सुहास और संजना करीबन २१-२२ साल के दिल्ली के कॉलेज में जानेवाले विद्यार्थी है, काफी अच्छी दोस्ती है उन दोनों की, झगडना और कई कई दिनों तक मुंह मोड लेना ये तो आम सी बात है, उनका चार दोस्तों का प्यारा सा ग्रुप है, अनन्या और शिवम दोनों ही उनके झगडे सुलझाते सुलझाते तंग आ चुके है, पर वो माने तब ना, संजना हमेशा से ही गलती ना होने के बावजूद उसे मनाने जाती है, इसी बजह से सुहास ने संजना को टेकन फॉर ग्रॅन्टेट लिया है, वो पागल तो ये समझता है, सुहानी तो मेरी है, कहां जाऐगी!
सबके जिंदगी के अपने अपने रास्ते है, संजना और सुहास पडोसी है, तो कॉलेज के बाद भी मिलते है, उनके फॅमिली में अच्छी खासी दोस्ती है, और दोनों चाहते है, की ये दोस्ती रिश्तेदारी में बदले !
सुहास लेकिन इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहता, संजना के पिताजी बिमार रहते है, इसलिए दोनों के बडों के कहने पर उनका रोका हुवा है, २-३ साल तक दोनों शादी नहीं करना चाहते, सबकुछ अच्छा चल रहा है, इसी बीच १-२ साल अच्छे से बीत जाते है, अब सुहास आगे के पढाई के लिए लंडन निकल चुका है, वो संजना के हालचाल पुछता रहता है, संजना अब जॉब करती है, वो सुहास और अपने दोनों के परिवार को संभालती है!
सब अच्छे से कब रहता है, दोनों के खुशहाल परिवार को नजर लगती है, संजना के पापा को दिल का दौरा पडता है, अब उनकी हालत नाजूक है, वो अपने आंखों के सामने संजना की शादी देखना चाहते है, संजना के बुलाने पर भी सुहास वापस नहीं आता, इतने में सुहास के पिता के कहने पर ही संजना किसी और से शादी कर लेती है !
संजना के शादी के बारे में सुहास जानता ही नहीं , वो तो लगा हुवा है, अपनी पढाई पुरी करने में, उसके दोस्त भी उसे कुछ नहीं बताते, १ साल बाद जब पढाई पुरी करके सुहास लौटता है, तब उसे पता चलता है, संजना के पिताजी नहीं रहे, उसकी मां उसके साथ रहती है, और उसकी शादी हो चुकी है, वो संजना से बीच बीच में बाते करता था, पर वो कुछ नहीं बताती, संजना का पती सुहास के बारे में सब जानता था, वो भी उनके साथ कॉलेज में पढता था, अब सुहास काफी बडा बिझनेसमॅन बना है, काफी नाम कमाया है उसने , संजना दिनबदिन उसके किस्से सुनती रहती है, कुछ दिन पहले ही उसकी शादी तय हुवी है, खुश है वो!
तभी उसकी जिंदगी फिर से नया मोड लेती है, वो अपने सामने वाले संजना के घर का दरवाजा खुला देखता है, वो वहां चला जाता है, अंदर का नजारा देखकर वो सुन्न रह जाता है, उसका अपना प्यार सुहानी सफेद साडी में लिपटी, बिल्कुल जिंदा लाश सी , सभी रंग गायब है, चेहरे और मन से भी, उसके पती ने खुद को फांसी लगाकर सुसाईड कर लेता है, गुस्से में संजना को उसके घरवाले सभी जायदाद से बेदखल कर निकाल देते है, अब संजना अकेली, लाचार, उसके मां से उसकी हालत नहीं देखी दा रही है !
सुहास को अपने सामने देखकर वो पहली बार रो पडती है, वो मां बननेवाली होती है, इस हाल में सुहास अपनी शादी कॅन्सल कर संजना का पुरा ख्याल रखता है, उसे खुश रखने की कोशिश करता है, कुछ साल बाद संजना का बेटा हॉस्टेल से वापस आता है, काफी बडा हो चुका होता है वो करीबन १० साल का ! सुहास से काफी जुडा हुवा है वो, सुहास भी उसे बहुत प्यार करता है, संजना के हां के इंतजार में वो शादी नहीं करता है, अब भी वो इंतजार में है, संजना के ससुराल वालों को भी अपनी गलती का ऐहसास होता है, वो माफी मांगकर संजना को अपना लेते है, पहली बार एक मायका और ससुराल मिलकर अनोखी शादी कराने जा रहा है, संजना और सुहास की, उसके बेटे सुरज के जिद के आगे संजना मान जाती है, आखिर में इतने साल बाद एक खुबसुरत रिश्ता जिसकी हर विधी में उसका बच्चा उसका साथ खडा है, अपनी मां के शादी कराने जा रहा है, एक दोस्त ताउम्रर के लिए हमसफर बनने जा रहा है, दुनिया का सबसे खुबसुरत रिश्ता दोस्त एक हमसफर पती बनने जा रहा है, फिलहाल के लिए इतना ही, मिलते है, अगली कहानी में,अनोखे किरदार और एक और प्यार के ऐहसास के साथ!