9 अप्रैल 2022,
शनिवार
समय 4:45
मेरी प्यारी सखी,
कैसी हो? आज सुबह से ही कन्याओं को जीमाने का दौर आरंभ हो चुका है। सभी महिलाएं सुबह-सुबह स्नान से निवृत्त होकर पूजा करने मंदिर चली गई। लाल रंग की साड़ी, तो किसी ने लाल चुन्नी ओढ़ रखी थी।
पहले कॉलोनी में ही लड़कियां कन्याओं के रूप में मिल जाते थीं। पर अब ये लड़कियां बड़ी हो गई है। मैया पूजने के लिए इस समय लड़कियों का हमारी कॉलोनी में अभाव हो चुका है। बाहर की कॉलोनियों से या सगे संबंधियों को फोन कर लड़कियां बुलाई जाती हैं ताकि कन्या पूजन पूर्ण हो।
दो-तीन सालों से गडरिया जाति की लड़कियां खुद ही अष्टमी और नवमी के दिन हर गेट पर आकर पूछती है कन्या जीमाना है क्या? उन लड़कियों को बैठा कर खिलाया जाता है। इस बार पता नहीं क्यों नहीं आई?
जब मैं छोटी थी तो मन में बड़ी इच्छा होती कोई मुझे मैया पूजने के लिए ले जाए। लेकिन अफसोस...
हमारे घर के आस-पास घर नहीं थे। आस-पास खाली प्लाट थे।
जब मेरी छोटी बहन ने जन्म लिया उस समय तक हमारे आस पास लगभग बहुत से मकान बन गए थे। जिसकी वजह से मेरी छोटी बहन को मैया पूजन के लिए अष्टमी के दिन बुला लिया जाता था।
आज नारियल खरीदने के लिए एक दुकान पर रुकी। नारियल बेचने वाले भैया से नारियल का दाम पूछा। नारियल वाला बोला एक नारियल ₹30 का है। दो नारियल लेने पर ₹50 में दे दूंगा। कई बार अधिक सौदा लेने पर दुकानदार पैसों में कुछ कमी कर देते हैं। मैंने कहा चलो ठीक है दो ही दे दो। वह नारियल में पानी है या नहीं उसने अच्छे से नारियल देख निकाल कर मुझे दे दिए।
मैं पैसे निकाल रही थी कि तभी अचानक एक बाइक में सवार वृद्ध दंपत्ति अपनी गाड़ी गली में मोड़ने लगे। वे बड़ी ही धीमी गति से अपनी बाइक चला रहे थे कि तभी सामने से आती एक बाइक ने उन्हें धक्का मारा। धक्के की वजह से गाड़ी पर सवार दंपत्ति गिर पड़े।
वही आसपास खड़े लोगों ने दोनों को उठाया और पास रखी मुड्डी पर बैठने को कहा। लेकिन दोनों दंपत्ति धीरे-धीरे उठकर जाने लगे। मैं वहीं पास में खड़ी सोचने लगी। लोगों को न जाने जल्दी वाहन चलाने की क्या पड़ी रहती है? जो दूसरों की सुरक्षा को भी दरकिनार कर देते हैं।
पापिया