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अनोखा रिश्ता दोस्ती और इंसानियत

16 अप्रैल 2022

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       वैसे कहते है की दो लडकिया कभी दोस्त नहीं होती, अगर हुवी तो भी ज्यादा दिनों तक दोस्त नहीं बनी रह सकती, हमारी कहानी है तीन दोस्तों की जूही, शामला और उनके दोस्ती का सबसे मजबूत धागा दोनों का बचपन का दोस्त विहान!
       ये कहानी है जुही और शामला की, और साथ में उनका अजीज दोस्त  विहान की, बचपन से एक ही स्कुल में पढे बढे थे, कॉलेज में भी एकसाथ गये । सिमला के नामचीन कॉलेज में पढने गये थे सारे, बडे प्यार से एक घर में के घर में रहने गये थे, जिनका वह घर था उनका नाम शाम मुर्ती था! उन्होंने अपना आलिशान प्लॅट किराये पर दिया था,  उसी प्लॅट के सामने बडे से मकान में मुर्ती की पुरी फॅमिली रहा करती थी, मा पिताजी , मुर्ती का बेटा , बिबी और वह खुद पांच लोगों की पुरी फॅमिली थी उनकी! उसी घर के सामने एक छोटी सी प्यारी सुहानी रहती थी,जिसकी माँ-बाबा मुर्ती के घर में काम करते थे, इन्हीके घर भी काम करने वो ही आते थे, साथ में सुहानी भी आती थी । वे हर दिन बगीचे में पढती सुहानी को देखा करते थे!
      ये तीनों बडे ही मस्तीखोर थे, पढाई छोड सारे काम दिल से करते थे, पढाई में सारे लेकिन अवरेज थे, हर बार प्रोजेक्ट कम्प्लीट ना होने की बजह से डाँट खाते थे । बडी शिफारस के बजह से उनका एँडमिशन सिमला के कॉलेज में हुँवा था, 
       सिमला की हँसी वादियाँ दिल लुभा जाती थी, वैसे तो विहान और शामला दोनों के बडे बडे ख्वाब ना थे, पर जुही अपने पापा के बिझनेस से जुदा अपना कुछ अलग ही करना चाहती थी,  शामला और विहान तो अपना परिवारिक बिझनेस ही आगे बढ़ना चाहते थे,  इनके कॉलेज का ये आखरी साल है,  सबको फिर अपने घर वापस जाना है। 
        एक दिन उनकी नजर अचानक बगीचे में काम करती सुहानी की तरफ गई, वो काम करते करते बडे प्यार से पौधों से बातें किये जा रही थी, वैसे तो उसके माँ बाप अनपढ थे, पर उसे पढने का बडा शौक था, जहाँ वक्त मिले वो पढ लिया करती थी, वो सातवी में पढती थी, इक दिन वो किताब लेकर पढने ही बैठी थी, की उसके माँ बाप ने देख लिया, मां-बाबा तो अनपढ थे, वो पढाई का मोल नहीं जानते थे, फिर भी अपने सुहानी को पढा लिखाकर एक अफसर बनाना चाहते थे, वो काम करते करते यहीं बात कहते रहते, वो कहते है ना कभी कभी जुबान पर सरस्वती विराजमान होती है, वैसे ही, सच में सुहानी हो भी गई एक बडी अफसर बिटीयां , और उसके अफसर बनने में सबसे बडा हाथ विहान और उसके दोस्तों का, भगवान ऐसे दोस्त और दोस्ती हर किसीको दे!
     एक दिन उन्हे सुहानी रोते हुवे सडक पर दिखी, उसके कपडे भी पुराने होने के बजह से फट गये थें ,किताब भी फट चुकी थी,  उसके दोस्त का स्कुल में झगडा हो गया था, वैसे तो सुहानी बडी ही शांत किस्म की थी, पर उस दिन उसे केया हुवा रब जाने वह अपने दोस्त को पिटता नहीं देख पाई, और उसो बचाने गूद पडी, बस उसी झगडे के चलते उसकी किताब और ड्रेस उन्होने फाड दिये, झगडा तो कुछ ही देर बाद खत्म हुवा पर अब वह किताब और ड्रेस कहा से लायोगी?
     अपने दोस्त का साथ देने में उसके स्कुल के बच्चे ने उसकी ये हालत की थी, अब जो मां बाप बडी मुश्किल से दो वक्त का खाना खिला पाये, वो वापस से सारा इंतजाम कैसे करें, इसलिए वो बेचारी दुखी होकर रो रही थी, वहीं रास्ते से तीनों दोस्त गूजर रहे थे, उनकी नजर उसपर पडी, तो वे सब उसके पास आ गये, जो लडकी जहा वक्त मिले वहा बैठकर पढ लेती है, उसके किताबों की ये हालत देखकर उन्हों ताजूब हुवा, उन्होने उसे पुछा पर वह तो लगातार रोये जा रही थी, कितनी मुश्किल से उन सबने उसे चुप कराया, नई युनिफॉम दिलायी, बुक दिलाये, और उसे किसीको बताने से मना कर दिया!
   अगले दिन वो सुहानी के स्कुल में उसके साथ चले गये, उसके टीचर को बताने पर उन्होंने उस लडके को समझाया, वो बाद में हेडमास्टर से मिलने गये, वो तो सुहानी के हालात जानते थे, सुहानी के मा बाप मदद नहीं लेंगे, इसलिए स्कुल की तरफ से स्कॉलरशीप कहके वो हर साल हेडमास्तर को पैसे देने के लिए बोलते है, जो की वो खुद सभी मिलकर स्कॉलरशीप के नाम देते है, स्कुल से कॉलेज का सुहानी का सफर बस ऐसे ही स्कॉलरशीप की बजह से बिना रुकावट पुरा हुवा, वह बहुत खुश थी, कॉलेज की तरफ से उसे प्रथम आने पर कुछ राशी इनाम में मिली, कॉलेज के लास्ट इयर में ही उसे आयएएस परीक्षा के बारे में जानकारी मिली थी, तभी से वह जी जान एक कर के उसका अभ्यास कर रही थी, उसके कॉलेज के सभी दोस्त मिलकर उसकी हर संभव मदद कर रहे थे!

      फॉर्म निकलने के बाद सुहानी और उसके दोस्तों मे फॉर्म भरा, प्री और मेन अच्छे से क्लिअर करने के बाद वह इंटरव्हयू में भी सिलेक्ट हुवी थी! वह देश में प्रथम आई थी, यह न्यूज सारे अखबार और टीवी पर प्लॅश हे रही थी!

     विहान, जूही और शामला को तो यकीन ही नहीं हो रहा था, उनके आगे तो वहीं छोटी सी सुहानी जो बगीचे में किताबें लेकर पढती और पौधों से बातें करती आ रही थी! सुहानी को बधाई देने वो तीनों साथ में ही गये थे, तभी पुराने के स्कुल के हेडमास्टर सुहानी को बधाई देने पहुचे थे, सुहानी ने हेडमास्ट और उनकी बात सुनी की कैसे अब तक स्कॉलरशीप के नाम पर वह तीनों फरिश्ते सुहानी की मदद कर रहे थे! ना सिर्फ इतना ही बल्कि आयएएस बनने तक हर मोड पर अनदेखे ही वे उसके साथ खडे थे!विहान और शामला तो अपने पापा का बिझनेस आगे लेकर जा रहे है वहीं दुसरी तरह जूही एक फॅशन डिझाईनर बनकर बडे बडे ब्रॅण्ड के लिए कपडे डिझाईन करती है, पर तीनों अब भी साथ है!

     आज उन सबके लिए बडा खुशी का दिन है, पहली बार अपने मां बाबा के साथ सुहानी उनसे मिलने आ रही है, बहुय खुश है सारे ! सुहानी भी उनके शहर की यानी दिल्ली में अफसर बनकर आ रही है!  वाकई ये सारे दोस्त सुहानी के लिए मसीहा है, भगवान ऐसे दोस्त के रुप में मसीहा हर किसीको दे!  फिलहाल के लिए इतना ही!

 

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रचनाएँ
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यह मेरी किताब कुछ प्यारी सी कहानियों का संग्रह है, जिसमें आप प्यार के अलग अलग रंग पा जायेंगे, प्यार सिर्फ एक ऐहसास है जिसमें आपको दोस्ती, मोहब्बत, करुणा और जानवरों से प्यार, जैसे कई इमोशन मिल जायेगे! आप सब लोग इसे जरुर से पढना और कुछ कमी हो मेरी कहानी में, कुछ सुझाव हो तो बता देना, मैं तहे दिल से आपकी आभारी रहुंगी, और जरुर से कमेंट बॉक्स में अच्छी बुरी जो भी हो समीक्षा लिखना, और पसंद आये तो फॉलो भी करना! इंतजार रहेगा आपकी समीक्षा का!
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