जामिया हिंसा का मामला जैसा शीर्षक हम सभी को समानाधिकार के साथ कह रहा है कि हम सभी को मालूम है और जब यह हिंसा का मामला हुआ था तब सभी न्यूज चैनल और व्यवस्था के साथ देश में दिखाया और बताया गया था जहाँ राजनीति और देश में गलत संदेश भी था।
जामिया हिंसा का मामला के साथ में एक लेखक रचनाकार होते हुए केवल अपने मन भाव के साथ सभी को एक संदेश या लेख माध्यम से प्रेरणाप्रद शब्दों का अर्थ और सच का भाव ही कहता हूँ क्योंकि सभी की अपनी सोच और मन भाव होते है और हम सबसे पहले यह सोचे हिंसा के साथ कभी सुकून मिला है अगर मिला है तो केवल उसको जिसको अपने देश भारत से प्रेम न हो या वह भारत देश का भारतीय न हो। सच कड़वा और हमेशा सर्वोच्च रहता है। आज हम सभी सोचे कि जामिया काँलेज किसने बनाया और क्यों? उत्तर और सोच दोनों का एक ही राह है केवल शिक्षा और जहाँ शिक्षा का अनुसरण और नियम हो वहाँ हिंसा का मामला क्यों इसका मतलब शान्ति सुरक्षा को भटकाना है और हम अपना अधिकार क्षेत्र स्थापित करने की कोशिश और मानसिकता की सोच है। हम भारतीय भारतवासी है तब हम अपने ही देश में अन्य देश और गलत निरे का मतलब समझे साथ ही गलत राह का अनुसरण करना और गलत संदेश का सहयोग करना। जामिया हिंसा का मामला केवल एक समझ के साथ शिक्षा के मन्दिर को बदलने की एक मंशा या सोच है परन्तु हम अगर सही बात बैगर हिंसा के कहे तब एक न्याय भी हो सकता है हम आज सभी अतिथि देवौ भवः का मतलब जानते है और हम सभी किसी के घर मेहमान बनकर जाते है तब वहाँ हम अपने अधिकार और रहने का निवास निश्चित तो नहीं कर सकते है बस हम मेहमान है तब नियम व्यवस्था का अनुसरण करके सहयोग मांग सकते है ऐसा ही जामिया हिंसा का मामला हुआ कि हम गलत संदेश और गलत राह का अनुसरण करने के साथ साथ जो आपका नहीं उस पर अधिकार बनाना चाहे और जब आप की बात न मानी जाए तब हिंसा का अनुसरण किया। जिसमें देश का सम्मान और अभिमान की अवेहलना के रुप में दण्ड प्रक्रिया का अनुसरण निश्चित हुआ।
जामिया हिंसा के मामले में अब हम सभी देशवासी सच को पहचान चुके है और अब हम भारत में हिन्दूत्व के साथ मातृभाषा का मान सम्मान और नियम कानून व्यवस्था भी पहचान चुके है।
अब हम देशहितार्थ और मानवता के साथ शिक्षा शांति और सुकून की राह का अनुसरण करे।
हम सभी जानते है कि सच और धर्म की राह में जीत का परचम सच के साथ जागरुकता बनकर लहराता हैं।