एक लय एक ताल एक स्वर कीमधुर ध्वनि करती करतालसम विषम से बने मकानविषम लोग अजब मानसिकताअजब गजब विचारों का समूह है शहरबहुत दूर से आए अलग अलग लोगएक मौहल्ला बनाकरबन जाते अपने सेगली कुचे सड़कबस्तियों का
बड़ी उम्मेदे थी बड़े होने के। सोचा था ज़िन्दगी आसान हो जाएगी, चीज़ें समझ आने लगेंगी। पर क्या पता ये भी एक धोखा होगा। स्कूल ख़तम करके सब सही हो जाएगा। कॉलेज के तीन साल फिर तो और कुछ करना ही नहीं पड़ेगा। सब झूठ। फरेब हुआ है हमारे साथ। अब क्या करे। ये तो किसी ने बताया ही नहीं की ये सब तो बस तैयारी थी। असली ज
अपनी नाक़ामियाबी को हम दुसरो पर थोप कर अपनी कमियों पर पर्दा डाल लेते है. और अपनी कामियाबियों पर खुश हो लेते है. आज कहाँ है से हम नावाकिफ़ बने रहते है. जो गुज़र गया उसे भूल जा, जो है हो रहा उसे जान ले. तेरे सर पे जो कभी ताज था, वो उस वक्त का कमाल था,