कहते है कमल कीचड़ में खिलता है
किन्तु कीचड़ तो कीचड़ ही रहता है
सबकी अपनी -अपनी नियत है
किसी की चाँदी तो किसी की फजीहत है
कमल खिलने के लिए कीचड़ जरुरी है
किन्तु कीचड़ के लिए कमल नहीं जरुरी है
यह बात कितनी गलत कितनी सही है
दीवार किसके पक्ष में कितनी ढही है
अब तो इन दीवारों की परिभाषायें
खिड़कियों और दरवाजों के हिसाब से होती है
अब जरुरी कौन है कितना किसके लिए
यहाँ ख़बरों की बिकाऊ बाजार तय करती है
बुद्धि का होना बुद्धू को ढोना बुद्धिभ्रम बोना
मलाई चाप खा कर फेंक देना ख़बरों का दोना
ख़बरों के घूरे पर ख़बरों के भूखे चौकते है
जैसे सड़ी लाश पर लपलपाते कुत्ते भौकते है
कुत्तों के मालिक आरामकुर्सी से देखते हैं
एक दो टुकड़ा रोटी के वहीँ से फेंकते हैं
कुत्ता अपनी दमदार दुम हिलाता है
कीचड़ में कमल का फूल खिलाता है
मालिक उसको भैस का दूध पिलाता है
भैस तो कीचड़ में पूंछ पटक कर लोटती है
यह शातिरबाज़ी किसको पोटती है ?
अनिल कुमार शर्मा
१०/०३/२०१७