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मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022

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है।”
“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। पर तुम किसी से कहना मत। तुम्हें भी मजे करवाने ले चलूँगा।”
“सच, मुझे ले चलोगे।”
“और नहीं तो क्या। तू भी क्या याद करेगा कि किसी दिलदार दोस्त से पाला पड़ा है।” कहते ही शिवशंकर लुढ़क गया। 

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ऑफिस में सबूत रिकॉर्ड होते ही चेंकी, अंटा व रिपुदमन तीनों खुशी से उछल पड़े, “मान गए राहुल, लोग तुम्हें बेकार में ही पप्पू कहकर पप्पू की तौहीन करते हैं। कितनी बखूबी से शिवशंकर से राज उगलवा लिया। हमने नेत्र के माध्यम से सारी बातें रिकॉर्ड कर ली हैं। चलो अब इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास चलते हैं।”
उधर इंटरनेशनल डॉन से मानव अंगों की डील पूरी करने का दबाव इकबाल व उसके साथियों पर पड़ रहा था। इकबाल के समझाने पर भी वह डील जल्दी पूरी करने का दबाव बना रहा था। थक-हार कर इकबाल बाहर आकर फिर से अपने गैंग को सक्रिय करने की फिराक में लग गया। 
इंस्पेक्टर रोहित का ध्यान अपनी तरफ से भटकाने के उद्देश्य से इकबाल ने रोहित के ऊपर मुखबिरी का जाल फेंकने का प्लान बनाया। 
सिविल लाइन क्षेत्र से गुजरते हुए इंस्पेक्टर रोहित ने इकबाल साइकिल रिपेयर खुली देखकर वहाँ पहुँच गया। 
अचानक से इंस्पेक्टर को सामने देख इकबाल भौंचक रह गया। किंतु अपने मनोभावों पर नियंत्रण कर बनावटी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए बोला, “आइए आइए इंस्पेक्टर साहब, अभी अभी मैं आपके पास आने की सोच ही रहा था।”
“क्यों, ऐसा क्या हो गया इन दिनों में, जो तुम मेरे पास आने वाले थे। फिलहाल तुम ये बताओ एक हफ्ते से दुकान बंद कर कहाँ गायब थे।”
“गायब कहाँ था इंस्पेक्टर साहब, आपके काम में ही लगा हुआ था। बड़ी मुश्किल से धाँसू खबर निकाल कर लाया हूँ। उसी के सिलसिले में आपसे मिलना था। अच्छा हुआ आप खुद ही आ गए। बैठिए इंस्पेक्टर साहब।”
“नशे का बहुत बड़ा जखीरा अपने शहर में आने वाला है। पहले से ही अपने शहर का युवा नशे में डूबा हुआ है। इतना बड़ा जखीरा और आ गया तो फिर युवा तबाह हो जाएगा। पूरी जानकारी निकाल लाया हूँ। कब, कहाँ कन्साइनमेंट आएगा नोट कर लीजिए और छापा मारकर सारा माल पकड़ लीजिए।”
इकबाल ने बिना सुराग के ही सारा कुछ नोट करा दिया। 
इंस्पेक्टर रोहित ने भी इकबाल की सत्यता परखने के लिए उसकी बात पर भरोसा किया। सोचा यदि इसकी बात सच निकली तो यह हकीकत में मुखबिर हो सकता है। एक बार ट्राई करने में कोई बुराई नहीं है। 
इंस्पेक्टर रोहित के जाते से ही इकबाल ने गहरी साँस ली। पर अब क्या करे बला टालने के लिए उसने इंस्पेक्टर रोहित को वैसे ही नशे के जखीरे का स्थान और समय सब बता दिया था। 
इंस्पेक्टर को विश्वास दिलाने के लिए ड्रग्स पकड़वानी ही पड़ेगी। उसी की आड़ में मानव अंगों की सप्लाई करा दी जाएगी। 
वाह इकबाल मियां, वाह, क्या प्लान बना डाला। दो एक लाख का माल पकड़वा कर लाखों के अंग सप्लाई। इकबाल ने अपने आप को सराहा। 
उसने हस्ती निकाला और उसके कान में पूरा प्लान कहा। मैसेज पूरे गैंग को मिल गया। सभी अपने-अपने काम में जुट गए। 
प्लान मुताबिक गैंग के कुछ सदस्य ड्रग लेकर निर्धारित समय व स्थान पर पड़े छापे में पकडे़ जाने के लिए तैयार हो गए। 
शहजाद की लव जिहाद गैंग महीनों से लड़कियों को फाँसकर शारीरिक शोषण कर चुकी थी, मानव अंग तस्करी के लिए एक्टिव हो गई। 
डॉ घोष विदेश यात्रा से वापस अस्पताल आकर अपने काम में जुट गया। 
इकबाल के मास्टर माइंड प्लान के तहत सब काम निर्धारित समय पर हो गए। इंस्पेक्टर रोहित के छापे में ड्रग्स पकड़ी गई।

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चेंकी व अंटा ने इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास जाने से पहले एक बार पूरी रिकॉर्डिंग चैक की। “यार अंटा, अपने मिसिंग नेत्र की रिकॉर्डिंग भी देख ले। शायद उसने भी कोई सुराग भेज दिया हो।”
“देखता हूँ बॉस।”
“सर, ये नेत्र लगता है फिर से मैग्नेटिक फील्ड में आ गया है। तभी तो रिकॉर्डिंग में लाइनें लाइनें सी ही आ रही हैं। पता नहीं ये कहाँ चक्कर लगा रहा है।”
“चल पहले इंस्पेक्टर से डिस्कशन कर आते हैं। देखें आगे क्या प्लान बनाते हैं वे।”
“तुम भी चलो रिपुदमन और राहुल। तुम लोगों के कारण ही तो सबूत हाथ लगा है।”
इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने राहुल के मुँह से पहले सारी बातें सुनी। फिर नेत्र के द्वारा भेजी गई वीडियो देखी। “बहुत बढ़िया, राहुल ने एक बार में ही शिवशंकर से राज उगलवा लिया।”
“आगे का क्या प्लान है सर। अस्पताल का राज तो पता चल गया। पर कब्रिस्तान पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। इंदिरा का साया उस दिन के बाद फिर कहीं नहीं दिखा।” चेंकी ने कब्रिस्तान का राज न खुलने पर चिंता जताई। 
“पहले अस्पताल पर छापा मारते हैं। हो सकता है सारे राज अपने आप खुलने लगें। संभवतः इंस्पेक्टर नील की हत्या का राज भी खुल जाए।” विक्रमसिंह ने संभावना जताई। 
“अब क्या करना होगा।” चेंकी ने पूछा। 
“हम अस्पताल में चल रही गतिविधियों को रंगे हाथ पकड़ेंगे। शिवशंकर ने राहुल को अस्पताल ले जाकर मजे कराने का वादा किया है। राहुल शिवशंकर के साथ दोस्ती का नाटक किए रहेगा। जैसे ही शिवशंकर अपने साथ राहुल को डुमरी ले जाएगा। हम अस्पताल पर छापा डाल देंगे।” विक्रमसिंह ने प्लान बताया। 
“पर सर, मैं रोज रोज इतनी दारू नहीं पी सकता हूँ। और शिवशंकर के साथ अस्पताल तो हरगिज नहीं जाऊँगा। मेरी पैंतालीस साल से बची-बचाई इज्जत वहाँ की नर्स लूट लेगी।” राहुल एकदम से नकार गया। 
राहुल की बात से सारे लोगों को हँसी आ गई। 
“वाह मेरे बाल ब्रह्मचारी। पर इस राज को खुलवाने के लिए तुम्हारा जाना जरूरी है। इसके लिए चाहे तुम्हारी इज्जत दाँव पर ही क्यों न लग जाए।” रिपुदमन ने भी मजे लिए। 
“हाँ, हाँ राहुल ही जाएगा। अपनी इज्जत लुटवाएगा। पर अस्पताल का भंडाफोड़ कराएगा।” सभी एक साथ बोले। 
“नहीं, नहीं, मैं नहीं जाऊँगा।”
“हाँ, हाँ, तुम ही जाओगे। यह हमारा ऑर्डर है। पर एक बात ध्यान रखना शिवशंकर को रत्ती भर भी शक नहीं होना चाहिए। न वहाँ अस्पताल में किसी को भनक लगनी चाहिए कि तुम नकली मरीज मतलब नकली ग्राहक बनकर पहुँचे हो।” इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने ऑर्डर दिया। 
“पर वहाँ की फीस मैं कहाँ से भर पाऊँगा। एक रात की फीस एक दो लाख तो होगी ही होगी।” 
“अच्छा बेटा, अब समझ में आई चालाकी। मजे भी लूटने हैं और पैसे भी न लगें। चल कोई बात नहीं। ये पकड़ दो लाख। शिवशंकर को नहीं लगना चाहिए कि तुम फक्कड़ हो। जरूरत पड़ने पर रईसों की तरह खर्च करने से मत चूकना। इससे शिवशंकर से तुम्हारी हकीकत छिपी रहेगी।” विक्रमसिंह ने दो लाख रुपये निकाल कर राहुल को दे दिए। 

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राहुल शिवशंकर से दोस्ती गांठे रहा और इंतजार करता रहा कि जल्दी से अस्पताल का भंडाफोड़ हो जाए जिससे रोज रोज इतनी दारू न पीनी पडे़।
जल्दी ही मौका आ गया। 
“ले यार, मौका आ गया। डुमरी से खबर आई है कि नई खेप आ गई है। इस बार मेरे साथ तेरा भी इलाज होगा। मैं अभी डॉ घोष के व्यक्तिगत लेपटॉप पर अस्पताल में भर्ती हेतु रिक्वेस्ट डालता हूँ।”
शिवशंकर ने अपने मोबाइल से दोनों के लिए अस्पताल में भर्ती हेतु पूरी जानकारी वाला फार्म भरकर फीस के दस हजार का ऑनलाइन पेमेंट कर दिया, “ले यार, तू भी क्या याद करेगा। चल कल शाम को ही चलना पड़ेगा। तेरा पेमेंट भी अभी कर दिया है। अभी दोनों के कोड मोबाइल पर आ जाएंगे।”
“बहुत सस्ता इलाज है यह तो फीस केवल दस हजार। कल कैसे चलेंगे।” राहुल ने कहा। 
“बहुत भोला है तू तो राहुल। दस हजार तो नंबर एक की फीस है। सारा पेमेंट कैश में होगा। तू चिंता मत कर। दोस्तों की खातिर इतना खर्च करने का फर्ज मेरा बनता है। मैं सब पेमेंट कर दूँगा। तू कल शाम को अपने घर पर ही तैयार रहना। एंबुलेंस तुझे घर से ही ले लेगी।”
“एंबुलेंस।”
“और नहीं तो क्या, हम मरीज हैं। इलाज़ के लिए जा रहे हैं। डॉ घोष बहुत चतुर है। ऐसे मामलों में वह हर जगह सावधानी रखता है। तू अपना मोबाइल साथ रखना। वर्ना बिना कोड के वार्ड में नहीं घुस पाएगा। सब जगह कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम लगे हुए हैं।”
राहुल को लगा कि वह अभी तक न जाने किस दुनियाँ में जी रहा था। जबकि दुनियाँ कितनी आगे बढ़ चुकी है। 
“आज की पार्टी का आखिरी जाम। अब कल के सपनों में गुजरेगी रात। अब तुम भी अपने घर जाकर सपनों में खो जाओ गुडनाइट।”
“गुडनाइट।”
अगले दिन शाम के छह बजे एक एंबुलेंस शिवशंकर के घर व एक एंबुलेंस राहुल के द्वारा बताई गई जगह पर पहुँच गई। 
एंबुलेंस में बैठते ही दोनों के शरीरों में सारा ताम-झाम फिट कर दिया गया। आधे घंटे में ही दोनों एंबुलेंस आई केयर अस्पताल डुमरी के गेट पर पहुँच गई। शिवशंकर व राहुल दोनों को ताम-झाम के साथ साथ एंबुलेंस से उतार कर स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
राहुल को बहुत अजीब महसूस हो रहा था। किंतु शिवशंकर की देखा देखी वह भी चुपचाप मरीज की तरह पड़ा हुआ था। जरा सी असावधानी से सारा मामला गड़बड़ हो सकता था। 
गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरों में सारी रिकॉर्डिंग हो गई। रिसेप्शनिस्ट ने मोबाइल में कोड देखते ही दूसरे वाले रजिस्टर में एंट्री की। पास रखे कम्प्यूटर में पहले वाला कोड डाला। कम्प्यूटर ने कोड के आधार पर डेटा विभिन्न सर्वरों से मैच कर सुनिश्चित किया कि संबंधित व्यक्ति पुलिस वाला,पत्रकार या संदेहास्पद व्यक्ति नहीं है। राहुल बहुत छोटे से अखबार का पत्रकार होने के कारण पत्रकारों के सर्वर पर नहीं था। कुछ सेकेंड के बाद नया कोड मोबाइल पर आ गया। स्ट्रेचर को लिफ्ट से अस्पताल की सबसे ऊपरी मंजिल स्थित वीआईपी वार्ड की ओर भेज दिया गया। 
लिफ्ट से निकाल कर स्ट्रेचर एक बॉडी स्कैनर से होकर गुजरा। राहुल ने बड़ी चालाकी से चिप शर्ट के कॉलर से निकाल कर स्ट्रेचर के तकिए में छिपा दी। स्कैनिंग के दौरान कम्प्यूटर स्टाफ का सारा ध्यान मरीज की बॉडी पर होने के कारण चिप पर उनका ध्यान नहीं गया। 
पूरी सतर्कता के इंतजाम अस्पताल में चल रहे कारनामों को गुप्त रखने के लिए किए गए थे। फिर उन्हें अस्पताल के कपड़े पहनने के लिए दिए गए। राहुल ने पूरी सतर्कता से चिप निकाल कर फिर से कपड़ों में लगा ली। चिप के सहारे मूविंग नेत्र लगातार साथ साथ चल रहा था। किंतु आकार छोटा होने और रंग बदलने के कारण किसी की नजर में नहीं आ रहा था। 

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इंस्पेक्टर रोहित ने इकबाल की मुखबिरी के बल पर लगभग दो लाख की ड्रग्स पकड़ ली। पर ड्रग्स लाने वाले लोग अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। इंस्पेक्टर रोहित को ड्रग सप्लायर व खरीदने वाले का कुछ पता नहीं चल सका। उसने भागते लोगों को पकड़ने की बहुत कोशिश की पर पकड़ नहीं सका। 
इंस्पेक्टर रोहित को अब इकबाल पर थोड़ा-थोड़ा भरोसा होने लगा था। किंतु अभी भी उसका मन इकबाल को साजिशकर्ता ही मान रहा था। बहुत कोशिश के बाद भी न जाने क्यों रोहित का मन इकबाल को सिर्फ मुखबिर मानने को तैयार नहीं हो रहा था। 
रोहित ने फिर से इकबाल से मिलने का विचार किया। वह तुरंत अपने ऑफिस से उठा और इकबाल साइकिल रिपेयर पर पहुँच गया। 
इकबाल साइकिल रिपेयर के सामने बी एम डब्ल्यू कार खड़ी देखकर उसका माथा ठनका। इकबाल की दुकान के आगे इतनी महंगी कार किसलिए खड़ी हो सकती है। कहीं उसके मन की बात सच तो नहीं है। मुखबिरी के साथ-साथ कुछ और धंधा तो नहीं चल रहा है। 
चुपचाप चलकर माजरा देखा जाए। इंस्पेक्टर रोहित अपनी मोटरसाइकिल थोड़ी दूर खड़ी कर पैदल पैदल अचानक से दुकान पहुँच गया। 
इकबाल और सामने वाला व्यक्ति दोनों एक बार को घबरा गए। किंतु इकबाल बहुत ही मंजा हुआ खिलाड़ी था। तुरंत संभलते हुए इंस्पेक्टर को नमस्कार किया, “आइए, आइए इंस्पेक्टर रोहित साहब, आज अचानक से फिर दुकान पर। कोई खास काम था तो बंदे को बुलवा लिया होता।”
“नहीं कुछ खास काम नहीं है। वो तो मैं इधर से निकल रहा था सोचा मिलता ही चलूँ। वैसे उस सूचना के लिए धन्यवाद।”
“अरे धन्यवाद देकर आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं। अब आप आ ही गए हैं तो बैठिए, चाय हो जाए। इस बहाने ही सही थोड़ी खिदमत का मौका तो मिलेगा।”
इंस्पेक्टर रोहित भी राज जानने के चक्कर में जल्दी जाना नहीं चाहता था, “वैसे मैं चाय बहुत कम पीता हूँ। पर अब तुम कह रहे हो तो चाय पी ही लेता हूँ।”
“खुशामदीद, बंदे का नसीब।”
“अरे छोटू, इन कार्टनों को बाद में गाड़ी में रखना। पहले इंस्पेक्टर साहब के लिए चाय लेकर आ।” इकबाल ने बिना घबराए कार्टनों को यूँ ही छोड़ने के लिए कहा। 
छोटू कार्टनों को छोड़कर चाय लेने चला गया। इंस्पेक्टर रोहित बडे़ गौर से कार्टनों को देखने लगा। 
इकबाल ने रोहित की नजर ताड़ते हुए कहा, “साइकिल के कुछ पार्ट्स मंगाए थे। गलती से इन साहब के नौकर ने पुरानी स्टाइल की साइकिल पार्ट्स के डब्बे भेज दिए। अब आप तो जानते ही हैं सिविल लाइन एरिया में नई स्टाइलिश साइकिलें हैं। तो पुराने पार्ट्स हमारे किस काम के हैं।”
“मैंने इन साहब को जब नौकर की गलती को बताया तो ये साहब बोले कि मैं अभी बरामऊ आया हुआ हूँ। मेरी कार की डिक्की भी खाली ही है। पार्ट्स के डिब्बे वापस लेता चला जाऊँगा। ट्रांसपोर्ट या कोरियर से वापस पहुँचने में कम से कम एक हफ्ता माल रास्ते में ही फँसा रहता है।”
कार मालिक के कुछ बोलने से पहले ही इकबाल ने मनगढ़ंत कहानी सुना दी। जिससे इंस्पेक्टर को कोई शक न हो जाए और कार मालिक रोशन को भी संभलने का मौका मिल जाए। 
इंस्पेक्टर के मन में उठ रहे सवालों को पढ़ते हुए इकबाल ने फिर से अपनी बातों में उलझाया, “अरे मैं इन साहब का परिचय देना तो भूल ही गया। ये रोशन साहब हैं, रोशन कंडवानी। गरियाना में साइकिल पार्ट्स की छोटी सी फैक्ट्री कंडवानी इंडस्ट्रीज है। इनका मुनीम छुट्टी पर था इसलिए वसूली हेतु स्वयं चले आए।”
“ओ के, ओ के।”
तब तक चाय आ गई। डब्बे छूने का मौका दिए बिना ही इकबाल ने चाय पिलाकर इंस्पेक्टर को विदा कर दिया। 
इंस्पेक्टर के जाते ही इकबाल ने गहरी साँस ली, “बाल बाल बचे। बहुत तेज है इंस्पेक्टर रोहित। वो तो मैंने बातों में उलझाए रखा वर्ना उसकी निगाह डब्बों पर ही थी। छोटू फटाफट डब्बे गाड़ी में रख। जिससे ये तुरंत रवाना हो सकें।”

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जैसे ही नेत्र ने वार्ड तक पहुँचने की रिकॉर्डिंग भेजी। इंस्पेक्टर विक्रमसिंह ने तुरंत फोर्स तैयार कर अस्पताल में छापा डालने की अनुमति डीआईजी साहब से माँगी। 
डीआईजी ने बिना किसी मजबूत सबूत के केवल शक और डिवाइस के द्वारा भेजे गए वीडियो व फोटो के आधार पर सर्च वारंट जारी होने में आने वाले बिंदुओं को विक्रमसिंह से डिस्कस किया। अंत में वे दोनों इस निर्णय पर पहुँचे कि पूरे क्षेत्र में प्रतिष्ठित, नामी और गरीब तबके के सुलभ इलाज के लिए प्रख्यात अस्पताल के लिए कोर्ट द्वारा इतने मामूली सबूतों पर सर्च वारंट जारी नहीं हो सकता है। 
“अब क्या किया जाए सर, राहुल बड़ी मुश्किल से वहाँ जाने के लिए तैयार हुआ था।”
“कोई बात नहीं, हम उसे समझा देंगे। तुम नेत्र के द्वारा आगे की रिकॉर्डिंग पर निगाह रखो। पक्का सबूत मिलते ही हम सर्च वारंट जारी कराकर कार्यवाही करेंगे।”
विक्रमसिंह बहुत बुझे मन से चेंकी के ऑफिस आकर कम्प्यूटर पर वीडियो गौर से देखने लगा। शिवशंकर और राहुल के स्ट्रेचर वीआईपी वार्ड के गेट पर आकर रोक दिए। दोनों के मोबाइल में आए कोड को कम्प्यूटर में डाला गया। कोड मैच होने पर वार्ड के रूम नंबर फ्लैश हुए। इसके बाद “अरे ये क्या, वीडियो आना एक दम से बंद हो गई। लगता है नेत्र में कुछ खराबी आ गई। आगे क्या हो रहा है पता नहीं चल पाएगा। तुम फटाफट सैमुअल को बुलाओ। हमें हर हाल में वीआईपी वार्ड में चल रहे गोरखधंधे की पूरी जानकारी चाहिए।”
“जी सर, अभी सैमुअल को बुलाकर दिखलाता हूँ।”
सैमुअल पाँच मिनट में ऑफिस आ गया। उसने बहुत कोशिश की पर नेत्र वीआईपी वार्ड के बाहर ही रहकर गेट के पास की ही वीडियो भेजने में सफल हो पाया। जबकि राहुल व शिवशंकर वार्ड में जा चुके थे। 
“ये नेत्र वार्ड के अंदर जाने में सफल नहीं हो रहा है। इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला राहुल अपने साथ चिप ले जाने में सफल नहीं हुआ हो। क्योंकि उन लोगों को वार्ड में भर्ती होने से पहले कड़ी निगरानी में अस्पताल के कपड़े पहनने को दिए गए थे। दूसरी संभावना यह हो सकती है कि वार्ड में जैमर लगाया गया हो। जिससे अंदर क्या कुछ हो रहा है की किसी भी तरह की जानकारी ऑडियो या वीडियो के रूप में बाहर न जा सके। अस्पताल के अंदर की हकीकत अब राहुल के आने के बाद ही पता चलेगी।”
“ओ शिट, सबूत हाथ आते-आते ही रह गया। अब क्या किया जाए। शिवशंकर या अन्य किसी व्यक्ति से कुछ भी उगलवाना बहुत मुश्किल है। यदि वह कबूल भी कर लेते हैं तो भी सबूत न होने पर केवल गवाही पर्याप्त नहीं हो सकती है। कोर्ट  सबूतों पर फैसले करती है और कोर्ट में बयानों के दौरान गवाह अक्सर पलट जाते हैं। ऐसे में हम लोगों की बहुत किरकिरी होती है।”
“बिल्कुल सही कह रहे हैं इंस्पेक्टर साहब। अकेले राहुल या शिवशंकर के कहने भर से काम नहीं चलेगा। लड़कियों की तो ऐसी स्थिति नहीं है कि हम उन से कुछ बयान करा सकें। मैंने उनसे बात करने की कोशिश की थी तो भी वे सेंसलेस होकर देखती रही थीं।” रिपुदमन सिंह ने बताया। 
“देखें, राहुल आकर क्या बताता है। तब ही सच्चाई पता चलेगी।” चेंकी भी निराश हुआ। 
हमारे सारे अस्त्र बेकार साबित हो रहे हैं। पक्के सबूत के तौर पर अभी तक कुछ भी हाथ नहीं लगा है।” अंटा भी निराश हुआ। 
“हमें तो उस ब्रह्मचारी राहुल का डर लग रहा है। कहीं आते ही वह हमारे वहाँ न पहुँचने और अपनी इज्जत लुटने पर हमारा कत्ल ही न कर दे।” रिपुदमन सिंह ने अपना डर बाहर निकाला। 
चेंकी ने सारे घटनाक्रम का पटाक्षेप किया, “डीआईजी साहब की बात में सत्यता है। हमें सर्च वारंट नहीं मिल सकता था। बिना कोर्ट की अनुमति के हम सार्वजनिक हित के स्थान पर छापा नहीं डाल सकते हैं। ना उसको सील कर सकते हैं।”

106
इकबाल साइकिल रिपेयर से वापस आकर इंस्पेक्टर रोहित के मन में सवाल घुमड़ते रहे। उसके दिमाग में बार-बार रोशन कंडवानी और उसकी मंहगी कार आती रही। 
इंस्पेक्टर रोहित मन ही मन सोच रहा था कि उसे रोशन कंडवानी के बारे में ज्यादा पूछताछ करनी चाहिए थी। वह कहाँ का रहने वाला है। उसकी फैक्ट्री कहाँ पर है। नौकर ने माल गलत कैसे भेज दिया। उसका माल इकबाल साइकिल रिपेयर के अलावा किन-किन दुकानों पर सप्लाई होता है।
उसे कार में लादे जाने वाले डिब्बों को चैक करना चाहिए था। ये इकबाल इतना सीधा तो नहीं लगता है। 
फिर उसे ध्यान आया इकबाल और रोशन दोनों उसके अचानक दुकान में पहुँचने पर घबरा गए थे। आखिर वे लोग उसे देखकर घबराए क्यों थे। कहीं कुछ छिपा तो नहीं रहे थे। 
अपनी शंका मिटाने के लिए मुझे रोशन से उसके शहर जाकर पूछताछ करनी पड़ेगी। इकबाल से उसका पता पूछता हूँ। 
जैसे ही उसने इकबाल को फोन लगाने के लिए मोबाइल निकाला वैसे ही मन ने सचेत किया। इकबाल रोशन को उसके आने की सूचना दे सकता है। यदि वे लोग कुछ गड़बड़ कर रहे होंगे तो रोशन सचेत हो जाएगा। इकबाल से पूछना ठीक नहीं रहेगा। 
अरे हाँ, कार के नंबर से शहर व उसके मालिक का नाम पता आर टी ओ ऑफिस से निकलवाया जा सकता है। “ओह शिट” वो कार नंबर तो नोट कर ही नहीं पाया। 
अब क्या किया जाए। कार नंबर कैसे पता चलेगा। दुकानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज देखने पडे़ंगे, शायद किसी में नंबर दिख जाए। इंस्पेक्टर रोहित ने एक दो दुकानों पर जाकर सीसीटीवी फुटेज देखी। पर वे फुटेज बहुत धुंधली धुंधली दिखी जिसमें कुछ भी पहचाना जाना संभव नहीं था। 
अरे मैं तो भूल ही गया। टोल टैक्स पर जाकर कार का नंबर आसानी से मिल जाएगा। वहाँ की फुटेज से गाड़ी की सही सही पहचान हो जाएगी और उसका नंबर भी पता चल जाएगा। अभी दो घंटे में एक दो बीएमडब्ल्यू कार ही निकली होगी।
इंस्पेक्टर रोहित तुरंत शहर के बाहर बने टोल प्लाजा पर पहुँचा। टोल टैक्स प्लाजा के ऑफिस में बैठकर कैमरे के फुटेज देखे। एक बीएमडब्ल्यू निकली। नहीं यह सफेद रंग की है। उस गाड़ी का रंग नीला था। लगातार गाड़ियों की लाइन निकल रही थी। “पॉज करो, पॉज करो, ये नीली गाड़ी निकली। बीएमडब्ल्यू ही है। नंबर प्लेट जूम करो। क्या नंबर है एक पर्ची पर नोट कर दो”
टोल प्लाजा कर्मचारी ने एक कागज पर कार का नंबर सी जेड 05 ए 3333 नोट कर इंस्पेक्टर को दे दिया। 
नंबर पर्ची लेकर इंस्पेक्टर ने आरटीओ ऑफिस में फोन लगाकर कार का नंबर नोट कराया और कार मालिक का नाम, पता आदि पूरी डिटेल निकाल कर मैसेज करने का निर्देश दिया। 
लगभग पंद्रह-बीस मिनट बाद आरटीओ ऑफिस के कर्मचारी का कॉल आया, “इंस्पेक्टर साहब आपको कोई गलत जानकारी मिली है। आपके द्वारा नोट कराया गया नंबर ट्रक का है। ट्रक मालिक का नाम गुरविंदर चड्ढा पता बी 21 ट्रांसपोर्ट नगर कन्नूर है।”
“ऐसा कैसे हो सकता है। तुम ठीक ढंग से देखो। मैंने अपनी आँखों से यह नंबर प्लेट बीएमडब्ल्यू कार पर लगी देखी है।” रोहित ने आरटीओ कर्मचारी से पुनः चैक करने हेतु कहा। 
“नो सर, यह नंबर पर ट्रक का ही है।”
“ओ के, मैं देखता हूँ।” इंस्पेक्टर रोहित ने फिर से टोल प्लाजा जाकर नंबर मिलाया। नंबर सही नोट था। 
इसका मतलब कार पर जानबूझकर जाली नंबर प्लेट लगाई गई है। अब तो पक्का हो गया कि कुछ गड़बड़ है। तभी इकबाल और रोशन उसे देखकर घबरा गए थे। 
इकबाल से कड़ाई से पूछताछ करनी ही पड़ेगी। 

107
अगले दिन सुबह शिवशंकर और राहुल को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वे अब रिकॉर्ड अनुसार स्वस्थ हो चुके थे। इसलिए एंबुलेंस नहीं आई थी। दोनों लोगों ने टैक्सी की और बरामऊ के लिए चल दिए। 
शिवशंकर के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे। राहुल भी अंदर ही अंदर सुकून महसूस कर रहा था। शिवशंकर ने राहुल के चेहरे को खिला-खिला देखकर पूछा, “क्यों दोस्त, आज तो जिंदगी के मजे आ गए होंगे। क्या बिनखिली कलियाँ चुन-चुन कर लाता है डॉ घोष। शरीर की नस-नस का तनाव निकल जाता है।”
“हाँ दोस्त, मजा आया। मैं तो कमरे में आया हुआ स्वादिष्ट खाना खाकर, खूब गहरी नींद में सो गया। बहुत अच्छी नींद आई।”
“क्या, तू सो गया था। कुछ किया नहीं।”
“क्या किया नहीं। मैं तो अपने कमरे में अकेला था। किसी ने आकर कुछ काम बताया ही नहीं।”
“क्या, कोई नर्स कमरे में नहीं आई।”
“नहीं।”
शिवशंकर ने तुरंत रिसेप्शनिस्ट को मैसेज किया। मैसेज नंबर पर सेंड ही नहीं हुआ। गुस्से में भुनभुनाते हुए शिवशंकर ने कॉल किया। फोन भी कनेक्ट नहीं हुआ। 
थोड़ी देर बाद एक मैसेज आया जिसमें अचानक एक नर्स के बीमार हो जाने के खेद के साथ पहली बार भर्ती हुए राहुल के लिए जमा की गई राशि से 25 प्रतिशत काट कर किसी व्यक्ति के द्वारा नकद वापस भेजने की बात कही गई। 
“तेरा भाग्य ही खराब निकला दोस्त। तेरी वाली नर्स की तबियत अचानक खराब हो गई। देख, अस्पताल वालों ने पैसे वापस भेजने के लिए मैसेज भेजा है।”
राहुल ने मन ही मन में सोचा, भाग्य खराब नहीं, अच्छा था दोस्त। आज तो बजरंगबली ने लाज बचा ली, “कोई बात नहीं। पर आज तक मुझे इतनी गहरी नींद कभी नहीं आई।”
“ठीक है, अगली बार जैसे ही मैसेज आएगा। तुम्हें फिर से ले चलूँगा।”
बरामऊ आकर शिवशंकर अपने घर चला गया। राहुल सीधे चेंकी के ऑफिस पहुँच गया। उसके चेहरे पर कोई गुस्सा न देखकर रिपुदमन आश्चर्यचकित हुआ, “आ गए राहुल। क्या खबर लाए हो। शायद तुम अपने साथ चिप लेकर नहीं जा पाए थे। इसलिए नेत्र से हमें कोई रिकॉर्डिंग नहीं मिल पाई।”
“क्या, कोई सबूत नहीं मिला। मैं तो चिप अपने साथ लेकर अंदर गया था।”
“चिप ले गए थे। फिर वीडियो कैसे नहीं आए। नेत्र वार्ड में अंदर ही नहीं जा पाया। गेट के पास ही भटकता रहा था।” चेंकी ने वीडियो दिखाते हुए कहा। 
“फिर क्यों नेत्र अंदर नहीं जा पाया। लगता है सैमुअल की बताई दूसरी बात सही है। वहाँ जैमर लगा होगा। अगली बार सैमुअल से कुछ और डिवाइस बनवाकर भेजनी पडे़गी जो जैमर के बाद भी वीडियो बना सके।” अंटा ने नेत्र के विकल्प को तलाशने हेतु सुझाव दिया। 
“मैं दोबारा हरगिज नहीं जाऊँगा। इस बार तो हनुमान जी ने लाज बचा ली। मेरी इज्जत लुटते लुटते बच गई।”
“क्या, अंदर कुछ गड़बड़झाला नहीं हुआ। मतलब हमारा शक बेकार था।”
“अब वहाँ क्या कुछ होता है। कह नहीं सकता। पर मेरे कमरे में जिस नर्स की ड्यूटी लगी थी वह बीमार हो गई। इसलिए मैं कुछ पूछताछ नहीं कर पाया। न कोई जानकारी ले पाया।”
“तुम्हारा जाना बेकार हो गया।” रिपुदमन ने अफसोस प्रकट किया। 
“राहुल कहीं जाए और खाली हाथ आए। ऐसा आज तक नहीं हुआ है। देखो मैं डॉ घोष की टेबिल पर रखे रजिस्टर से दो पन्ने फाड़ कर लाया हूँ।”
“ये कोरे पन्ने हमारे किस काम के 

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रचनाएँ
मिस्ट्री मर्डर
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तेज तर्रार इंस्पेक्टर नील की मौत एक रहस्य बनी हुई थी। घटनास्थल पर किसी अन्य व्यक्ति एवं हथियार आदि के निशान नहीं थे। इंस्पेक्टर की मौत पर विभिन्न सस्पेंस, जासूसी के बाद मौत का रहस्य खुलता है। जानने के लिए पढें। उपन्यास पूर्णतः काल्पनिक है। किसी घटना से कोई संबंध नहीं है।
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मिस्ट्री मर्डर

18 मार्च 2022
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मिस्ट्री मर्डर 1 तेज-तर्रार इंस्पेक्टर नील की जघन्य हत्या / आत्महत्या से पुलिस विभाग स्तब्ध था। हँसमुख, खुशदिल इंस्पेक्टर नील न केवल पुलिस विभाग का प्रिय था बल्कि शहर के नागरिकों का अच्छा दोस्त भी था

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19 मार्च 2022
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2फोरेंसिक टीम ने वहाँ का चप्पा-चप्पा छान लिया पर उन्हें वारदात के बारे में वहाँ से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई।सभी लोग अपने-अपने कयास लगा रहे थे। अभी भी स्वाभाविक मौत, हत्याअथवा आत्महत्या की गुत्थ

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20 मार्च 2022
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11चाय की तरोताजगी और कैंटीन मैनेजर द्वारा दिए गए संकेत से आईजी इंद्रेश गहन मंथन में डूब गए। उधर बाहर कुछ छुटभैये नेता और छुटभैये पत्रकार जनता की भीड़ को लेकर कोतवाली के सामने धरना-प्रदर्शन करने क

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20 मार्च 2022
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19आईजी इंद्रेश सिंह और जांच इंस्पेक्टर रोहित में मंत्रणा जारी थी। दोनों ही आश्चर्य में थे कि वारदात होने के दस बारह घंटे बाद भी कोई चश्मदीद नहीं मिला। यहाँ तक कि आसपास के लोगों को भनक तक नहीं मिल

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22 मार्च 2022
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26“तो फिर काम पर लग जा जासूस अंटा, निपटा दें इंस्पेक्टर की मृत्यु का टंटा।” “अशरीरी द्वारा हत्या, बहुत ही बढ़िया स्टोरी है पिक्चराइजेशन भी बहुत बढ़िया किया है। पर हकीकत में कहां है दम, फिर

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22 मार्च 2022
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सैमुअल को ऐसी ही तीन चार डिवाइस और शीघ्र तैयार करने के लिए कहा और एकबार फिर से खुशी से चिल्लाया, जासूस अंटा, मिटा दे टंटा।” 34 आईजी के बंगले में मीटिंग की शुरुआत हुई। जाँच टीम प्रभारी डीआईजी ढिल्लन व

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22 मार्च 2022
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40“या खुदा, मुझे बिल्कुल भी याद नहीं रहा कि आज रबी अल-अव्वल माह की पांचवीं तारीख है। एक साल पहले आज के ही मनहूस रोज हमारी हमसफर हमें तन्हा छोड़कर खुदा की खिदमत में हाजिर होने जन्नत के लिए रुखसत हुईं थ

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23 मार्च 2022
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47डीआईजी ढिल्लन सिंह द्वारा ड्राइवर फरीद व कब्रिस्तान पर निगाह रखने एवं पूरी जानकारी देते रहने का निर्देश दिया। पत्रकारिता के क्षेत्र में नया नया आया स्वतंत्र पत्रकार रिपुदमन सिंह यूँही इधर-उधर भ

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23 मार्च 2022
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54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

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मिस्ट्री मर्डर

23 मार्च 2022
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54पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार रिपुदमन सिंह डीआईजी साहब से मिलने के लिए चल दिया। अब उसे सुकून महसूस हो रहा था कि वह पत्रकार की हैसियत से मिलने जा रहा है। किसी अपराधी की तरह नहीं ले जाया जा रहा है।&nbs

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मिस्ट्री मर्डर

24 मार्च 2022
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60आईजी के रौद्र रूप को देखकर सब सन्नाटे में आ गए। मन ही मन में सोचने लगे कि क्या बोलना है। “गोलू भोलू, तुम लोग बताओ तुम लोगों ने क्या किया। क्या क्या सुराग हाथ लगे।” आईजी ने मुखबिरों से कहा।&nbsp

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24 मार्च 2022
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67 विक्रमसिंह ने भी कब्रिस्तान के एक कोने में उठती हुई धूल को देखा। उसे भी आश्चर्य हुआ कि कहीं हवा नहीं चली। कहीं कोई हलचल नहीं हुई फिर अचानक से ये धूल का बवंडर कैसे उठा। पर वह कब्रिस्तान के दूसरे किन

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26 मार्च 2022
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74“अरे यार अंटा, अपना एक नेत्र रास्ता भटक गया था उसका क्या हुआ। देखो देखो आखिर वह है कहाँ।” चेंकी ने भटके हुए नेत्र के लिए चिंता जाहिर की। “सर, मैंने रिमोट संदेश देकर उसको अपने पास लाने की बहुत क

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26 मार्च 2022
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ने उसको दफ्न कर दिया। एक हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो पाया।”81“रोइए मत अंकल जी, हम पूरी जाँच करेंगे और सुनंदा को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे। आप दीवान जी के पास जाकर

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मिस्ट्री मर्डर

26 मार्च 2022
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87इंस्पेक्टर विक्रमसिंह के पास दोनों लड़कियों जूली और सुंदरी की जाँच रिपोर्ट आ गईं। रिपोर्ट देखकर इंस्पेक्टर विक्रमसिंह व रोहित सकते में आ गए। दोनों लड़कियों का भरपूर यौन शोषण हुआ था और उन दोनों की एक

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मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
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अपने अनुभव से बताया। 94“एक काम करते हैं सैमुअल, फिलहाल हम खाली रजिस्टरों की गुत्थी में नहीं उलझते हैं। इन रजिस्टरों में बहुत से राज छिपे होंगे। उनको भी ढूंढेंगे पर बाद में। अभी नेत्र जो रिकॉर्डिं

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मिस्ट्री मर्डर

27 मार्च 2022
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है।”“बिल्कुल सच कह रहा हूँ। पर तुम किसी से कहना मत। तुम्हें भी मजे करवाने ले चलूँगा।”“सच, मुझे ले चलोगे।”“और नहीं तो क्या। तू भी क्या याद करेगा कि किसी दिलदार दोस्त से पाला पड़ा है।” कहते ही शिवशंकर ल

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मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
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हैं। बेकार की चीज तेरा जैसा पप्पू ही ला सकता है।” रिपुदमन ने चिढ़ते हुए कहा। “अरे रुको, रुको। इन पन्नों को फाड़ो मत। हमें इनकी जाँच करनी चाहिए। शायद कुछ हासिल हो जाए। ये देखो, ध्यान से देखो इन पर

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मिस्ट्री मर्डर

28 मार्च 2022
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“20 तारीख सुबह तीन बजे। अब ये कौन सी नई पहेली आ गई। आखिर क्या मतलब निकलता है इसका। फिर से पहेली बूझना पडे़गी। अंटा ने कागज पर लिखी इबारत दोहराते हुए कहा। “चलो भाई फिर से इंस्पेक्टर साहब के पास। इ

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29 मार्च 2022
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121 दूसरी टीम 19 तारीख की सुबह ही गरियाना में तैनात हो गई। योजना के मुताबिक सारी कार्यवाही पूरी की गई। नगरपालिका के कर्मचारी भय या लालच के कारण कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते थे। पर ऑर्डर के कारण ब

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मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
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128अस्पताल में पल रहे पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त 6 कुत्तों को लेकर प्रशिक्षक पिछली तरफ की लिफ्ट के पास ठीक 2.45 पर खड़ा हो गया। अस्पताल के कर्मचारी ने मानव अंगों के पैकेट बनाकर तैयार रखे हुए थे। उन पैकेट

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29 मार्च 2022
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134एक घंटा आराम कर इकबाल ने पहले छोटू को दुकान से बाहर भेजा, “छोटू तू धीरे से दुकान का शटर उठा। बाहर झाँक कर देख सब ठीक-ठाक है। कहीं कुछ गड़बड़ दिखे तो तुरंत शटर बंद कर लेना।”छोटू ने बिना आवाज किए दुक

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मिस्ट्री मर्डर

29 मार्च 2022
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140“हमने दो इलेक्ट्रॉनिक फ्लाई में इंसुलिन की हैवी डोज भरकर वहाँ भेज दी। जैसे ही हमारी बताई गई जगह पर हमेशा की तरह इंस्पेक्टर नील अकेले ही पहुँचा। वहाँ किसी को न पाकर भौंचक होकर इधर-उधर निगाह फेंककर द

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