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दूसरी टीम 19 तारीख की सुबह ही गरियाना में तैनात हो गई। योजना के मुताबिक सारी कार्यवाही पूरी की गई। नगरपालिका के कर्मचारी भय या लालच के कारण कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते थे। पर ऑर्डर के कारण बेमन से समय निकाल रहे थे।
रोशन को भी अपनी रसूख और सेटिंग पर भरोसा था। इसलिए वह निश्चिंत था। बाहर हो रही हलचल से उसने कोई ध्यान नहीं दिया। दरबान भी गेट बंदकर जाली से सब कुछ चुपचाप देखता रहा।
पुलिस टीम को तो यही चाहिए था। फिर देर शाम होने के कारण दीवार की आड़ लेकर टीम वहीं डट गई जहाँ से रोशन कंडवानी के घर आने जाने वाले लोगों पर नजर रखी जा सके।
देश में धार्मिक सौहार्दता बनाए रखने हेतु अखिल भारत साइकिल यात्रा, के जत्थे के रूप में सभी धर्मों की वेशभूषा में कमांडो शाम के धुंधलके में अपनी-अपनी साइकिलों में हवा या छोटी-मोटी रिपेयरिंग कराने के बहाने से इकबाल साइकिल रिपेयर की दुकान पर पहुँच गए।
“सलाम अले कुम, भाईजान।” मुस्लिम वेशधारी साइकिल यात्री बने कमांडो ने इकबाल का अभिवादन किया।
“अले कुल अस्सलाम, कहिए बरखुरदार, क्या काम है। दुकान बंद करने का टाइम हो रहा है।” इकबाल ने टालने के उद्देश्य से पूछा।
“वो क्या है भाईजान, हम लोग भारत यात्रा पर निकले हैं। शाम का वक्त हो चला है। कहीं रुकेंगे ही तो सोचा हमारी साइकिलों में जो छोटी-मोटी रिपेयरिंग होनी है। आपकी दुकान देखी तो सोचा पहले मरम्मत करा ली जावे। फिर कहीं डेरा डालेंगे।” कहने के साथ चार पाँच साइकिलें दुकान के सामने खड़ी कर अंदर का जायजा लेने की कोशिश की।
“अरे अब तो दुकान बंद करने का टाइम है। लड़का भी चला गया है। आप अगली किसी दुकान पर रिपेयरिंग करा लो।” इकबाल ने उत्तर दिया।
“हम लोग बहुत दूर से साइकिल मरम्मत की दुकान देखते हुए आ रहे हैं। बड़ी मुश्किल से आपकी दुकान मिली है। ज्यादा समय नहीं लगेगा। मरम्मत करवा दीजिए।”
“नहीं, इस समय काम नहीं हो सकता है। कहीं और जाकर करा लें।” कहकर इकबाल ने दुकान बंद करने के लिए लड़के से ताला लाने के लिए कहा।
“ठीक है भाईजान, हम तो अपने मजहब का समझ कर आपसे कह रहे थे। अब कल सुबह रिपेयरिंग कराकर ही आगे बढ़ पाएंगे।” मुस्लिम वेशधारी कमांडो ने कहा।
इकबाल ने उन्हें टालने के लिए दुकान पर ताला लगाया और बोला, “चल छोटू शाम हो गई है।”
“पर उस्ताद, आप तो कह रहे थे कि आज रात में कुछ काम है। दुकान पर ही रुकना है।” छोटू ने ताला देते हुए कहा।
इकबाल ने छोटू को आँखों से चुप रहने का इशारा किया। और साथ लेकर चला गया।
टीम के कान खड़े हो गए। मतलब सूचना ठीक मिली है। फौरन टीम लीडर ने डीआईजी को मैसेज किया।
डीआईजी ने हस्ती के माध्यम से पूरी योजना बताई और दुकान के चारों तरफ पैनी नजर रखने का निर्देश दिया। किसी भी प्रकार के एक्शन उनके आदेश पर ही करने के लिए भी निर्देशित किया।
साइकिल यात्रियों के वेश में टीम इकबाल को दिखाने के लिए अपनी-अपनी साइकिलें घसीटते हुए वापस चलने लगे। और फिर अपनी पोजीशन लेकर डट गए।
कब्रिस्तान वाली टीम तैयारियां पूरी कर लगभग पाँच सौ मीटर की दूरी पर रुककर अंधेरा होने का इंतजार करने लगी।
जैसे ही अँधेरा घिरने लगा। कमांडो कब्र खुदाई के मजदूर बनकर पूर्व से चिन्हित जगह पर कब्र खोदने लगे। कब्र खुदाई होती देखकर वहाँ छिपे गैंग के लीडर ने अस्पताल में डॉ घोष को संदेश दिया, “बॉस, एक पान और दो सेम की जुगाड़ हो गई।”
डॉ घोष ने संक्षिप्त मैसेज रिवर्स किया “ओ के”। इसके बाद इकबाल को मैसेज दिया, “रेडी।”
अस्पताल के कम्प्यूटर रूम में तैनात कमांडो ने मैसेज सुना। फौरन डीआईजी को गुप्त कोड में मैसेज फारवर्ड कर दिया।
डीआईजी ने एक पान व दो सेम की जुगाड़ का मतलब समझने की कोशिश की।
“सर, राहुल जो कागज डुमरी से लाया था उसमें भी पान और सेम लिखा हुआ था। कब्रिस्तान से संदेश अस्पताल गया है तो इसका मतलब कहीं शरीर के अंगों से तो नहीं है।” रिपुदमन सिंह ने कब्रिस्तान और डेड बॉडी से अनुमान लगाया।
“ओ, यस यस, पान का मतलब दिल और सेम का मतलब किडनी। बिल्कुल सही अनुमान। कब्र में छिपे कमांडो को सचेत करना पड़ेगा।”
कब्रिस्तान की टीम ने योजना अनुसार काम निपटाने शुरू कर दिए। सारा काम बिना व्यवधान के निपट गया और कमांडो पोजीशन लेकर डट गए।
डीआईजी ने कब्रिस्तान के टीम लीडर को अस्पताल से आया संदेश दिया और कब्र में तैनात कमांडो को ज्यादा एलर्ट रहने के लिए निर्देशित किया।
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शिवशंकर और राहुल वार्ड के अंदर चले गए। संयोग से राहुल को सड़क के साइड वाली तरफ का कमरा मिला। उसने राहत की साँस ली कि अब सही समय पर कमांडो को इशारा किया जा सकता है।
अभी हाल में ही गायब हुई कमसिन-कमसिन लड़कियों को सेक्स हार्मोन के डोज देकर नर्सों की ड्रेस में वीआईपी वार्ड भेज दिया गया।
राहुल के कमरे में जैसे ही नाजुक सी छुई मुई जैसी लड़की पहुँची। राहुल सिमट कर कुर्सी पर बैठ गया। लड़की यंत्रवत अगले आदेश के लिए खड़ी हो गई। राहुल धीरे से उठा और कमरे की लाइट दो बार ऑन ऑफ की। कमांडो ने संकेत पाकर मैसेज साथियों को दे दिया।
राहुल ने लड़की को बातों में उलझाए रखकर उससे जानकारी लेने की कोशिश की। पर लड़की भावहीन सी चुप ही रही। सेक्स हार्मोन के डोज के कारण वह उत्तेजना से उतावली हो रही थी। राहुल हनुमानजी को याद करते हुए अपने ऊपर काबू रखे हुए था।
लड़की यंत्रचालित सी राहुल के आदेश का इंतजार कर रही थी। राहुल को लगा कि लड़की में सोचने-समझने की क्षमता है ही नहीं। ऐसा कैसे हो सकता है कि जीती जागती लड़की न कुछ बोल रही है। न कुछ जबाव दे रही है। सिर्फ हाँ, हूँ ही कर हर बात से अनभिज्ञ सी बनी हुई है।
लगता है इन लड़कियों के दिमाग को सुन्न कर दिया गया है जिससे इनके साथ क्या घटित हो रहा है। इसका इनको भान ही न रहे।
डॉ घोष अपने चैंबर में आ कर बैठ गया। अस्पताल स्टाफ ड्रेस में कमांडो अपनी-अपनी पोजीशन में एलर्ट हो गए। चैंबर के बाहर आड़ में खड़े कमांडो ने स्पेशल वार्ड से कुछ पैकेट एक आदमी को पिछली साइड की लिफ्ट से ले जाते हुए देखा। उसे कुछ शंका हुई। पर उसका टारगेट डॉ घोष होने के कारण अनदेखा कर दिया। रात होने के कारण अस्पताल में आवाजाही कम हो चुकी थी। वैसे भी ऊपर के फ्लोर में इस समय आना जाना प्रतिबंधित हो जाता है।
जैसे ही 11 बजे कम्प्यूटर रूम में तैनात कमांडो ने पूरे अस्पताल में जैमर एक्टिव कर दिया।
चेंकी के ऑफिस में बैठे डीआईजी ने नेत्र के द्वारा सब कुछ ओ के होना सुनिश्चित किया और एक्शन के लिए संकेत दे दिया।
डॉ घोष हिसाब किताब में व्यस्त हो गया। बाहर खड़ा कमांडो ने चीते की फुर्ती से झपट्टा मारा जब तक डॉ घोष की समझ में कुछ आता तब तक कमांडो डॉ घोष को बेहोश कर चुका था। दूसरा कमांडो स्ट्रेचर लेकर हाजिर हुआ। डॉ घोष को उस पर लिटाया। सफेद चादर से अच्छी तरह से ढंक दिया और नीचे ले जाने के लिए पीछे की लिफ्ट में सवार हो गया।
नीचे लिफ्ट के पास बैठे गार्ड ने स्ट्रेचर देख कर अपने हाथ से सीने पर क्रॉस बनाया जैसे मृत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हो। उसके लिए तो यह रोज जैसा ही काम था। गेट पर तैनात एंबुलेंस डॉ घोष को लेकर तेजी से चली गई।
विद्युत करेंट जैसी तेजी से डॉ घोष कब्जे में आ गया। मिशन में लगी हुई टीम को भी भरोसा नहीं था कि डॉ घोष इतनी आसानी से कब्जे में आ जाएगा।
अगला शिकार शिवशंकर व नर्सें थीं। कम्प्यूटर रूम में तैनात कमांडो ने वीआईपी वार्ड का सारा कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम फेल कर दिया। वहाँ की साइबर सिक्योरिटी अनलॉक होकर सामान्य हो गई। कमांडोज एक्शन में आ गए।
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अस्पताल के रिसेप्शनिस्ट ने बहुत तेजी से एंबुलेंस को जाते हुए देखा उसे कुछ शक हुआ। उसने अस्पताल के प्रबंधकों को सूचना देने के लिए कॉल किया। मोबाइल पर नेटवर्क एरिया के बाहर का मैसेज आया। वैसे तो पिछली लिफ्ट से निकलने वाले लोगों की एंट्री रिसेप्शन पर नहीं होती है। पर स्ट्रेचर के साथ तैनात व्यक्ति की फुर्ती और जल्दीबाजी देखकर उसे कुछ खटका हुआ।
फोन न मिलने पर वह स्वयं अंदर जाकर देखने जाने लगी। हांलाकि अस्पताल के स्टाफ को बिना बुलाए सबसे ऊपरी मंजिल पर जाने की मनाही है। इसलिए निचली मंजिल पर घूम फिर कर रिसेप्शनिस्ट सब कुछ सामान्य होने से संतुष्ट होकर लौट आई।
वीआईपी वार्ड के बाहर तैनात कमांडोज कम्प्यूटर लॉक सिस्टम फेल होने से वार्ड के अंदर बिना व्यवधान के घुस गए पर अंदर उनके सामने समस्या आई कि शिवशंकर किस कमरे में है। यदि सभी कमरे चैक किए तो लोगों को शंका हो जाएगी और रेड पड़ी समझ कर भगदड़ पड़ जाएगी।
कमांडोज अभी सोच ही रहे थे कि क्या किया जाए जिससे सीधे शिवशंकर के कमरे में ही छापा पड़े। अन्य किसी कमरे वालों को पता भी नहीं चले।
उधर राहुल के कमरे में तैनात लड़की उत्तेजना के मारे फटी जा रही थी। राहुल बड़ी मुश्किल से अपने आप को बचाए हुए था। बहुत देर होती देख राहुल से अंदर कमरे में नहीं रहा जा रहा था। आंतरिक बेचैनी के कारण वह कमरे का गेट खोलकर गैलरी में आ गया।
अभी कमांडो कुछ सोच विचार कर ही रहे थे कि राहुल को कमरा नंबर 706 से निकलते देखा। कमांडो के मन में 706 देखकर शिवशंकर के कमरे का नंबर 705 होने का विचार आया क्योंकि पहले शिवशंकर भर्ती हुआ उसके तुरंत बाद ही राहुल को कमरा एलॉट किया गया था।
कमांडो 705 की ओर बढ़ने लगा। राहुल ने तुरंत उसे रुकने का इशारा किया और कमरा नंबर कम्प्यूटर द्वारा रैंडमली एलॉट होने की बात इशारों में कमांडो को समझाकर 716 की ओर इशारा किया।
दोनों कमांडो 716 पर अटैक के लिए तैयार हो गए। वार्ड के कमरों के गेट की खासियत थी कि गेट को अंदर से बंद नहीं किया जा सकता था। इसलिए दो कमांडो तेजी से अंदर गए और शिवशंकर व लड़की को आपत्तिजनक अवस्था में दबोच लिया।
दोनों ही कुछ समझ पाते, चीखते चिल्लाते उससे पहले ही कमांडो उन्हें बेहोश कर चुके थे।
पिछली लिफ्ट से उन्हें भी अस्पताल के गेट पर ले जाकर तैयार खड़ी एंबुलेंस में लादकर ले जाया गया।
डीआईजी ने टीम को वेल डन मैसेज दिया।
इतना सब कुछ पूरी प्लानिंग व तैयारी से हो सफल हो गया और अस्पताल में किसी को भनक तक नहीं हुई।
कम्प्यूटर रूम में बैठे कमांडो ने सारे सिस्टम पहले की तरह चालू कर दिए। बेहोश पड़े कम्प्यूटर ऑपरेटर को अपने साथ ले जाकर तलघर में कैद कर दिया। डॉ घोष, शिवशंकर व नर्सें बेहोशी की हालत में पुलिस के कब्जे में आ चुकी थी।
इसके बाद डीआईजी के निर्देश पर पुलिस कंट्रोल रूम में बैठी टीम ने अस्पताल नेटवर्क अपने हाथ में लेकर ऑटोमेटेड रिस्पांस सिस्टम पर ले लिया। डॉ घोष के मोबाइल का लॉक बेहोश पड़े डॉ घोष के फिंगर प्रिंट से खुलवा कर कंट्रोल रूम टीम ने अपने कब्जे में ले लिया जिससे आने वाले मोबाइल कॉल का जबाव वॉयस चेंजर का उपयोग कर डॉ घोष की आवाज में ही दिया जा सके।
सारे घटनाक्रमों में रात के एक बज चुके थे। अभी तीन बजने में दो घंटे बचे हुए थे। अन्य तीनों जगहों पर तैनात टीमें सजगता से एक्शन के लिए पूर्ण तैयार थीं।
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साइकिल यात्रियों के वेश में आए कमांडोज वापस हो गए। जैसे ही वे लोग आँखों से ओझल हुए वैसे ही इकबाल दुकान पर वापस आ गया। चौकन्नी निगाहों से चारों तरफ का जायजा लिया। किसी को वहाँ न पाकर राहत की साँस लेकर बोला, “चल छोटू फटाफट दुकान के अंदर आजा। जरा कान खुले रखना और सतर्क रहना। जैसे ही कोई आहट हो, मुझे बताना।”
दोनों लोग दुकान में चुपके से अंदर घुस गए। दुकान के गेट धीरे से बंद कर लिए।
जैसे ही दुकान के गेट बंद हुए। सभी कमांडो वापस आकर दुकान के चारों तरफ छिप गए। उनको मिली सूचना के अनुसार रात में कुछ माल आना है। चार कमांडो अपनी-अपनी साइकिलों के साथ इकबाल साइकिल रिपेयर दुकान से कुछ दूरी पर बनी दुकान के टीन शेड में थके हारे यात्रियों की तरह आड़े तिरछे होकर पड़ रहे।
दुकान के अंदर जाकर इकबाल ने हस्ती के कान में सेम 4 पैकेट, पान 4 पैकेट, 2 अंडे, 8 पैकेट मटर दाना तीन बजे रात में सप्लाई करने के लिए संदेश दिया। संदेश कब्रिस्तान में छिपे गैंग और डॉ घोष के मोबाइल पर पहुँचा।
“ओ के, बॉस।” कब्रिस्तान के गैंग का रिवर्स मैसेज इकबाल को प्राप्त हुआ।
बिना देर किए पुलिस कंट्रोल रूम की टीम ने डॉ घोष के पिछले संदेशों की हिस्ट्री निकाली और दिए गए रिवर्स मैसेज अनुसार “ऑल इज वेल” का रिवर्स मैसेज कर दिया।
इकबाल ने डॉ घोष का मैसेज प्राप्त किया और सुकून की साँस ली। सब कुछ ठीक-ठाक होने पर इकबाल ने रोशन के हस्ती मैसेज रिसेप्टर की फ्रीक्वेंसी सेट कर “रेडी” मैसेज दे दिया।
पुलिस कंट्रोल रूम की टीम ने डीआईजी साहब को अभी अभी प्राप्त संदेशों के बारे में विस्तार से बताया। एवं आगामी आदेश के लिए पूछा।
डीआईजी ढिल्लन ने कंट्रोल रूम टीम को सारे नेटवर्क पर कड़ी नजर रखने एवं उन्हें तुरंत अपडेट करने का निर्देश दिया।
“वेरी वेल चेंकी, तुम लोगों का अनुमान सही था। कब्रिस्तान, अस्पताल और गरियाना में जबरदस्त नेटवर्किंग कर रखी है इकबाल ने। आई थिंक, इकबाल इस पूरे नेटवर्क का मुखिया है। अंटा चारों नेत्रों की वीडियो फुटेज पर पैनी नजर रखना। आज सुबह तीन बजे पूरा गैंग हमारे कब्जे में होना चाहिए।”
इसके बाद हस्ती के माध्यम से चारों टीमों को एक्शन के लिए तैयार रहने का आदेश दे दिया। और मौका अनुसार बिना देर किए कार्यवाही करने की पूरी स्वतंत्रता दे दी। इकबाल की दुकान के चारों ओर तगड़ी चौकसी रखने के लिए टीम को निर्देश दिया, “हमें इकबाल को भागने नहीं देना है। उसे हर हाल में जिंदा पकड़ना है। उसकी दुकान के एक किमी के दायरे में नाकाबंदी कर दी गई है। उसकी दुकान पर आने वाले माल को दुकान पर पहुँचने से पहले ही पकड़ लेना है।
कब्रिस्तान में तैनात टीम को भी एलर्ट कर दिया और जैसी कि सूचना थी कि एक पान और दो सेम की जुगाड़ हो गई है। इसलिए कब्र में छिपे कमांडो पर कोई आंच न आने पाए और किडनी व हृदय भी गैंग को मिल जाए इसलिए वहाँ छिपे कमांडो के पास पोस्टमार्टम रूम से एक लाश भिजवाने का बंदोबस्त करा दिया एवं कब्र में छिपे कमांडो को अपना बचाव करने का निर्देश दिया।
जैसे ही लाश कब्रिस्तान में पहुँची, कंट्रोल रूम टीम ने कब्रिस्तान में नेटवर्किंग फेल कर दी। वहाँ तैनात कमांडोज के द्वारा कब्रिस्तान के दूसरे छोर से पूरी सावधानी से कब्र में लाश को पहुँचा दिया गया।
अब रात के दो बज चुके थे। सारी टीमें और चारों जगहों का अपराधी गैंग सजग हो चुका था।
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कब्रिस्तान में छिपे गैंग ने इकबाल के ऑर्डर अनुसार शाम को दफ्न हुई लाश से किडनी व हृदय निकाल लाने की तैयारी की जिससे अस्पताल से आए हुए अंगों के साथ उसको भी इकबाल के पास भेजा जा सके।
पूरे कब्रिस्तान में नशीली मीठी-मीठी सुगंध वाली गैस फैला दी। जिससे यदि कब्रिस्तान में फकीर के साथ-साथ यदि कोई और व्यक्ति मौजूद हो तो वह बेहोशी वाली गहरी नींद में सो जाए।
कब्रिस्तान में छिपी टीम के नथुनों में जैसे ही गंध पहुँची उन्होंने ने सेफ्टी मास्क पहन लिए जिससे उन पर बेहोशी न आ जाए।
सारे कमांडोज कब्रिस्तान के पूरे हालातों का जायजा लेते हुए अटैकिंग पोजीशन में आ गए। अचानक से कब्रिस्तान में घोड़े दौड़ने की आवाजें सुनकर पूरी टीम अचंभित हो उठी। इतनी रात में घोड़ों के दौड़ने की आवाज कहाँ से आ रही है। सभी ने छिपे-छिपे ही चारों तरफ देखा। घटाटोप अंधेरे के सिवाय किसी को कहीं कुछ नहीं दिखा।
घोड़ों की पदचापों की आवाज लगातार तेज होती जा रही थी। लेकिन कहीं कुछ नहीं दिख रहा था। इसके एक दो मिनट बाद ही हवा में कुछ साये तैरते दिखने लगे। साये कभी एक जमीन पर, कभी पेड़ों की पत्तियों की ऊंचाई पर लहरा रहे थे। एक दो सेकेंड के लिए दिखते फिर गायब हो जाते फिर एक पल कहीं दिखते अगले ही पल गायब हो जाते।
टीम के सदस्यों में थोड़ा सा भय पैदा हुआ। कितने भी शक्तिशाली इंसान से निपटने में वे लोग निहत्थे ही सक्षम हैं पर कहीं यह अशरीरी आत्माओं का चक्कर हुआ तब क्या होगा।
चेंकी के ऑफिस में बैठी टीम अंटा, चेंकी, रिपुदमन व डीआईजी ने कम्प्यूटर पर कब्रिस्तान के हालात देखे। डीआईजी ने तुरंत कब्रिस्तान की टीम का हौसला बढ़ाकर उनका भय कम किया।
झोपड़ी में फकीर बेहोशी भरी नींद में डूबा हुआ था। एक अपराधी सदस्य कब्र के नीचे बने तलघर से बाहर निकल कर झोपड़ी में बैठ कर मैकेनिकल हाथ को रिमोट से ऑपरेट करने लगा। रात के घने अंधेरे में रिमोट संचालित हाथ से बाहर निकला और शाम के वक्त बनी कब्र के पास पहुँचा कर ताजी मिट्टी हटाता हुआ सीधे लाश के हृदय तक पहुँचा। किसी कुशल डॉक्टर की तरह उसने हृदय को सुरक्षित निकाल कर प्लास्टिक थैली में पैक कर दिया। इसके बाद दोनों किडनी भी प्लास्टिक बैग में पैक कर कब्र से ऊपर ले आया।
वहाँ पहले से ही दोनों पैकेटों को ले जाने के लिए डिवाइस जटायु तैयार थी। मैकेनिकल हाथ ने पैकेट जटायु में रख दिए। और वापस झोपड़ी में पहुंच गया।
कुछ खराबी हो जाने के कारण रिमोट संकेत देने के बाद भी जटायु पैकेट लेकर ऊपर नहीं उठा। झोपड़ी में बैठे गैंग के सदस्य ने जटायु के पास पहुँचकर उसको देखा। जमीन पर आते समय उसका निचला सिरा वहाँ की घास में उलझ जाने से वह ऊपर नहीं उठ रहा था। उस व्यक्ति ने जटायु को निकाला। जटायु पैकेट लेकर चला गया।
कब्र में छिपे कमांडो व मजदूर बने कमांडो ने यह सब देखा। अच्छा मौका समझ एक कमांडो ने वापस हो रहे व्यक्ति को दबोचने का प्रयास किया। इतने में कहीं से एक लेजर बीम कमांडो से आकर टकराई। कमांडो हमला झेल नहीं पाया और वहीं गिर पड़ा। इसी बीच कब्र में छिपा कमांडो ऊपर आया और उसने व्यक्ति पर लेजर गन से अटैक किया। व्यक्ति पूरी सुरक्षा के साथ बाहर आया था। बीम उससे टकराई और बिना नुकसान पहुँचाए निकल गई। अपराधी झोपड़ी में जाने के लिए भागा। तभी कब्र से इंदिरा का साया निकलकर उसके सामने आ गया। साये से डरकर वह पलटकर पीछे की ओर भागा। इतने में पीछे से आ रहे एक अन्य कमांडो ने झपट्टा मारकर उसे दबोच लिया। पलक झपकते ही फुर्ती से उसके मुँह पर मजबूत टेप चिपका दिया जिससे वह कोई आवाज न निकाल सके। दूसरे कमांडो ने आकर उसके हाथ-पैरों को जकड़ कर बाँध दिया और कब्रिस्तान के गेट के बाहर ले जाकर बोरे में बंद कर पटक दिया।
इंदिरा का साया भी तुरंत ही कब्र में समाकर गायब हो गया।
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सारे घटनाक्रमों पर निगाह रखे हुए डीआईजी ने कंट्रोल रूम टीम को कब्रिस्तान का नेटवर्क जाम करने का निर्देश दिया जिससे कब्रिस्तान में हुई धरपकड़ की सूचना गैंग अन्य लोगों को न दे सके।
उधर झोपड़ी की कब्र के नीचे छिपे अन्य व्यक्तियों को बाहर गए व्यक्ति के वापस न आने पर चिंता हुई। थोड़ी और देर उन्होंने इंतजार किया।
इतने में कब्रिस्तान में तैनात कमांडो झोपड़ी को घेर चुके थे। लेकिन वे अभी तक यह नहीं समझ पाए थे कि मानव अंगों को कौन लेकर गया है और कहाँ गया है।
अंदर छिपे व्यक्तियों से अब रहा नहीं गया। उनके गैंग लीडर ने फुसफुसा कर आशंका व्यक्त की, “लगता है, टिन्नी किसी मुसीबत में फँस गया है। पाँच मिनट हो गए अब तक तो उसे वापस झोपड़ी में आ जाना चाहिए था।”
“भाईजान कहीं टिन्नी के मन में बेईमानी तो नहीं आ गई। फ्रेश माल किडनी और हृदय लेकर वह चंपत तो नहीं हो गया।” लिन नाम के गैंग सदस्य ने कहा।
“बेईमानी कर भागेगा तो साला बेमौत मरेगा। इकबाल भाईजान पाताल से भी खोदकर निकाल लेंगे और कुत्ते की मौत मारेंगे। तुम पहले बाहर देख कर आओ वह है कहाँ।” गैंग लीडर ने एक और सदस्य को बाहर भेजा।
जैसे ही वह झोपड़ी से बाहर आया। वहाँ तैनात कमांडो ने बिना देर किए अटैक कर उसे बेहोश कर दिया। उसके मुंह पर टेप चिपकाया और हाथ पैर बांध कर बाहर डाल दिया।
दूसरे व्यक्ति को गए हुए तीन-चार मिनट हो गए। “माल इकबाल के पास भेजने का टाइम हो रहा है। ढाई बज चुके हैं और साला टिन्नी चंपत हो गया है। अस्पताल से भी माल आने वाला होगा। तीन बजे इकबाल के पास पूरा ऑर्डर पहुँचाना है। अब ये लिन भी कहाँ मर गया। लगता है इकबाल को खबर देनी ही पड़ेगी। कहीं कोई लोचा हो गया तो इकबाल हम सब की खाल उधेड़ कर रख देगा।”
गैंग लीडर ने मोबाइल निकाल कर नंबर डायल किया। नो नेटवर्क अवेलेवल, का मैसेज स्क्रीन पर फ्लैश हुआ।
“अब क्या करें। नेटवर्क आ नहीं रहा है और दोनों साले न जाने कहां मर गए हैं।” गैंग लीडर ने खीझ निकाली।
तलघर से बाहर आने से पहले उसने कब्रिस्तान में लगे सीसीटीवी फुटेज देखे। उसमें उसे कुछ असामान्य नहीं दिखा। फिर भी सतर्कता बरतने के लिए उसने अंदर से ही रिमोट संचालित लेजर गन्स से फायरिंग की। यदि बाहर कोई मौजूद होगा तो वहीं ढेर हो जाएगा या फिर वह रिवर्स फायरिंग करेगा जिससे उसे संभलने का मौका मिल जाएगा। और वह झोपड़ी के बाहर तैनात कमांडोज ने अपना बचाव किया।
एक दो मिनट कोई प्रतिक्रिया न होने से उसने बाहर सब कुछ सामान्य होने का अनुमान लगाया।
गैंग लीडर ने घड़ी पर निगाह डाली। पौने तीन बज चुके थे। अस्पताल से सप्लाई आने वाली ही होगी। यह सोचकर उसने बाहर गए टिन्नी और लिन को ढूंढने का इरादा कैंसिल किया। पहले इकबाल के पास माल सप्लाई हो जाए फिर दोनों से निपटेगा।
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लेकिन दोनों गायब हुए सदस्यों के बारे में इकबाल को इसी समय बताना जरूरी है। वर्ना कुछ गड़बड़ होने पर इकबाल उसे मार डालेगा।
नेटवर्क आ नहीं रहा है। खबर कैसे पहुँचाई जाए। उसके साथी ने याद दिलाया, “बॉस, अपने पास फ्लाई इंसेक्ट डिवाइस है। इकबाल उस्ताद ने कहा था कि गुप्त संदेश देने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। आप उससे उस्ताद को खबर दे दें।”
“हाँ, मैं तो भूल ही गया था। इंसेक्ट को निकाल कर मोबाइल से लिंक किया। मोबाइल पर मैसेज टाइप किया। मैसेज इंसेक्ट में सेव हो गया। इसके बाद मैसेज पाने वाले की लोकेशन सेट कर दी। फिर मोबाइल से लिंक डिस्कनेक्ट की जिससे इंसेक्ट किसी की पकड़ में आ जाए तो भेजने वाला ट्रैक न हो सके। इंसेक्ट स्वजनित पावर के सहारे उड़ गया।
डीआईजी ने नेत्र के द्वारा भेजे गए फुटेज में झोपड़ी से निकलती बहुत छोटी सी डिवाइस को देखा। उन्होंने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम टीम को कब्रिस्तान से उड़ती डिवाइस को निष्क्रिय करने का निर्देश दिया।
टीम ने आनन-फानन में उसको कैच कर निष्क्रिय कर दिया।
गैंग लीडर ने अब अपना सारा ध्यान अस्पताल से आने वाले पैकेटों पर लगा दिया।
आई केयर अस्पताल डुमरी के गुप्त तलघर में तैनात कर्मचारी ने डॉ घोष के मोबाइल पर माल सप्लाई करने का आदेश पाने के लिए मैसेज किया। पुलिस कंट्रोल रूम में तैनात सिपाही ने डॉ घोष के मोबाइल पर मैसेज पढ़ा और “यस” मैसेज रिवर्स कर दिया।
इसके साथ-साथ इकबाल के पास भी मैसेज फारवर्ड हो गया।
सब कुछ ओ के होने पर इकबाल ने रोशन को जल्दी ही पैकेट ले जाने के लिए हस्ती के माध्यम से मैसेज दे दिया।
पिछली बार की भाँति दिन में सप्लाई होने से भंडाफोड़ होते-होते रह गया था। वो तो उसने इंस्पेक्टर रोहित को बातों में उलझा लिया था। इसलिए उसने ज्यादा छानबीन नहीं की थी। इस बार ऐसा कुछ न हो इसलिए सारा प्लान रात में पूरा किया गया है। गरियाना से बरामऊ का रास्ता मुश्किल से एक डेढ़ घंटे का है इसलिए सुबह-सुबह 5 बजे तक आ जाने का सख्त निर्देश दिया।
रोशन ने भी “पार्टी आ गई है” मैसेज इकबाल को भेज दिया।
दोनों मैसेज कंट्रोल रूम में रिकॉर्ड हुए। इसकी डीआईजी साहब को सूचना दे दी गई। डीआईजी ने सभी टीमों को तैयार रहने का निर्देश दे दिया।
गरियाना की टीम को अभी “वेट एंड वॉच” की स्थिति में रहने का निर्देश मिला हुआ था। इसलिए रोशन कंडवानी के घर पर आए हुए संदिग्ध लोगों को टीम ने बेरोकटोक रोशन के घर में जाने दिया। इकबाल के निर्देशानुसार रोशन बरामऊ के लिए नई गाड़ी में सवार होकर समय से पहले ही निकल लिया।
इंस्पेक्टर रोहित ने डीआईजी को रोशन के निकलने की सूचना दे दी।
डीआईजी ने इकबाल की दुकान के चारों तरफ छिपे कमांडोज, टोल प्लाजा व पुलिस चेक पोस्ट को अस्पताल से इकबाल के पास मानव अंगों को भेजे जाने के संदेश के बारे बताकर एलर्ट कर दिया। सभी को हिदायत दी गई कि मानव अंगों को किसी भी हालत में इकबाल के पास पहुँचने से पहले ही पकड़ लिया जावे। एवं उन्हें लाने वाले लोगों को भागने न दिया जावे।