मेरी प्यारी सखी,
जीवन के कुछ ऐसे पल जो चिर स्मरणीय रह जाते हैं कुछ ऐसी यादें जो भुलाए नहीं भूलते।
बेटी जब छोटी थी बिल्कुल छोटी। एक दिन मैं नहा कर बाहर निकली तो मैंने देखा कि उसके हाथ में एक लाल डिब्बी है और जहां वह बैठी है पास में पानी का ग्लास।
मुझे बड़ा अचंभा हुआ। पूछ लिया क्या कर रही हो? उसने जवाब दिया मां ब्रश करते हुए डाबर लाल दंत मंजन में थोड़ा-थोड़ा पानी मिलाना पड़ता है। इसलिए मैंने सारा मंजन निकाला और थोड़ा मंजन डाल रही हूं और फिर पानी, फिर मंजन फिर पानी तो वह लिक्विड बन जाएगा। और फिर हमें रोज थोड़ा थोड़ा हाथ में पानी लेने की जरूरत भी नहीं होगी।
मैंने अपना सिर पीट लिया। हे भगवान! 2 दिन पहले लाया वह मंजन जिसका सत्यानाश हो चुका था।
घर में सारे बच्चे एक साथ स्कूल जाते थे। जिसमें जेठ जी के दोनों बच्चे और हमारे दोनों बच्चे थे। एक दिन जेठ जी का बेटा आया और बोला- पता है ताती आज बत के पीते मैंने कुछ लिखा पला। वह सबसे छोटा था इसलिए थोड़ा तोतला कर भी बोलता था।
मैंने पूछा क्या पढ़ा तुमने बस के पीछे क्या लिखा था?
उसने कहा लिखा था हथ मत पदली पाल हो जाएगा। सभी बच्चे उसकी बात सुनकर हंसने लगे, क्योंकि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वह कहना क्या चाह रहा है। और वह बार-बार समझाने की कोशिश कर रहा था। साथ ही इसी लाइन को बार-बार दोहराए जा रहा था।
उसके चाचा आए। सभी उसकी बात पर हंस रहे थे। तब उन्होंने पूछा क्या हुआ? किस बात पर हंस रहे हो? बच्चों ने कहा चल दोबारा बता क्या पढ़ा था ट्रक के पीछे? उसने अपनी कही हुई बात को दोबारा पुनः दोहराई।
ये भी समझ नहीं पाए। बोले जो बोलना है साफ-साफ बोल। जब किसी को भी नहीं पता चला तब बे
बिटिया मुझे बुला कर लाई। मैं रसोई में काम कर रही थी। मम्मी प्लीज आप सुनकर बताओ भैया क्या कह रहे हैं। मैंने सुना हंसी तो मुझे भी आ गई पर मैंने हंसी को रोकते हुए कहा- यह कह रहा है इसने ट्रक के पीछे लिखा हुआ पड़ा जो कि था हंस मत पगली प्यार हो जाएगा।
मेरे ऐसा बोलते ही वह जोर-जोर से अपने सिर को हिलाता हुआ बोला हां हां यही पड़ा था मैंने। तब से कहे जा रहा हूं किसी को समझ नहीं आता और ताती को समझ में आ गया। उसकी बात सुनकर सभी जोर जोर से हंसने लगे।
बचपन में बिटिया भूतों की आवाज निकालती थी और कहती थी हां मैंने सुना है। भूत ऐसे ही आवाज करते हैं। ऐसे ही बोलते हैं कहती हुई आवाज निकालती- मुनु मुनु मुनु मुनु चुनु चुन चुनु चुनु कहती हुई अपने मुंह को ढक लेती और कहती भूत मुंह पर कपड़ा रखकर डराते हैं।
तभी तो कहा गया है-
बच्चे मन के सच्चे।
सारी दुनिया की आंखों के तारे।।
ये वो नन्हे फूल है जो।
भगवान को लगते प्यारे।।
इन्हीं यादों के साथ अब विदाई लेती हूं।
शुभ रात्रि