shabd-logo

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022

24 बार देखा गया 24
140
“हमने दो इलेक्ट्रॉनिक फ्लाई में इंसुलिन की हैवी डोज भरकर वहाँ भेज दी। जैसे ही हमारी बताई गई जगह पर हमेशा की तरह इंस्पेक्टर नील अकेले ही पहुँचा। वहाँ किसी को न पाकर भौंचक होकर इधर-उधर निगाह फेंककर देखा। सुनसान वीरान जंगल में कहीं किसी की आहट तक नहीं मिल पाई। तभी हमारी फ्लाई ने इंस्पेक्टर नील के माथे पर डंक चुभा कर अंदर भरी हुई सारी इंसुलिन उसके शरीर में उतार दी। हम जानते थे कि इंसुलिन के प्रभाव से इंस्पेक्टर मानसिक और शारीरिक रूप से लकवाग्रस्त हो जाएगा। जिससे उसकी याददाश्त चली जाएगी और वह केवल बेजान पुतला बनकर रह जाएगा। सच मानिए इंस्पेक्टर साहब हम नील को मारना नहीं चाहते थे। वो तो हमारी गलती से दूसरी फ्लाई ने भी डंक मारकर इंसुलिन नील के शरीर में उतार दी। इंसुलिन के ओवरडोज से नील मौत के आगोश में चला गया। हम जानते थे कि कुछ देर बाद इंसुलिन शरीर में विघटित हो जाएगी जिससे उसके शरीर में व घटनास्थल पर किसी को कोई सबूत हाथ नहीं लगेगा। इंस्पेक्टर नील की हत्या होकर भी हत्या साबित नहीं हो पाएगी और उसकी मृत्यु सामान्य मृत्यु मान ली जावेगी।”
“और हुआ भी यही। आईजी साहब ने नील की मृत्यु सामान्य घोषित कर केस बंद करवा दिया था।”
“बहुत दिमाग लगा लिया तूने डॉ घोष। पर इंस्पेक्टर नील को तुम लोग खबर कैसे करते थे। हमने सारे रिकॉर्ड, फोन और मोबाइल डिटेल निकाल ली। ऑफिस में लोगों से पूछताछ कर ली। कोई नहीं जानता कि कैसे नील अचानक से उठकर जाता था और अपराधियों को पकड़ लाता या एनकाउंटर कर देता था। हमें अभी तक पता नहीं चला। न कहीं कोई सबूत हाथ लगा।” विक्रमसिंह ने इकबाल से पूछा। 
“तुम सिस्टम में फँसे हुए लोग हो। होनहार युवकों की तकनीक को बढ़ावा नहीं देते हो। घिसे-पिटे नियम कायदे-कानून में घिरे रहकर काम करने के आदी हो चुके हो तुम लोग। पर हम होनहार बेरोजगार युवकों की मदद करते हैं। चाहे उनकी तकनीक को खरीदकर या उनको अपने धंधे में लगाकर। हमने हर जगह नई-नई तकनीक का उपयोग किया। खबर देने से लेकर माल सप्लाई करने तक के लिए तकनीक का प्रयोग किया।”
“मुखबिरी की पुरानी घिसी-पिटी तकनीक कंबल में मुंह छिपाकर चुपके से सूचना देना या ठेले पर खड़े होकर फल फ्रूट बेचकर सूचना जुटाकर देने की जगह इंस्पेक्टर नील को मुखबिरी देने के लिए हमने नई तकनीक प्रयोग की। आपको तो याद होगा ही इंस्पेक्टर विक्रमसिंह, वो साइंस कॉन्क्लेव जहाँ कुछ युवा आविष्कारकों ने रिमोट ऑपरेटेड यंत्रों का सफलतापूर्वक संचालन कर दिखाया था और आपके मंत्री महोदय से फंडिंग की गुहार लगाई थी।”
“नतीजा वही हम देखेंगे। वादों से साहब पेट नहीं भरता है। नेताओं को तो केवल वोट की चिंता होती है। उन्हें इन युवकों को पैसे देने से ज्यादा फायदेमंद, नाकारा लोगों को मुफ्त राशन, पेंशन देने में लगता है। उन आविष्कारकों जैसे युवक आश्वासनों के बियावान में भटक कर गुम होते रहे हैं और भटकते रहेंगे। मुझे कोई उम्मीद की किरण दिखाई नहीं देती है।”
“हमने उन मायूस युवकों से उनके कुछ यंत्रों को उनकी लागत से थोड़ा सा मुनाफा देकर ले लिया। उन्हीं में से एक यंत्र फ्लाई में संदेश फीड कर हम भेजते थे। नील साहब के पास फ्लाई पहुँच जाती थी। उसमें फीड संदेश लेजर इमेज के माध्यम से दीवार पर दिखने लगता था और कुछ सेकेंड में मिट जाता था। न किसी के आने-जाने का झंझट। न कोई रिकॉर्ड। काम खत्म, सबूत खत्म।”
“एक बात और बता, तेरी दुकान के चारों तरफ तैनात पुलिस व शहर की नाकाबंदी के बाद भी तेरे पास पैकेट कैसे पहुँचे।” रोहित ने जानना चाहा। 
“इस काम में भी हमने यंत्रों का उपयोग किया। अस्पताल से नदी के किनारे तक पैकेट प्रशिक्षित कुत्तों के द्वारा लाए गए। वहाँ से जटायु नाम के यंत्र से पैकेट कब्रिस्तान के पास की झाड़ी तक पहुँचाए गए। वहाँ से मेरी दुकान तक हाई स्पीड मैग्नेटिक ट्राली से सुरंग में होकर पैकेट आ गए।”
“वो ही तो हम चकित थे कि इतनी बड़ी तस्करी हो रही है और हमें कहीं कोई सबूत नहीं मिल रहा है।” विक्रमसिंह ने आश्चर्यचकित होकर कहा। 
“अब चुप कर इकबाल, बहुत बकर-बकर कर ली। तुम बताओ डॉ घोष, अपने काले कारनामों और गोरखधंधों के बारे में।” रोहित ने डॉ घोष से पूछताछ की। 
“कैसे काले कारनामे, हमने कोई काला कारनामा नहीं किया। कभी किसी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की।” डॉ घोष ने अपनी सफाई दी। 
“चुप, झूठ बिल्कुल नहीं। सच सच बता।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने गुस्से से आग बबूला होते हुए दो थप्पड़ जमा दिए। 
“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। आप पूरे इलाके में मेरे अस्पताल के बारे में पूछ सकते हैं। हम तो गरीबों का इलाज मुफ्त में करते हैं।”

141 
“मुफ्त में करते हैं और मुफ्त में किडनी निकाल लेते हैं।” रोहित ने व्यंग्यात्मक लहजे में डॉ घोष से कहा। 
“नहीं सर, आप विश्वास करिए। हम कोई गलत काम नहीं करते हैं। अब आदमी अपने आप ही अपने अंग बेचने के लिए कहता है तो हम निकाल कर जरूरतमंद लोगों को दे देते हैं। हम बाकायदा उसकी सहमति लेते हैं। आप चाहें तो रिकॉर्ड चैक कर सकते हैं।” 
“कौन सा रिकॉर्ड चैक कर लें। जो तुमने अपने चैंबर के कोरे रजिस्टरों में लिख रखा है या फिर पान और सेम वाला रिकॉर्ड। या फिर वीआईपी वार्ड वाला रिकॉर्ड। बताओ कौन सा रिकॉर्ड चैक करें।” विक्रमसिंह ने तल्ख आवाज में कहा। 
विक्रमसिंह की बातें सुनकर डॉ घोष को झटका सा लगा। उसके चेहरे के भाव बदल गए कि पुलिस को इन सब चीजों की जानकारी कैसे हो गई। रिकॉर्ड उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा में रखा जाता है। अस्पताल के ऊपरी तल पर कुछ खास लोगों को ही जाने की छूट मिली थी फिर अंदर की बात बाहर कैसे आ गई। 
“क्या सोचने लगे डॉ घोष। यही न कि पुलिस को ये कैसे पता चल गया। हमें तो बहुत कुछ पता चल गया है। झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लड़के लड़कियों को तुम अपहृत कराते हो। रसूखदार लोगों से मोटी रकम वसूल कर लड़कियों का यौन शोषण कराते हो।लड़कों के अंग निकालने के बाद कुछ दिन अपने पास रखकर थोड़े पैसे देकर छोड़ देते हो। लड़कियों का भरपूर यौनाचार कराकर उनके भी अंग निकालकर अर्द्धपागल स्थिति में लाकर शहर में छोड़ देते हो। उन बेचारों को पता ही नहीं चलता है कि उनके शरीर का कोई अंग गायब किया जा चुका है। नीचता की हद पार कर चुके हो तुम। बीमारी का इलाज कराने आए असहाय लोगों और मृतकों को भी तुम नहीं छोड़ते हो। तुमने डॉक्टरी जैसा पवित्र पेशा बदनाम कर दिया है।” विक्रमसिंह ने तैश में आकर दो लात और लगा दी। 
“क्या, क्या कह रहे हो इंस्पेक्टर। तुम भूल रहे हो कि तुम किससे बात कर रहे हो। तुम इस तरह एक डॉक्टर के साथ मारपीट नहीं कर सकते हो। अपने साथ हुई मारपीट के लिए मैं तुम्हें कोर्ट में घसीट सकता हूँ।” डॉ घोष ने हेकड़ी दिखाई। 
“कोर्ट में तो हम तुम्हें घसीटेंगे। मन तो कर रहा है कि तुम्हें यहीं मारकर जमीन में गाढ़ दूँ। पर तेरे गंदे खून से मैं अपने हाथ गंदे नहीं करना चाहता हूँ। पैसे के लिए कितना नीचे गिर सकते हो तुम कमीने लोग।” विक्रमसिंह रोष से बोला। 
“हमें ज्यादा लेक्चर मत दो इंस्पेक्टर। पहले अपने नेताओं को समझाओ कि खैरात दे देकर वे जनता को इतना नाकारा न बनाएं कि काम की लत की बजाय वे नाकारेपन और नशे की लत के शिकार हो जाएं। उस नशे को पूरा करने के लिए वे अपना खून, अपने अंग तक बेचने के लिए तैयार हो जाएं।”
“शुरू शुरू में कई लोगों ने अपनी नशे की जरूरत पूरी करने के लिए खुद मर्जी से अपना खून बेचा। यहाँ तक मेरे कईयों बार मना करने और समझाने के बाद भी अंग बेचने पर अड़े रहे। उनकी नशे की लत पूरी करते करते मैं कब अंगों की कालाबाजारी की लत का शिकार हो गया मुझे खुद पता नहीं चला।”
“मुझे आभास ही नहीं हुआ कि मैं कितने बड़े दलदल में फंस चुका था। पैसा, पैसा, बस पैसा, नशा सा सवार हो गया था मेरे मन मस्तिष्क में। यकीन मानिए इंस्पेक्टर साहब “आई केयर अस्पताल” की सबसे ऊपरी मंजिल को छोड़कर नीचे की सभी मंजिलें डॉक्टरी पेशे की ईमानदारी से चल रही हैं। आप चाहे जैसे जाँच कर लें। चाहे कैसी भी सजा मुझे दिलवा दें।”
“बस एक विनती है कि आप “आई केयर अस्पताल” को बंद मत करवाइए। हजारों गरीब लोगों का विश्वास है हमारे अस्पताल पर। अस्पताल के खातों में ही इतना पैसा व प्रॉपर्टी है कि उसके ब्याज से ही अस्पताल हमेशा चल सकता है।” 
“मेरे हाथों ईमानदार और नेक इंस्पेक्टर नील की न चाहते हुए भी हत्या हो गई। मैं बहुत बड़ा गुनाहगार हूँ।” कहकर डॉ घोष आत्मग्लानि के कारण फूट फूट कर रोने लगा 

142
इंस्पेक्टर रोहित व विक्रमसिंह ने सारी रिपोर्ट्स तैयार कर शिवशंकर व नर्सों के बयान रिकॉर्ड कर लिए। चेंकी जासूस के कम्प्यूटर में बहुत सारे फुटेज सबूत के तौर पर सुरक्षित कर लिए गए। उनकी एक कापी पेन ड्राइव में लेकर डीआईजी ने अपने पास रख ली।
सारी कार्यवाही के दस्तावेजों को लेकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह, इंस्पेक्टर रोहित, चेंकी जासूस, जासूस अंटा, पत्रकार रिपुदमन, पत्रकार राहुल और सैमुअल डीआईजी के साथ आईजी साहब के ऑफिस पहुँच गए। 
आईजी साहब से मिलने जाते समय इंस्पेक्टर रोहित, इंस्पेक्टर विक्रमसिंह और डीआईजी ढिल्लन तीनों के चेहरों पर विजयी मुस्कान तैर रही थी कि देखा आईजी साहब आपने जिस इंस्पेक्टर नील की मृत्यु को सामान्य मृत्यु, जबरदस्ती घोषित करवा दिया था, वह असल में हत्या थी। 
आईजी साहब ने तीनों के साथ पूरी टीम विशेषकर जासूस मंडली को मानव अंग तस्करी के बहुत बड़े नेटवर्क को ध्वस्त करने और अस्पताल की आड़ में हो रहे अनैतिक कामों का पर्दाफाश करने के लिए बधाई दी। 
“और भाई चेंकी जासूस, इंस्पेक्टर नील की हत्या में आईजी साहब का कनेक्शन मिला कि नहीं। मुझे आज भी याद है कैंटीन में वो टोपी से मुँह छिपाकर तुम्हारी तिरछी मुस्कान।”
“क्यों इंस्पेक्टर विक्रमसिंह, इंस्पेक्टर नील की प्रेमिका इंदिरा का मोबाइल मेरे ड्राइवर फरीद के पास। यानी हत्या में आईजी साहब का हाथ।”
“इंस्पेक्टर रोहित, याद है कोई किंतु परंतु नहीं। इंस्पेक्टर नील की मौत सामान्य मृत्यु। केस बंद।”
“नो सर, ऐसी कोई बात नहीं। उस समय परिस्थितियां ही ऐसी बन रही थीं। फिर इंस्पेक्टर नील का अंतिम संकेत “आई” भ्रम पैदा कर रहा था। हम लोग आत्महत्या या सामान्य मौत की बात को पचा नहीं पा रहे थे। आप बिना किसी अनुसंधान के सामान्य मृत्यु घोषित कराने पर अड़े हुए थे। इसलिए शक की सुई घूम रही थी।” सभी एक साथ बोले। 
“अब मैं बताता हूँ तुम सबको मेरी जल्दबाजी करने की हकीकत।”
“इस पूरे नेटवर्क का मास्टर माइंड कैंटीन में काम करने वाला अन्नू उर्फ अनवर इंस्पेक्टर नील केस को लेकर कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी लेता दिख रहा था। मेरे इतने दिनों के अनुभव से मुझे अनवर पर6कुछ-कुछ शक हुआ था। मैंने अपने सूत्रों से पता करने की कोशिश की पर उसके बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई थी।”
“क्या? वो दुबला-पतला सा लड़का अन्नू, इतने बड़े नेटवर्क का मास्टर माइंड। कुछ गलतफहमी हुई है सर। इतना बड़ा नेटवर्क चलाने वाला आदमी, यूँ झुग्गी में थोड़े ही रहेगा। बिना किसी ताम-झाम के फक्कड़ बन कर नहीं घूमेगा।” चेंकी जासूस ने आश्चर्यचकित होकर अविश्वास प्रकट किया। 
“आईजी साहब की बात सच है। इकबाल ने भी कबूल किया है कि अन्नू उर्फ अनवर ही पूरे गैंग का लीडर था। यह बात इससे से भी सही साबित होती है कि मानव अंग सप्लाई के समय वह भी रोशन के बंगले में मौजूद था और रोशन की कार में हुए बम ब्लास्ट में मारा गया।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने समर्थन किया। 
“पर.....।”
“असल में अनवर एक साइको था और मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर अर्थात डिस्सोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर बीमारी का शिकार था। जहाँ एक ओर वह डॉन के रूप में पूरे गैंग को चला रहा था। वहीं दूसरी ओर अपने हिस्से के पूरे पैसों को गरीबों पर खर्च कर देता था। तीसरी पर्सनैलिटी में वह कैंटीन पर नौकरी कर अपना खर्च चलाता था।” 
“असल में एक ही आदमी के अंदर तीन अलग-अलग आदमी मौजूद थे। तीनों आदमी एक दूसरे के बारे में ज्यादा कुछ जान नहीं पाते थे। इसलिए शक करने के अलावा मेरे पास कोई पुख्ता आधार नहीं था।”
“एक और बात जिसके कारण मैंने सामान्य मौत घोषित कराकर फाइल बंद करा दी। अमूमन अपराधी लोग हर जगह कुछ स्वार्थी कर्मचारियों को अपने इन्फॉर्मर के रूप में सेट कर रखते हैं। इसलिए यदि विभाग में ऐसा कुछ हो तो फाइल बंद होने की सूचना अपराधियों तक पहुँच जाए और वे इस केस की ओर से निश्चिंत हो जाएं।”

143
“इंस्पेक्टर नील के बारे में मिली कुछ गलत सूचनाओं की पड़ताल करने के लिए हाई कमान के द्वारा सीबीआई इंस्पेक्टर इंदिरा को तैनात किया गया था। इंदिरा काम करने वाली बाई के रूप में इंस्पेक्टर नील के घर आने जाने लगी। पर नील की ईमानदारी और जांबाजी बेमिसाल है। उस पर लगे आरोप झूठे और बेबुनियाद निकले। अपराधियों ने नील को रास्ते से हटाने के लिए हाई कमान तक झूठी और मनगढ़ंत कहानी पहुँचाई गई थी।” 
“मीडिया ने इंस्पेक्टर नील के द्वारा बनाई गई “आई” के अपने-अपने मायने निकाले। इंदिरा को नील की प्रेमिका मानकर व आई से इंदिरा का अर्थ निकाल कर वे इंदिरा की खोजबीन में लग गए थे। इसलिए इंदिरा को उसके ठिकानों से हटाना जरूरी हो गया था। उधर कब्रिस्तान में बहुत समय से आपराधिक गतिविधियों की सूचना मिल रही थी। इसलिए एक तीर से दो शिकार करने के लिए इंदिरा को कब्रिस्तान में छिपा दिया।”
“रात के अंधेरे में इंदिरा साए के रूप में अपराधियों पर नजर रख रही थी। उसी समय रिपुदमन ने रिकॉर्डिंग कर ली।”
“विक्रमसिंह तुमने जब इंदिरा के मोबाइल की लोकेशन कब्रिस्तान को ट्रैक कर लिया था।इसलिए मोबाइल को वहाँ से फकीर ने फरीद की जेब में चुपचाप डाल दिया। फरीद अपनी बेगम की याद में इतना खोया हुआ था कि उसे पता ही नहीं चला था। और तुमने मेरा कनेक्शन होने का अर्थ लगा लिया था।”
“याद है विक्रमसिंह कब्र में ठोकर मारने के बाद अचानक से आदमी कब्रिस्तान में आ गए थे। दरअसल उस समय कब्रिस्तान में झोपड़ी के नीचे तलघर में खतरनाक अपराधियों का जमावड़ा था। इंदिरा ने लेजर तकनीक का प्रयोग कर तुम्हें वहाँ से हटा दिया था।” 
“क्यों रिपुदमन घोड़ों की पदचापों की आवाज सुनकर भाग लिए थे। इंदिरा की ही करामात थी तुम्हें बचाने के लिए।”
“विक्रमसिंह लेजर बीम का प्रहार तो याद ही होगा। तुम तो उस दिन जानबूझकर मौत के गले लगने में जुट गए थे। बिना तैयारी के केवल हौसला और दमखम से अपराधियों से नहीं लड़ा जाता है। इंस्पेक्टर नील को हम खो चुके थे। तुम्हें बचाने के लिए इंदिरा के शुक्रगुजार हैं हम सब।”
“सर एक बात पूछनी है। इतना सब आप कैसे जानते हैं।” डीआईजी ने आईजी साहब से पूछा। 
“शक तो सही किया था। फकीर बाबा आईजी से मिलने जाते हैं। मतलब आईजी लिप्त हैं। आप लोग मिलना नहीं चाहेंगे फकीर बाबा से।” आईजी ने पूछा। 
थोड़ी देर में फकीर बाबा और इंस्पेक्टर इंदिरा आ गए। फकीर ने अपना फकीरी गेटअप सबके सामने उतार दिया। 
“इनसे मिलिए फकीर बाबा उर्फ सब इंस्पेक्टर कुंदन। सॉरी इंस्पेक्टर इंदिरा, हम तुम्हारे प्रेम अर्थात इंस्पेक्टर नील को नहीं बचा पाए।”
इंदिरा की आँखों की नमी सभी ने महसूस की। 
“चेंकी जासूस, जासूस अंटा,रिपुदमन सिंह और राहुल तुम लोगों ने निस्वार्थ होकर हमारी मदद की और सैमुअल के बेमिसाल यंत्रों की मदद से डीआईजी को व्यूह रचना करने में सहायता की उसके लिए जितनी तारीफ की जाए वो कम है।”
“सैमुअल हम कायल हैं तुम्हारे यंत्रों के, तुम्हारे दिमाग के। शेर की मांद में ही घुस गए और शेर को आहट तक नहीं हुई। वाह भई वाह क्या यंत्र है नेत्र। तुम और तुम्हारे दोस्तों की काबिलियत पर एक सैल्यूट तो बनता है।” आईजी ने सैल्यूट करते हुए कहा। 
“अरे सर, आप हमें ज्यादा ही मान दे रहे हैं। हमसे अनजाने में बहुत बड़ी गलती हो गई है। हम समाज के और राष्ट्र के गुनाहगार हैं। हमने अपने यंत्र अपराधियों को दे दिए थे।” सैमुअल ने पश्चाताप करते हुए हाथ जोड़े। 
“नहीं सैमुअल तुम गुनाहगार नहीं हो। बल्कि गुनाहगार हम सब हैं जो तुम जैसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की बजाय गुम होने के लिए छोड़ देते हैं। पर वर्तमान राष्ट्र मुखिया इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं। इसलिए वे हर वर्ष समाज के ऐसे-ऐसे व्यक्तित्वों को ढूंढ-ढूंढ कर सम्मानित करते हैं जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। हम तुम्हारी पूरी टीम को सम्मानित कराने का प्रयास करेंगे।”
“डीआईजी साहब आप चारों जगहों पर तैनात टीमों के सदस्यों एवं मीडिया को हत्या के विभिन्न आयामों की ओर इंगित करने के लिए व उससे जुड़े सभी लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एक पार्टी आयोजित करें।” आईजी ने का डीआईजी को निर्देश दिया। 
इसके बाद आईजी इंद्रेश सिंह के सिर पर अपने जांबाज इंस्पेक्टर नील की मौत के रहस्य का भार उतर गया। 
उन्हें लगा इंस्पेक्टर नील की आत्मा खुशी खुशी स्वर्ग के लिए जा रही है। 
वे हल्के फुल्के मूड में आ गए। 
हाँ तो साथियों - 
“आई” फार आईजी इंद्रेश सिंह।”
“नो सर।”
“आई” फार इंदिरा, प्रेमिका द्वारा हत्या।”
“नो सर।”
“आई” फार ईविल, अशरीरी द्वारा हत्या।”
“नो सर।”
“आई” फार आई, मैं, आत्महत्या।”
“नो सर।”
“आई” फार आई एस आई।”
“नो सर।”
“आई फार इंसेक्ट।”
“यस सर।”
“यस सर।”

144
“भाइयों और बहनों, 
सैमुअल जैसे हमारे नौजवानों में विलक्षण प्रतिभा छिपी हुई है। बरसों से उन प्रतिभाशाली युवकों को अनदेखा किया जा रहा है। पर अब नहीं। हमने “मेक इन इंडिया” पर इसी लिए जोर देना शुरू किया है ताकि हम इनको आगे बढ़ाने का काम कर सकें। 
न केवल तकनीक, कम्प्यूटर विज्ञान, यांत्रिकी बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक साहित्यिक क्षेत्रों में अनेकों लोग तन-मन-धन से राष्ट्र और समाज की सेवा में लगे हुए हैं। हमें इनको अनदेखा नहीं करना है बल्कि हर स्तर पर प्रोत्साहन देना है। बरसों से चली आई कहावत ब्रेन ड्रेन और ब्रेन इन ड्रेन को बदल कर ब्रेन इन हैवन करना है। हम इन युवाओं को आगे अनुसंधान करने के लिए हर संभव सहायता देने की घोषणा करते हैं। 
इनको हम सम्मानित नहीं कर रहे हैं बल्कि इनका सम्मान कर हम स्वयं सम्मानित हो रहे हैं।”
इसके बाद प्रधान मुखिया ने चेंकी की टीम व सैमुअल की टीम को अपने हाथों से सम्मानित किया। 
कमेंटेटर ने चेंकी जासूस व उसकी टीम ने अपराधियों को पकड़वाने में पुलिस को की गई मदद के बारे में बताया। सैमुअल और उसके दोस्तों के द्वारा बनाए गए अत्याधुनिक यंत्रों के बारे में बताया। 
पूरे राष्ट्र ने गर्द में पड़ी हुई प्रतिभाशाली लोगों के चयन और सम्मान के लिए प्रधान मुखिया की सराहना की। 

इति 
मधुर कुलश्रेष्ठ

मधुर कुलश्रेष्ठ

बहुत बढ़िया

29 मार्च 2022

23
रचनाएँ
मिस्ट्री मर्डर
0.0
तेज तर्रार इंस्पेक्टर नील की मौत एक रहस्य बनी हुई थी। घटनास्थल पर किसी अन्य व्यक्ति एवं हथियार आदि के निशान नहीं थे। इंस्पेक्टर की मौत पर विभिन्न सस्पेंस, जासूसी के बाद मौत का रहस्य खुलता है। जानने के लिए पढें। उपन्यास पूर्णतः काल्पनिक है। किसी घटना से कोई संबंध नहीं है।
1

मिस्ट्री मर्डर

18 मार्च 2022
10
1
1

मिस्ट्री मर्डर 1 तेज-तर्रार इंस्पेक्टर नील की जघन्य हत्या / आत्महत्या से पुलिस विभाग स्तब्ध था। हँसमुख, खुशदिल इंस्पेक्टर नील न केवल पुलिस विभाग का प्रिय था बल्कि शहर के नागरिकों का अच्छा दोस्त भी था

2

मिस्ट्री मर्डर

19 मार्च 2022
3
0
1

2फोरेंसिक टीम ने वहाँ का चप्पा-चप्पा छान लिया पर उन्हें वारदात के बारे में वहाँ से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई।सभी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे थे। अभी भी स्वाभाविक मौत, हत्याअथवा आत्महत्या की गुत्थ

3

मिस्ट्री मर्डर

20 मार्च 2022
3
0
0

11चाय की तरोताजगी और कैंटीन मैनेजर द्वारा दिए गए संकेत से आईजी इंद्रेश गहन मंथन में डूब गए। उधर बाहर कुछ छुटभैये नेता और छुटभैये पत्रकार जनता की भीड़ को लेकर कोतवाली के सामने धरना-प्रदर्शन करने क

4

मिस्ट्री मर्डर

20 मार्च 2022
2
0
0

19आईजी इंद्रेश सिंह और जांच इंस्पेक्टर रोहित में मंत्रणा जारी थी। दोनों ही आश्चर्य में थे कि वारदात होने के दस बारह घंटे बाद भी कोई चश्मदीद नहीं मिला। यहाँ तक कि आसपास के लोगों को भनक तक नहीं मिल

5

मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
2
0
0

26“तो फिर काम पर लग जा जासूस अंटा, निपटा दें इंस्पेक्टर की मृत्यु का टंटा।” “अशरीरी द्वारा हत्या, बहुत ही बढ़िया स्टोरी है पिक्चराइजेशन भी बहुत बढ़िया किया है। पर हकीकत में कहां है दम, फिर

6

मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
1
0
0

सैमुअल को ऐसी ही तीन चार डिवाइस और शीघ्र तैयार करने के लिए कहा और एकबार फिर से खुशी से चिल्लाया, जासूस अंटा, मिटा दे टंटा।” 34 आईजी के बंगले में मीटिंग की शुरुआत हुई। जाँच टीम प्रभारी डीआईजी ढिल्लन व

7

मिस्ट्री मर्डर

22 मार्च 2022
1
0
0

40“या खुदा, मुझे बिल्कुल भी याद नहीं रहा कि आज रबी अल-अव्वल माह की पांचवीं तारीख है। एक साल पहले आज के ही मनहूस रोज हमारी हमसफर हमें तन्हा छोड़कर खुदा की खिदमत में हाजिर होने जन्नत के लिए रुखसत हुईं थ

8

मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
1
0
0

47डीआईजी ढिल्लन सिंह द्वारा ड्राइवर फरीद व कब्रिस्तान पर निगाह रखने एवं पूरी जानकारी देते रहने का निर्देश दिया। पत्रकारिता के क्षेत्र में नया नया आया स्वतंत्र पत्रकार रिपुदमन सिंह यूँही इधर-उधर भ

9

मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
1
0
0

54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

10

मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
1
0
0

54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

11

मिस्ट्री मर्डर

24 मार्च 2022
1
0
0

60आईजी के रौद्र रूप को देखकर सब सन्नाटे में आ गए। मन ही मन में सोचने लगे कि क्या बोलना है। “गोलू भोलू, तुम लोग बताओ तुम लोगों ने क्या किया। क्या क्या सुराग हाथ लगे।” आईजी ने मुखबिरों से कहा।&nbsp

12

मिस्ट्री मर्डर

24 मार्च 2022
1
0
0

67 विक्रमसिंह ने भी कब्रिस्तान के एक कोने में उठती हुई धूल को देखा। उसे भी आश्चर्य हुआ कि कहीं हवा नहीं चली। कहीं कोई हलचल नहीं हुई फिर अचानक से ये धूल का बवंडर कैसे उठा। पर वह कब्रिस्तान के दूसरे किन

13

मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
1
0
0

74“अरे यार अंटा, अपना एक नेत्र रास्ता भटक गया था उसका क्या हुआ। देखो देखो आखिर वह है कहाँ।” चेंकी ने भटके हुए नेत्र के लिए चिंता जाहिर की। “सर, मैंने रिमोट संदेश देकर उसको अपने पास लाने की बहुत क

14

मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
1
0
0

ने उसको दफ्न कर दिया। एक हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो पाया।”81“रोइए मत अंकल जी, हम पूरी जाँच करेंगे और सुनंदा को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे। आप दीवान जी के पास जाकर

15

मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
1
0
0

87इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास दोनों लड़कियों जूली और सुंदरी की जाँच रिपोर्ट आ गईं। रिपोर्ट देखकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह व रोहित सकते में आ गए। दोनों लड़कियों का भरपूर यौन शोषण हुआ था और उन दोनों की एक

16

मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
1
0
0

अपने अनुभव से बताया। 94“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिं

17

मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
2
0
0

है।”“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। पर तुम किसी से कहना मत। तुम्हें भी मजे करवाने ले चलूँगा।”“सच, मुझे ले चलोगे।”“और नहीं तो क्या। तू भी क्या याद करेगा कि किसी दिलदार दोस्त से पाला पड़ा है।” कहते ही शिवशंकर ल

18

मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
1
0
0

हैं। बेकार की चीज तेरा जैसा पप्पू ही ला सकता है।” रिपुदमन ने चिढ़ते हुए कहा। “अरे रुको, रुको। इन पन्नों को फाड़ो मत। हमें इनकी जाँच करनी चाहिए। शायद कुछ हासिल हो जाए। ये देखो, ध्यान से देखो इन पर

19

मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
1
0
0

“20 तारीख सुबह तीन बजे। अब ये कौन सी नई पहेली आ गई। आखिर क्या मतलब निकलता है इसका। फिर से पहेली बूझना पडे़गी। अंटा ने कागज पर लिखी इबारत दोहराते हुए कहा। “चलो भाई फिर से इंस्पेक्टर साहब के पास। इ

20

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
2
0
0

121 दूसरी टीम 19 तारीख की सुबह ही गरियाना में तैनात हो गई। योजना के मुताबिक सारी कार्यवाही पूरी की गई। नगरपालिका के कर्मचारी भय या लालच के कारण कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते थे। पर ऑर्डर के कारण ब

21

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
1
0
0

128अस्पताल में पल रहे पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त 6 कुत्तों को लेकर प्रशिक्षक पिछली तरफ की लिफ्ट के पास ठीक 2.45 पर खड़ा हो गया। अस्पताल के कर्मचारी ने मानव अंगों के पैकेट बनाकर तैयार रखे हुए थे। उन पैकेट

22

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
1
0
0

134एक घंटा आराम कर इकबाल ने पहले छोटू को दुकान से बाहर भेजा, “छोटू तू धीरे से दुकान का शटर उठा। बाहर झाँक कर देख सब ठीक-ठाक है। कहीं कुछ गड़बड़ दिखे तो तुरंत शटर बंद कर लेना।”छोटू ने बिना आवाज किए दुक

23

मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
1
0
1

140“हमने दो इलेक्ट्रॉनिक फ्लाई में इंसुलिन की हैवी डोज भरकर वहाँ भेज दी। जैसे ही हमारी बताई गई जगह पर हमेशा की तरह इंस्पेक्टर नील अकेले ही पहुँचा। वहाँ किसी को न पाकर भौंचक होकर इधर-उधर निगाह फेंककर द

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए