8 अप्रैल 2022
शुक्रवार
समय 8:10
मेरी प्यारी सखी,
पता है सखी कई बार कोई तारीख याद ही नहीं रहती तो कई बार बड़ी ही परेशानी भी उठानी पड़ती है।
अब देखो ना 3 तारीख रविवार को झंडा चढ़ाने के लिए मुझे बूढ़ी माई मंदिर जाना था, पर याद ही नहीं रहा। याद तो तब आया जब दूसरे दिन प्रतिज्ञा जी ने हल्की सी डांट लगाते हुए कहा क्यों कितना कहा था कि मैं झंडा चढ़ाऊंगी मंदिर आ जाना और तुम नहीं आई। तब जाकर मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ पर अब क्या किया जा सकता है था?
समय तो अपना पहिया उल्टा घुमा ही नहीं सकता। जिससे हम उस समय में दोबारा पहुंच जाए। जिस समय विशेष में हम गलती कर चुके हैं।
एक बार गलती के कारण हुई गलती से सबक ले लिया था तो सुप्रिया जी के बुलावे को मैंने ध्यान में रखा। तुरंत पतिदेव को बताया कि मुझे कल सुप्रिया जी के घर जाना है।
सुप्रिया जी ने अपना एक छोटा सा व्यवसाय शुरू करने का मन बनाया है। मुझे भी सुनकर बड़ा अच्छा लगा। आरंभ तो उन्होंने छोटे पैमाने पर ही किया है। आगे प्रतिफल अच्छा मिलने पर वे इस काम को बढ़ाएंगी। अब तो धूप काफी चूभने लगी है। अचानक होली के बाद से गर्मी काफी अधिक हो चुकी है। बड़ी परेशानी हो रही है। जरा सा धूप में निकलते ही ऐसा लगता है मानो भट्टी में आ गए हैं।
नवदुर्गा में नगाड़े बड़े ही जोर शोर से बचने लग रहे हैं। मंदिर में पहुंच रहे दर्शनार्थियों के लिए लोग जगह-जगह पानी, शरबतों की व्यवस्था कर रहे हैं। ताकि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।
बाजार भी सज चुके हैं। हर बार बाजार में बिकने वाली मूर्तियां इस बार बाजार में नहीं दिखी। पता नहीं क्यों? सर्दियों में बिकने वाले गाजर के जूस का स्थान अब गन्ने के जूस ने ले लिया है।
चलो संध्या हो चुकी है। फिर नई वार्ता के साथ...
पापिया