बनारस के छोटे से गाव से सरिता और सुमित मुंबई रोजीरोटी की तलाश में आये थे, कुछ साल पहले कितनी खुशहाल जिंदगी थी दोनों की, अपने परिवार के साथ इतनी खुशियाँ बटोरने में दोनों जुट गये थे की दिन ही कम पढ जाता था । सरिता और सुमित अपने अपने माँ बाप के इकलौते औलादें थे, बडे लाड प्यार से पाला था दोनों को, कॉलेज के दोनों होशियार विद्यार्थी थे, पर जैसी ही सरिता ने बारानी की परीक्षा पास की, उसके लिए लडके देखने शुरु किये ।
वो मन ही मन में अपने से दो साल सीनियर सुमित को चाहती थी पर कभी उससे कह नहीं पाई थी, इतने में उसके पापा के दोस्त का लडका अमन उसे देखने आया, कोई ऐब नहीं था उसमें की कोई नापसंद करे, सुमन को पता ना था सुमित भी उससे प्यार करता है या नहीं, बडे बडे सपने थे सुमित के जो अक्सर मिडल क्लास फैमिली के लडके देखते है। फिर उसे खुद पर भी भरोसा था, हमेशा टॉप जो करता था ।
सुमन ने थक हार कर कुछ समय माँगा पापा से, एक दिन दोनों कॉलेज के लायब्ररी में बैठे थे, सुमन ने रिश्ते आने की बात कह दी, तो बडी बेरुखी से वो सुमित उसका हाथ झटककर चला गया, सुमन भी उसके पीछे पीछे चली गई ।
सुमित प्यार तो करता था, फिलहाल अपने करियर पर फोकस करना चाहता था, तो वो कुछ ना कहते हुँवे चला गया, सुमन की शक्ल रुहानी सी हो गई । उसे इस बेरुखी पर गुस्सा आया, उसने झट् से शादी के लिए हाँ कह दी, अगले एक हप्ते में उसकी शादी थी, इधर सुमित को अपनी गलती का ऐहसास हुँवा, और ये तक की, वो कितना प्यार करता है ।दोनों शादी के एक दिन पहले भाग गये और मंदिर में जाकर शादी कर ली, अब सुमन के पापा उससे नाराज, तो उन्होंने उसे माफ कभी ना किया, पर सुमित के परिवार ने ना सिर्फ माफ किया बल्कि उन्हें अपना भी लिया ।
पर नियती को कभी कोई खुशीयाँ रास आते है, एक अँक्सिडंट में उसके माँ बाप मर गये, उसे कभी पता ही नहीं लगने दिया था की उसके हर खुशी पुरी करनेवाले माँ बाप के सर कर्ज से डुबा है, उसे उतारने में सब बेच देना पडा, अब वो रास्ते पर थे, उन्होंने सुमित के दोस्त राहुल के पास मुंबई आने का सोचा, और एक दिन वो आ गये।
शादी को उनके छह साल हो गये, सुमन और सुमित अपनी जिंदगी में खुशी से रह रहे थे, पर दर्द दो बातों का था, एक सुमन के पापा ने उसे अब तक माफ ना किया था, दूसरा शादी के इतने साल बाद भी उन्हें कोई औलाद ना थी । अमन की भी शादी हो गई थी, वो खुश था अपनी पत्नी के साथ, अचानक रास्ते में अमन और सुमन एकदुसरे से टकराये, पर अमन एक सुलझा हुँवा लडका था, उसने सुमन के माफी माँगते ही उसे माफ कर दिया। दोनों अक्सर मिला करते थे, कभी कभी सुमित भी साथ होता, अमन अक्सर सुमन को उसके पापा के बारे में बताता, तो वो मन ही मन खुश होती ।
कुछ दिन सुमन और सुमित को पता चला वो माँ बाप बननेवाले है, खुशी का तो ठिकाना ना रहा, सुमित काफी खयाल लगता, यहां अमन भी पापा बननेवाला था, दोनों के घर एक ही साल में खुशियों ने दस्तक दी, बातें करते करते आठ महीने कैसे बीत गये पता ही ना चला, और नौ महीना लग गया, दोनों एक ही दिन अस्पताल में एक ही ऑपरेशन थिएटर में थे, पर कुछ कॉम्पिलिकेशन के बजह से सुमन की बेटी और अमन की बीबी ना रही, सुमित तब जरुरी मेडिसीन लेने गया था, उसे पता ही ना था, डॉक्टर अमन के जान पहचान के थे, अमन जानता था, सुमन के बच्चे के प्रति तडप, तो वो अपना बेटा उसे बिना पता चले दे देता है।
पर सुमित के आने पर डॉक्टर और अमन ये बात उसे बता देते है, वो आँखों में आँसू लिए सिर्फ अमन की ओर देखता है, अब अमन का बच्चा सुमन, सुमित के घर पलता है। वो दो साल का होता है, उसका नाम क्रिश रखते है, अमन किसी ना किसी बहाने से क्रिश के पास रहता है, जितना हो सके उसे लाड करता है, पर वो सुमन को कभी सच बताना नहीं चाहता है, पर कहीं से वो अमन और सुमित की बात सून लेती है, अब वो अपने बच्चे से दूर रह नहीं सकती, पर अमन ने तो हर बार अपने खुशी से बढकर सुमन की खुशी चाही थीं, वो क्रिश को वापस कर देना चाहती है, पर दिक्कत ये की, अब क्रिश भी सुमन के बिना नहीं रह सकता, तीनों मिलकर अपने बच्चे के लिए एकसाथ परवरिश करने का फैसला करते है, सुमन और सुमित माँ बाप बनकर, और अमन अंकल बनकर । इस तरह से एक नन्हीं धडकन से बंधता है तीनों का अनोखा रिश्ता -अमन और सुमन सुमित का प्यार ऐहसान का रिश्ता, जो उम्र भर चलता है, कुछ साल बाद सुमन के पापा भी सुमन के बच्चे को देखकर माफ कर देते है,अमन फिलहाल अकेला ही खुश है । राहुल और सुमित दोनों ही एक खुद की कंपनी निकाल चुके है, बिलहाल वो तरक्की की राह पर है, अमन भी उनका साथ ही बिझनेस पार्टनर है । इस तरह से ये कहानी खत्म हो जाती है, मिलते है ऐसे ही प्यार भरी किसी और कहानी में, नये किरदार के साथ।