मेरी प्यारी सखी,
पता है सखी, आज काम करते हुए बीच-बीच में, मैं दीदी(जेठानी) से बातें कर रही थी। अचानक तभी मेरी नजर दीदी की अंगूठी पर गई तो मैंने पूछ लिया, दीदी सोने की अंगूठी है क्या? इससे पहले तो नहीं देखी थी?
तो दीदी बोली हां ₹50 में सोने की अंगूठी है। मुझे हंसी आ गई, पेट पकड़ के हंसने लगी।
वे बोली हंस क्यों रही हो?
मैंने कहा सोने की अंगूठी कहीं ₹50 में आती है!
उन्होंने कहा मुझे अंगूठी पहनने का शौक हैं। सोना पहनने से डर लगता है। पर अंगूठी तो पहननी ही थी तो पहन ली।
सोना पहनने में मेरी भी जान निकलती है। बहुत डर लगता है। स्नेचर सोने के आभूषण तो खींच लेते ही हैं कई बार शरीर में चोंटे भी आ जाती है। तो इससे अच्छा है सावधान रहे।
हमारे यहां वसुंधरा बहन जी जो की सरकारी स्कूल में अध्यापिका है, सोने की चेन पहनती थी। 1 दिन स्कूल से आते हुए जब सब्जी के ठेले पर से सब्जी खरीद रही थी तो दो बाइक सवार आदमी उनकी चैन ले भागे।
सीसी टीवी में उन बाइक सवारों की फोटो दिखने के बावजूद उन दोनों आदमियों को पकड़ा नहीं जा सका।
बस तभी से दीदी के मन में डर बैठा हुआ है। क्या करें? वैसे भी बाजार में आजकल ऐसे कई आभूषण आ गए हैं जो सोने का सब्सीट्यूट है। देखने में भी वे सोने के आभूषण जैसे ही दिख पड़ते हैं। उनके खोने से इतना ज्यादा नुकसान भी नहीं होता जितना सोना खोने से होता है।
एक और बात मां कहती है कभी ना तो सोना मिलना चाहिए और ना सोना खोना ही चाहिए। सोना पाना और खोना दोनों ही बुरा है। इसलिए सोना सावधानी से रखो और कहीं मिलने पर मत उठाओ।
फिर मन की बातों के साथ आऊंगी। तब तक के लिए विराम लेती हूं।
पापिया