14 अप्रैल 2022
गुरुवार
समय- 11:00
मेर प्यारी सखी,
जीवन की कुछ ऐसी यादें जो याद आते ही मन को गुदगुदा देती है वो भींगे पल वो एहसास।
आज का दिन बंगाल में नव संवत्सर के नाम से जाना जाता है कहे तो अंग्रेजी का हैप्पी न्यू ईयर कहा जाए या नोतून बोचोर या पोहेला बोयशाख, पहला वैशाख।
एक आनंद की अनुभूति। जब हम बच्चे थे इस दिन का खास इंतजार किया करते थे। आज के दिन नए कपड़े पहनते घर में खीर, पूरी बनती थी।
बड़ों के चरण छुए जाते थे। हम बच्चों को कहा जाता था कि आज के दिन कोई किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करेगा। कारण पूछने पर बड़े कहते थे कि आज के दिन जो लड़ाई करेगा वह सारे साल ही लड़ाई करता रहेगा। मतलब साल का पहला दिन जैसा व्यतीत होगा सारे के सारे दिन भी वैसे ही व्यतीत होंगे। ज्यादा ना खेलना फिर सारे साल खेलते ही रहोगे। हमें निर्देश दे दिए जाते थे।
सबसे पहले भगवान जी को प्रणाम करने को कहा जाता था। उसके बाद अलमारी में रखी दादा दादी के फोटो को प्रणाम करते थे, कारण दादा दादी तो गांव में रहते थे ना। उस समय आज की तरह मोबाइल नहीं होता था कि झट से फोन पर बातें कर ले या वीडियो कॉल ही कर लिया जाए।
चिट्ठी पत्री का जमाना था। चिट्ठी भी लिखते थे वह भी कई दिनों पहले। परंतु बातचीत का कोई माध्यम नहीं होता था। तो फोटो में ही प्रणाम कर लिया करते थे।
उसके बाद उम्र के अनुसार बड़े से छोटे तक सभी को प्रणाम किया करते थे। मुझसे छोटे भाई बहन मुझे भी प्रणाम करते थे। नए कपड़े हमारे लिए किसी उत्सव के अवसर पर ही आते थे ना कि कभी भी। संयुक्त परिवार था हमारा। हर बात का ध्यान रखा जाता था।
बड़े हमें आशीर्वाद देते थे। स्कूल में भी मैं सभी दोस्तों को बता देती थी कि आज हमारा नव वर्ष है और कहती मुझे बधाई दो और मैं भी सभी को बधाई देती। कोई भी मुझसे झगड़ा करता तो मैं तुरंत ना कह देती, ना ना आज नहीं कल झगड़ा करेंगे। याद रखना किस बात पर झगड़ा हुआ था बस कल करेंगे झगड़ा शुरू।
बचपन की यादें नहीं भूलती भुलाए भी।
पापिया