ये कहानी शुरु होती है, संजय के यादों से, संजय कुर्सी पर बैठकर पुराने दिनों को याद कर रहा था, जब वह रानी के साथ कॉलेज में पढ रहा था, इलाहाबाद के कॉलेज में दोनों का ऍडमिशन हुंवा था, संजय इलाहाबाद का ही रहनेवाला था, और रानी इंदोर के रहनेवाली थी! रानी का बडी मुश्किल से ऍडमिशन हुंवा था, उसके घरवाले उसके पढाई के खिलाफ थे, पर उसके दादाजी के कहने पर उसे पढने जाने का अनुमती मिली थी, वो बहुत खुश थी, वैसे तो वह अपने में सीमित रहनेवाली लडकी थी, पर संजय खुशमिजाज लडका था, हमेशा दुसरों की मदद करता था, रानी की वो हमेशा मदद करता था, वो हर तरह से खुद से पहले औरों के बारे में सोचता था!
रानी बडी ही होशियार लडकी थी, हमेशा कॉलेज में पहली आती थी, एक अच्छा ग्रुप बना था उनका, जिनमें आशा, उषा, रानी, संजय और विजय पांच लोग थे, कितना प्यारा ग्रुप था उन लोगों का! हर चीज एक साथ मिलकर करते थे, कॉलेज खत्म होने के बाद वो एकदुसरे के साथ संर्पक में थे, रानी की सबसे पहले शादी हुवी थी, अब वो विजय को चाहती थी, पर कभी बतला नहीं पाई, जहां शादी हुंवी, वो परिवार बडा पुराने खयालात का था, लडकीयों का बिच में बोलना, बाहर निकलना भी मना था, शादी के बात उसका हर किसीसे बात करना कम हो गया, पर कभी कभी वह संजय से मिल लेती थी, क्युंकी संजय उसके पती का दूर का रिश्तेदार था !
कुछ दिनों बात संजय और ग्रुप के सभी लोगों की शादी हो गई, यहां रानी की हालत दिनबदिन बत् से बत्तल होती जा रही थी, इसी बीच रानी की बेटी दो साल की हो गई, उसे उसके पती के साथ घर से बाहर निकाल दिया था, पती हमेशा उसका साथ देता था, पर परिवार के आगे बोल नहीं पाता था !
यहां संजय को भी अपना अलग गम था, वो बाप नहीं बन पा रहा था, पर इन दिनों उसके घर भी गुड न्युज आई थी, वह बाप बननेवाला था, कितना खुश था वो, इसी खुशी में पिकनीक पर गया था, जहा रानी और उसका पती भी काम से यहां आये थे, उसकी बेटी उसके पडोस में रहनेवाले काकी के पास छोड आए थे, काम करके तुरंत उन्हें लौट जाना था, चारों की मुलाकात हो गई, कितना खुश थे वो चारों , रात को सारे साथ में डिनर करके अपने कमरे में सोने गये! सुबह जल्दी ही वे सब निकले, पर रास्ते में रानी के गाडी का ऍक्सिडेंट हो गया, संजय की गाडी उसीके पीछे थी, तो संजय उन्हें हॉस्पिटल ले गया, पर दोनों बच नहीं पाए, रानी ने अपने बेटी को घरवालों को सोपने के लिए कहां !
जब संजय रानी के ससुराल गया, पर किसीने भी उसके बेटी को अपनाने से मना कर दिया, अब वो मजबुरन उसे अपने साथ घर ले आया, यहां उसकी पत्नी निर्मला की हालत भी खराब थी, उसके डीलीव्हरी में कुछ कॉम्पिकेशन थी, यह बात निर्मला जानती थी, पर उसने संजय को नहीं बताई थी, क्युकीं बहुत साल बाद उन्हें बच्चा हो रहा था, तो उसने संजय को कुछ नहीं बताया!
वो हप्ता बडा ही खराब था, एक तरह उस मासुम बच्ची ने अपने मां बाप खो दिये थे, एक तरफ संजय ने अपने बिवी और बच्चा खो दिया!
अब संजय के जीने का इकलौता सहारा रानी की बच्ची थी, वो उसे बडे प्यार से संभालने लगा, रानी की बच्ची जब रानी की मौत हुवी महज दो साल की थी, वो जानती भी नहीं थी, की संजय उसका पापा नहीं है,
वो उसके लिए दुनिया का बेस्ट पापा बन गया था, रानी की बच्ची राजश्री अब अठराह साल की हो गई, बडी प्यारी हो गई है वो, अभी अभी उसका अठराहवा जन्मदिन मनाया है संजय ने, संजय पापा होने के साथ साथ उसका दोस्त भी है, उसके घर में रानी और उसके पती की तस्वीर है, अब वक्त आ गया था, राजश्री को सच बताने का, वो हिम्मत करकर राजश्री को सब सच सच बता देता है ,
राजश्री जो उसके पापा को प्यार करती थी, अब इज्जत भी करती है!
कुछ साल बाद राजश्री की शादी हो जाती है, संजय बहुत खुश है, उसे बहोत प्यारा सा दामाद मिला है, जो बेटे से बढकर उसका ख्याल रखता है, अनाथ है बेचारा, इसलिए शायद रिश्तों की अहमियत जानता है, उनका इक प्यारा सा बेटा है आयान जो संजय की जान है, संजय भी उन्हीं के साथ रहता है, दोनों की लव्ह मॅरेज है, जो जो उसकी मम्मी ना कर पाई, संजय ने राजश्री की हर ख्वाईश पुरी की है, राजश्री भी बडी पोस्ट पर है, उसके दामाद खुद एक मल्टिनॅशनल कंपनी में जॉब करता है !
बडा खुशहाल परिवार है संजय का, उसका नातु पहली कक्षा में पढता है, हमेशा संजय के आसपास रहता है, उसे देखकर राजश्री का बचपन याद आता है, उसके खुद की बच्ची की ख्वाईश तो पुरी नहीं हुवी, पर एक सच्चा दोस्त बनकर रानी की बेटी राजश्री को उसने बडे नाजों से पाला, इतने में आयान आकर उनके कंधो पर हाथ रखता है, और वो सोच से बाहर आते है, आज बरसी है, संजय की बिवी की, सारी तयारी हो गई है पुजा की, पुजा ठीकठाक से संपन्न होती है !
इस तरह बिना किसी रिश्ते से जुड जाता है, रानी के बेटी के साथ संजय का अनजाना रिश्ता जो उम्रभर चलता है, काश ऐसे दोस्त हर के नशीब में होते !