क्या सब ही साथ आकर मिलेगें इसबार!"
कोई आम सी लडकी अपनी जिंदगी में क्या ही चाहती है, उम्र के हर पडाव पर उसके सपने तय होते है, जब वह स्कुल जाती है तब वह स्कुल में पहला आकर खुब तारीफें बतौरना चाहती है, थोडी बडी होकक जब कॉलेज जाने लगती है तो चाहती है कोई अच्छा या ब्रॉयफ्रेंड जो उसका बेस्ट फ्रेंड भी हो, थोडा आगे जाकर फिर वह चाहती है वहीं ब्रॉयफ्रेंड उसका पती हो, दो खुबसुरत फुल बस उसके आंगन में खिले, बडे होकक वे होनहार निकले, खुब मै बाबा का नाम रोशन करे, शादी बिहा के बाद फिर छोटे छोटे पोता पोती, बस इक लडकी की कहानी यहीं खत्म हो जाती है! कुछ ऐसा ही ख्बाब देखा है हमारे कहानी की नायिका ने रचना! चलिये मिलते है रचना और उसके सपनों से!
ये कहानी है इक भोली, भाली रचना की, जो की, कॉलेज पुरा करके अभी अभी किसी वजह से आयटीआय में पढने आई है, जब वो अॅडमिशन के लिए पहली बार सिव्हिल हॉस्पिटल चेक-अप करने जाती है, वहीं उसकी मुलाकात उसके यहां अॅडमिशन लिए लडकियां जो की, स्वाती, राधिका, प्रीति से हो जाती है, तीनों की अच्छी खासी जान पहचान हो जाती है!
वो दिन भी आता है, जब उसके आयटीआय का पहला दिन होता है, रचना की मुलाकात तीनों के साथ बैठी एक ओर लडकी सीमा से होती है, सीमा बडी बातूनी और हसमुख, उतने ही बिनधास्त लडकी है, जो लडकों से बातें करने में जरा भी नहीं झिजगती, वहीं दुसरी ओर स्वाती और राधिका दोनों एक ही गांव से है, और एक ही रुम शेयर करते है, दोनों भी चुपचाप रहनेवाले, एक ओर प्रीती दोनों के बीच थोडी बातूनी, थोडी चुपचाप रहनेवाली लडकी है, उनके साथ कुछ ओर लडके भी पढते है, जिन्होंने electronic trade में अॅडमिशन लिया है, सभी में एक झिझक है, कोई खुलके एकदुसरे से बात नहीं कर रहे है!
अचानक एक लडका जो की लेट अॅडमिशन है, कॉन्व्हेंट में पडा जिसने बारावी की परीक्षा पास होने के बाद कुछ साल उसने मार्केटिंग का काम किया, यहां आता है, नाम उसका विक्रम, बडा बातुनी, किसी को एक पल में अपना बनानेवाला, जिसे पढाने का शौक, और सबसे खास बात दिखने में खुबसुरत, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलनेवाला, कॉन्फिडंन्ट लडका उसके आने से माहौल बदल जाता है !
सोने पे सुहागा या यूं कहो की बुरी बात वहां पढानेवाले शिक्षक जो बाहर गांव से आते थे, हप्ते में सिर्फ २-३ दिन ही आते, पढाके चले जाते, अब जो नहीं समझ आता वो पढाने का काम वो विक्रम कर लेता बिचारा, इसलिए वो सबका चहिता बन गया!
उसे रचना की दोस्त स्वाती बहोत पसंद थी, वो भी दिखने में खुबसुरत , होशियार थी, पढाते पढाते रचना का भी वो काफी अच्छा दोस्त बन गया था विक्रम, जो हर पल रचनी के साथ ही रहता, गणित के प्रोब्लम सोल्व्ह करने में मदद करता, कभी दोनों मिलकर कोई प्रोजेक्ट साथ करते, तो रचना का वो सबसे खास दोस्त या यूं कहो प्यार बन गया!
अब उस बिचारी की उलझन की वो चाहकर भी ये बात उसे नहीं बता सकती, क्यूंकी की कुछ साल पहले करीबन २००३में उसके पापा का इंतकाल हो गया, यहां आने से पहले उसके छोटे बहन की शादी हो गई, उसने लव्ह मॅरेज में आई दिक्कतें देखी थी, छोटी बहन ने जो की थी, बडी बहन जिसकी शादी होनी बाकी थी, मां बिचारी हाऊस वाईफ सारी दिक्कतों अकेली लड रही थी, उसका इकलौता भाई उम्र से पहले बडा हो गया, २१ साल उसे अपने पापा की जगह अनुकंपा पर नोकरी लगी, वो घर की जिम्मेदारी उठाने लगा !
तो वो अपने परिवार को परेशान नहीं करना चाहती थी, प्यार तो हमेशा था, पर उसके आगे उसके प्यार ने उसके दोस्त स्वाती को प्रपोज किया, जिसे उसने ना कहा था! इसी बीच उसे मालुम हुंवा विक्रम से, हसमुख रहनेवाला वो इक गहरा दर्द अपने अंदर छिपाए है, दो तीन साल पहले वो डिप्रेशन से गूजर चुका है, और फिर कभी भी वो इसका शिकार हो सकता था, बडी मुश्किल से उसके परिवार ने उसे संभाला था, उसके मां का वो इकलौता सहारा था, रचना उसे हर तरह से खुश रखने की कोशिश करती, पर वो अंदर ही अंदर टुट रही थी, फिर बी.एड की सीईटी देकर वो हमेशा के लिए उससे दूर चली गई, क्या पता कैसे पर उसे अंदाजा हो गया की रचनी उसे प्यार करती है!
उस दिन भारी मन से वो उसे छोडने बस स्टॉप पर आया, वो दिन फ्रेंडशिप डे का था, हाथ में फ्रेंडशिप बॅण्ड बांधते हुवे वो काफी देर उसके पास बैठा रहा, फिर हमेशा से वो दोनों फोन पर बात करते है, आयटीआय खत्म हो गया था, यहां उसका बीएड खत्म हो गया, वो आगे डिप्लोमा करने पुणे चला गया, फिर भी दोनों बीच बीच मेम मिलते रहते, रचना हर दिन उसे फोन करती, उसे कभी अकेला महसुस होने नहीं देती, वो कभी अपना प्यार जाहीर नहीं कर पाई, वो उसके कामयाबी के बीच नहीं आना चाहती थी, उसे एक साल के भीतर सरकारी नोकरी लग गई, अब वो अपने परिवार को संभालने लायक हो गया, रचना भी स्कुल में टीचर थी , अच्छा खासा चल रहा था उसका भी! रचना का परिवार में बडी बहन, भाई की शादी हो चुकी है, सब अपने अपने जीवन में खुश है, छोटी बहन की शादी में आई दिक्कते कम हो गई है, फिलहाल उसकी मां को रचना अकेली की फिक्र है, दोनों के घरवाले जानते है, रचना विक्रम से प्यार करती है !
एक दिन अचानक रचना को विक्रम का फोन आया, उसने उसे मिलने बुलाया था, फिर वो वहां पहुंच गई, विक्रम ने उसकी आंखे बंद कर दी, वो उसे कहीं ले गया, उस दिन वेलेंटाईन दिन था, आंखे खुली तो मंडप सज चुका था, दोनों परिवार के लोग वहां पहुंच चुके थे, रचना डर गई, आखिर उसके विक्रम की शादी थी, और लडकी कौन ये सोचकर उसकी धडकन पहले से ज्यादा तेज धडक रही थी, जब सामने से आकर पैर पर बैठकर जब उसने रचना से मोहब्बत का इजहार, और शादी का प्रस्ताव दिया, यकिन मानो उस पर रचना को वो ख्बाव या हकीकत समझ नहीं आया, फिर घरवालों की मर्जी से उनकी शादी हो गई, दोनों अब खुशहाल जिंदगी जी रहे है, रचना की खुशी का तो ठिकाना नहीं आखिर उसका पहला प्यार , बेस्ट फ्रेंड उसका पती. आज शादी को पांच साल पुरे हो गये, उनकी प्यारी सी बेटी है!
ऐसे हुंवा उस दिन रचना और विक्रम के प्यार का इजहार, दोस्त से लेकर शादी का दोनों का सफर, उम्रभर का वो हमसफर. उस दिन से वेलेंटाईन डे किसी त्योहार से कम नहीं दोनों के लिए! ये कहानी तो यहां खत्म नहीं बल्कि यहां से शुरु! आपसे बिदा लेती हुं, मिलती हुं अगले प्यार के कहानी के साथ! तबतक प्यार करते रहिये!