लोगों ने इंस्पेक्टर से कहा। 
“तुम्हारी बताई हुई कहानी ही टीवी पर चल रही है। सच सच बताओ माजरा क्या है।” डीआईजी ने पूछा।
“सर विश्वास कीजिए। हमने सच में साया देखा था। पर हमने कोई रिकॉर्डिंग नहीं की। डर के मारे हमारी हालत खराब थी। दिमाग सुन्न हो गया था।” विक्रमसिंह की ओर विनती पूर्वक निगाहों से देखते हुए हवलदार गुड्डन राम ने बताया। 
”तुम चारों ने रिकॉर्डिंग नहीं की। फिर किसने रिकॉर्डिंग कर चैनल वालों को दी। तुम्हारे अलावा वहाँ और कौन था।” विक्रमसिंह ने कड़ाई की। 
“हमारे अलावा वहाँ और कोई नहीं था। अरे हाँ सर, एक आदमी आया था। हमसे पूछताछ कर वह हमारा राज जानना चाहता था। हमने उसे कुछ नहीं बताया और वहाँ से भगा दिया था।” एक पुलिसकर्मी ने रात का घटनाक्रम याद किया। 
“क्या नाम था उसका। उसका हुलिया कैसा था।” विक्रमसिंह ने कब्रिस्तान के आसपास उस व्यक्ति की उपस्थिति को किसी गहरे राज की आशंका से जोड़ते हुए देखा। 
“सर बहुत घना अंधेरा होने के कारण हम उसे ठीक से देख नहीं पाए। उसका हुलिया भी साफ साफ समझ में नहीं आया। हमने उसे भगा दिया था। शायद वह वहीं रुका रहा होगा।” गुड्डन राम ने हकीकत बताई। 
ठीक है अब तुम लोग जाओ। कब्रिस्तान और फरीद के घर की चौकस निगरानी रखो। कोई असंदिग्ध दिखे उससे कड़ाई से पूछताछ करो।” डीआईजी ढिल्लन ने निर्देश दिया। 
“ओ के सर।” सैल्यूट मारकर वे चारों जान बची तो लाखों पाए की तर्ज पर मीटिंग हॉल से बाहर चले गए। 

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निगरानी में लगे हुए चारों पुलिसकर्मियों ने मीटिंग रूम से बाहर आकर एक भद्दी सी गाली मृत इंस्पेक्टर और उसकी प्रेमिका को दी, “स्सासा ......, पहले प्यार मोहब्बत करेंगे फिर मर जाएंगे। मरना ही था तो सुसाइड नोट छोड़कर मरते मराते। हमें तो यूँ परेशान न होना पड़ता। स्सा.......ली खुद तो मजे कर कराकर मर गई अब चुड़ैल बनी घूम रही है और डाँट फटकार हम लोग खा रहे हैं। चल भाई फुंदी हमें तो जिंदा होकर भी कब्रिस्तान में रहना है मतलब निगरानी करनी है।”
चारों लोग भुनभुनाते हुए कब्रिस्तान के पास आकर डट गए। 
नौसिखिया पत्रकार रिपुदमन सिंह रातोंरात स्थापित पत्रकार बन चुका था। सुबह उठने के बाद उसने अपनी धाक बनाने के लिए अन्य बड़े मीडिया संस्थानों के ऑफिसों में जाने का विचार बनाया। 
जिराफ जैसी लंबी गर्दन कर बड़ी ठसक के साथ वह तैयार हुआ। आइने के सामने खड़े होकर अपने आप को किसी षोडसी नायिका की तरह निहारा। आज आइने में उसे अपना चेचक के दागों से भरा चेहरा बहुत ही खूबसूरत नजर आ रहा था। नाटा कद भी बढ़ा बढ़ा नजर आ रहा था। 
पूरी ठसक के साथ घर से बाहर निकलने के उद्देश्य से गले में पत्रकारों वाला आई डी कार्ड पहनने के लिए रात को पहने हुए कुर्ते की जेब में हाथ डाला, आई डी कार्ड गायब मिला। 
कुर्ता जींस सब खंगाल लिया, परिचय पत्र कहीं नहीं मिला। शायद रात में कब्रिस्तान से भागते समय कहीं गिर गया होगा। 
कब्रिस्तान की सोच भर से उसके पूरे शरीर में फुरफुरी छूटने लगी। परिचय पत्र से ही तो उसकी पहचान बनी है। अब क्या करे। ढूंढने जाए या न जाए। आधा घंटा इसी सोच विचार में निकल गया। कुछ समय पहले की मानसिक ठसक पानी के बुलबुले की तरह फूट गई। 
हिम्मत जुटाकर परिचय पत्र ढूंढने के लिए कब्रिस्तान की ओर निकला। डरते-डरते, खोजी निगाहें फेंकते हुए जिस जगह रात में गया था, वहीं पहुँचा। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, जैसे अभी शरीर से बाहर निकल भागेगा।
उसे हर पल यह अहसास हो रहा था कि अभी किसी कब्र से साया निकलकर हवा में लहराने लगेगा। 
डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। पर बंद आँखों से परिचय पत्र कैसे मिलेगा। 
डरते-डराते एक आँख खोलकर जमीन में निगाहें धंसा कर यहाँ वहाँ देखकर धीमे-धीमे आगे बढ़ने लगा। 
रात भर जगे होने व भय के मारे झपकी तक न लेने के कारण चारों पुलिसकर्मियों को जोरदार नींद आ रही थी। एक पेड़ की आड़ में बैठकर जम्हाई लेते हुए अलसाए से बैठे थे। 
रिपुदमन सिंह को झुके हुए कुछ खोजते हुए पाकर, भन्नाए हुए बैठे चारों पुलिसकर्मी एकदम शिकार करने की मुद्रा में सतर्क होकर बैठ गए। 
जैसे ही रिपुदमन पास आया चारों ने एकसाथ दबोच लिया। 
अचानक हुए हमले से उसके मुँह से भूत भूत निकलने लगा। जब तक कुछ समझ पाता तब तक चार-पांच थप्पड़ पड़ चुके थे। 
जोरदार मधुर भाषा का प्रयोग करते हुए हवलदार गुड्डन राम चिल्लाया, “चल साले थाने, इंस्पेक्टर का मर्डर कर कब्रिस्तान में आकर छिपता है। फुंदी कसकर पकड़ स्सासा... ले को, डीआईजी साहब के पास ले चलते हैं वहीं इसकी खातिरदारी कर इससे कबूल करवाएंगे।”
रिपुदमन सिंह ने रात की बची खुची हेकड़ी के साथ अपने आप को पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, “छोड़ो मुझे, जानते नहीं हो तुम लोग मुझे। मैं पत्रकार हूँ तुम सब की नौकरी खा जाऊँगा। छोड़ो छोड़ो।”
“पत्रकार है, दिखा, अपना परिचय पत्र दिखा।” फुंदी ने कहा। 
रिपुदमन के पास परिचय पत्र नहीं था। उसने बहाना बनाया, “परिचय पत्र घर रह गया है।”
“घर रह गया है, झूठ बोलता है।” एक जोरदार थप्पड़ जमाते हुए फुंदी बोला। 
चारों पुलिसकर्मी रिपुदमन को पकड़ कर डीआईजी साहब के पास ले जाने लगे। 

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रिपुदमन सिंह की रातोंरात नामी पत्रकार बनने की खुशी काफूर हो गई। अंदर भरा गुमान गुब्बारे की हवा सा फुस्स हो गया। पुलिस थाने के नाम से डर भी लगने लगा। 
पहली पहली ही रिपोर्टिंग और इतना बड़ा पेंच फँस गया। कहीं डीआईजी साहब झूठी सच्ची खबरें और अफवाहें फैलाने के आरोप में अंदर न कर करा दें। 
चैनल वालों का क्या है सारी रिपोर्टिंग उसके माथे पर ही न डाल दें। चैनल वालों ने तो वीडियो लेते समय और आँखों देखा हाल सुनाने से पहले कई पेपर साइन कराए थे। पता नहीं उन पेपर्स में क्या लिख रखा था चैनल वालों ने। इतने सारे पैसे पहली बार मिलने की खुशी में उसने बिना पढ़े ही पेपर साइन कर दिए थे। बिना पढ़े पेपर साइन करने पर अब उसे पछतावा हो रहा था। 
उसने अपने आप को मन ही मन धिक्कारा। ऐसी भी क्या जल्दी हो रही थी। अब पता नहीं उसकी ये जल्दबाजी कितनी भारी पड़ेगी। 
उसने पुलिसकर्मियों से एक बार और बात करने की कोशिश की। अपने शब्दों में अतिरिक्त मिठास और विनम्रता लाते हुए कहा, “दीवान जी, मेरा विश्वास करिए, मैं सचमुच में पत्रकार हूँ। मेरा इंस्पेक्टर साहब की हत्या से कोई लेना-देना नहीं है। वो तो मैं रात में इधर से गुजर रहा था। अचानक से साया दिखा तो सब कुछ मोबाइल में रिकॉर्ड हो गया। पर इस हड़बड़ाहट में मेरा आई कार्ड यहीं कहीं गिर गया था। उसे ही ढूंढने के लिए मैं डरता डरता यहाँ आया था कि आप लोगों ने मुझे संदिग्ध समझ कर पकड़ लिया।”
“क्या, तुमने भी रात में चुड़ैल देखी थी। मोमबत्ती लिए सफेद कपड़ों में कब्र से निकलती हुई।” एक पुलिसकर्मी ने पूछा। 
“हाँ, बिल्कुल सही हुलिया बताया आपने। उसे देखकर ही तो मैं डरकर भागा था। उसी चक्कर में मेरा मोबाइल और आई कार्ड कहीं गिर गए थे। मोबाइल तो उसी समय मिल गया था। आई कार्ड गिरने का सुबह ही पता चला। मुझे छोड़ दें मैं अभी अपना कार्ड ढूंढ कर आपको दिखा दूँगा। तब तो आप विश्वास कर लोगे कि मैं सीधा सच्चा आदमी हूँ।” रिपुदमन सिंह ने एक बार फिर विनती की। 
“पत्रकार और सीधा सच्चा आदमी, अच्छा मजाक है। हम तुम्हें छोड़ दें तो क्या गारंटी है कि तुम भाग नहीं जाओगे।” गुड्डन राम ने रिपुदमन पर ताना करते हुए कहा। 
“पुलिस से भागकर कहाँ जाऊँगा। बस पाँच मिनट में कार्ड मिल जाएगा। फिर आप लोग तो यहाँ पर हैं ही।” रिपुदमन सिंह ने विनती की। 
“अच्छा ठीक है तुम आई कार्ड ढूंढ कर हमारे साथ चलकर डीआईजी साहब व इंस्पेक्टर साहब को बताना कि तुमने भी चुड़ैल देखी थी। दोनों साहब हमारी बात का भरोसा नहीं कर रहे हैं। हम विश्वास दिला दिला कर हार गए हैं।” पुलिसकर्मियों ने एक साथ कहा 
“ठीक है, वैसे हमने जो रिकॉर्डिंग की थी वो चैनल न्यूज नेवरडे पर पूरी की पूरी दिखाई जा रही है फिर भी हम मोबाइल की रिकॉर्डिंग साहब लोगों को दिखा देंगे।” रिपुदमन सिंह ने अपराधी की जगह चश्मदर्शी बनकर डीआईजी साहब के पास जाना बेहतर समझा। 
जल्दी ही रिपुदमन सिंह को अपना परिचय पत्र मिल गया। उसने राहत की साँस ली। 
परिचय पत्र देखकर पुलिसकर्मियों ने मारपीट के लिए खेद जताया, “पत्रकार जी, आप छिपते छिपाते हुए आ रहे थे इसलिए हमें शक हुआ और हमने काबू करने के लिए हाथ उठा दिया। हमें खेद है। आप चलकर साहब लोगों को हकीकत जरूर बताएं।” परिचय पत्र देखकर पुलिसकर्मियों ने खेद व्यक्त किया। 
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रचनाएँ
मिस्ट्री मर्डर
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तेज तर्रार इंस्पेक्टर नील की मौत एक रहस्य बनी हुई थी। घटनास्थल पर किसी अन्य व्यक्ति एवं हथियार आदि के निशान नहीं थे। इंस्पेक्टर की मौत पर विभिन्न सस्पेंस, जासूसी के बाद मौत का रहस्य खुलता है। जानने के लिए पढें। उपन्यास पूर्णतः काल्पनिक है। किसी घटना से कोई संबंध नहीं है।
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मिस्ट्री मर्डर

18 मार्च 2022
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मिस्ट्री मर्डर 1 तेज-तर्रार इंस्पेक्टर नील की जघन्य हत्या / आत्महत्या से पुलिस विभाग स्तब्ध था। हँसमुख, खुशदिल इंस्पेक्टर नील न केवल पुलिस विभाग का प्रिय था बल्कि शहर के नागरिकों का अच्छा दोस्त भी था

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मिस्ट्री मर्डर

19 मार्च 2022
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2फोरेंसिक टीम ने वहाँ का चप्पा-चप्पा छान लिया पर उन्हें वारदात के बारे में वहाँ से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई।सभी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे थे। अभी भी स्वाभाविक मौत, हत्याअथवा आत्महत्या की गुत्थ

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मिस्ट्री मर्डर

20 मार्च 2022
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11चाय की तरोताजगी और कैंटीन मैनेजर द्वारा दिए गए संकेत से आईजी इंद्रेश गहन मंथन में डूब गए। उधर बाहर कुछ छुटभैये नेता और छुटभैये पत्रकार जनता की भीड़ को लेकर कोतवाली के सामने धरना-प्रदर्शन करने क

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मिस्ट्री मर्डर

20 मार्च 2022
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19आईजी इंद्रेश सिंह और जांच इंस्पेक्टर रोहित में मंत्रणा जारी थी। दोनों ही आश्चर्य में थे कि वारदात होने के दस बारह घंटे बाद भी कोई चश्मदीद नहीं मिला। यहाँ तक कि आसपास के लोगों को भनक तक नहीं मिल

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मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
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26“तो फिर काम पर लग जा जासूस अंटा, निपटा दें इंस्पेक्टर की मृत्यु का टंटा।” “अशरीरी द्वारा हत्या, बहुत ही बढ़िया स्टोरी है पिक्चराइजेशन भी बहुत बढ़िया किया है। पर हकीकत में कहां है दम, फिर

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22 मार्च 2022
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सैमुअल को ऐसी ही तीन चार डिवाइस और शीघ्र तैयार करने के लिए कहा और एकबार फिर से खुशी से चिल्लाया, जासूस अंटा, मिटा दे टंटा।” 34 आईजी के बंगले में मीटिंग की शुरुआत हुई। जाँच टीम प्रभारी डीआईजी ढिल्लन व

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22 मार्च 2022
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40“या खुदा, मुझे बिल्कुल भी याद नहीं रहा कि आज रबी अल-अव्वल माह की पांचवीं तारीख है। एक साल पहले आज के ही मनहूस रोज हमारी हमसफर हमें तन्हा छोड़कर खुदा की खिदमत में हाजिर होने जन्नत के लिए रुखसत हुईं थ

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23 मार्च 2022
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47डीआईजी ढिल्लन सिंह द्वारा ड्राइवर फरीद व कब्रिस्तान पर निगाह रखने एवं पूरी जानकारी देते रहने का निर्देश दिया। पत्रकारिता के क्षेत्र में नया नया आया स्वतंत्र पत्रकार रिपुदमन सिंह यूँही इधर-उधर भ

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23 मार्च 2022
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54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

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मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
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54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

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मिस्ट्री मर्डर

24 मार्च 2022
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60आईजी के रौद्र रूप को देखकर सब सन्नाटे में आ गए। मन ही मन में सोचने लगे कि क्या बोलना है। “गोलू भोलू, तुम लोग बताओ तुम लोगों ने क्या किया। क्या क्या सुराग हाथ लगे।” आईजी ने मुखबिरों से कहा।&nbsp

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24 मार्च 2022
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67 विक्रमसिंह ने भी कब्रिस्तान के एक कोने में उठती हुई धूल को देखा। उसे भी आश्चर्य हुआ कि कहीं हवा नहीं चली। कहीं कोई हलचल नहीं हुई फिर अचानक से ये धूल का बवंडर कैसे उठा। पर वह कब्रिस्तान के दूसरे किन

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26 मार्च 2022
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74“अरे यार अंटा, अपना एक नेत्र रास्ता भटक गया था उसका क्या हुआ। देखो देखो आखिर वह है कहाँ।” चेंकी ने भटके हुए नेत्र के लिए चिंता जाहिर की। “सर, मैंने रिमोट संदेश देकर उसको अपने पास लाने की बहुत क

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मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
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ने उसको दफ्न कर दिया। एक हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो पाया।”81“रोइए मत अंकल जी, हम पूरी जाँच करेंगे और सुनंदा को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे। आप दीवान जी के पास जाकर

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मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
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87इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास दोनों लड़कियों जूली और सुंदरी की जाँच रिपोर्ट आ गईं। रिपोर्ट देखकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह व रोहित सकते में आ गए। दोनों लड़कियों का भरपूर यौन शोषण हुआ था और उन दोनों की एक

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27 मार्च 2022
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अपने अनुभव से बताया। 94“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिं

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मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
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है।”“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। पर तुम किसी से कहना मत। तुम्हें भी मजे करवाने ले चलूँगा।”“सच, मुझे ले चलोगे।”“और नहीं तो क्या। तू भी क्या याद करेगा कि किसी दिलदार दोस्त से पाला पड़ा है।” कहते ही शिवशंकर ल

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मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
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हैं। बेकार की चीज तेरा जैसा पप्पू ही ला सकता है।” रिपुदमन ने चिढ़ते हुए कहा। “अरे रुको, रुको। इन पन्नों को फाड़ो मत। हमें इनकी जाँच करनी चाहिए। शायद कुछ हासिल हो जाए। ये देखो, ध्यान से देखो इन पर

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मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
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“20 तारीख सुबह तीन बजे। अब ये कौन सी नई पहेली आ गई। आखिर क्या मतलब निकलता है इसका। फिर से पहेली बूझना पडे़गी। अंटा ने कागज पर लिखी इबारत दोहराते हुए कहा। “चलो भाई फिर से इंस्पेक्टर साहब के पास। इ

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29 मार्च 2022
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121 दूसरी टीम 19 तारीख की सुबह ही गरियाना में तैनात हो गई। योजना के मुताबिक सारी कार्यवाही पूरी की गई। नगरपालिका के कर्मचारी भय या लालच के कारण कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते थे। पर ऑर्डर के कारण ब

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मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
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128अस्पताल में पल रहे पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त 6 कुत्तों को लेकर प्रशिक्षक पिछली तरफ की लिफ्ट के पास ठीक 2.45 पर खड़ा हो गया। अस्पताल के कर्मचारी ने मानव अंगों के पैकेट बनाकर तैयार रखे हुए थे। उन पैकेट

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29 मार्च 2022
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134एक घंटा आराम कर इकबाल ने पहले छोटू को दुकान से बाहर भेजा, “छोटू तू धीरे से दुकान का शटर उठा। बाहर झाँक कर देख सब ठीक-ठाक है। कहीं कुछ गड़बड़ दिखे तो तुरंत शटर बंद कर लेना।”छोटू ने बिना आवाज किए दुक

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मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
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140“हमने दो इलेक्ट्रॉनिक फ्लाई में इंसुलिन की हैवी डोज भरकर वहाँ भेज दी। जैसे ही हमारी बताई गई जगह पर हमेशा की तरह इंस्पेक्टर नील अकेले ही पहुँचा। वहाँ किसी को न पाकर भौंचक होकर इधर-उधर निगाह फेंककर द

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