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जहां चाह वहां राह

13 अक्टूबर 2021

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शब्दनगरी की साप्ताहिक प्रतियोगिता का विषय है जहां चाह वहां राह आपको सकारात्मक ऊर्जा देने की कोशिश करूंगी जो आपको जीवन मे सफलता दिलाएगी|
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मुसाफिर सुनकर आपके दिमाग मे क्या आता है ? मेरे दिमाग मे तो हर उस व्यक्ति की तस्वीर आ जाती है जो ज़िंदगी की दौड़ में चलता जा रहा है चलता जा रहा है |
ज़रूरी नही मुसाफ़िर वही हो जो किसी मार्ग पर चले उसको तो हम बटोही भी कह सकते हैं या पथिक भी कह सकते हैं पर मुसाफिर हर जगह मिल जाएँगे आपको |

डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन जी की इन पंक्तियो से आप मुसाफिर को समझ सकते हैं

साँस चलती है तुझे        
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!

यानी जीवन भी एक मार्ग है और हम सब उसके मुसाफिर हैं हम तब तक चलते हैं जब तक सांसे चलना बन्द नही हो जाती भले आप पैर से विकलांग क्यों न हो फिर भी आप ज़िंदगी की रेस में चलते हैं और ये 100 मीटर की रेस नही है ये एक मैराथन है जिसका अंत आपकी सांसों के चलने पर निर्भर करता है |

जिस प्रकार मार्ग पर चलने के पहले आप उसका रास्ता तय करते हैं या गूगल मैप करते हैं उसी तरह जीवन के पथ पर भी आपको मार्ग की पहचान यानी अपने लक्ष्यतक पहुचने के मार्ग की जानकारी अवश्य होनी चाहिए तभी आपको मंजिल मिलेगी

बच्चन जी की ही कुछ पंक्तियाँ आपको जरूर इस बात पर प्रेरित करेंगी

पूर्व चलने के बटोही
बाट की पहचान कर ले
आ पड़े कुछ भी
रुकेगा तू न
ऐसी आन कर ले
पूर्व चलने के बटोही
बाट की पहचान कर ले

एक मशहूर फ़िल्म  शोर का गीत भी बताता है

जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह शाम

यानी अगर आप मुसाफिर को राह का पथिक मान रहे तो आप गलत हैं मुसाफिर वो है जो जीवन मे हर जगह जद्दोजहद करता हैं
आगे से आपको अगर कोई इंसान डिप्रेस दिखे तो उसको आप मुसाफिर के बारे में अवस्य बताएं और साथ ही साथ बोले जीवन एक अग्निपथ है और इसमें रुकने वाला ही हारता है क्योकि जहाँ चाह है वहीं राह है|

तू न रुकेगा कभी तू न थमेगा कभी
कर शपथ कर शपथ
अग्निपथ

चल मुसाफिर 😊


Riyazul Hasan

Riyazul Hasan

बहुत सुन्दर लेखन है आपकी ✒को मेरा प्रमांण❤🙏

9 जनवरी 2022

Saira Parvez

Saira Parvez

बहुत अच्छा लिखा आपने।

14 नवम्बर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

14 नवम्बर 2021

धन्यवाद आपका आदरणीया

Neetu Pal

Neetu Pal

बहुत सटीक बात कही अपने, यहाँ हर मुसाफिर ही तो है.... ✌️✌️✌️👍👍👍

13 नवम्बर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

14 नवम्बर 2021

धन्यवाद बेटा 😊

Rajeev kumar

Rajeev kumar

Sundar rachna

6 नवम्बर 2021

नवरत्न मिश्रा

नवरत्न मिश्रा

बहुत सुन्दर प्रस्तुति की

27 अक्टूबर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया जी नमस्कार आपको यहां भी देखकर खुशी हुई

25 अक्टूबर 2021

इन्दू गुप्ता

इन्दू गुप्ता

उत्तम लेखन। कृपया मेरी रचनाओं को भी पढ़कर मेरा उत्साह बढ़ाएं।

24 अक्टूबर 2021

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

बहुत अच्छा लिखा है 👌👌

17 अक्टूबर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

21 अक्टूबर 2021

धन्यवाद बहन

प्रवीण कुमार शर्मा

प्रवीण कुमार शर्मा

आपने बहुत ही प्रेरणादायक लिखा है। कृपया मेरा उपन्यास प्रेम का पुरोधा पढ़ के मुझे प्रोत्साहन दें।

14 अक्टूबर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

14 अक्टूबर 2021

बिल्कुल सर

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत बढ़िया लिखा वणिका जी

14 अक्टूबर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

14 अक्टूबर 2021

धन्यवाद मैंम

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