13 अप्रैल 2022
बुधवार
समय- 11:15(रात)
मेरी प्यारी सखी,
हम सोचते रह जाते हैं और जीवन पथ पर जीवन यूं ही चलता जाता है।
हम कुछ सोचते हैं और हो कुछ जाता है।
कई बार लोगों द्वारा की जाने वाली उल फूजूल हरकतों से बड़ा आश्चर्य होता है। आज रास्ते में जाते हुए देखा एक आदमी भीड़भाड़ वाली सड़क पर खड़ा होकर सेल्फी ले रहा है। अब बताओ अगर इस तरह से भीड़-भाड़ वाली जगह पर सेल्फी ली जाए तो दुर्घटना से कौन बचा सकता है और उसके बाद कहा जाता है लोग देखकर गाड़ी नहीं चलाते, कैसी विडंबना!!
गर्मियों में सब्जियों का तो जैसे अकाल पड़ जाता है। आज रास्ते में आते हुए सब्जी के ठेले पर इतनी सारी सब्जियां अलग-अलग किस्म की देखी क्या बताऊं और इन मर्दों से कहा जाए सब्जी लेकर आइए जी, तो बस भिंडी, लौकी, कद्दू यही सब्जी लाकर दे देते हैं।
ये सारी सब्जियां तो उस समय अच्छी लगती है जब इनकी कीमत अधिक हो। ज्यों ज्यों सब्जियों की कीमत कम होती है वे सब्जी पसंद ही नहीं आती। पता नहीं इंसानी क्या फितरत है? ठेले वाले भी कहते हैं अभी अच्छी नहीं लगेगी दाम बढ़ते ही तब पसंद आने लगेगी ये सब सब्जी आप लोगों को।
आज चर्चा का विषय है अंतिम
इंसान अपने अंतिम समय के लिए धन इकट्ठा करने में अपनी पूरी जवानी व्यतीत कर देता है, ना मौज मस्ती कर पाता है ना ही आराम।
अंतिम समय में जब उसका मन करता है थोड़ा आराम करें उस समय ना तो मन भर खा पाता है और ना ही आराम कर पाता है क्योंकि शारीरिक बीमारियां ही उसे यह सब करने नहीं देती।
फिर भी हर इंसान इसी दौड़ में दौड़ा जा रहा है। जिससे ना दिन में चैन और ना रात में आराम। सुकून की जिंदगी तो शायद बीता ही नहीं पाता।
तुम्हें बताया था ना एक डॉगी को पतिदेव घर ले आए थे। या यूं कहें कि पीछे-पीछे आ गया था। लेकिन अब उस डॉगी का हकदार उसे मांगने आया है। वैसे हमें नहीं पता कि वास्तविक वो ही हकदार हैं!
इतने दिनों तक उसके बीमार रहने पर बिटिया ने उसे दवाई, लगाते हुए उसकी इतनी सेवा की। अब हकदार द्वारा उसके मांगे जाने पर उसका तो मूड ऑफ हो चुका है। उन लोगों का कहना है आपके घर में एक डॉगी है तो इस डांगी का क्या करोगे। इससे अच्छा है हमें ही दे दो।
अभी फंक्शन में आए हुए हैं लेकिन फंक्शन है कि शुरू होने का नाम ही नहीं ले रहा। 5:30 बजे से बैठे हुए हैं 8:15 होने को है लेकिन...
पापिया